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Hindi - हिन्दी Incest चचेरी बहन के साथ सेक्स का अधूरा खेल

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कजिन सिस कहानी में मैंने अपने चाचा की जवान बेटी को ब्लू फिल्म देख कर चूत में उंगली करती देखा तो मैंने उसकी चूत का मजा लेने की सोची. एक रात मैंने उसकी चूत पर हाथ रख दिया.

दोस्तो, मेरा नाम रोहित कुमार है, यह नाम बदला हुआ है.
मेरी उम्र 23 साल की है.

मैं राजस्थान के जोधपुर जिले में रह रहा हूँ और मैं अभी कंपटीशन की तैयारी कर रहा हूँ.

पढ़ने के साथ साथ मैं एक खिलाड़ी भी हूँ और मुझे रन करने का काफी जुनून है.
मेरे ऊपर जवानी झूम कर आई हुई थी जिस वजह से मुझे सेक्स करने का बहुत मन करता था.

इसलिए मैं अपनी काम की भूख को मिटाने के लिए रात में नेट पर लड़कियों और औरतों की चूत देखकर मुठ मारा करता था और लंड के रस को दीवार पर छोड़ देता था.

यह कजिन सिस कहानी 2019 की है, जब मैं कॉलेज के पहले वर्ष का छात्र था.
उस वक्त मैं ज्यादातर समय अपने घर पर ही रहता था.

मेरे घर पर मेरे पापा और चाचा जी दोनों के परिवार संयुक्त रूप से रहते थे.
चाचाजी की 3 लड़कियां हैं, जिनका नाम कविता, सोनू और आभा है.

आभा सबसे छोटी 21 साल की थी.
उसको भी सेक्स करने में बहुत इंटरेस्ट था और वह अक्सर सेक्स वीडियो देखा करती थी.
सेक्स वीडियो देखते समय वह अपनी चूत में उंगालियां भी डालकर हिलाया करती थी.
यह मैंने खुद अपनी आँखों से कई बार देखा था.

आभा मेरी बॉडी और हाइट को बहुत पसंद करती थी.
यह बात मुझे तब पता चली जब मैं अपने कमरे में मोबाइल में सेक्स वीडियो देखते हुए मुठ मार रहा था.
उस वक्त वह मुझे मेरे बेड के पीछे वाली खिड़की से मुझे देख रही थी.

मैंने आभा को मेरे साइड में लगे मिरर में से देखते हुए देख लिया था.
वह मेरे लौड़े को बड़ी गौर से देख रही थी.
उस वक्त तो मैंने उससे कुछ नहीं कहा, बस अपना लंड उसकी तरफ करके हिलाता रहा.

उसी समय मुझे ये पता चल चुका था कि आभा मुझसे चुदना चाहती है.
अब मैं उस पर नजरें रखने लगा था जिससे मुझे यह बात भी पता चल गई थी कि वह भी ब्लू फिल्म देखते समय अपनी चूत में उंगली करती है और अपनी मुठ मारते समय वह मेरा नाम भी लेती है.

आभा रात में मेरी बड़ी दीदी के साथ में उनके बेडरूम में सोती थी.
मेरे मन में आभा को चोदने की आग लगी हुई थी.

कुछ दिन बाद मेरी बुआ और फूफा जी मेरे घर आए.

मेरी दादी ने मुझसे कहा- बेटा तू लड़कियों के कमरे में सो जाना. तेरे कमरे में तेरे बुआ और फूफा जी सोएंगे. वे लोग यहां कुछ दिन रुकेंगे.

यह सुनकर मेरा दिल बहुत खुश हो गया.
मैं अपनी दीदी के कमरे में नीचे अपना गद्दा बिछा कर सो गया.

जब रात में मैं अपनी बहनों के बेड के पास नीचे जमीन पर बिस्तर पर सो रहा था, तब रात के करीब 12 बजे मेरी नींद खुल गई.
मैंने देखा कि मेरी बड़ी दीदी को गहरी नींद आ गयी है और वे बेसुध सोई हुई हैं.

