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Hindi - हिन्दी Incest चचेरी बहन ने मेरा लंड चूसा

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इरोटिक सिस्टर सेक्स कहानी में मैं अपनी चचेरी बहन रेनू के साथ ही पल कर जवान हुआ हूं। एक बार उसकी चूत में दर्द उठा तो वो मेरे पास दिखाने लाई। मेरा भी लंड खड़ा हो गया और …

फ्रेंड्स,
मेरा नाम शुभम (बदला हुआ) है।

मैं आपको अपने जीवन की पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।

यह कहानी मेरे दादा (ताऊ) की बेटी रेनू (बदला हुआ नाम) और मेरे यानि शुभम के बीच की है।
यह इरोटिक सिस्टर सेक्स कहानी काफी पुरानी है। या यूं कहें कि जवानी के पहले कदम की कहानी है।

उस वक्त मैं 19 पार कर रहा था और वो 18वां लांघकर आई थी।

हमें सेक्स और सेक्स अंगों में आने वाले बदलावों का कुछ भी ज्ञान नहीं था।

हमारे घर में संयुक्त परिवार था।
सब लोग सुबह खेत पर निकल जाते थे काम करने के लिए, फिर शाम को ही लौटते थे।
इसलिए घर पर रेनू और मैं ही रहते थे और एक दूसरे के साथ खेल-हंसी-मजाक चलता रहता था।

एक दिन उसने मुझे आकर बताया कि उसके नीचे वाली जगह (चूत में) दर्द हो रहा है; उसको खून भी आ रहा था।
मैंने फोन में इसके बारे में सर्च किया तो पता चला रेनू को मासिक आया हुआ है।

इससे पहले हमारी कभी इस बारे में कोई बात नहीं हुई थी।
हालांकि हो सकता है रेनू को इससे पहले ही मासिक धर्म का पता हो लेकिन मुझे उसने पहली बार बताया था।

मैंने उसको बताया कि वो अब जवान हो चुकी है।
रेनू कुछ नहीं बोल रही थी और बस मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी।

पता नहीं क्यों, मेरा भी लंड उस वक्त खड़ा हो गया।

मैंने रेनू से कहा- तुम इस खून के बारे में कुछ भी नहीं बताना घर में!
तो उसने नहीं बताया।

मैंने जब उसके पीरियड्स के बारे में जानकारी प्राप्त की थी तब मैंने लड़कों का भी पढ़ लिया था।

लड़कों का भी जवानी में कामरस निकलता है।
अब मेरे मन में कौतूहल मचा कि भला कामरस कैसे निकलता है।

रेनू को भी मैंने बताया कि मैं भी जवान हो गया हूं।
कुछ समय पहले तक मैं और रेनू साथ में ही नहा लिया करते थे।
नहाते हुए हम दोनों अपनी चड्डियां तक उतार देते थे, क्योंकि सेक्स जैसा मन में कुछ था ही नहीं अब तक।

तो मैंने रेनू के सामने ही अपना लण्ड निकाला और उसे फेंटने लगा।
मुझे मजा सा आने लगा।

लेकिन मैं तो यह भी नहीं जानता था कि ऐसे ही कामरस निकाला जाता है या फिर कोई और तरीका भी होता है।

रेनू मेरे लंड को ध्यान से देख रही थी।
इससे पहले हम दोनों साथ में नंगे भी नहाये थे लेकिन मेरे लंड को उसने ऐसे कभी नहीं देखा था।

मुझे 2 मिनट हो गए थे लंड को फेंटते हुए।
तभी रेनू बोली- ऐसे नहीं आता कामरस, उसे मुंह से चूसकर निकालते हैं।
मैंने पूछा- तुम्हें कैसे पता?

