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Hindi - हिन्दी Audio Story जेठ जी से चुदवाकर गर्भ धारण किया - with Audio Story Version

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जेठ जी से चुदवाकर गर्भ धारण किया - Part 1​

जेठ बहू Xxx कहानी में मैंने बताया है कि मेरे पति मुझे बच्चा देने में फेल हो गए तो मैंने उनसे इस बारे में चर्चा की. इसी बीच मेरे जेठ कुछ दिन के लिए हमारे घर रहने आये विदेश से!

यह कहानी सुनें.

Audio Story​

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दोस्तो, मेरा नाम शनाया उर्फ सन्नो है.
आप मुझे और मेरे बदन को जानते ही होंगे क्योंकि आप मेरी बहुत सी कहानियाँ पढ़ चुके हैं.

आज मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताने जा रही हूँ, इस जेठ बहू Xxx कहानी को साझा करने में मुझे एक महीने से ज्यादा सोचने में लग गया कि साझा करूँ या न करूं क्योंकि इसमें कुछ ऐसा अलग है, जिसे पढ़ कर आप हैरान रह जाएंगे.

मेरी शादी को कुछ साल हो चुके थे और मेरी कोख अभी भी सूनी थी क्योंकि बच्चा पैदा करने की मेरी प्लानिंग पहले नहीं थी.
फिर जब प्लानिंग की तब पति ने उस पर रबर फेर दी … मतलब वह सब अब उनके बस का ही न रहा.

मैंने उनसे ज्यादा कहा तो उन्होंने अपना चेक़अप कराया.
जिसमें स्मोकिंग एक बड़ा कारण उभर कर सामने आई.

इसलिए मेरा आप सभी से भी अनुरोध है कि स्मोकिंग ना ही करें या कम करें.

मेरे पति हद से ज्यादा सिगरेट और हुक्का पीते थे जिस वजह से उनके वीर्य में स्पर्म काउंट कम हो गया.
इसी के चलते हमारे बच्चे पर असर आने वाला था.

डॉक्टर के अनुसार हमारा बच्चा अपंग पैदा हो सकता था.
यह सुनकर मैं घबरा गई और अपने पति के बच्चे की माँ नहीं बन पा रही थी.

लेकिन मुझे अपनी कोख भरना जरूरी था.

मैं पति से सब तरीके पर चर्चा करती हुई बड़ी मुश्किल में यह बता सकी कि आईवीएफ सही रहेगा.

पर मैं रंगीन मिजाज वाली लड़की हूँ, मुझे मर्दों की कमी कभी नहीं हुई.

इसलिए न जाने क्यों मुझे लंड सीधे अपनी चूत में लेकर गर्भवती होने का मन था.

उन्हीं दिनों मेरे परिवार में एक गमी हो गई थी.
हमारे में गमी आदि में तेरह दिनों तक रोज उस गमी वाले घर में जाया जाता है.

शहर से थोड़ी ही दूरी पर हमारा गांव था.
उधर हमारे एक रिश्तेदार थे.

वे मेरे पति के रिश्ते में करीबी भाई लगते थे और पति से बड़े थे.
उस गमी में वे अमेरिका से आए थे.

उनकी उम्र 52 वर्ष की थी लेकिन उनकी कद काठी अच्छी दिखती थी.

चूंकि वे मेरे घर पर रुके थे तो एक दिन मैंने उनको योगा करते देखा था.
मुझे उनका जिस्म भा गया था.
क्या पहलवानों जैसा कसरती बदन था. मैं तो उन्हें एक चड्डी में देख कर एकदम से गर्मा गई थी.

चूंकि वे गांव में रहना पसंद नहीं करते थे. उनका बचपन और जवानी अमेरिका में ही बीता था.
मैं भी गांव जाना कम पसन्द करती थी.

इसी वजह से मेरे पति मुझे और उनको घर पर छोड़ कर अकेले गांव चले गए थे.

मेरे पति ने रोज आना जाना फिक्स कर लिया था.
पर तीसरे दिन के बाद उन्होंने गांव में रहना ही ठीक समझ लिया था.

