जेठ जी से चुदवाकर गर्भ धारण किया - Part 1
जेठ बहू Xxx कहानी में मैंने बताया है कि मेरे पति मुझे बच्चा देने में फेल हो गए तो मैंने उनसे इस बारे में चर्चा की. इसी बीच मेरे जेठ कुछ दिन के लिए हमारे घर रहने आये विदेश से!यह कहानी सुनें.
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Listen to this hindi sex story in audio version belowदोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.
आप मुझे और मेरे बदन को जानते ही होंगे क्योंकि आप मेरी बहुत सी कहानियाँ पढ़ चुके हैं.
आज मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रही हूँ, इस जेठ बहू Xxx कहानी को साझा करने में मुझे एक महीने से ज्यादा सोचने में लग गया कि साझा करूँ या न करूं क्योंकि इसमें कुछ ऐसा अलग है, जिसे पढ़ कर आप हैरान रह जाएंगे.
मेरी शादी को कुछ साल हो चुके थे और मेरी कोख अभी भी सूनी थी क्योंकि बच्चा पैदा करने की मेरी प्लानिंग पहले नहीं थी.
फिर जब प्लानिंग की तब पति ने उस पर रबर फेर दी … मतलब वह सब अब उनके बस का ही न रहा.
मैंने उनसे ज्यादा कहा तो उन्होंने अपना चेक़अप कराया.
जिसमें स्मोकिंग एक बड़ा कारण उभर कर सामने आई.
इसलिए मेरा आप सभी से भी अनुरोध है कि स्मोकिंग ना ही करें या कम करें.
मेरे पति हद से ज्यादा सिगरेट और हुक्का पीते थे जिस वजह से उनके वीर्य में स्पर्म काउंट कम हो गया.
इसी के चलते हमारे बच्चे पर असर आने वाला था.
डॉक्टर के अनुसार हमारा बच्चा अपंग पैदा हो सकता था.
यह सुनकर मैं घबरा गई और अपने पति के बच्चे की माँ नहीं बन पा रही थी.
लेकिन मुझे अपनी कोख भरना जरूरी था.
मैं पति से सब तरीके पर चर्चा करती हुई बड़ी मुश्किल में यह बता सकी कि आईवीएफ सही रहेगा.
पर मैं रंगीन मिजाज वाली लड़की हूँ, मुझे मर्दों की कमी कभी नहीं हुई.
इसलिए न जाने क्यों मुझे लंड सीधे अपनी चूत में लेकर गर्भवती होने का मन था.
उन्हीं दिनों मेरे परिवार में एक गमी हो गई थी.
हमारे में गमी आदि में तेरह दिनों तक रोज उस गमी वाले घर में जाया जाता है.
शहर से थोड़ी ही दूरी पर हमारा गांव था.
उधर हमारे एक रिश्तेदार थे.
वे मेरे पति के रिश्ते में करीबी भाई लगते थे और पति से बड़े थे.
उस गमी में वे अमेरिका से आए थे.
उनकी उम्र 52 वर्ष की थी लेकिन उनकी कद काठी अच्छी दिखती थी.
चूंकि वे मेरे घर पर रुके थे तो एक दिन मैंने उनको योगा करते देखा था.
मुझे उनका जिस्म भा गया था.
क्या पहलवानों जैसा कसरती बदन था. मैं तो उन्हें एक चड्डी में देख कर एकदम से गर्मा गई थी.
चूंकि वे गांव में रहना पसंद नहीं करते थे. उनका बचपन और जवानी अमेरिका में ही बीता था.
मैं भी गांव जाना कम पसन्द करती थी.
इसी वजह से मेरे पति मुझे और उनको घर पर छोड़ कर अकेले गांव चले गए थे.
मेरे पति ने रोज आना जाना फिक्स कर लिया था.
पर तीसरे दिन के बाद उन्होंने गांव में रहना ही ठीक समझ लिया था.
इधर अमेरिका से ये हुए भाईसाब रिश्ते में मेरे जेठ लगते थे.
