बहनचोद भाई की कहानी में मैं अपने गाँव गया तो ताऊ की जवान बेटी को देख मेरा लंड उसकी चूत मांगने लगा. मैं उसके पास रहने का मौक़ा ढूंढने लगा. आखिर एक रात मैंने उसे चोदा.
दोस्तो, मैं आपको अपना परिचय दे देता हूं.
मेरा नाम निर्मल है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं.
अभी कुछ दिनों पहले की बात है, मैं अपने गांव आया हुआ था.
मैं सात साल बाद में अपने गांव आया था तो इधर काफी कुछ बदल गया था.
अभी मुझे गांव में आए हुए कुछ ही दिन हुए थे कि एक दिन मैं अपने ताऊ के घर गया.
मैंने देखा कि मेरे ताऊ की लड़की काफी बड़ी हो गई थी.
मेरी ताऊ की लड़की का नाम आरती है.
यह बहनचोद भाई की कहानी इसी आरती के साथ सेक्स की है.
मैं उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गया.
उसका रूप यौवन देख कर मैं अपना होश ही नहीं संभाल पा रहा था.
उसका बदन इस तरह उभरा हुआ था कि मेरा मन तो यह कर रहा था कि अभी मुट्ठ मार लूं.
अगर आप भी उसे एक बार देख लेंगे तो आपसे भी मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाएगा.
उसका फिगर क्या लग रहा था.
मैंने अपने आपको किसी तरह रोक कर अपने आप पर काबू किया.
वह चहकती हुई मुझसे मिली तो उसकी चहकती हुई हंसी मुझे अन्दर तक घायल कर गई.
हम दोनों कुछ देर बैठ कर बातें करने लगे.
फिर उसने मेरे लिए चाय बनाई और पिलाई.
मैं अब उसे चोदने का बहाना ढूंढने लगा था.
मेरे ताऊ की लड़की आरती जो अभी कॉलेज में पढ़ रही थी, वह रोज सुबह 8:00 बजे अपने कॉलेज चली जाती थी.
एक दिन की बात है.
उस दिन ताऊ जी घर पर नहीं थे, वे शायद शहर गए थे.
उस दिन आरती को कॉलेज छोड़ने वाला घर पर और कोई नहीं था.
आरती ने मुझे कॉलेज छोड़ने के लिए फोन करके बुलाया. मैं तुरंत लपक कर उसके घर पर पहुंच गया.
वह तैयार ही खड़ी थी.
मैं ताऊ जी की मोटरसाइकिल लेकर उसे कॉलेज छोड़ने निकल गया.
रास्ते में जब स्पीड ब्रेकर आया तो मैंने दबाकर ब्रेक लगाया.
इस कारण से आरती मेरी पीठ पर आकर चिपक गई और उसके बूब्स मेरी पीठ से रगड़ गए.
आह … उसके मम्मों के स्पर्श होने से मेरा लिंग खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
पर क्या करता!
कुछ ही दूरी पर उसका कॉलेज था.
मैं उसे छोड़कर वापस आने लगा.
तब आरती ने कहा- मुझे वापस भी लेने आना है. मैं फोन कर दूँगी.
तो मैंने कहा- हां मैं टाइम से आ जाऊंगा.
यह कहकर मैं घर पर आ गया.
घर पर आने के बाद मुझसे मुठ मारे बिना नहीं रहा जा रहा था.
उसी घटना को याद करके मैंने दो बार मुठ मारी तब जाकर सुकून मिला.
अब मेरे दिमाग में आरती को चोदने का बुखार चढ़ा हुआ था.
मैं किसी भी तरह आरती को चोदना चाहता था.
लेकिन डर इस बात का था कि पता नहीं आरती इस बात के लिए मानेगी या नहीं … और किसी को इस बात का पता ना चल जाए.
इसी तरह कुछ दिन मुठ मारते हुए और लंड सहलाते हुए बीत गए.
फिर एक दिन की बात है.
उस दिन आरती के पापा और मम्मी को किसी शादी में जाना था.
आरती ने मुझे फोन करके बुलाया.
मैं उनके घर गया तो ताऊ ने कहा- बेटा, हम दोनों कुछ दिनों के लिए शादी में जा रहे हैं. तुम यहां आरती के पास कुछ दिन के लिए रह जाओ. इसे टाइम पर कॉलेज छोड़ आना व ले आना … और इसका ध्यान रखना. क्योंकि इसकी पढ़ाई जरूरी है वर्ना इसे भी साथ ले जाते.