इधर अमेरिका से ये हुए भाईसाब रिश्ते में मेरे जेठ लगते थे.
भले ही उनकी उम्र ज्यादा थी लेकिन वे मेरे पति से ज्यादा जवान लगते थे.
मैं उनको भाईसाब कहती थी.

जेठ जी एकदम कूल और फ्रेंक थे.
मैं अपना दिल उन पर हार चुकी थी.

उस दिन मेरे पति जा चुके थे.
पति की गैरमौजूदगी में हम दोनों का पहला दिन काफी अच्छा गया.

हम दोनों के अलग अलग कमरे थे, लेकिन हम दोनों साथ में बैठ कर टीवी देखते रहे.
करीब 11-30 पर मैंने पति से वीडियो कॉल की.

उसके बाद जेठ जी भाईसाब अपने कमरे में चले गए और मैं अपने कमरे में आकर सो गई.

उनका शरीर काफी अच्छा था, वे बहुत लंबे थे और उनका पेट भी हल्का सा बाहर को निकला था.
वे मुझे बता रहे थे कि हमारे यहां लड़कियां शॉर्ट में घूमती हैं, वहां यह घूँघट वगैरह नहीं चलता है.

मैं तो पहले से ही फ्रेंक थी इसलिए जेठ जी मेरे रहन सहन और पहनावे पर कुछ नहीं कहते थे.
उनकी सेवा करने में मैं नम्बर बन थी.

अगले दिन जब मैं उठी तो चाय और नाश्ता उनके द्वारा तैयार हो चुका था.
मैंने बल्कि कहा भी- अरे आप उझे आवाज लगा देते.
वे हंस दिए और बोले- आज मेरे हाथ से बना नाश्ता करो और बताओ कैसा बना है?

मैं उनके साथ ही बैठ गई और हम दोनों ने चाय नाश्ता किया.
नाश्ता के दौरान बातें चलने लगीं तो समय का ध्यान ही न रहा.

उसके बाद करीब 11 बजे मैं अपने बाथरूम में नहा रही थी.
मैं जल्दबाजी में अन्दर से दरवाजे की कुंडी लगाना भूल गई थी.

मुझे रोज का ही याद रहता था कि पति हैं, तो क्या कुंडी लगाना.
बस उसी के चलते मैंने बिना कुंडी लगे नंगी होकर नहाने लगी थी.

उसी वक्त जेठ जी सुसु करने आए और बिना कुछ सोचे समझे उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खींच कर खोल दिया.
अन्दर मैं आदमजात नंगी थी और अपने बदन पर शॉवर से पानी ले रही थी.

उन्होंने एक ही झटके में मेरा सब कुछ देख लिया.
मैं उन्हें देख कर ‘अरे अरे …’ कहने लगी और वे सॉरी सॉरी बोल कर वापिस चले गए.

मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और नहाना-वहाना खत्म करके जल्दी से कपड़े पहन कर शर्म से पानी पानी होती हुई बाहर आ गई.

हालांकि जेठ जी वहां नहीं थे.
मैं अपने कमरे में चली गई.

कमरे में अपने आपको सही से किया और बाहर आकर मैं उनको आवाज लगाने लगी- भाई साब अब आप जा सकते हो?
वे मेरी आवाज सुनकर बोले- अभी के लिए सॉरी, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ.
और वे बाथरूम में चले गए.

वे बाथरूम में नहाने लगे.
मगर देखिए फिर से चूक हुई.

उनके पास तौलिया नहीं था तो वे बिना कपड़ों के ही बाहर निकल आए.
उस समय मैं किचन में जा रही थी.
मैंने उनकी आहट सुनी तो पलट कर उन्हें देखा.

उतनी देर में वे झट से भागे और तौलिया के पास आ गए.
मगर इतनी देर में मैंने उनको देख लिया था.

मैंने देखा कि उनका लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ था और नीचे लटक कर दाएं बाएं हिल रहा था.

मैंने उनसे कहा- ये आप क्या कर रहे हैं. मुझसे कह देते, मैं आपको उधर ही तौलिया पकड़ा देती!
उन्होंने कहा- अरे मुझे लगा कि तुम नहीं आओगी, इसलिए मैंने तुम्हें परेशान करना नहीं चाहा. कोई बात नहीं … सब भूल जाओ.