भले ही उनकी उम्र ज्यादा थी लेकिन वे मेरे पति से ज्यादा जवान लगते थे.
मैं उनको भाईसाब कहती थी.
जेठ जी एकदम कूल और फ्रेंक थे.
मैं अपना दिल उन पर हार चुकी थी.
उस दिन मेरे पति जा चुके थे.
पति की गैरमौजूदगी में हम दोनों का पहला दिन काफी अच्छा गया.
हम दोनों के अलग अलग कमरे थे, लेकिन हम दोनों साथ में बैठ कर टीवी देखते रहे.
करीब 11-30 पर मैंने पति से वीडियो कॉल की.
उसके बाद जेठ जी भाईसाब अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में आकर सो गई.
उनका शरीर काफी अच्छा था, वे बहुत लंबे थे और उनका पेट भी हल्का सा बाहर को निकला था.
वे मुझे बता रहे थे कि हमारे यहां लड़कियां शॉर्ट में घूमती हैं, वहां यह घूँघट वगैरह नहीं चलता है.
मैं तो पहले से ही फ्रेंक थी इसलिए जेठ जी मेरे रहन सहन और पहनावे पर कुछ नहीं कहते थे.
उनकी सेवा करने में मैं नम्बर बन थी.
अगले दिन जब मैं उठी तो चाय और नाश्ता उनके द्वारा तैयार हो चुका था.
मैंने बल्कि कहा भी- अरे आप उझे आवाज लगा देते.
वे हंस दिए और बोले- आज मेरे हाथ से बना नाश्ता करो और बताओ कैसा बना है?
मैं उनके साथ ही बैठ गई और हम दोनों ने चाय नाश्ता किया.
नाश्ता के दौरान बातें चलने लगीं तो समय का ध्यान ही न रहा.
उसके बाद करीब 11 बजे मैं अपने बाथरूम में नहा रही थी.
मैं जल्दबाजी में अन्दर से दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई थी.
मुझे रोज का ही याद रहता था कि पति हैं, तो क्या कुंडी लगाना.
बस उसी के चलते मैंने बिना कुंडी लगे नंगी होकर नहाने लगी थी.
उसी वक्त जेठ जी सुसु करने आए और बिना कुछ सोचे समझे उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खींच कर खोल दिया.
अन्दर मैं आदमजात नंगी थी और अपने बदन पर शॉवर से पानी ले रही थी.
उन्होंने एक ही झटके में मेरा सब कुछ देख लिया.
मैं उन्हें देख कर ‘अरे अरे …’ कहने लगी और वे सॉरी सॉरी बोल कर वापिस चले गए.
मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और नहाना-वहाना खत्म करके जल्दी से कपड़े पहन कर शर्म से पानी पानी होती हुई बाहर आ गई.
हालांकि जेठ जी वहां नहीं थे.
मैं अपने कमरे में चली गई.
कमरे में अपने आपको सही से किया और बाहर आकर मैं उनको आवाज लगाने लगी- भाई साब अब आप जा सकते हो?
वे मेरी आवाज सुनकर बोले- अभी के लिए सॉरी, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ.
और वे बाथरूम में चले गए.
वे बाथरूम में नहाने लगे.
मगर देखिए फिर से चूक हुई.
उनके पास तौलिया नहीं था तो वे बिना कपड़ों के ही बाहर निकल आए.
उस समय मैं किचन में जा रही थी.
मैंने उनकी आहट सुनी तो पलट कर उन्हें देखा.
उतनी देर में वे झट से भागे और तौलिया के पास आ गए.
मगर इतनी देर में मैंने उनको देख लिया था.
मैंने देखा कि उनका लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ था और नीचे लटक कर दाएं बाएं हिल रहा था.
मैंने उनसे कहा- ये आप क्या कर रहे हैं. मुझसे कह देते, मैं आपको उधर ही तौलिया पकड़ा देती!