ऐसा कहकर आरती के पापा मम्मी शाम की बस से शादी में चले गए.
यह बात सुनकर मैं खुशी से फूला नहीं समाया था.
अब तो घर में मैं और आरती ही थे.
मुझे आरती को चोदने के लिए एक अच्छा मौका मिल गया था.
आरती को चोदने के लिए मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी.
जब उसी शाम को हम दोनों खाना खाकर एक साथ बैठे टीवी देख रहे थे तो आरती ने मुझसे पूछा- भाई, आपकी कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं?
उसकी इस बात से मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आरती मुझसे यह क्या पूछ रही है.
मैंने कहा- नहीं यार, मुझसे कौन दोस्ती करेगी?
ऐसा सुनकर आरती कहने लगी- अरे भाई … आप इतने हैंडसम हैं, आपको तो कोई भी लड़की मना नहीं करेगी!
आरती की इस बात पर मैं मुस्कुरा दिया.
अब मेरा डर थोड़ा कम होने लगा.
मैंने भी आरती से पूछा- तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड्स हैं?
आरती ने कहा- नहीं, मैं बॉयफ्रेंड नहीं रखती हूं.
मैंने कहा- क्यों?
‘अरे नहीं भैया, आजकल के बॉयफ्रेंड सिर्फ जिस्म के भूखे होते हैं और मुझे उनसे थोड़ा डर भी लगता है इसलिए मैं किसी को बॉयफ्रेंड नहीं बनाती हूं.’
मैंने हिम्मत करके आरती से पूछा- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
आरती ने मना कर दिया.
वह कहने लगी- मैं वर्जिन हूं. मैंने अब तक कभी भी सेक्स नहीं किया है. क्या आपने किया है?
तो मैंने कहा- नहीं मैंने भी नहीं किया है. मैं भी एकदम फ्रेश माल हूँ.
यह कह मैं हंस दिया तो आरती भी हंसने लगी- भैया, आप फ्रेश माल हो … क्या बात कही है आपने … मजा आ गया!
हम दोनों हंसने लगे.
फिर मैंने टीवी बंद कर दिया और कहा- यार, अब मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूँ.
मैं चला गया और आरती भी मेरे ही साथ उसी कमरे में आकर सोने लगी.
मैं सोने से पहले अपने लैपटॉप को खोल कर उसमें एक सेक्सी स्टोरी पढ़ रहा था.
आरती बोली- अब आपको नींद नहीं आ रही है क्या, जो लैपटॉप खोले हुए हो?
मैं कुछ नहीं बोला.
तभी वह भी उस सेक्स कहानी को पढ़ने लगी.
मैंने लैपटॉप को उसकी नजरों से हटाने की कोशिश की.
जबकि मेरा मन यही था कि इसे किसी तरह से काम वासना से गर्म किया जाए.
वह बोली- भैया यह तो आप सेक्स स्टोरी पढ़ रहे हैं.
मैं कुछ नहीं बोला.
वह भी सेक्स कहानी में चुदाई और चुत लंड मम्मे जैसे शब्द पढ़ कर थोड़ी गर्म होने लगी.
अब वह मेरे बिल्कुल करीब होकर बैठ गई थी.
मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसकी जांघ पर हाथ रख दिया.
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
अब मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई.
मैं अपने हाथ को धीरे-धीरे उसकी योनि पर ले जाने लगा.
आरती की तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा था.
मैं धीरे-धीरे उसकी योनि पर उंगलियां फिराने लगा.
धीरे-धीरे वह कामवासना की ओर बढ़ रही थी, उसके मुँह से कामुक आवाजें आने लगी थीं.
मुझे अपनी उंगलियों में नमी महसूस हुई तो मैं समझ गया कि उसकी चूत से पानी बह रहा है.
उसकी बुर कुछ ही देर में पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी.
मैंने अपना लैपटॉप एक साइड में रख दिया और उसके गाल पर एक किस कर दिया.
वह सिहर गई और मुझसे अलग सी होने लगी.
मैंने उसे पकड़ कर वापस चुंबन किया तो थोड़ी देर बाद वह भी मेरा साथ देने लगी.
धीरे-धीरे मैं किस करते हुए कपड़ों के ऊपर से उसकी चूचियों को सहलाने लगा.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को खूब देर तक रगड़ा और मसला.
वह एकदम से गर्मा गई और मेरे कपड़े खींचने लगी.
