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Hindi - हिन्दी Incest आम के बगीचे में मेरी सौतेली माँ

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Part 1 (Mom Sex In Garden)​

हिंदी मॅाम सेक्स इन गार्डन का मजा एक लड़के ने लिया अपनी सौतेली मम्मी के साथ. वे दोनों अपने आम के बाग़ में फलों का मजा लेने गए थे.

नमस्कार पाठको!
मेरा नाम मयंक है।
मैं अभी बी.एस.सी. के दूसरे वर्ष में हूँ और पटना में पढ़ाई कर रहा हूँ।

मेरे घर में मेरे अलावा माँ, पापा और दीदी हैं।
दीदी भी मेरे साथ पढ़ाई कर रही हैं।

पापा विदेश में नौकरी करते हैं।
जो साल–दो साल में एक बार घर आते हैं।

मेरी माँ जो मेरी सौतेली माँ हैं, सेक्स की देवी हैं, बिल्कुल माधुरी दीक्षित जैसी लगती हैं।
उनका नाम स्मिता है और उम्र 38 साल है पर लगती 28 साल की हैं।

माँ को केवल देखने मात्र से किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है।
उनके शरीर की बनावट गजब की है।

वे गाँव में ही रहती हैं। वे गाँव की सीधी–सादी और सुंदर स्त्री हैं।

गाँव में हमारा बहुत अच्छा और बड़ा घर है।
वे घर पर रहकर घर का काम संभालती हैं।

यह Www Xxx हिंदी मॅाम सेक्स इन गार्डन मेरी सौतेली माँ की है तो आप सभी पाठक अपना लंड पकड़ लें या चूत में उँगली घुसा लें क्योंकि कहानी आपको बहुत गर्म कर देगी!

इस बार गर्मियों में मैंने घर जाने की योजना बनाई।
पर दीदी ने जाने से मना कर दिया और मेरा सारा मूड खराब हो गया।

एक दिन मैंने माँ से कॉल पर बात की तो उन्होंने ने खुद ही बोल दिया- इस बार गर्मियों में आओगे या मैं अकेली ही रहूंगी?
मैंने उनसे कहा– मैं तो तैयार हूँ माँ, पर दीदी नहीं आ रही!

तब वे बोलीं– कोई बात नहीं तुम ही आ जाओ!
मैं तो यही चाहता था और सुबह होते ही मैं घर पहुँच गया।

घर जाते ही उन्होंने मुझे एक चुम्मा दिया गाल पर और गले लगा लिया।

उन्होंने कहा– बाप तुम्हारा जल्दी आता नहीं है और तुम दोनों भी मुझे भूल जाते हो!
मैंने उनको पीछे से गले लगाते हुए और उनके गाल पर अपना गाल सटाते हुए कहा– मैं हूँ ना माँ, आपका ख्याल रखने वाला!
फिर वे मुस्कुराने लगी और बोलीं– अच्छा चल अब हाथ मुंह धो ले, खाना लगाती हूँ।

मैं उनको को देखकर बहुत ही गर्म हो गया था।
मैंने जब से सेक्स स्टोरी पढ़ना चालू किया, मेरा उनको देखने का नजरिया ही बदल गया।

घर पर आये मुझे अब कई दिन हो गये।
रोज मैं उनसे से चिपकता और उनके गालों पर चूमा देता।
बस इसी तरह दिन कट रहे थे।

एक दिन मम्मी को आम खाने की तलब हुई!
तो मम्मी ने मुझसे कहा– मयंक बेटा, चल आज बगीचे में चलते है।

मैं तो हमेशा से ही उनके के साथ अकेला समय बिताना चाहता था और आज वह मौका मिल रहा था।
मैंने झट से कहा– ठीक है माँ, आज 10 बजे खाना खा कर अपना बगीचा चलेंगे।

आपको बता दूँ दोस्तो, मेरा एक छोटा सा बगीचा है, जिसमें कुछ आम, अमरूद और जामुन वगैरह का कुछ पेड़ है।
गर्मियों के दिन थे और धूप भी ज्यादा थी तो हम 10 बजे के थोड़ा पहले ही बगीचे के लिए निकल गए।

माँ ने पारदर्शी काली साड़ी पहनी थी, एकदम सेक्स की देवी लग रही थी।
मन कर रहा था कि उनके होंठ चूस लूँ।

फिर हम माँ बेटा दोनों बाइक से चल दिये।
यही कोई 5 मिनट का रास्ता था, हम पहुँच गए।

रास्ता छोटा होने की वजह से मैं उनके साथ मस्ती नहीं कर पाया बाइक पर!