उन्होंने कहा- अरे मुझे लगा कि तुम नहीं आओगी, इसलिए मैंने तुम्हें परेशान करना नहीं चाहा. कोई बात नहीं … सब भूल जाओ.
मैंने कहा- ओके मैं खाना तैयार करती हूं.
वे कुछ नहीं बोले और जाकर टीवी देखने लगे.
कुछ देर बाद खाना आदि हो गया तो वे पुनः टीवी देखने लगे.
अब भाई साब और मैं अपना अपना टाइम काट रहे थे.
कुछ देर बाद मैं भुट्टे भून कर ले आई और खाने लगी.
वे बोले- अरे शनाया, अकेले अकेले खा रही हो. इधर लाओ, मुझे भी खिलाओ.
मैं- हां भाईसाब.
फिर वे कहने लगे- अरे इधर आकर बैठ जाओ न!
मैं उनके बाजू में बैठ गई.
उस दिन मैंने एक बड़े गले वाली टी-शर्ट पहन रखी थी और अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.
मुझे गर्मी लग रही थी.
वे मुझ पर नजर तो नहीं डाल रहे थे लेकिन मेरे 34 इंच के मम्मे मेरी टी-शर्ट में से अलग ही उठे हुए दिख रहे थे और गले से झांकने से मेरी दोनों चूचियां साफ साफ दिख रही थीं.
जेठ जी भुट्टा खा रहे थे और शायद मेरी चूचियों से आकर्षित हो रहे थे.
मैं इस बात से अनभिज्ञ होकर मजे से भुट्टा खा रही थी.
उसी समय मेरी नीचे नजर गई तो मुझे एक कॉकरोच दिखाई दिया.
मैं चिल्ला उठी- आह भैया कॉकरोच है … उई मम्मी रे … बचाओ.
कॉकरोच से मैं बहुत डरती हूँ.
मैंने डर के मारे पैर ऊपर कर लिए.
वे बोले- अरे डरना क्यों … तू एक काम कर शनाया, अपने पैर मेरे पैर पर रख दे.
मैं- अरे नहीं भाई साहब आप बड़े हो.
वे- अरे तो क्या हुआ पगली!
फिर उन्होंने खुद से पकड़ कर मेरे पैर अपने पैरों पर रख दिए.
जेठ जी कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो गए थे.
मैं पैर रखने की वजह से थोड़ी आगे को खिसक आई थी और मेरे दोनों मम्मे हल्के से उछल गए थे.
यह सीन जेठ जी ने देख लिया था और वे बिना किसी झिझक के सीधे बोले- अरे तू सपोर्टर क्यों नहीं पहनती है … पहना कर, सही रहता है. देखो तुम्हारे ब्रेस्ट उछल रहे हैं. इससे बाद में तुझे प्रॉब्लम होगी.
मैं उनकी बात सुनकर कहने लगी- हां सॉरी भाई साब, आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी, इसलिए मैंने ब्रा निकाल दी थी.
वे बोले- अच्छा कोई बात नहीं.
उनकी इन बातों को सुनकर मैं थोड़ा सहज सा महसूस करने लगी थी.
अब जेठ जी मुझसे बातें करने लगे और मैं भी उनसे बातें करते करते भुट्टे को मुँह से कुतरती हुई मजा लेने लगी.
सामने टीवी पर एक मूवी चल रही थी.
वे मुझसे बोले- चलो अब मैं सोने जा रहा हूँ.
मैंने कुछ नहीं कहा. अपने पैर हटाए और सोफ़े पर ही रख लिए.
जेठ जी कमरे में चले गए.
उनके जाने के कुछ देर बाद मैं भी अपने कमरे में चली गई.
जेठ जी के कमरे का पंखा नहीं चल रहा था.
उन्होंने मेरे पति को कॉल करके बोला- पंखा खराब हो गया है यार और बिना पंखा के मुझे नींद नहीं आएगी!
उसी समय मेरे पति का मेरे पास कॉल आया- तुम हाल में सो जाओ. भैया अपने कमरे में सो जाएंगे.