मैंने कहा- ओके मैं खाना तैयार करती हूं.
वे कुछ नहीं बोले और जाकर टीवी देखने लगे.

कुछ देर बाद खाना आदि हो गया तो वे पुनः टीवी देखने लगे.
अब भाई साब और मैं अपना अपना टाइम काट रहे थे.

कुछ देर बाद मैं भुट्टे भून कर ले आई और खाने लगी.
वे बोले- अरे शनाया, अकेले अकेले खा रही हो. इधर लाओ, मुझे भी खिलाओ.



मैं- हां भाईसाब.
फिर वे कहने लगे- अरे इधर आकर बैठ जाओ न!

मैं उनके बाजू में बैठ गई.
उस दिन मैंने एक बड़े गले वाली टी-शर्ट पहन रखी थी और अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी.

मुझे गर्मी लग रही थी.
वे मुझ पर नजर तो नहीं डाल रहे थे लेकिन मेरे 34 इंच के मम्मे मेरी टी-शर्ट में से अलग ही उठे हुए दिख रहे थे और गले से झांकने से मेरी दोनों चूचियां साफ साफ दिख रही थीं.

जेठ जी भुट्टा खा रहे थे और शायद मेरी चूचियों से आकर्षित हो रहे थे.
मैं इस बात से अनभिज्ञ होकर मजे से भुट्टा खा रही थी.

उसी समय मेरी नीचे नजर गई तो मुझे एक कॉकरोच दिखाई दिया.

मैं चिल्ला उठी- आह भैया कॉकरोच है … उई मम्मी रे … बचाओ.

कॉकरोच से मैं बहुत डरती हूँ.
मैंने डर के मारे पैर ऊपर कर लिए.

वे बोले- अरे डरना क्यों … तू एक काम कर शनाया, अपने पैर मेरे पैर पर रख दे.

मैं- अरे नहीं भाई साहब आप बड़े हो.
वे- अरे तो क्या हुआ पगली!

फिर उन्होंने खुद से पकड़ कर मेरे पैर अपने पैरों पर रख दिए.

जेठ जी कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो गए थे.
मैं पैर रखने की वजह से थोड़ी आगे को खिसक आई थी और मेरे दोनों मम्मे हल्के से उछल गए थे.

यह सीन जेठ जी ने देख लिया था और वे बिना किसी झिझक के सीधे बोले- अरे तू सपोर्टर क्यों नहीं पहनती है … पहना कर, सही रहता है. देखो तुम्हारे ब्रेस्ट उछल रहे हैं. इससे बाद में तुझे प्रॉब्लम होगी.

मैं उनकी बात सुनकर कहने लगी- हां सॉरी भाई साब, आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही थी, इसलिए मैंने ब्रा निकाल दी थी.
वे बोले- अच्छा कोई बात नहीं.

उनकी इन बातों को सुनकर मैं थोड़ा सहज सा महसूस करने लगी थी.
अब जेठ जी मुझसे बातें करने लगे और मैं भी उनसे बातें करते करते भुट्टे को मुँह से कुतरती हुई मजा लेने लगी.

सामने टीवी पर एक मूवी चल रही थी.
वे मुझसे बोले- चलो अब मैं सोने जा रहा हूँ.

मैंने कुछ नहीं कहा. अपने पैर हटाए और सोफ़े पर ही रख लिए.
जेठ जी कमरे में चले गए.

उनके जाने के कुछ देर बाद मैं भी अपने कमरे में चली गई.

जेठ जी के कमरे का पंखा नहीं चल रहा था.
उन्होंने मेरे पति को कॉल करके बोला- पंखा खराब हो गया है यार और बिना पंखा के मुझे नींद नहीं आएगी!

उसी समय मेरे पति का मेरे पास कॉल आया- तुम हाल में सो जाओ. भैया अपने कमरे में सो जाएंगे.