मैंने जल्दी से अपने और उसके कपड़े उतार दिए.
अपनी बहन को नंगी करके मैंने उसकी कुंवारी बुर पर अपना मुँह लगा दिया.
उसकी बुर मस्त महक रही थी.
एक कमसिन चुत की सुगंध का अहसास मुझे मदहोश किए दे रही थी.
वह भी छटपटाती हुई अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह पर अपनी बुर रगड़ने लगी थी.
जल्द ही उसने पानी छोड़ दिया और मैंने उसकी कुंवारी बुर से निकला पूरा पानी चाट लिया.
इस कार्यक्रम के दौरान उसकी योनि से दो बार रस गिरा और मैं दोनों बार पूरा पानी चाट गया.
उसकी योनि का पानी नमकीन मट्ठे के जैसा लग रहा था, पीने में बहुत ही टेस्टी था.
फिर मैंने उसके सामने अपना लंड लहराया तो वह समझ गई और उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.
बहन भाई का लंड चूसने लगी.
मुझे उससे लंड चुसवाने में बहुत मजा आने लगा.
उसने कुछ मिनट तक मेरे लंड को चूसा और मेरे झड़ते से वह पूरा पानी पी गई.
आरती कहने लगी- भाई, अब आप मेरी प्यास बुझा दो. मैंने अभी तक सेक्स नहीं किया. मुझे आज अपनी बना लो. मुझे अब और मत तड़पाओ, मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जल्दी करो प्लीज अपने लंड को मेरी इस निगोड़ी चुत के छेद में घुसा दो भाई … आह अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती थी लेकिन कोई नहीं मिल रहा था. मेरे राजा, आज आप मेरी चुत को फाड़ दो.
मैं खुद अपनी बहन की चुत चोदने को मरा जा रहा था.
मैंने भी अपनी बहन की बुर पर लंड को सैट किया और एक झटका दे दिया.
मेरा थोड़ा सा लंड अन्दर चला गया और उसकी सील टूट गई, जिससे उसकी चुत से रक्त प्रवाह होने लगा और उसे दर्द होने लगा.
उसने तड़फ कर कहा- आह भाई निकाल लो … बहुत तेज दर्द हो रहा है.
लेकिन मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी और धीरे-धीरे लंड को पूरा पेल दिया.
अब मैं लंड को आगे पीछे करने लगा.
वह लगातार मेरे सीने को धकेल कर मुझे रोकना चाह रही थी.
लेकिन मैं लगा रहा.
कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया और उसे भी लंड से चुदवाने में मजा आने लगा.
अब वह कामुक आवाजें निकालने लगी.
उसे भी अपनी गांड उठाने में अच्छा लगने लगा था.
हम दोनों अपनी अपनी तरफ से जोर लगाते हुए चुदाई का आनन्द लेने लगे थे.
मैंने करीब मिनट तक अपनी बहन के साथ सेक्स किया.
इसी दरमियान आरती एक बार झड़ भी गई थी.
मैं तब भी उसकी चिकनी चुत में लंड की शंटिंग करता रहा.
अब मैं झड़ कर अलग हुआ और उसकी चुत को चाटने लगा.
मैं उसमें से बहने वाला सारा पानी पी गया और चुत चाट कर चमका दी.
इस तरह से मैं बहनचोद भाई बन गया.
हम दोनों कुछ देर के लिए एक दूसरे से लिपटे पड़े रहे.
कुछ ही देर बाद हम दोनों पुनः तैयार हो गए.
अब हम दोनों फिर से सेक्स करने लगे.
इस बार मेरी बहन मेरे लंड पर कूद रही थी.
जब मैं झड़ने लगा तो मैंने आरती से पूछा- मैं अपना रस कहां डालूँ?
तो आरती ने कहा कि अन्दर ही डाल दो भैया … मैं बाद में गोली खा लूँगी.
मैंने अपने लंड का सारा रस माल आरती की चुत में ही डाल दिया.
इसी तरह हम दोनों ने उस रात को तीन बार चुदाई की.
हम दोनों चुदाई के बाद इतने ज्यादा थक गए थे कि हिला भी नहीं जा रहा था.
तो हम दोनों एक दूसरे के ऊपर बिना कपड़े पहने ही सो गए.
जब हम दोनों सुबह उठे, तो आरती से चला नहीं जा रहा था.
क्योंकि आरती ने पहली बार सेक्स किया था जिससे उसे बेहद दर्द हो रहा था.