मैंने कहा- नहीं, बाहर हॉल में मैं कैसे सो पाऊंगी?
पति बोले- तो तुम नीचे सो जाना. भैया बेड पर सो जाएंगे.
मैंने ओके कहा और जेठ जी को अपने कमरे में बुला लिया.
उस वक्त मैं हाफ मैक्सी पहनी हुई थी.
मेरे घुटने साफ दिख रहे थे.
वे आए और कहने लगे- मुझे माफ करना यार, मेरा पंखा नहीं चल रहा था.
मैंने कहा- हां उसमें क्या बात है. आप आ जाओ और बेड पर सो जाओ. मैं नीचे सो जाउंगी.
वे बोले- अरे तुम नहीं, मैं नीचे सो जाता हूं.
मैंने कहा- नहीं, मैं सो जाऊंगी.
वह बोले- चलो एक काम करते हैं. मैं बेड के एक बाजू सो जाऊंगा. दूसरी बाजू तुम सो जाना.
मैंने कहा- ठीक है.
वे- वैसे भी छोटू बोल रहा था कि मैं रात में घर आ जाऊंगा तो मैं गेट ओपन कर दूँगा और उसके बाद मैं हॉल में सो जाऊंगा. तुम दोनों यहीं सो जाना.
जेठ जी मेरे पति से छोटू बोलते थे.
यह मेरे घर में आज पहली बार हुआ था कि मैं अपने बिस्तर पर एक गैर मर्द के साथ सो रही थी.
मेरे जेठ जी अपने बरमूडा में थे और उन्होंने गर्मी के कारण ऊपर कुछ नहीं पहना था.
वे लेट गए.
मैं अपनी तरफ लेट गई.
वे मुझसे बातें करने लगे और मेरे पति की बात बताने लगे कि मैंने अभी बात की थी.
मैंने कहा- आप उनसे यह चर्चा मत करना कि हम दोनों एक ही बेड पर सो गए थे. क्योंकि वे आपके जैसे फ्रेंक नहीं हैं.
वे कहने लगे- अच्छा, इतना चूतिया है?
मुझे हंसी आ गई.
फिर बोले- ठीक है, मैं नहीं बोलूंगा.
मैंने ओके कह दिया और वे मेरी ही तरफ मुँह करके लेट गए.
कुछ देर बाद मैं टायलेट करने गई तो उधर गलती से मेरी पैंटी गीली हो गई.
मैं पैंटी चेंज करने का सोचने लगी और अपनी गीली पैंटी वहीं उतार कर वापस आ गई.
मैंने देखा कि दूसरी पैंटी तो भाईसाब के सर के ऊपर वाले दराज में रखी है.
फिर मैं वैसे ही एक चादर ओढ़ कर लेट गई.
मैं दूसरी तरफ करवट लेकर लेटी थी.
जेठ जी मुझसे थोड़ी बातें करने लगे.
फिर गुड नाईट कहकर सोने लगे.
मैं भी सो गई.
दोस्तो, सभी मर्दों की तरह उनका लंड भी रात में टाइट हुआ होगा.
मैं इस सबसे अनजान थी कि रात में कुछ और भी हो सकता है.
पता नहीं मैं काफी गहरी नींद में थी और उसी नींद में मैं उनकी तरफ करवट लेकर घूम गई और अपना पति समझ कर मैंने उनके पैर के ऊपर अपना पैर रख दिया.
साथ ही रोजाना की आदत के चलते मैंने अपना एक हाथ उनके लंड पर रख दिया.
शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी.
उनका लंड शायद उस समय आजाद था इसलिए वह मेरे हाथ में आ गया.
दोस्तो, मेरे जेठ जी का लंड मेरे हाथ में आ गया था और उसके बाद उनका लंड मेरी चूत में कैसे घुसा और किस तरह से उनके बड़े लंड से मेरी हाहाकारी चुदाई हुई, वह सब मैं आपको जेठ बहू Xxx कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.