मैंने कहा- नहीं, बाहर हॉल में मैं कैसे सो पाऊंगी?
पति बोले- तो तुम नीचे सो जाना. भैया बेड पर सो जाएंगे.

मैंने ओके कहा और जेठ जी को अपने कमरे में बुला लिया.

उस वक्त मैं हाफ मैक्सी पहनी हुई थी.
मेरे घुटने साफ दिख रहे थे.

वे आए और कहने लगे- मुझे माफ करना यार, मेरा पंखा नहीं चल रहा था.
मैंने कहा- हां उसमें क्या बात है. आप आ जाओ और बेड पर सो जाओ. मैं नीचे सो जाउंगी.

वे बोले- अरे तुम नहीं, मैं नीचे सो जाता हूं.
मैंने कहा- नहीं, मैं सो जाऊंगी.

वह बोले- चलो एक काम करते हैं. मैं बेड के एक बाजू सो जाऊंगा. दूसरी बाजू तुम सो जाना.
मैंने कहा- ठीक है.

वे- वैसे भी छोटू बोल रहा था कि मैं रात में घर आ जाऊंगा तो मैं गेट ओपन कर दूँगा और उसके बाद मैं हॉल में सो जाऊंगा. तुम दोनों यहीं सो जाना.

जेठ जी मेरे पति से छोटू बोलते थे.

यह मेरे घर में आज पहली बार हुआ था कि मैं अपने बिस्तर पर एक गैर मर्द के साथ सो रही थी.

मेरे जेठ जी अपने बरमूडा में थे और उन्होंने गर्मी के कारण ऊपर कुछ नहीं पहना था.

वे लेट गए.
मैं अपनी तरफ लेट गई.

वे मुझसे बातें करने लगे और मेरे पति की बात बताने लगे कि मैंने अभी बात की थी.

मैंने कहा- आप उनसे यह चर्चा मत करना कि हम दोनों एक ही बेड पर सो गए थे. क्योंकि वे आपके जैसे फ्रेंक नहीं हैं.
वे कहने लगे- अच्छा, इतना चूतिया है?

मुझे हंसी आ गई.

फिर बोले- ठीक है, मैं नहीं बोलूंगा.
मैंने ओके कह दिया और वे मेरी ही तरफ मुँह करके लेट गए.

कुछ देर बाद मैं टायलेट करने गई तो उधर गलती से मेरी पैंटी गीली हो गई.
मैं पैंटी चेंज करने का सोचने लगी और अपनी गीली पैंटी वहीं उतार कर वापस आ गई.

मैंने देखा कि दूसरी पैंटी तो भाईसाब के सर के ऊपर वाले दराज में रखी है.
फिर मैं वैसे ही एक चादर ओढ़ कर लेट गई.

मैं दूसरी तरफ करवट लेकर लेटी थी.
जेठ जी मुझसे थोड़ी बातें करने लगे.

फिर गुड नाईट कहकर सोने लगे.
मैं भी सो गई.

दोस्तो, सभी मर्दों की तरह उनका लंड भी रात में टाइट हुआ होगा.
मैं इस सबसे अनजान थी कि रात में कुछ और भी हो सकता है.

पता नहीं मैं काफी गहरी नींद में थी और उसी नींद में मैं उनकी तरफ करवट लेकर घूम गई और अपना पति समझ कर मैंने उनके पैर के ऊपर अपना पैर रख दिया.
साथ ही रोजाना की आदत के चलते मैंने अपना एक हाथ उनके लंड पर रख दिया.

शायद यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी.
उनका लंड शायद उस समय आजाद था इसलिए वह मेरे हाथ में आ गया.

दोस्तो, मेरे जेठ जी का लंड मेरे हाथ में आ गया था और उसके बाद उनका लंड मेरी चूत में कैसे घुसा और किस तरह से उनके बड़े लंड से मेरी हाहाकारी चुदाई हुई, वह सब मैं आपको जेठ बहू Xxx कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.
 
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जेठ जी से चुदवाकर गर्भ धारण किया- Part 2​

प्रेगनेंसी सेक्स कहानी में मेरे जेठ हमारे घर ठहरे हुए थे और परिस्थितिवश मैं और वे एक ही बेड पर सोये थे. रात को नींद में मैंने उनका लंड अपने पति का लंस समझ कर पकड़ लिया.