वो बोली- मैंने अपनी मम्मी को मेरे पापा का चूसते हुए देखा था। एक बार मैं लेटी हुई थी रात को, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी। फिर मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने धीरे से आंखें खोलकर देखा तो मम्मी मेरे पापा की पैंट को खोलकर नीचे कर रही थी। फिर पापा ने अंडरवियर निकाला और नीचे से नंगे हो गए। मैंने पहली बार पापा का ‘वो’ देखा था। पापा का तुम्हारे से काफी बड़ा है। फिर मम्मी ने पापा का मुंह में ले लिया और चूसने लगी, जैसे मैं और तुम कुल्फी को चूसते हैं। पता नहीं मम्मी को क्या मजा आ रहा था, लेकिन पापा को उससे भी ज्यादा मजा आ रहा था।

रेनू की बातें सुनकर मुझे कुछ ज्यादा उत्तेजना होने लगी।
मैं तेजी से लंड को फेंटने लगा, मैं बोला- फिर?
वो बोली- फिर 5 मिनट में मम्मी रुक गई।
मम्मी ने पापा से कहा- निकाल क्यों दिया अभी?

तब मुझे पता चला कि पापा का कुछ निकल गया है। उसी को शायद कामरस कहते हैं।
मैं बोला- कैसा लगता होगा औरत को लंड मुंह में लेकर, और मर्द को कितना मजा आता होगा लंड किसी के मुंह में देकर!

वो बोली- हां, ये तो वही बता सकते हैं, जो ये सब करते हैं।
मैं बोला- हम भी ट्राई करें क्या?
वो बोली- कुछ हो गया तो?
मैं बोला- कुछ नहीं होगा शायद, देखें तो सही कैसा लगता है!

मेरे इतना कहते ही रेनू मेरे पास आयी, मेरी लोअर के साथ चड्डी को भी खींचकर नीचे सरकाया और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

जैसे ही उसने लंड मुंह में लिया मेरे अंदर तो करंट सा दौड़ गया।
उसका मुंह बहुत गर्म था।
ऐसा अहसास था कि मैं बता नहीं सकता।
मुझे कभी गुदगुदी सी महसूस हो रही थी तो कभी गजब का आनंद मिल रहा था।

फिर वो चूसती ही चली गई और मुझे मजा आने लगा।
मेरा आनंद अब बढ़ता ही जा रहा था।

डरते-डरते लगभग हमने 6-7 मिनट तक प्रयास किया।
उसके बाद मैं पहले ढीला हुआ और फिर अकड़ने लगा।

फिर इतना अच्छा महसूस हुआ कि मैं शब्दों में लिख नहीं सकता।
लेकिन जिसके लिए इतनी उत्सुकता थी वो निकला ही नहीं!

लेकिन मुझे बहुत ही आनंद महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी बोझ हल्का हो गया हो और मैं हवा में उड़ रहा हों।
वो बोली- कुछ नहीं निकला तुम्हारा तो!

मैंने कहा- पता नहीं, शायद अभी कामरस बना ही न हो!
फिर हम दोनों ने इस बात को किसी को न बताने की कसम खाई तथा अपनी पढ़ाई में लग गए।
पहली बार यह सब अनजाने में हुआ पर उसके बाद यह महीने में छः सात बार हो जाया करता था।

दिन गुजरने लगे।
फिर एक शाम को पता नहीं कैसे, दादा और पापा में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और हमारे घर का बंटवारा हो गया।

पुराने घर में बंटवारा संभव न था तो लोगों ने कहा कि मेरे पापा को जमीन दे दी जाए जिसमें वह अपना घर बनवा लें।
रहने के लिए मेरी माँ अपने मायके यानि नानी के घर आ गयी।
पापा से पूछ उन्होंने मेरा नाम पास के बॉयज स्कूल में लिखवा दिया।

उसके बाद मैं तो वहीं का होकर रह गया।
मैं पांच साल बाद कुछ समय पहले ही अपने गांव लौटा हूं।

मेरे एक दोस्त विजय ने मुझे सेक्स स्टोरी पढ़ने की लत काफी समय पहले लगवा दी थी।

जब मैं गांव में आया तो मम्मी-पापा से मिला।
वैसे वीडियो कॉल में उनसे बात हो जाती थी।
दादा व दादी से बात करते हुए फोन पर कभी-कभी रेनू की ‘नमस्ते भाई’ आवाज आ जाया करती थी।