वहां पहुँचने के बाद मैंने बाइक को अन्दर बगीचे में एक पर के नीचे खड़ा कर दिया।
बगीचे में एक कमरा बना हुआ था वहीं जाकर हमने थोड़ा आराम किया।

मैंने उनसे पूछा– बताओ माँ, आप कितने आम खाओगी?
उन्होंने कहा– आज जितना तू खिला दे! आज पूरा चूस के खाऊंगी!
और हँसने लगी.

मम्मी के मुंह से ऐसी बात सुन के मेरा लंड तन गया।
वे बोलीं– जल्दी से चढ़ ना!
मैंने पूछा– कहां चढ़ूँ?

उन्होंने हँसते हुए कहा– पेड़ पर!
फिर मैंने कहा– ओह सॉरी मम्मी!

और झट से पेड़ पर चढ़ कर आम तोड़ने लगा।

गर्मी ज्यादा थी तो आम पके हुए थे।
मैंने एक आम तोड़ा और उनसे पूछा– माँ, आम कहा फेंकूँ?
माँ– यहीं नीचे गिरा दो!

मैं– माँ आम नीचे गिरेगा तो खराब हो जाएगा!
माँ– अच्छा! फिर क्या करें?

मैं– माँ अपने आंचल में छानो, वहीं गिराता हूँ!
फिर मां ने अपनी साड़ी का पल्लू खोला और आँचल फैला दिया।

उफ … उनकी आधी चूचियां ऊपर से साफ़ दिख रही थी।
मेरा तो लंड तन कर मोटा हो गया था।

माँ– क्या सोचने लगे, आम गिराओ आंचल में!
मैं– ठीक है माँ!

फिर मैंने उनके आंचल में सारे आम गिरा दिए और उनके शरीर की कल्पना करते हुए नीचे पेड़ से उतर गया।

हम दोनों माँ बेटा रूम में आ कर आम खाने लगे।
दोपहर ज्यादा हो गई थी तो लू चलने लगी जिससे गर्मी और बढ़ गई।
धूप भी बहुत तेज हो गई थी।

आम खाते–खाते थोड़ा आम मेरे गाल पर भी लग गया जिसे वे देखकर हँसने लगी।

मैं– क्या हुआ माँ?
माँ– तेरा चेहरा तो एकदम कृष्ण कन्हैया की तरह हो गया!

मैं– अच्छा तो साफ कर दो, इसे चाट के!
वे हँसने लगी और बोलीं– ठीक है कर देती हूँ चाट के!

फिर वे मेरे गाल को अपने गर्म जीभ से चाटने लगी।
ओह … मेरा लंड एकदम तन चुका था और अब उनको भी पता चल गया था।

उन्होंने मेरी गाल और होंठ चाट के साफ़ कर दीं।

फिर वे बोलीं– ले बेटा साफ कर दी! अब आम खाना हो गया तो चल थोड़ा यहीं शाम तक आराम कर ले फिर घर चलेंगे क्योंकि मैं बहुत ज्यादा थक चुकी हूँ।
मैं– ठीक है माँ, चलो थोड़ा सो लेते हैं!

बाहर लू बहुत ज्यादा चल रही थी पर यहाँ बगीचे में आम के पेड़ की छाया में मस्त लग रहा था।
मैं जाकर बाइक को भी इधर कमरे की तरफ ले आया।

झाड़ी बहुत थी तो बगीचे के बाहर और अंदर का कुछ पता नहीं चलता था।
मैं अब कमरे में गया तो देखा कि वे सिर्फ साया और ब्लाउज में लेटी हुई थी।

मुझे देखते ही वे बोलीं– बेटा, तू भी अपना कपड़ा उतार दे, बहुत गर्मी है और यहां पंखा भी नहीं है!
मैं– ठीक है और अपने कपड़े उतार के केवल चड्डी–बनियान में उनके पास लेट गया।

उनको ऐसे देख मेरा लंड बिल्कुल तन चुका था।
मन कर था कि झट से साया उठा कर उनको पेल दूँ!

