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Hindi - हिन्दी Incest चाची के साथ चुदाई की एक रात

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इंडियन आंटी सेक्स कहानी में मैं चाची को पसंद करता था. एक बार मैंने से बाथरूम से ब्रा पैंटी में निकलती देखा तो हम आपस में खुलने लगे। एक दिन मौका पाकर मैंने उसकी चूचियां भींच दीं।

दोस्तो, मेरा नाम अंकित गुप्ता है।
मैं हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का रहने वाला हूं।
मेरा लंड 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।

मैं आपको अपनी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं।
अगर कोई गलती हो जाए तो माफ़ कीजिएगा।

इस इंडियन आंटी सेक्स कहानी की नायिका कोई और नहीं बल्कि मेरी चाची है।
चाची का नाम किशोरी गुप्ता है।

मैं चाची को काफी समय से पंसद करता था।

चाचा-चाची की शादी को 12 साल हो चुके हैं और इनके 2 बच्चे भी हैं।
लेकिन चाची को देखकर कोई कह नहीं सकता कि वह 2 बच्चों की मम्मी है।
चाची आज भी एकदम फिट है।

फिगर की बात करूं तो वो 36-34-36 का है। गांड और चूचियों की गोलाइयां किसी भी मर्द की नियत खराब कर सकती हैं।

यह उन दिनों की बात है जब मैं अपने कॉलेज में था।
उन दिनों मुझे थोड़े समय के लिए उनके पास जाने का मौका मिलता था।
मौका पाकर भी मेरी कुछ करने की हिम्मत नहीं होती थी।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी।
मैं चाचा के घर गया हुआ था लेकिन घर में कोई दिखाई नहीं दे रहा था।
मुझे लगा शायद घर पर कोई नहीं है।

मैं वापस अपने घर जा रहा था पर तभी मैंने बाथरूम से पानी के गिरने की आवाज़ सुनीं।
मैं समझ गया कि चाची नहा रही है।

बस फिर क्या था, मैं वहीं सोफे पर बैठकर चाची के बाहर निकलने का इंतजार करने लगा ताकि मुझे उसके गीले बदन की एक झलक मिल सके।

जब पानी गिरने की आवाज़ बंद हो गई तो मेरे दिल की धड़कन तेज़ होने लगी।
दरवाजा खुला तो देखता हूं कि चाची सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में बाहर निकली।

जैसे ही उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी वो एकदम से सहम गई। वो वापस से बाथरूम में घुस गई।

मैं भी थोड़ा घबरा गया। मैं वहां से चला आया लेकिन चाची का मस्त फिगर मेरे दिमाग में घूम रहा था। लंड तना हुआ था और शांत होने का नाम नहीं ले रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने रूम लॉक किया और लोअर के साथ-साथ अंडरवियर भी निकाल कर अपना खड़ा लंड आज़ाद कर दिया। मैं पूरा नंगा होकर बेड पर लेट गया।

मैं आंखें बंद करके वही सब दोबारा सोचने लगा। मेरा हाथ लंड को लगातार सहला रहा था। 1 मिनट में ही प्रीकम निकलना शुरू हो गया और टोपा चिकना होते ही लगने लगा जैसे मैं अब चाची की चूत को चोद रहा हूं।

लंड को तेजी से फेंटते हुए मैं मजा लेकर मुठ मार रहा था। तीन-चार मिनट बाद गीजर की जोरदार पिचकारी लंड से निकली जो सीधी मेरे सिर के ऊपर से होती हुई दीवार पर जाकर लगी। 2 मिनट मैं ऐसे ही शिथिल पड़ा हुआ मुठ के बाद वाला आनंद लेता रहा।

फिर मैंने वीर्य साफ किया। अब मेरी वासना चाची के लिए बढ़ने लगी। अब मैं उसको उसी तरह देखने का मौका ढूँढने लगा।

मेरी नजर चाची के बदन को मापती रहती थीं। कभी पौंछा लगाती मिल जाती तो चूचियों की क्लीवेज दिख जाती थी। कभी पीछे से कपड़ा उठा हुआ मिल जाता तो गांड की मोटी मोटी गद्देदार गोलाईयां दिख जाती थीं।

एक दिन मैं उनके साथ मार्केट गया तो हम लोगों को वापस आते समय रात हो गई। हम घर के रास्ते पर चल रहे थे। मेरा मन रात के अंधेरे में बहुत मचल रहा था।

मन कर रहा था चाची को यहीं पकड़ कर चोद दूं। लेकिन डर भी लग रहा था। फिर मैंने सोचा कि कुछ तो आज करके ही रहूंगा।

चाची के दोनों हाथों में शॉपिंग की थैलियां थीं और मेरे भी। मैं चाची से थोड़ा पीछे होकर चलने लगा।
एक दो मिनट तो चाची ने कुछ नहीं कहा फिर बोली- पीछे-पीछे क्यों चल रहा है?