आरती को बुखार भी आ गया था.
मैंने कुछ देर उसे लेटे रहने के लिए कहा और बाजार खुलने पर मैंने जाकर दर्द से निजात पाने वाली गोली लाकर आरती को खिला दी.
इसी के साथ ही मैं गर्भ निरोधक दवा भी ले आया था, वह भी उसे दे दी.
दो घंटा और सोने के बाद उसे आराम मिल गया और वह अपने काम में लग गई.
उसके बाद मैंने दूसरी रात को भी उसे सोने नहीं दिया.
सारी रात में मैंने उसे विभिन्न आसनों में बार बार चोदा.
अब वह लंड लेने की आदी हो गई है.
कुछ ही दिनों बाद आरती के मम्मी पापा आ गए और मैं अपने घर आ गया.
अब जब भी मुझे आरती के घर जाने का मौका मिलता है तो मैं उसकी हमेशा चुदाई कर लेता हूं.
जब भी मैं आरती के घर जाता तो कंडोम लेकर जाता.
वह बहनचोद भाई से चुदवाने के लिए हमेशा तैयार रहती है.
उसे चुदाई में बहुत मजा आने लगा था.
आरती पूरी तरह से मेरे लंड की दीवानी हो गई थी क्योंकि मेरे लंड का साइज भी अब बढ़ कर 8 इंच हो गया था और मेरा लंड उसे पूरी तरह से मदहोश कर देता है.
आपको मेरी बहनचोद भाई की कहानी अच्छी लगी होगी.
तो प्लीज मुझे मेल करके जरूर बताएं.
neerajshekhawat18@gmail.com
दोस्तो, मैं आपको अपना परिचय दे देता हूं.
मेरा नाम निर्मल है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं.
अभी कुछ दिनों पहले की बात है, मैं अपने गांव आया हुआ था.
मैं सात साल बाद में अपने गांव आया था तो इधर काफी कुछ बदल गया था.
अभी मुझे गांव में आए हुए कुछ ही दिन हुए थे कि एक दिन मैं अपने ताऊ के घर गया.
मैंने देखा कि मेरे ताऊ की लड़की काफी बड़ी हो गई थी.
मेरी ताऊ की लड़की का नाम आरती है.
यह बहनचोद भाई की कहानी इसी आरती के साथ सेक्स की है.
मैं उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गया.
उसका रूप यौवन देख कर मैं अपना होश ही नहीं संभाल पा रहा था.
उसका बदन इस तरह उभरा हुआ था कि मेरा मन तो यह कर रहा था कि अभी मुट्ठ मार लूं.
अगर आप भी उसे एक बार देख लेंगे तो आपसे भी मुट्ठ मारे बिना नहीं रहा जाएगा.
उसका फिगर क्या लग रहा था.
मैंने अपने आपको किसी तरह रोक कर अपने आप पर काबू किया.
वह चहकती हुई मुझसे मिली तो उसकी चहकती हुई हंसी मुझे अन्दर तक घायल कर गई.
हम दोनों कुछ देर बैठ कर बातें करने लगे.
फिर उसने मेरे लिए चाय बनाई और पिलाई.
मैं अब उसे चोदने का बहाना ढूंढने लगा था.
मेरे ताऊ की लड़की आरती जो अभी कॉलेज में पढ़ रही थी, वह रोज सुबह 8:00 बजे अपने कॉलेज चली जाती थी.
एक दिन की बात है.
उस दिन ताऊ जी घर पर नहीं थे, वे शायद शहर गए थे.
उस दिन आरती को कॉलेज छोड़ने वाला घर पर और कोई नहीं था.
आरती ने मुझे कॉलेज छोड़ने के लिए फोन करके बुलाया. मैं तुरंत लपक कर उसके घर पर पहुंच गया.
वह तैयार ही खड़ी थी.
मैं ताऊ जी की मोटरसाइकिल लेकर उसे कॉलेज छोड़ने निकल गया.
रास्ते में जब स्पीड ब्रेकर आया तो मैंने दबाकर ब्रेक लगाया.
इस कारण से आरती मेरी पीठ पर आकर चिपक गई और उसके बूब्स मेरी पीठ से रगड़ गए.
आह … उसके मम्मों के स्पर्श होने से मेरा लिंग खड़ा हो गया और मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
पर क्या करता!
कुछ ही दूरी पर उसका कॉलेज था.