मैं उनकी तरफ मुंह कर के लेटा हुआ था और वे मेरी ओर गांड की हुई थी।

उनकी गांड को देख कर के मैं उनको चोदने की कल्पना कर रहा था।
वे अब सो चुकी थी।

थोड़ी देर बाद वे थोड़ी हिली और उनकी गांड मेरे लंड पर बैठ गया।
उउफ … ऐसा लग रहा था कि लंड कस के गांड में पेल दूँ!

मैं भी पीछे नहीं हटा बल्कि और सट गया।
मैंने उनकी गांड पर दवाब और बढ़ा दिया।

माँ पलटी, अब उनका मुंह मेरी तरफ हो गया था।
मैं डर गया पर वे सोते वक्त बहुत ही खूबसूरत और मासूम लग रही थी।

वे गहरी नींद में थी।

कुछ देर बाद उन्होंने अपना हाथ मेरे ऊपर फिराया।
फिर वे अपना हाथ मेरे पेट पर फिराने लगी।

मुझे लगा वे जगी हुई है पर नहीं, माँ सपना देख रही थी और वे कुछ बोल भी रही थी।
पर आवाज साफ नहीं थी!

फिर उन्होंने अपना हाथ मेरे अंडरबियर के अंदर डाल दिया।
अंदर लंड एकदम टाइट हो गया था!

उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे–धीरे हिलाने लगी।

वे भी गर्म हो गई थी और सपने में मजा ले रही थी, पर कर सब हकीकत में रही थी।

मेरा गला एकदम सूख रहा था।

फिर उन्होंने मेरा हाथ उठा कर अपने चूचियों पर रखा और अपने होंठ मेरे करीब ले आयी।
उनकी गर्म सांस मुझे और उत्तेजित कर रही थी।

मैं उनके होंठ को बस अपनी जीभ से थोड़ा–थोड़ा चाट रहा था।
वे मेरे लंड को सहला रही थी।

मैंने थोड़ी हिम्मत की और उनका साये का नाड़ा खोल दिया और पूरा साया निकाल दिया।
उनकी गोरी चूत एकदम सामने आ गई।

अंदर वे कुछ नहीं पहने थी।
माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था, लगता है उन्होंने हाल ही में चूत शेव की थी।

वे कहीं जाग ना जायें … इसलिए धीरे–धीरे चूत को सहला रहा था।
वे कभी आआह्ह कभी उउफ़्फ़ करती।
नींद में ही उनकी चूत पानी–पानी हो गयी थी।

बाहर बहुत तेज लू चल रही थी।
तेज़–तेज़ हवाओं की आवाज़ और उनकी मधुर सिसकारियों की आवाज़ मुझे पागल बना रही थी।

मैंने धीरे से उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और अपनी उंगली उनकी चूत में डाल दी।
उनकी सिसकारियां ‘आआहह …’ पागल कर रही थी!

फिर मैंने उनकी ब्लाउज़ के बटन खोले तो चूचियां बाहर आ गई।
उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी।

उफ … माँ अब एकदम नंगी थी!
मन कर रहा था कि खा जाऊं माँ के शरीर को, इतनी मस्त थी … मेरी माँ!

फिर मैंने उनके स्तनों को हल्के–हल्के जीभ से चाटना शुरू किया।
वे मुझे ‘हाय … उफ़ … आह … चाटो’ कह रही थी!

मैं उनकी मस्त चूचियों को चाट रहा था और चूत में उंगली करके, एकदम पानी–पानी कर दिया था।
अब मन कर रहा था कि बस मैं उनको चोद दूँ!

मैंने उनकी जांघों को चौड़ा किया और खुद उनके बीच में आ गया।
फिर मैंने अपनी लंड को उनकी चूत पर लगाया और धीरे–धीरे लंड चूत में डालने लगा।

वे ‘आह … उउ उफ’ करने लगी।
मैं आराम से अपनी लंड को उनकी चूत से उतार दिया।

उनकी चूत इतनी गर्म थी कि मुझे जोश आ गया और उनकी चूत में कस–कस के झटके मारने लगा, जिससे वे जग गई।
मेरी तो गांड फट गयी.
और वे एकदम घबरा गई कि ये क्या हो रहा है?

माँ– बेटा, यह क्या कर रहे हो? यह सब गलत है मत करो, हटो मेरे ऊपर से!
पर मेरे सर पर तो चोदने का भूत सवार था तो मैंने झटके मारना चालू रखा और उनके दोनों हाथ को पकड़ लिया!