जैसे ही मैं चाची की ओर आगे आने लगा तो मैंने धीरे से उनकी टांग के आगे अपनी टांग अड़ा दी जिससे चाची का बैलेंस बिगड़ गया। वो गिरने लगी और मैं भी बहाने से चाची के ऊपर गिरने लगा।

गिरते ही मैंने चाची के दोनों चूचे जोर से दबा दिए और कई बार भींच डाले। मैं हवस में पागल हो चुका था और सोच नहीं पा रहा था कि क्या कर रहा हूं।
चाची ने मुझे अपने ऊपर से हटाया और एक तरफ धकेला।

फिर उठकर कपड़े ठीक करने लगी।
गुस्से में आकर बोली- अंधा हो गया है क्या तू, मुझे भी रास्ता दिख रहा है अंधेरे में, तुझे नहीं दिखा क्या?

मैं बोला- सॉरी चाची, गलती से हो गया।
चाची की साड़ी का पल्लू हट गया था। ब्लाउज में चूचियां कसी हुई मेरे सामने थीं।

अभी भी मैंने हिम्मत दिखाते हुए कहा- लाओ मैं आपके कपड़ों से धूल झाड़ देता हूं।
बहाने से मैं चाची के ब्लाउज पर हल्का-हल्का हाथ फेरते हुए रेत हटाने लगा।
चाची की चूचियां टच करते हुए मेरा लंड फनफना रहा था।
और मेरा तना हुआ लंड शायद चाची ने भी देख लिया था।

जब मैंने नजर उठाई तो वो मेरी तरफ ही देख रही थी।
एकदम से मेरा हाथ अपने सीने से हटाकर बोली- बस कर! बहुत हो गई सफाई, चल अब जल्दी। देर हो रही है।

हम दोनों सारा सामान उठाकर चल दिए। घर पर उस वक्त कोई नहीं था और हम दोनों ताला लगाकर गए थे। ताला खोलकर हम अंदर गए और सामान रख दिया।

मेरे पास आकर चाची बोली- मजा आ गया होगा मेरे स्तन दबाकर?
चाची के मुंह से ये शब्द सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई।
मेरी तो गांड ही फट गई!

मैं हक्का-बक्का चाची की ओर देखने लगा।
मेरा मुंह खुला हुआ था घबराहट में।

वे बोली- ऐसे क्या देख रहा है, जानती हूं मैं क्या चल रहा है तेरे मन में। लेकिन ऐसे नहीं करते रास्ते में। मुझसे कहता तो मैं मना थोड़ी करती तुझे!

अब मैं और ज्यादा हैरान हो गया।
चाची ने आगे बढ़कर मेरे लंड पर हाथ फेर दिया और मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया।
10 सेकेंड के अंदर ही डर में सिकुड़ी हुई लुल्ली लौड़ा बनकर झटके देने लगी।

एकदम से हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े।
हम जोर-जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

चाची ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और जोर-जोर से दबाते हुए सहलाने लगी।
मैं भी साड़ी के ऊपर से ही चाची की चूत को पकड़ने की कोशिश करने लगा।

फिर जल्दी से नीचे झुकते हुए मैंने साड़ी-पेटीकोट एकसाथ उठाते हुए सीधा चूत की जगह में हाथ दे दिया।

चाची की पैंटी के ऊपर से ही मैं चूत को तेजी से रगड़ने लगा।

हम दोनों अभी भी एक दूसरे के होंठों को चूसे जा रहे थे।

एकाएक मैंने पैंट खोल दी और अंडरवियर नीचे उतार दिया।
मैंने चाची के हाथ में अपना नंगा लंड थमा दिया।

आगे जो हुआ उसकी मुझे उम्मीद तो नहीं थी लेकिन हो गया।
चाची ने एकदम से नीचे बैठकर मेरे लंड को मुंह में भर लिया; वो जोर जोर से मेरे लंड को चूसने लगी।

मैं जन्नत की सैर करने लगा।
बहुत मजा आ रहा था मुझे लंड चुसवाने में!