अब मैंने धीरे से आभा की चूत पर मेरा हाथ रख दिया.
शायद आभा भी जाग रही थी.
मेरे हाथ रखते ही उसकी सांसें बहुत ही तेज हो गईं.
पर वह चुपचाप पड़ी रही.
जबकि मैंने उसकी चूत को टटोला भी, तब भी वह कुछ नहीं बोली.

इसके बाद मैं अपने उसी हाथ को धीरे से आभा के बूब्स पर ले गया.
अब तक आभा थोड़ी संयत हो चुकी थी और वह मेरे हाथ से मजा लेने लगी थी.

उसने अपने मम्मों को सांस लेते हुए फुलाना और पिचकाना चालू कर दिया तो मेरा हाथ उसके मम्मों पर ऊपर नीचे होने लगा.
यह देख कर मैंने भी आभा के बूब्स को सहलाना आरम्भ कर दिया.

आभा को भी धीरे-धीरे मज़ा आने लगा और उसने अपनी टी-शर्ट को ऊपर करके मेरे हाथ को अपने मम्मों पर रख दिया.
मैं उसके दूध मसलने लगा और उसकी चूचियों के निप्पल को मींजने लगा.
वह मजा लेती रही और मैं उसे गर्म करता रहा.

यह सब 3 दिन तक ऐसे ही चलता रहा.

उसके अगले दिन मैंने आभा के पजामा में हाथ डाल दिया.
तो पहले तो वह एकदम से डर गयी और अपनी सांसें तेज़ी से चलाने लगी.

फिर थोड़े टाइम बाद जब वह सामान्य हो गयी, तब मैंने उसकी चूत पर अपने हाथ को फेरना शुरू किया.
उसे बहुत अच्छा लगने लगा और वह गर्म होने लगी.

फिर मैंने अपने हाथ को बाहर निकाल कर सूंघा और अपने हाथ पर थूक लगाकर वापिस उसकी चूत पर फेरने लगा.

इस बार उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गयी थी.
यह देख कर मैं समझ गया कि इसकी चूत अब कुछ अन्दर मांग रही है.

मैं अपने हाथ की एक उंगली को उसकी चूत में धीरे से डालने लगा.
मेरी उंगली उसकी चूत में सट से घुसती चली गई.

चूत के अन्दर बहुत गर्म वातावरण था.
मेरी उंगली तो मानो सीक कवाब की डंडी जैसे उसके तंदूर में झुलसने लगी थी.

वह कसमसाने लगी तो उंगली के बाहर मेरी हथेली को उसकी रेशमी झांटों का अहसास होने लगा.
बड़ा ही मीठा मीठा सा अहसास हो रहा था.

अब मैं अपने हाथ को हिलाने लगा तो उसको भी बहुत मज़ा आने लगा.
ऐसा काफी देर तक हुआ तो अचानक से वह अपनी टांगों को कसने लगी और उसने अपने हाथ से मेरे हाथ को दबा लिया.

वह अकड़ने लगी थी, तो मैं अपनी उंगली को जल्दी जल्दी उसकी चूत में चलाने लगा.

कुछ पल बाद वह झड़ गई और शिथिल हो गई.
उसकी टांगें फैल गई थीं और चूत से पानी बाहर आने लगा था जो मुझे मेरी हथेली पर बहता हुआ सा प्रतीत हुआ.

मैंने अपनी उंगली निकाली और अपने मुँह में डाल कर चाटने लगा.
आह एकदम खट्टा सा स्वाद था.
मैं उंगली को चाट लेने के बाद अपने हाथ को भी चाटने लगा.

तभी वह मुझे देखने लगी और मुस्कुरा दी.

अब यह रोजाना चलने लगा.
इस बार बुआ एक महीने के लिए आई थीं तो मेरा बिस्तर दीदी के कमरे में स्थाई रूप से लग गया था.

करीब एक हफ्ते तक मैं अपनी छोटी बहन की चूत में रोजाना उंगली चलाने लगा और उसका खट्टा रस चाटता रहा.