वे छटपटाने लगी पर चुदाई का जुनून तो उनमें भी था.
माँ ‘उउफफ … आह’ करते हुए मुंह से तो कह रही थी ‘नहीं’ पर शरीर से जरा भी विरोध नहीं कर रही थी.
उलटा उन्होंने मेरे हाथ को अपनी मुट्ठी में पकड़ा हुआ था।

मैंने अब उनके होंठ को अपने होंठों से बंद करके झटके मारना तेज कर दिया।
अब वे भी मेरे होंठ चूस रही थी और गांड उठा कर चूत में लंड ले रही थी।

अब उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गयी ‘उफ … बेटा आह … और चोद … आह!’
मैं उनकी चूत में झटके मारे जा रहा था।

उनकी चूत गीली होने के कारण से पच–पच की आवाज आ रही थी।
वे उत्तेजना में मेरे मुंह में अपना जीभ डाल रही थी और गांड उछला–उछला कर चुद रही थी।

मैंने उनकी चूत से एकदम से लंड खींच लिया।
वे एकदम से तड़प उठी और बोलीं– उफ … बेटा चोद ना … क्यूं रुक गया? प्लीज … मेरी चूत लहर रही है … डाल दो ना बेटा!

मैंने उनके नर्म नर्म होंठों को चूमा, फिर गालों को चूमा और उनसे पूछा– बताओ तुम सपने में क्या देख रही थी? और ऐसा क्या था जो मेरा लंड को पकड़ रखा था? किसके साथ आखिर सपने में चुदने की तैयार थी?

माँ– छोड़ो ना वो सब बेटा … मैं कुछ नहीं देख रही थी! तुम चोदो, फिर से लंड डालो! चूत लहर रही है बेटा, चूत में लंड डालो बेटा!
मैं– नहीं माँ, पहले तुम बताओ किसके बारे में सपने में सोच रही थी?

माँ– अच्छा ठीक तो सुनो!

उन्होंने सपने में किसके साथ चुदाई की और उनका उससे क्या संबंध है; यह अगले भाग पता चलेगा।

तब तक माँ किसके बारे में सपना में सोच रही थी, आप सब मुझे कमेंट करें।
आगे की कहानी जानने के लिए फीडबैक दें।
आपको Www Xxx हिंदी मॅाम सेक्स इन गार्डन कहानी कैसी लगी कमेंट कर के जरूर बताएं।
आप सभी को प्यार!
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Part 2 (My Mom & Old Man Sex)​

माय मॅाम एंड ओल्ड मैन सेक्स कहानी में मेरी सौतेली माँ ने बताया कि कैसे वे हमारे आम के बाग में अपने वृद्ध चौकीदार से चुदी. और उसके बाद से रोज चुदती रही.

नमस्ते पाठको!
मेरा नाम मयंक है और मेरी माँ का नाम स्मिता है।
उनकी उम्र 38 साल है और वह देखने में बिल्कुल माधुरी जैसी लगती है।

मेरी माँ वहां आकर पहले भी सेक्स का मजा लेती थी, यह मुझे मालूम चला.
पर सम्बन्ध किसके साथ था, यह अब आप पढ़ोगे।
तो चलिए माय मॅाम एंड ओल्ड मैन सेक्स कहानी शुरू करते हैं!

मैं– बताओ माँ, आखिर सपनों में किसको देख रही थी कि इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने बेटे की लंड पकड़ लिया।
माँ कुछ देर शांत रही, फ़िर बोलीं– बेटा, मैं इस बगीचे में पहले भी चुदाई करवा चुकी हूँ।

मेरा तो मुंह खुला का खुला रह गया।
मैं हैरान हो गया कि यहां इस बगीचे में माँ किसके साथ चुदाई करवा सकती है।

पर मैं यह जानकर उत्तेजित हो गया कि माँ किसी और से भी चुदती है।
मैंने अपना लण्ड अब फ़िर से माँ की चूत में डाल दिया और उन्हें चोदने लगा।
अब माँ भी चुदाई का आनंद लेने लगी।

फ़िर मैंने माँ को चोदते हुए पूछा– किसके साथ आप ने चुदाई की है?
तब माँ बताई– बेटा यह कहानी लंबी है, पहले चोद दे … फ़िर सब बता दूँगी।

तब मैं कहानी जल्दी जानने के लिए मैं माँ को जोर–जोर से चोदने लगा।
माँ अब पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और आँख बंद करके चुदाई का मजा ले रही थी।

“आह माँ … तुम्हारी चूत बड़ी मुलायम है! उफ … चोदने में कितना मजा आ रहा है!” मैं चोदते हुए उनको बोला।
माँ– हाँ बेटा, चोद … बहुत मजा आ रहा है! उफ़ … आह … चोद! अब मैं झड़ने वाली हूँ बेटा!