मेरा तो छूटने वाला था कि मैंने एकदम से चाची को उठा दिया।

उसको मैंने पास के ही सोफे पर धकेला और साड़ी उठाकर अंदर हाथ देते हुए दोनों हाथों से पैंटी खींचकर उतार दी।
चाची की चूत मेरे सामने नंगी थी।

मैंने बिना पल की देरी किए टांगें चौड़ी खोलते हुए गीली चूत पर मुंह रख दिया और जोर जोर से चूत को चाटने लगा।

आह्ह … क्या रसीली चूत थी।
चाची की चूत से मादक सी … कामरस की खुशबू आ रही थी।
अंदर से चूत गुलाबी सी थी।

मैं चूत में जीभ अंदर देकर चाटने लगा।
चाची मदहोशी में जाने लगी।
2 मिनट हुए थे कि चाची का फोन बज पड़ा।
देखा तो चाचा कॉल कर रहे थे।

चाची ने उठाकर बात की तो पता चला चाचा बच्चों के साथ घर लौट रहे थे।
ये लोग थोड़ी देर में पहुंचने वाले थे।

चाची ने जल्दी से पैंटी उठाकर पहनी और साड़ी नीचे कर ली।

मेरी तरफ देखकर बोली- तू क्या देख रहा है अब? जल्दी जा, तेरे चाचा आ रहे हैं!
मैंने भी अपनी पैंट ऊपर की और जिप बंद करके जल्दी से निकल गया।
हम दोनों की चुदाई की प्यास अधूरी रह गई।

चाची की चूत चाटकर मजा बहुत आया मुझे!
घर जाकर भी मेरा लौड़ा तूफान मचाता रहा।
फिर लगातार दो बार मुठ माकर मैंने इसे शांत किया।

अब जब भी मौका मिलता हम लोग किस के साथ-साथ लंड-चूत की चुसाई का मजा भी ले लेते थे।

लेकिन चाची की चुदाई करने का मौका नहीं मिल पा रहा था।
क्योंकि चाचा का खुद का बिजनेस था और वो अभी कहीं बाहर जाने वाले नहीं थे।

फिर जल्दी ही चाची के साथ सेक्स करने का मौका भी मिल ही गया।
उस दिन सब लोगों को शादी में जाना था।
मैंने खराब तबीयत का बहाना कर दिया।

मैं चाची को चोदने का कोई भी चांस नहीं छोड़ना चाह रहा था।

इधर मेरी मम्मी को मेरी फिक्र हुई तो उसने चाची को मेरी देखभाल की जिम्मेदारी दे दी।

मन में कहीं न कहीं चाची भी आज के दिन का फायदा उठाना चाह रही थी।

सब लोगों के जाने के बाद चाची अपने काम में लग गई।
मैं अपने कमरे में इंतजार करने लगा।
फिर काम निपटाकर वो नहाने चली गई।

जब वापस आई तो सीधी मेरे कमरे में ब्रा-पैंटी में दाखिल हुई।
मेरी तो जैसे दिल की तमन्ना पूरी हो गई, जो उस दिन अधूरी रह गई थी।

आते ही मैं चाची पर टूट पड़ा।
वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी।

मैं ब्रा के ऊपर से उसके बोबे दबाने लगा, पैंटी के ऊपर से ही चूत को रगड़ने लगा।

चाची के बदन से साबुन की भीनी-भीनी सी खुशबू आ रही थी जिससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हुआ जा रहा था।
अब मैंने चाची की ब्रा को खोल कर स्तन पीना शुरू कर दिया।
कभी दायां चूचा तो कभी बायां।

मैं जोर जोर से चूचे चूस रहा था जिससे उसको दर्द होने लगा।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और टांगों के बीच में आकर चूत को जैसे मुंह मार मारकर खाने लगा।

जीभ से मैं चाची की चूत चोदने लगा।
वो पागल सी होने लगी और मेरे सिर को टांगों में भींचने लगी।

चाची के मुंह से सिसकारी निकलने लगी- आह्ह अंकित … आह्ह स्स्स … आह्ह … उफ्फ … उईई … अम्म ओह … चाटते रहो … आह्ह … बहुत दिनों बाद ऐसा मजा मिला है!

चाची की सिसकारियां मेरा जोश बढ़ा रही थीं।
अब मैं चूत में उंगली से चोदने लगा।

फिर बारी बारी से कभी उंगली से चोदता तो कभी जीभ घुसा देता।
चूत चटवाते हुए चाची की हालत खराब हो गई और एकदम से उसने मेरे मुंह को चूत में दबा दिया।

उसकी चूत से गर्म गर्म पानी की पिचकारी मेरे मुंह पर लगने लगी।
मैं तो मस्त हो गया चाची की चूत के पानी में भीगकर!
चूत का सारा पानी मैं चाट गया।

चाची कुछ शांत हुई अब!