यह कहानी सुनें.

Audio Story​

Listen to the 2nd part of this hindi sex story, in audio version below.



दोस्तो, मैं आप सबकी चहेती शनाया एक बार फिर से अपने जेठ जी के साथ हुई चुदाई की कहानी का अगला भाग लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
बच्चे के लिए लंड की तलाश
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने जेठ जी के साथ एक ही बिस्तर पर लेटी हुई थी और सो गई थी.
गहरी नींद में मेरा हाथ उनके लंड पर चला गया था.

अब आगे प्रेगनेंसी सेक्स कहानी:

मैंने थोड़ी देर तक इस सबका बिल्कुल भी अहसास नहीं किया कि किसी और मर्द का लंड मेरे हाथ में है.

इसके बाद मैं अपने पति से जैसे कहती हूं, वैसे ही कहने लगी- बेटू, आप कब आ गए?
जेठ जी ने भी कह दिया- तुम सो जाओ बेटू.

मैं वैसे ही नींद में अहसास लिए जा रही थी.
अगले ही पल जेठ जी ने मेरी करवट बदल दी और मैंने भी अपने पति के होने का अहसास करते हुए करवट बदल ली.
जेठ जी ने अपने लंड को मेरे पीछे से मेरी चूत की फांक में रख दिया और अन्दर ठेल दिया.

मैंने चिकना चिकना सा टोपा अपनी चूत में अहसास किया.
तभी जेठ जी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और झटका दे दिया.

उस तेज झटके से उनका आधा लंड मेरी चूत के अन्दर सरक गया और मेरी नींद पूरी तरह खुल गई.
मैं तब भी नहीं समझ पाई थी कि मेरी चूत में लंड पेलने वाला कौन है.

मैंने धीरे से कराहते हुए कहा- आह बेटू दर्द हो रहा है, जरा थूक लगा लो न!
यह सुन कर जेठ जी ने थूक लगा कर लंड फिर से पेल दिया.

मैं ‘आह मम्मी …’ करके तड़पने लगी.
वे- बस बेटा, बस हो गया.

यह आवाज सुनकर मैं घबरा गई और पलट कर देखने लगी.
ये तो भाईसाब हैं. पति का लंड इतना है ही नहीं.

मैं- भाईसाब आप ये सब मत करो, छोड़ दो.
वे- बेटा तुम्हीं ने हिला हिला कर खड़ा किया और तुमने ही बोला कि डालो इसको अन्दर, तभी तो मैंने अन्दर किया है!

बस यह कह कर जेठ जी झटके देने लगे.
उनके बड़े लंड से मस्ती चढ़ने लगी और मैं आह आह करती हुई कहने लगी- प्लीज मत करो … दर्द कर रहा है यार.

वे बोले- तो दर्द कौन सी नई बात है. अभी थोड़ा सा रुक जाओ, सब दर्द ठीक हो जाएगा.
मैं बोली- भाईसाब, आपके साथ में ये सब … अभी मेरे पति आ जाएंगे तो लफड़ा हो जाएगा.

वे बोले- उसको नहीं आना तीन दिन तक … तुम निश्चिंत रहो. मेरी उससे फोन पर बात हुई है.
अब वे मेरी चूत में ताबड़तोड़ झटके देने लगे और मैं आह आह आया ईई एई ऊऊ कर रही थी.

मैं- आह भाई साब आपका कितना बड़ा है … आह मुझे बहुत लग रहा है अन्दर तक!
वे- अरे बेटा, ज्यादा बड़ा नहीं है.

मैं बोली- भाई साब मुझे दिखाओ.

वे बोले- पहले तो तुम भाई साब कहना बंद कर दो.
मैंने कहा- ठीक है.

वे मुझे चोदने लगे.

मैं- आह आह ई बस उ ऊऊ एई बस करो प्लीज यार … यह तो बताओ कि मैं क्या कहूं?
वे- तुम मुझे अपने पति की भांति कह सकती हो.