यह कहने के बाद माँ ने मुझे कस कर अपनी बांहों में जकड़ लिया और जोर से मुझे अपनी ओर दबाती हुई झड़ गयी।
माँ की चूत की गर्म पानी से मैं भी पिघल गया और निढाल हो गया।

फ़िर हम माँ बेटे ने एक–दूसरे को चूमा और उन्होंने अपनी चूत साफ करके कपड़े पहन लिए।

मैं उनको अपनी बांहों में पकड़ कर बोला– माँ, अब सुनाओ ना इस बगीचे की कहानी!

माँ मुश्किल में पड़ गई पर बोलीं– ठीक है सुनो!

वे अपनी कहानी बताने लगी:

जब तुम्हारे पापा विदेश चले गए और तुम दोनों पटना पढ़ने के लिए गए, तब मुझे घर में खालीपन महसूस होने लगा।
किसी तरह से तो 2-3 महीने कट गए पर उसके बाद मेरी चूत में आग बरसने लगी।
मैंने अकेलेपन को दूर करने के लिए फेसबुक पर अपना एक अकाउंट बनाया लेकिन वहां भी मेरा मन नहीं लगा।

फ़िर एक दिन मैं इस बगीचे में घूमने आई तो देखा कि कुछ लड़के यहां आम तोड़ रहे थे।
जब तक मैं आई तब तक बच्चे भाग चुके थे।
तब मुझे पता चला कि यहां बच्चे हमेशा आम चोरी करने आते है।

तब मैंने आम को चोरी से बचाने के लिए तुम्हारे पापा से बात की!
तो उन्होंने बोला– किसी को देख भाल के लिए रख लो!

मैंने तब कई लोगों से इस बगीचे की रखवाली के लिए बात की पर कोई मिल नहीं रहा था।
फ़िर एक दिन, एक 60–62 साल के एक बुजुर्ग आये।

उन्होंने बोला– मैं इसकी रखवाली करूंगा। इसके बदले में आपको मुझे बस खाना खिलाना होगा।
मैं सोची कि वैसे भी मैं अकेली हूँ, इनको खिलाने में मुझे कोई दिक्कत नहीं है।

फ़िर माँ उनको बोलीं– आप घर आकर खा लिया कीजिएगा।
तो उन्होंने मना कर दिया और बोले– खाना बगीचे में लाना होगा।

बगीचे में एक कमरा था ही तो मैंने उनके रहने का व्यवस्था वहीं कर दी और रोज स्कूटी से खाना ले के बगीचा जाती थी।
अब उनको खाना खिलाना मेरा रोज़ का काम था।

मैं अब चुदाई के लिए तड़प रही थी कि इसी बीच एक 20 साल के लड़के से मैं फेसबुक पर काफी बातें करने लगी।
वह मुझे सेक्सी बातों से मेरी चूत गीला कर देता था।

मैं एक दिन उससे बात करने में इतना मशगूल हो गई की बगीचे में खाना ले जाना ही भूल गयी और जब याद आया तब तक देर हो चुकी थी।

तब मैं जल्दी से खाना लेकर स्कूटी से बगीचा पहुँची।
जब मैं वहां पहुँची तो देखी कि वे सो रहे थे।

वह धोती पहने हुए थे और लगता है सोते हुए उनकी धोती खुल गई थी पर बदन ढकी हुई थी।
मैं सोची मेरी वजह से आज यह भूखे सो गये।

फ़िर मैंने उन्हें हिलाकर उठाने लगी तो उनसे पहले उनका लंड उठ गया जो लगभग 7 इंच का होगा.

मैं हैरान थी कि इस बूढ़े का इतना तगड़ा लंड … उफ़ …!