फिर मैं उठा और चाची को लंड दिखाते हुए बोला- इसका तो करो अब कुछ?
चाची समझ गई और उसने उठकर पारी संभाल ली।

मैं लेट गया और चाची बगल में लेटकर मेरे लौड़े को मुंह में भरकर चूसने लगी।
मैं मदमस्त आनंद में डूब गया।
आज किसी का डर भी नहीं था तो मजा डबल हो गया था।

ज्यादा देर मैं चाची के मुंह की गर्मी के सामने टिक नहीं पाया।
5 मिनट में ही लौड़े ने लावा उगल दिया।
चाची सारे माल को चट कर गई।

फिर हम दोनों 5-10 मिनट लेटे रहे और नंगे पड़े हुए एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे।

चाची की चूत में फिर चुदास उठी तो उसने लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
उसके मुंह की गर्मी लौड़े में भी गर्मी लाने लगी।

कुछ ही देर में लौड़ा तन गया।
मैंने चाची को नीचे लिटा लिया।

अब चाची की चुदाई की बारी थी।

लंड को मैंने चूत पर टिकाया और ऊपर नीचे रगड़ने लगा।
चूत पर लंड का स्पर्श पाकर वो सिसिया गई, बोली- चोद दे अब हरामी, मस्ती में चुदे हुए बहुत टाइम हो गया। आज मुझे खुश कर दे!

चाची को ऐसे तड़पते देख मैं मन ही मन खुश हो रहा था।
पहले मैं चाची के लिए तड़पता था, आज चाची मेरे लंड के लिए तड़प रही थी।

मैं लंड को चूत पर ऊपर से नीचे, और नीचे से ऊपर फिराता रहा।

चुदाई की प्यासी चाची अब खुद ही कमर उठाकर लंड को चूत में घुसवाने की कोशिश कर रही थी।
फिर मैंने रहम खाकर उसकी चूत में लंड को उतारना ही ठीक समझा।

एक जोर का झटका दिया तो लंड आधा चूत में उतर गया।
वो जोर से चिल्लाई- भोसड़ी के … जान निकालेगा क्या … ऐसे कौन डालता है!
मैंने चाची को सॉरी बोला और फिर धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में लंड ने चूत में जगह बना ली।
चाची को भी मजा सा आने लगा।
वो खुद ही अपनी गांड उठा उठाकर साथ देने लगी।

मैंने भी स्पीड पकड़ ली और अब तेजी से चोदने लगा। कुछ ही देर में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

लेकिन मेरा तो अभी नहीं होने वाला था।
चाची को उठाकर मैंने डॉगी स्टाइल में झुका लिया।
पीछे से अब मैं उस फूली हुई चूत में लंड देकर मैं पेलने लगा।
मैंने चाची की चूचियां पकड़ लीं और पटापट-पटापट की आवाज के साथ चुदाई का इंजन दौड़ने लगा।

घोड़ी बनी चाची को चोदने में बड़ा ही आनंद आ रहा था।
चूत के लिए सच में दुनिया ठीक ही पागल है।
इतना मजा देती है ये कि बस पूछो मत!

चोदते हुए 15-20 मिनट बीत चुके थे।
मेरा वीर्य अब उबलने लगा था अंदर ही अंदर।

लावा जल्द ही फूटकर बाहर आने वाला था।
फिर 10-15 धक्के देने के साथ ही मेरे लंड ने गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी चाची की गर्मागर्म चूत में मारनी शुरू कर दी।

चूत में ही मैं खाली हो गया और फिर चाची के ऊपर ही लेट गया।

कुछ देर शांत लेटे रहने के बाद हम फिर से शुरू हो गए।
हमने उस रोज 5 बार चुदाई का मजा लिया।

चाची भी खुश हो गई।
इंडियन आंटी सेक्स का वो दिन हम दोनों कभी नहीं भूलते।

आज भी चाची उस चुदाई को याद करती है और मेरा लंड भी टन्न करके खड़ा हो जाता है।
उसके बाद कई बार चाची की चूत को मैंने जमकर चोदा।

फिर चाची की बहन की चूत भी मारी।
चाची की बहन की चुदाई की कहानी मैं आपको अगली पेशकश में सुनाऊंगा।
लेकिन अभी के लिए अपना फीडबैक मुझे इस कहानी पर जरूर भेजें।

इंडियन आंटी सेक्स कहानी के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया या सुझाव आप लिखकर भेज सकते हैं।
इसके अलावा मुझे ईमेल भी कर सकते हैं।
मेरा ईमेल आईडी है- himanshu54kn@gmail.com
 

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