मैं- ओके जानू बस करो … आह अब दिखा भी दो यार!
वे बोले- चलो टॉइलेट में चलते हैं.

मैंने उठ कर लाइट ऑन कर दी और उनका लंड देखा तो गांड फट गई.

‘बाप रे जानू … आपका कितना बड़ा और मोटा है!’
वे बोले- चलो चलो उधर चलते हैं. अपने सारे कपड़े उतार दो.

मैंने मैक्सी उतार दी.
ब्रा पहले से ही नहीं पहनी थी और पैंटी गीली हो जाने की वजह से उतार दी थी.
अब जेठ जी और मैं हम दोनों बाथरूम में आ गए.

गर्मी के कारण नहाने का जी कर रहा था तो जेठ जी ने शॉवर चालू कर दिया.

‘अरे जानू मेरे बाल भीग जाएंगे!’
वे- ठीक है, बाल नहीं भीगने दूँगा.

उसके बाद जेठ जी शैंपू लेकर मेरे बदन पर लगाने लगे.
उनके हाथ मेरे दूध मसल रहे थे.
यह अहसास कुछ अलग ही था.

मेरे चूचे पहली बार जेठ जी के हाथों से मसले जा रहे थे.
वे मेरे पूरे बदन में शैंपू लगा कर रुक गए.

फिर बोले- लो देखो लंड.
‘हां जानू मस्त है.’

वे- चूसना चाहोगी?
मैं- नहीं बाबा, मैं नहीं चूस सकती!

वे- क्यों, कभी चूसा नहीं क्या?
मैंने झूठ बोल दिया कि नहीं चूसा.

वे बोले- अच्छा चलो लंड पर शैंपू लगा दो.
मैं उनके लंड पर शैंपू लगाने लगी और फैन को पानी से साफ करने लगी.

धीरे धीरे मैंने जेठ जी के पूरे बदन पर शैंपू रगड़ दिया और पानी से साफ करने लगी.
मैंने उनको पूरी तरह से साफ कर दिया. फिर जेठ जी ने मेरी चूत को साफ कर दिया.

उसके बाद बाहर आकर तौलिया से पानी पौंछते हुए जेठ जी ने मुझे वापस बेड पर धकेल दिया और मेरे ऊपर बैठ गए.
वे मेरी चूत पर मुँह रख कर जीभ से चाटने लगे.

उनका भारी भरकम लंड मेरे मुँह के बाजू में था. उसकी सुगंध मुझे कामुक कर रही थी.
जेठ जी ने आखिरकार मेरा मुँह खुलवा ही दिया और मेरे मुँह में लंड डाल ही दिया.

वे कहने लगे- मजे लेकर चूसो.
मैं भी लाज शर्म छोड़ कर उनके लंड के झटके लेने लगी.

दूसरी तरफ वे मेरी चूत को खाने में लगे थे.

कुछ देर तक 69 का सुख लेने के बाद मैंने उनको सही से लेटने के लिए कहा.
वे भी चूत चुसाई का मजा अच्छे से लेना चाहते थे.

वे कहने लगे- अच्छे से लंड चूसो मेरी जान!

मैं तो वैसे भी लंड चूसने की शौकीन हूँ. अब मैं उनके लंड को जीभ से चाटने लगी और पूरा लंड चाट चाट कर गीला कर दिया.

मैं जेठ जी का पूरा लंड अपने गले तक लेने लगी थी.
वे मेरे सर को पकड़ कर लंड पर दबाने लगे थे और मैं भी जेठ जी के पूरे लंड को मस्ती से अन्दर ले रही थी.

अपने गले गले तक लंड का अहसास करती हुई मेरी आंखों से आँसू निकल रहे थे और मुँह से लार ही लार लंड पर गिरने लगी थी.

मैं उनकी जांघों पर दोनों हाथों से थपथपाने लगी थी.
बड़ी मुश्किल के बाद जेठ जी ने मुझे छोड़ा.

उनका पूरा लंड चिकना हो गया था.
मैं अपने थूक भरे मुँह को एक रूमाल से साफ करने लगी.

वे बोले- चलो अब जल्दी से लंड पर आ जाओ.
मैं चढ़ गई.