फ़िर वे उठे और अपना धोती ठीक करने के लिए मेरे सामने अपना बड़ा लंड लटकाए धोती पहनने लगे।

धोती पहनने के बाद खाना खाने लगे.
खाना खाते हुए वे पूछने लगे– आज इतना लेट क्यों हो गई बेटी?
मैं बोलीं– वह मैं उनसे(पति) बात कर रही थी तो देर हो गई।

फ़िर वह बोलें– कोई बात नहीं! लगता है बहुत प्यार करता है तुमसे!
मैं बोलीं– हाँ पर …!

वह बोलें– पर क्या बेटी? सब तो है तेरे पास!
तब मैं बोलीं– हाँ पर परिवार कहां है? सब बाहर ही रहते हैं।

अब वह खाना खा चुके थे और मेरे कांधे पर हाथ रख कर बोलें– सब ठीक हो जाएगा!
वह मेरे कंधे को मसल दिये, उनका हाथ लगा जैसे कोई जवान मर्द का हाथ हो।

अब उनका हाथ धीरे-धीरे मेरे पीठ पर चलने लगा।
मेरी अब उत्तेजना भड़कने लगी थी।
मैं जैसे–तैसे कर के वहाँ से भागी।

वे बोलें– रात को टाइम से आ जाना! रात में लेट मत करना … वरना जंगल है आने–जाने में दिक्कत होगी।

मैं घर पर उनके लंड और स्पर्श के बारे में सोच रही थी कि मेरी पैंटी गीली हो गई।

फ़िर शाम हुई तो मैंने पहले ही खाना बना लिया, खा लिया और उनके लिए पैक भी कर लिया।

अभी बहुत समय था तो थोड़ा आराम करने लगी।

तभी नींद लग गई और सपनों में उनका लंड दिखने लगा।

मैंने सपने में देखा कि उनका लंड मेरी चूत में गया है और दर्द से मैं चिल्लाने लगी, मेरी चूत से खून भी बहने लगा है।

तभी मेरी नींद खुल गयी और घड़ी की ओर देखा तो रात के 10 बज गये थे।
मैं फ़िर से लेट हो गयी।

जंगल में अकेले जाने में भी डर लग रहा था … इतनी रात जो हो गई थी।
पहले 8 बजे घर आ जाती थी पर अभी तक मैं गई भी नहीं थी।

फ़िर भी कैसे भी हिम्मत करके घर से निकली, स्कूटी से कुछ दूर आने के बाद मेरी स्कूटी बंद हो गई।
मैं घबरा गयी थी।
मैं स्कूटी चालू कर रही थी पर वो चालू नहीं हो रही थी।

तभी जंगली सुअर की आवाज आई और मैं डर के मारे कांपने लगी।
मैं हमारे बगीचे के करीब थी तो सोची पैदल भाग जाऊं।
जैसे ही आगे बढ़ने के लिए मैंने पैर उठाया तो देखा कि जंगली सूअर सामने ही खड़ा था।

मैं डर के मारे पसीने–पसीने हो गई थी।
तभी मेरे पीछे से एक बड़ी सी लाठी आई जैसे किसी ने फेंक के मारी हो और वह जाकर सूअर को लगी और वह भाग गया।

मैं पीछे पलटी तो देखा कि मेरे पीछे वही बूढ़ा आदमी था जिसके लिए मैं खाना ले कर आई थी।
मैं इतनी डरी हुई थी कि उनके सीने से लिपट गयी।
उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरी पीठ और कमर पर अपना हाथ फेरने लगे।

फ़िर हम दोनों अंदर बगीचे में आ गए और उन्होंने मेरी स्कूटी भी अंदर ले आए।
फ़िर मैं उन्हें खाना खिलाने लगी और वे खा रहे थे, तभी मेरी नजर उनकी लंड पर पड़ी जो मेरे गले लगने के कारण खड़ा हो गया था।

तभी उन्होंने मुझे उनका लंड घूरते देख लिया।
तुरंत ही मैं इधर–उधर देखने लगी।

मैं उनके पास बैठ के उनको खिला रही थी कि तभी मेरी नाभि पर कुछ महसूस हुआ।

इससे मैं डर गई कि यह क्या है.
पर फ़िर मैंने तिरछी नजर से देखा तो पाया यह हाथ तो उस बूढ़े का है जो मेरी नाभि में उंगली कर रहा था।

वे दाहिने हाथ से खाना खा रहे थे और बायें से मेरी नाभि में उंगली कर रहे थे।
उनकी हथेलियाँ एकदम जवान मर्द की तरह बलिष्ठ थी।

मेरी तो उत्तेजना से चूत का रस निकलने लगा। मेरी आँखें बंद होने लगी उफ्फ … लग रहा था जैसे कोई मोटा लंड नाभि में जा रहा है।

तभी उनका खाना हो गया।
मैंने अब सोचा कि घर जाऊँ!