मैं उसे छोड़कर वापस आने लगा.
तब आरती ने कहा- मुझे वापस भी लेने आना है. मैं फोन कर दूँगी.
तो मैंने कहा- हां मैं टाइम से आ जाऊंगा.
यह कहकर मैं घर पर आ गया.
घर पर आने के बाद मुझसे मुठ मारे बिना नहीं रहा जा रहा था.
उसी घटना को याद करके मैंने दो बार मुठ मारी तब जाकर सुकून मिला.
अब मेरे दिमाग में आरती को चोदने का बुखार चढ़ा हुआ था.
मैं किसी भी तरह आरती को चोदना चाहता था.
लेकिन डर इस बात का था कि पता नहीं आरती इस बात के लिए मानेगी या नहीं … और किसी को इस बात का पता ना चल जाए.
इसी तरह कुछ दिन मुठ मारते हुए और लंड सहलाते हुए बीत गए.
फिर एक दिन की बात है.
उस दिन आरती के पापा और मम्मी को किसी शादी में जाना था.
आरती ने मुझे फोन करके बुलाया.
मैं उनके घर गया तो ताऊ ने कहा- बेटा, हम दोनों कुछ दिनों के लिए शादी में जा रहे हैं. तुम यहां आरती के पास कुछ दिन के लिए रह जाओ. इसे टाइम पर कॉलेज छोड़ आना व ले आना … और इसका ध्यान रखना. क्योंकि इसकी पढ़ाई जरूरी है वर्ना इसे भी साथ ले जाते.
ऐसा कहकर आरती के पापा मम्मी शाम की बस से शादी में चले गए.
यह बात सुनकर मैं खुशी से फूला नहीं समाया था.
अब तो घर में मैं और आरती ही थे.
मुझे आरती को चोदने के लिए एक अच्छा मौका मिल गया था.
आरती को चोदने के लिए मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी.
जब उसी शाम को हम दोनों खाना खाकर एक साथ बैठे टीवी देख रहे थे तो आरती ने मुझसे पूछा- भाई, आपकी कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं?
उसकी इस बात से मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि आरती मुझसे यह क्या पूछ रही है.
मैंने कहा- नहीं यार, मुझसे कौन दोस्ती करेगी?
ऐसा सुनकर आरती कहने लगी- अरे भाई … आप इतने हैंडसम हैं, आपको तो कोई भी लड़की मना नहीं करेगी!
आरती की इस बात पर मैं मुस्कुरा दिया.
अब मेरा डर थोड़ा कम होने लगा.
मैंने भी आरती से पूछा- तुम्हारे कितने बॉयफ्रेंड्स हैं?
आरती ने कहा- नहीं, मैं बॉयफ्रेंड नहीं रखती हूं.
मैंने कहा- क्यों?
‘अरे नहीं भैया, आजकल के बॉयफ्रेंड सिर्फ जिस्म के भूखे होते हैं और मुझे उनसे थोड़ा डर भी लगता है इसलिए मैं किसी को बॉयफ्रेंड नहीं बनाती हूं.’
मैंने हिम्मत करके आरती से पूछा- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
आरती ने मना कर दिया.
वह कहने लगी- मैं वर्जिन हूं. मैंने अब तक कभी भी सेक्स नहीं किया है. क्या आपने किया है?
तो मैंने कहा- नहीं मैंने भी नहीं किया है. मैं भी एकदम फ्रेश माल हूँ.
यह कह मैं हंस दिया तो आरती भी हंसने लगी- भैया, आप फ्रेश माल हो … क्या बात कही है आपने … मजा आ गया!
हम दोनों हंसने लगे.
फिर मैंने टीवी बंद कर दिया और कहा- यार, अब मुझे नींद आ रही है, मैं सोने जा रहा हूँ.
मैं चला गया और आरती भी मेरे ही साथ उसी कमरे में आकर सोने लगी.
मैं सोने से पहले अपने लैपटॉप को खोल कर उसमें एक सेक्सी स्टोरी पढ़ रहा था.
आरती बोली- अब आपको नींद नहीं आ रही है क्या, जो लैपटॉप खोले हुए हो?
मैं कुछ नहीं बोला.
तभी वह भी उस सेक्स कहानी को पढ़ने लगी.
मैंने लैपटॉप को उसकी नजरों से हटाने की कोशिश की.
जबकि मेरा मन यही था कि इसे किसी तरह से काम वासना से गर्म किया जाए.