जवानी की दहलीज वाली वो बात मैं अबतक भूला न था, और शायद रेनू भी।
जब कभी मन होता तो मुठ मर लेता था क्योंकि नाना-नानी के अलावा हमेशा मामी ही घर पर रहती थी।

शायद कन्या अभाव क्षेत्र था नानी का गाँव।
स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था।
लड़कियों के साथ सेक्स करने जैसी कोई चीज वहां संभव नजर नहीं आती थी।

फ्री सेक्स कहानी साईट पर कभी-कभी टैबू फैमिली सेक्स वीडियो देख लेता था, फिर रेनू को याद कर मुठ भी मार लेता।
अब मेरा लौड़ा 7 इन्च लम्बा और 3.2 इन्च मोटा हो चुका था।

वापस कहानी पर आते हैं।
तो जब मैं दादा के घर मिलने गया तो वहाँ उनके पैर छुए और थोड़ी देर वहाँ बैठा रहा।

मगर रेनू को वहाँ न पाकर मैंने दादी से पूछा तो उन्होंने बताया कि वह अब पार्लर का काम सीखती है।

दरअसल वह पढ़ाई करते हुए पार्लर सीखना शुरू कर चुकी थी।
चर्चा करते-करते शाम हुई तब रेनू आई।

पहले मुझे देखकर वह सकपकाई और फिर मुझे उपर से नीचे तक देखकर हंसने लगी।
फिर वो शर्माकर ऊपर अपने कमरे में चली गई।

मैंने कई सालों बाद उसे देखा था।
अब वो वह वाली रेनू नहीं रह गई थी।

क्या टाइट जींस पहनी थी उसने … कूल्हों पर कसी जींस में चूतड़ों का आकार साफ समझ आ रहा था।
एकदम टाइट चुस्त गांड और ऊपर से उसकी मछली जैसी चाल!

उसे देखकर मुझे वो पहली लंड चुसाई वाला सीन याद आ गया जब रेनू ने पहली बार मेरा नुन्नू अपने मुंह में लेकर चूसा था।
अल्हड़ जवानी में वो पहला कदम याद करके अब मेरे रोंगटे खड़े हो रहे थे।
क्योंकि रेनू की जवानी देख अब मैं रेगिस्तान का प्यासा था, और वो मेरे लिए ठंडी बहती नदी।

मैंने देखा कि उसकी चुस्त कोटी (स्वेटर) में उसके दूध दबाए गए थे।
कमर भी क्या सुराही जैसी थी।
उसकी कोटी के अन्दर से हल्की सी बाहर झांक रही ब्रा देखकर अंदाजा मिल रहा था कि चूचियों में फिट आई हुई है एकदम।

चूचियों का साइज शायद 33-35 के लगभग तो मालूम ही हो रहा था।
कमर एकदम नागिन की तरह चिकनी और दूध सी गोरी।
होगी 25 से 28 के बीच के साइज की।
कमर के ठीक नीचे उसकी एकदम से फैलती हुई गांड जो 36-38 के करीब लग रही थी।

मेरा लण्ड उसे देख मचलने लगा था।
मैं उसे कहना चाहता था कि अब वह सोमरस निकलता है जो बचपन में नहीं निकल पाया था।

कुछ देर बाद वो नीचे आई और बोली- क्या चल रहा है?
मेरी नजर दोबारा से उसकी चुस्त कोटी में दिख रही ब्रा के अंदर झांकने की कोशिश करने लगी।
वह भी शायद मेरी नीयत का आकलन कर रही थी।

फिर मैंने देखा उसकी नजर मेरे चेहरे से पैंट की जिप पर आकर अटक गई थी।
जिप पर आकर उसकी पुतलियां थोड़ी बड़ी हो गई थीं और चेहरे के भावों में थोड़ी हैरानी और वासना फैल गई थी।