अब यह भी होने लगा कि मैंने चूत में उंगली करने के साथ अपने दूसरे हाथ से उसके दूध भी दबाना चालू कर दिया.
इससे वह और ज्यादा उत्तेज़ित होने लगी थी.

फिर एक दिन मैंने उसके हाथ को पकड़ कर उसे बेड से नीचे जमीन पर आने का इशारा कर दिया.
वह बेड से उतर कर मेरे ऊपर लेट गई.

जैसे ही वह मेरे सीने पर लेटी, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और उसे बहुत देर तक चूमता रहा.
फिर उसने अपनी टी-शर्ट उठा दी तो मैं उसके बूब्स को चूसने लगा.

कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के ऊपर हो गए.
वह मेरे लंड को इस तरह से चूस रही थी मानो वह सालों से लंड की प्यासी हो.

मुझे भी उसकी चूत चाटने में बहुत मज़ा आने लगा था.
जल्दी ही झड़ जाने के बाद हम दोनों अलग हो गए और कजिन सिस का मजा लेकर अपनी जगह जाकर लेट गई.

अब यही सब चलने लगा था.
हम दोनों को एक दूसरे को चूसने में बहुत मज़ा आने लगा था.

अब तो दिन में भी गाहे बगाहे जब मौका मिलता मैं अपनी बहन को खींच लेता और उसके साथ मस्ती करने लगता.

फिर एक दिन ऐसा हुआ कि मेरे चाचाजी और उनकी पूरी फैमिली जयपुर रहने चले गए.
अब मेरी लाइफ में अंधेरा सा हो गया.
मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और अभी तक मुझे ये पछतावा है कि मैंने आभा को चोद क्यों नहीं दिया.

ऐसा नहीं है कि मैंने आभा को चोदने की कोशिश नहीं की लेकिन जब भी हम दोनों एक कमरे में आकर एक दूसरे का आइटम चूसने लगते, उतने में ही कोई ना कोई आ जाता था और हम दोनों वापिस अपनी पढ़ाई करने में लग जाते थे.

दिन में सारे घर वाले जागे हुए रहते हैं, जिससे मैं आभा को चोद नहीं पा रहा था.

एक तरफ मैं उसे चोदने को बेकरार था तो दूसरी और आभा भी चुदने को मरी जा रही थी.

वह बाथरूम में जाकर अपनी चूत में उंगली डालकर हिला लिया करती थी और मुझसे बोला करती थी- तुम मुझे कब चोदोगे, मेरी प्यासी चूत में अपने लंड से जोर जोर के धक्के कब दोगे … कब मुझको घोड़ी बना कर चोदोगे … मुझे सेक्स का पूरा मज़ा कब मिलेगा?

आज भी हम दोनों रोजाना रात में वीडियो कॉल करके फोन को सामने रखकर एक दूसरे को देखकर मुठ मारा करते हैं.

मैंने आभा को बोल दिया है कि तुम जयपुर में किसी बड़े लंड से रोज चुदना शुरू कर दो ताकि जब मैं तुम्हें चोदूंगा तो मुझे मोटी चूत चूसने में मज़ा आएगा.

जब कभी भी मैं बस या भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाता हूँ तो मैं हमेशा लड़कियों और औरतों के पीछे पूरी तरह से चिपक जाता हूँ, जिससे मेरा लंड पूरी तरह से कड़क हो जाता है.
फिर मैं तब-तक उस औरत से चिपका रहता हूँ, जब तक की उसे अच्छा लगता है.

आज भी मैं जब भी लड़कियों और औरतों को देखता हूँ, तो मेरा मन उनकी टांगों के बीच में मुँह डालकर चूत चूसने का होता है.
फिर मेरे अन्दर इतना जोश आने लगता है कि मैं अपने लंड की मुठ मारने लगता हूँ.

प्लीज दोस्तो, मेरी इस कजिन सिस कहानी को पढ़ कर मुझे जरूर मेल व कमेंट्स करें.
मेरी ईमेल आईडी है
sharmarohitkumar455@gmail.com
 

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