वे मेरी चूत को अपने लंड पर रखवा कर जोर देने लगे, मेरे पिछवाड़े को पकड़ कर मुझे नीचे को बिठाने लगे.

उनके लंड पर ढेर सारा थूक होने की वजह से उनका लंड मेरी चूत की दरार को फाड़ते हुए अन्दर जाने लगा.

उनका लंड बहुत बड़ा था. मैं पूरा बैठने को राजी नहीं हो रही थी.

वे मुझे पकड़ कर खुद ऊपर को उठ गए उस वजह से उनका पूरा लंड अन्दर चला गया और मैं उनके लौड़े के ऊपर बैठ गई.

मेरी आह निकल गई थी. पहले की अपेक्षा इस बार लंड चूत की जड़ तक चला गया था.
उनके पेट पर मेरे हाथ थे और उनका पेट मस्त उठ बैठ रहा था.
मैं यदि उस पर लेट जाती तो मुझे गद्दे का मजा मिल सकता था.

अब वे मुझे हिलने को कहने लगे थे.
मैं उनके लंड पर बैठ कर अपने चूतड़ों को हिलाने लगी.

उनके हाथ मेरे चूतड़ों और पट्ट पट्ट पड़ने लगे.
वे तबला सा बजा रहे थे.

मैं- अरे यार जानू मत मारो … लाल कर दोगे क्या!
मगर जेठ जी नहीं मान रहे थे.

मैंने उनके हाथ पकड़ लिए.
वे मेरी चूत की माँ चोदने में लगे थे.

और मेरे स्तनों का कुछ पूछो ही मत.
जेठ जी ने इतने ज्यादा चूस डाले थे कि ढीले कर दिए थे.
निप्पलों को तो वे पागलों के जैसे काटने लगे थे.

मैं अपने हाथों से जबरदस्ती अपने दूध छुड़वा रही थी.
वे स्तनों पर चमाट मार रहे थे.

मैं भी इस सब का बदला लेना चाहती थी.
मैंने हाथों में थूक लगाया और उनके पेट पर पट्ट पट्ट मारने लगी.

यह देख कर वे कहने लगे- अरे बेबी, पागल हो गई क्या?
मैं- मुझे दर्द हो रहा है. अपने हाथ चलाना रोको. वरना मैं भी आपकी मां चोद दूँगी.

वे- अरे बेबी सॉरी.
कुछ देर बाद झकास चुदाई होने लगी.

अब जेठ जी को कुछ याद आया और वे बोले- कॉन्डोम है क्या?
मैंने कहा- नहीं है.

वे बोले- अरे मेरा छोटू यूज़ नहीं करता क्या?
मैं- नहीं. कंडोम अभी खत्म हो गए हैं … आपका छोटू अभी लाया नहीं. ऐसा करना … आप स्पर्म बाहर निकाल देना.

वे- नहीं, मैं तो तेरे मुँह में डालूँगा.
मैंने कहा- अच्छा आप अन्दर ही कर देना. मैं गोली खा लूँगी.

वे बोले- ओके ठीक है.
मैं- कब तक निकालना है?

वे- अभी तो बहुत टाइम है.
मैं- क्यों … अब कितना और टाइम लगेगा यार?

वे- क्यों, कभी इतनी लंबी नहीं चुदी क्या?
“नहीं जानू, आज आपने बहुत ज्यादा चोद दिया है … अब आराम करना है.”

वे- अभी नहीं, अभी रुको … मुझे टाइम लगेगा.
मैंने कहा- अच्छा पोजीशन बदल लो.

यह सुनकर जेठ जी ने मुझे अपने बाजू में लिटाया और पैर को उठा लंड पेल दिया.
वे मेरे गालों पर किस करने लगे थे.

उनका पेट मेरे स्लिम पेट को रगड़ रहा था.
कुछ देर बाद जेठ जी जोर जोर के झटके मारने लगे.

मैं आह उम्म्म करने लगी.

मेरी आवाज उनके किस में ही दब कर रह गई.
वे मेरे एक हाथ को हाथ से पकड़े हुए थे और पैर को पैर से पकड़े हुए चोद रहे थे.