वह बोली- भैया यह तो आप सेक्स स्टोरी पढ़ रहे हैं.
मैं कुछ नहीं बोला.
वह भी सेक्स कहानी में चुदाई और चुत लंड मम्मे जैसे शब्द पढ़ कर थोड़ी गर्म होने लगी.
अब वह मेरे बिल्कुल करीब होकर बैठ गई थी.
मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसकी जांघ पर हाथ रख दिया.
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.
अब मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गई.
मैं अपने हाथ को धीरे-धीरे उसकी योनि पर ले जाने लगा.
आरती की तरफ से कोई विरोध नहीं हो रहा था.
मैं धीरे-धीरे उसकी योनि पर उंगलियां फिराने लगा.
धीरे-धीरे वह कामवासना की ओर बढ़ रही थी, उसके मुँह से कामुक आवाजें आने लगी थीं.
मुझे अपनी उंगलियों में नमी महसूस हुई तो मैं समझ गया कि उसकी चूत से पानी बह रहा है.
उसकी बुर कुछ ही देर में पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी.
मैंने अपना लैपटॉप एक साइड में रख दिया और उसके गाल पर एक किस कर दिया.
वह सिहर गई और मुझसे अलग सी होने लगी.
मैंने उसे पकड़ कर वापस चुंबन किया तो थोड़ी देर बाद वह भी मेरा साथ देने लगी.
धीरे-धीरे मैं किस करते हुए कपड़ों के ऊपर से उसकी चूचियों को सहलाने लगा.
मैंने उसकी दोनों चूचियों को खूब देर तक रगड़ा और मसला.
वह एकदम से गर्मा गई और मेरे कपड़े खींचने लगी.
मैंने जल्दी से अपने और उसके कपड़े उतार दिए.
अपनी बहन को नंगी करके मैंने उसकी कुंवारी बुर पर अपना मुँह लगा दिया.
उसकी बुर मस्त महक रही थी.
एक कमसिन चुत की सुगंध का अहसास मुझे मदहोश किए दे रही थी.
वह भी छटपटाती हुई अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह पर अपनी बुर रगड़ने लगी थी.
जल्द ही उसने पानी छोड़ दिया और मैंने उसकी कुंवारी बुर से निकला पूरा पानी चाट लिया.
इस कार्यक्रम के दौरान उसकी योनि से दो बार रस गिरा और मैं दोनों बार पूरा पानी चाट गया.
उसकी योनि का पानी नमकीन मट्ठे के जैसा लग रहा था, पीने में बहुत ही टेस्टी था.
फिर मैंने उसके सामने अपना लंड लहराया तो वह समझ गई और उसने मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया.
बहन भाई का लंड चूसने लगी.
मुझे उससे लंड चुसवाने में बहुत मजा आने लगा.
उसने कुछ मिनट तक मेरे लंड को चूसा और मेरे झड़ते से वह पूरा पानी पी गई.
आरती कहने लगी- भाई, अब आप मेरी प्यास बुझा दो. मैंने अभी तक सेक्स नहीं किया. मुझे आज अपनी बना लो. मुझे अब और मत तड़पाओ, मुझसे रहा नहीं जा रहा है. जल्दी करो प्लीज अपने लंड को मेरी इस निगोड़ी चुत के छेद में घुसा दो भाई … आह अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है. मैं बहुत दिनों से चुदना चाहती थी लेकिन कोई नहीं मिल रहा था. मेरे राजा, आज आप मेरी चुत को फाड़ दो.
मैं खुद अपनी बहन की चुत चोदने को मरा जा रहा था.
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मेरा थोड़ा सा लंड अन्दर चला गया और उसकी सील टूट गई, जिससे उसकी चुत से रक्त प्रवाह होने लगा और उसे दर्द होने लगा.
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उसे भी अपनी गांड उठाने में अच्छा लगने लगा था.
हम दोनों अपनी अपनी तरफ से जोर लगाते हुए चुदाई का आनन्द लेने लगे थे.
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मैं तब भी उसकी चिकनी चुत में लंड की शंटिंग करता रहा.
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आरती को बुखार भी आ गया था.
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उसके बाद मैंने दूसरी रात को भी उसे सोने नहीं दिया.
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आरती पूरी तरह से मेरे लंड की दीवानी हो गई थी क्योंकि मेरे लंड का साइज भी अब बढ़ कर 8 इंच हो गया था और मेरा लंड उसे पूरी तरह से मदहोश कर देता है.
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