तभी वे बोले– रास्ते में फ़िर से हो सकता है कि जंगली सूअर मिले।
मैं डर गई।

फ़िर वे बोले– रात भर यहीं रुक जाओ!
और यह कहते हुए मेरे पीछे एकदम पास आ गए।

मेरी गांड पर उनका लंड महसूस होने लगा।
उफ़ … मुझे भी न जाने क्या हुआ पर मैं टस से मस नहीं हुई और वैसे ही उनके लंड की रगड़ अपनी गांड पर महसूस करती रही।

फ़िर उनका एक हाथ धीरे से मेरी नाभि में चलने लगी।
उफ़ … मेरी अब सब्र का बाँध टूटने लगा।

वे बोले– इस वक्त बाहर जाओगी तो जंगली सूअर तुम्हें खा जाएंगे!
मैं और डर गई!

उन्होंने अपनी उंगली मेरी नाभि में रगड़ना जारी रखा।
उनकी उंगली के अहसास मात्र से मेरी चूत गीली हो रही थी।

फ़िर वे बोले– घर अकेली जाकर क्या करोगी? तुम एक जवान शादीशुदा औरत हो, तुम्हें रोज चुदाई चाहिए! जो तुम्हारा पति विदेश में रह के नहीं दे सकता! तुम मेरी हो जाओ आज रात, तुम्हें मस्त कर दूंगा!
उनकी ये सब गर्म बातों से मेरे तन बदन में आग लग रही थी।

इधर उनका लंड अब मेरी गांड में पूरा घुसने वाला था वह भी कपड़े के साथ!

फ़िर उन्होंने अपने एक हाथ से मेरी चूची पकड़ ली।
मेरी मुंह से ‘आह’ निकल गयी।

मैं अभी जवान औरत थी, भले ही उम्र 38 थी पर लगती 28 की ही थी।
मेरा फिगर कोई देख ले तो पागल हो जायेगा।

फ़िर बूढ़े ने खड़े–खड़े अपने लंड मेरी गांड में और दबा दी और मेरे कान को अपने दांतों से काटने लगे।
मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि जैसे चूत से कोई नल खुल गया हो पानी का!
एकदम चूत पानी–पानी हो गई।

वहां एक लालटेन जल रही थी जिसकी रोशनी में मेरा शरीर चमक रहा था।
फ़िर उन्होंने मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और अपने एक हाथ को नाभि से होते हुए नीचे चूत तक ले गए वहीं दूसरे को ब्लाउज के अंदर डालकर स्तन मसल लगे।

‘उफ़ … आह’ मैं अब पूरी तरह से उनकी आगोश में थी।
मैं जवान औरत कई महीनों की प्यासी थी।

फ़िर उन्होंने मेरी कमर से साड़ी को पूरी तरह अलग कर दी और मुझे अपनी ओर घुमा लिया।
मैंने उनसे नजरें नहीं मिलाई बल्कि नीचे देखने लगी।

उन्होंने अब मुझे दीवाल से सटा दिया और मेरी गाल को चूमने लगे साथ ही मेरी चूची को मसलने भी लगे।
फ़िर वे मेरे होंठों को चूसने लगे, लग रहा था जैसे कोई एक भूखा दरिंदा मेरी कोमल होंठ चूस रहा हो।

फ़िर उन्होंने मेरी ब्लाउज खोल दी और दोनों चूचे आज़ाद कर दिए।

उन्होंने अपना मुंह चूची पर लगाया और जोर–जोर से पीने लगे।
‘उफ … हाय’ मेरी तो जान ही निकल गई।

फ़िर उन्होंने मेरी चूची चूसते हुए मेरे पेटीकोट की डोरी खोल दी और मुझे सिर्फ पैंटी में कर दिया।

वे फ़िर मुझे वहां से बिस्तर पर ले आए और लिटा दिया और मेरे पूरे बदन को जीभ से चाटने लगे।
कभी चूची को चूसते, कभी नाभि में जीभ डाल देते।