कुछ देर बाद जेठ जी ने अपना मुँह मेरे एक दूध पर रख दिया और दूध खींचते हुए चूत चोदने लगे.

करीब दस मिनट बाद उन्होंने मुझे चित लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए.
उन्होंने अपने लौड़े में ढेर सारा थूक लगाया और चूत में पेल दिया.

वे मेरे ऊपर पूरे चढ़ गए थे. उनके भारी शरीर को मैं न जाने कैसे सहन कर रही थी.

कुछ देर बाद मैंने कहा- जानू, आपका पूरा वजन मेरे ऊपर है.
वह कुछ नहीं बोले और सटासट झटके देने लगे.

करीब 7-8 मिनट बाद जेठ जी चरम पर आ गए.
मुझे यह बताते हुए कि ‘मैं झड़ने वाला हूँ’, उन्होंने अपनी स्पीड एकदम से बढ़ा दी.
मैं- आह … और तेज करो जानू.

वे मेरे मम्मों के ऊपर पूरे लेट गए और अपने जिस्म को मेरे जिस्म से रगड़ने लगे थे.

मैं- आह मम्मी री मर गई आज तो!
वे झड़ने लगे.

मैं भी मस्त हो गई और आराम से उनकी पीठ को सहलाती हुई अपना हाथ फेरने लगी.
झड़ जाने के बाद भी जेठ जी मेरे ऊपर से नहीं उठे.

कुछ देर बाद मैंने कहा- जानू, अब उठ जाओ.
तो वे खिसक कर बाजू में लेट गए.

मैं उन्हें किस करके कहने लगी- जानू अब सो जाओ.
मैंने उनके ऊपर हाथ रख लिया सो गई.

जबरदस्त चुदाई की थकान थी, तो करीब 7 बजे नींद खुली.
मैंने उनका लंड चूस कर खड़ा कर दिया और फिर से चुदाई करवाने के लिए उनके लौड़े की सवारी करने लगी.

एक घंटा तक मैं जमकर चुदाई के मजे लेती रही और उनके वीर्य को अपनी चूत के अन्दर ही डलवा कर लंबी लंबी सांसें लेने लगी.
जेठ जी फ्रेश होने चले गए.

मैं उस वक्त अपने पैरों को ऊपर करके लेटी रही.

दोस्तो, इस तरह से हम दोनों जेठ बहू का रिश्ता, जानू और बाबू का प्यार बन गया था.

पति को 3 दिन बाद आना था.
उन तीन दिनों में हम दोनों ने सारे सारे दिन जमकर मजा लिया.

अगले तीन दिनों की घटना मैं आपको अगले भाग में लिखूँगी.

इस प्रेगनेंसी सेक्स कहानी में मैं अपनी सच्ची घटना को बयान कर रही हूँ क्योंकि जेठ जी से चुदवाने के बाद मैंने दवा नहीं ली थी, जिस वजह से आज मैं तीन महीने की प्रेग्नेंट हूँ.
मेरी कोख में यह बच्चा जेठ जी के प्रेम की निशानी है.

मेरे पास मेरे जेठ जी के लंड की फ़ोटो और उनके लंड का उत्पादन आज भी मेरे पेट में कैद है.
मैं आज भी उनसे फोन पर बात कर लेती हूं.

दोस्तो, जिसने मुझे माँ बनने का सौभाग्य दिया, भला मैं उसे कैसे भूल सकती हूं.
मैंने अपने जेठ जी से दिल से प्यार किया और शायद यह प्यार कभी नहीं भूल सकती.

दोस्तो, आप सभी से अनुरोध है कि प्रेगनेंसी सेक्स कहानी पर गलत कमेंट ना करें … नहीं तो शायद यह मेरी आखिरी सेक्स स्टोरी होगी.

यदि आप अच्छे कमेंट करते हैं और मेरा दिल जीत लेते हैं तो शायद आपको भी रियल में मेरा बदन देखने का मौका मिल सकता है या फिर वीडियो कॉल पर मैं आपके लंड के साथ खेल सकती हूँ.
 
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