रेनू मेरे सामने ही बैठी थी।

हम दोनों बातें करने लगे।
बीते दिनों को याद करके हंसने लगे।

लेकिन मन ही मन दोनों ही एक दूसरे के जिस्म को ऊपर से नीचे टटोलने में लगे थे।

मैं रेनू की जींस में बन रही चूत की वी-शेप वाली जगह से जैसे नजरों से ही जींस को फाड़कर अंदर झांकना चाह रहा था।
मन ही मन उसकी गोरी चूचियों पर गुलाबी निप्पलों की कल्पना कर रहा था।
उसके तने हुए निप्पलों को चूसने के ख्याल से मुंह में पानी आ रहा था।

उधर रेनू भी मेरी छाती को मर्दानगी की तुला में तौल रही थी।
बाजुओं के आकार से मर्दाना ताकत का अंदाजा शायद ले रही थी।
कभी-कभी चोर नजर से पैंट की जिप पर झांक जाती जहां मेरे अंडकोषों ने पैकेज बना रखा था।

लग रहा था कि दोनों ही तरफ पहले सेक्स, और पहले मिलन की प्यास धधक रही है।
मैं सोच रहा था कि ये मिलन हुआ तो वासना का ज्वालामुखी फटना तय है।

फिर बात करके मैं वापस आ गया।

दोस्तो, उस दिन के बाद से मैं रोज वहाँ जाता हूं।
लेकिन न तो रेनू की ओर से ही कुछ पहल होती दिख रही है, और न ही मेरी ही कुछ हिम्मत हो रही है।
बात उतने पर ही अटकी है, आगे बढ़ ही नहीं रही।

बातें तो रोज होती हैं लेकिन सेक्स पर आते ही मैं थोड़ा सा डर जाता हूँ।

रेनू काफी खुले विचारों की है।
मैं इस बात का फायदा उठाना चाहता हूँ।

मगर रेनू शायद चाह रही है कि शुरुआत उसे न करनी पड़े।
मैं तो उसे दबोचने के लिए तैयार बैठा हूं, उसकी चूचियों को दबाना चाहता हूँ.
परन्तु डरता हूँ कि एकदम से मेरे ऐसे बर्ताव पर पता नहीं वह क्या सोचेगी।

मेरे लौड़े वाले दोस्तो, चूत वाली सहेलियो, आप सब से अनुरोध है कि मेरी इस दुविधा का समाधान करें; मेरी प्यास का उपचार करें।

जो भी इस इरोटिक सिस्टर सेक्स कहानी को पढ़ रहे हैं कृपया अपने अनुभवी विचार मुझ तक पहुंचाएं।

अंदर ही अंदर शायद मैं जानता हूं कि वह पहल नहीं करेगी।
लेकिन मुझे भी पहल का सीधा रास्ता नहीं दिख रहा है।

उसकी कातिलाना चाल और बलखाता अंदाज देखकर मेरा लौड़ा अपना मुंह गीला कर लेता है।
मेरा लौड़ा उसे देख-देखकर पानी छोड़ता रहता है, मेरे अंडरवियर गीले करता रहता है।

मुझे यह भी लगता है कि रेनू भी कहीं न कहीं चुदी है।
लेकिन मैं उससे सीधे तौर पर पूछ भी नहीं सकता कि उसने कहां चूत मरवाई है।

शायद उसे भी याद है कि उसने सबसे पहले मेरा लन्ड चूसा था।

तो मेरे अनुभवी साथियो, कुछ मार्ग दिखाएं जिससे मेरा लौड़ा शांत हो, और उसकी चूत की गर्मी भी।
हो सकता है कि आपका कोई विचार हमारा मिलन करवा दे।

इसलिए अपने कमेंट्स मुझे इरोटिक सिस्टर सेक्स कहानी के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में जरूर लिख भेजें।
निजी तौर पर आप कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो मेरी ईमेल आईडी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मुझे आप सबके सुझावों और संदेशों का बेसब्री से इंतजार रहेगा।
मेरा ईमेल आईडी है- shivamkumar99600@gmail.com
 

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