मेरी चूत से लगातार पानी रिस रहा था।

फ़िर उन्होंने मेरी पैंटी को निकाल दिया और चूत के दोनों होंठों अपने हाथों से फैलाया और अंदर गुलाबी चूत से निकलते हुए पानी की धारा को अपनी जीभ से रोक लिया और अपने मुंह को मेरी चूत पर लगा कर पीने लगे।

उनकी जीभ की गर्मी मेरी चूत को भीतर तक उत्तेजित कर रही थी।

फ़िर वे उठे और धोती खोल कर पूरे नंगे हो गए और अपने लंड को हाथ में लेकर मेरे पास आए और मेरे मुंह में दे दिया।
उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुंह में भी नहीं आ रहा था।

उन्होंने लंड ज्यादा चूसने नहीं दिया और फ़िर उन्होंने मेरे एक पैर को अपने कंधे पर कर लिया और लंड को चूत पर सेट कर के धीरे-धीरे लंड चूत में अंदर डालने लगे।
मेरा मुंह खुलने लगा दर्द से … पर धीरे-धीरे कर के पूरा लंड चूत में उतार दिया उन्होंने!

मैंने सिसकारियां लेना शुरू की ‘आह … मर गई, उफ़’!
उन्होंने धीरे–धीरे मुझे चोदना शुरू कर दिया।

वे भले उम्र में बूढ़े हों पर झटके जवानों से भी मजबूत लगा रहे थे।
उनके हर झटके से मेरा शरीर एकदम कांप जाता।

मेरी चूत में उनके लंड की रगड़ काफी तेज महसूस हो रही थी।

फ़िर उन्होंने लंड बाहर निकाला, मुझे कुतिया बना लिया और पीछे से लंड चूत में डाल दिया।
मैं एकदम से चिहुँक उठी- उफ … आराम से करो!

पर उन्होंने मुझे अनसुना करते मुझे चोदना चालू कर दिया और मेरी चुचियों को भी मसलने लगे।
आज की चुदाई में काफी मजा आ रहा था।

उन्होंने अपनी रफ़्तार काफी तेज़ कर दी।
मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से फच–फच की आवाज़ आ रही थी।

फ़िर उन्होंने मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी टांगों को चौड़ा करके बीच में आ गए और अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरे ऊपर लेट कर के मेरी चूचियों पर अपने दांत गबा रहे थे और चूत को चोदे जा रहे थे।

मैं अब झड़ने वाली थी, वैसे भी मैं कई बार झड़ चुकी थी।
मैंने अपने पैर को उनके कमर में लपेट लिया और एक जोरदार आह भर के झड़ गई।

थोड़ी देर में वे भी मेरी चूत में झड़ गए।
आम के बगीचे में रात की सन्नाटे में मेरी चूत की मधुर गीत गूंज रही थी।

फ़िर हम दोनों एक–दूसरे को चूमने लगे।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि इस 65 साल के आदमी में इतना दम है।

उफ़ … मैं तो मर गई।
फ़िर हम दोनों एक–दूसरे को पकड़ कर सो गये।

सुबह उजाला होने से पहले ही मैं घर चली आई।
उसके बाद रोज दोपहर और रात में बगीचे में इसी कमरे में चुदती थी।

लगभग साल भर उनसे चुदी फ़िर न जाने एक दिन कहां चले गए और कभी आए ही नहीं, पर उनसे चुद कर बहुत अच्छा लगता था।

मैं– अच्छा माँ … तो वे बाबा फ़िर तुम्हें कभी नही मिले?
माँ – नहीं बेटा, उनसे तो मैं साल भर इसी बगीचे में चुदी. पर इधर 6 महीने से मैं प्यासी थी जो तुमने मुझे तृप्त कर दिया!

मैं मम्मी को चूमते हुए- मैं तो हमेशा आपको खुश देखना चाहता हूँ! बस आप हमेशा खुश रहें!

फ़िर हम घर चल आए और अब हमारे बीच रोज चुदाई होने लगी।

अगली कहानी तक के लिए विदा और आप सभी को प्यार!
माय मॅाम एंड ओल्ड मैन सेक्स कहानी पर अपना कीमती सुझाव आप जरूर दें।
धन्यवाद!
manishkumar143056@gmail.com
 
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