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Hindi - हिन्दी दो औरतों का झगड़ा, दोनों को चोदकर रगड़ा (All Parts)

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Part 1​

हॉट सेक्स गाँव की भाभी के साथ मैंने तब किया जब मैं सरकारी काम से एक महीने के लिए एक गाँव में गया था. वहां मैंने कई चूतों का मजा लिया.

मैं आज फिर एक नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरे एक दोस्त की है, जिसे मैं अपनी कलम से लिख रहा हूँ.

दोस्तो, मुझे कुछ काम से एक छोटे से गांव में जाना पड़ा. गांव की हवा, रहन-सहन मुझे काफी अच्छा लगता है.
गांव की खुशबू गांव का नजारा … आह यह सब देख कर मैं मोहित हो जाता हूँ.

ऐसे ही एक गांव में मैं पहुंच गया.
अगले एक माह तक मुझे वहीं रहना था.

मैंने गांव के मुखिया से बात की, उन्हें समझाया कि मैं सरकारी काम से आया हूँ. गांव के हर एक आदमी से मुझे मिलना होगा और एक महीना मैं यहीं रुकूंगा, तो आप मेरी कुछ मदद कर दीजिए.

मुखिया ने अपने आदमी से कहकर एक मकान में मेरी रहने के व्यवस्था कर दी और खाने-पीने के लिए किसी एक घर में बोल दिया था.

जिस घर में मुझे रहने मिला था, उस घर में 3 लोग थे.
एक जोड़ा और उनका एक लड़का.

आदमी का नाम मनोज था. वह 45 साल का था.
उसकी औरत का नाम मंजरी था.

मंजरी 28 से 30 साल की उम्र की लगती थी.
वह देखने में बड़ी कमसिन माल लगती थी.

आप उसे गांव की धूप में सूखा हुआ फूल बोल सकते हैं.

पर उसके चूचे बेहद टाईट थे, एकदम मिसाईल की तरह खड़े.
उन दोनों का लड़का 5 साल का होगा.

मेरा कमरा ठीक था.

बगल में एक और फैमिली रहती थी.
उनके घर में मियां बीवी और दो बच्चे थे, एक लड़का था और एक लड़की थी.

मियां सूरज सिंह पहलवान किस्म का आदमी था.
वह 40 साल का होगा.

उसकी बीवी मीनाक्षी 34 या 35 साल की रही होगी.
पर क्या बदन की कसावट थी उसकी, मैं तो देखते ही रह गया.
वह भी मेरे देखने पर मुस्कुरा दी थी.
उसकी लड़की और लड़का दोनों ही अभी छोटे थे.

उन दोनों के घर से मेरे अच्छे संबंध हो गए थे.

मेरा काम सबकी जानकारी लेना था तो गांव के सब घरों में मैं बारी बारी से जाने लगा था.

किसी घर में आदमी थे, कहीं नहीं थे सिर्फ औरतें थीं.

मैं तो जहां सुंदर मुखड़ा दिखा, वहीं लाईन मारने लग जाता.

दो घर की औरतों पर मेरा जादू भी चला, घर पर कोई नहीं था तो उनको वहीं पेल दिया.
क्या कयामत माल थीं दोनों!

दोनों को दोनों बाजू से पेला. दोनों ने आंसू निकाले, पर ठुकाई नहीं रुकने दी. हॉट सेक्स गाँव की भाभी के साथ का मजा लिया मैंने.

अब मेरा जुगाड़ बन गया था तो मेरे दिन मस्ती में कट रहे थे.

एक दिन बच्चों के कारण मेरे पड़ोस की दोनों औरतें आपस में झगड़ पड़ीं.

उनके आदमी उस वक्त घर में नहीं थे, इस वजह से झगड़ा काफी बड़ा हो गया था.

दोनों औरतें एक दूसरे के बाल पकड़ कर एक दूसरे को मारने लगीं.

मैं वहां पहुंचा तो देखा कि सब मजा देख रहे थे.
कोई बीच-बचाव करने को नहीं आया.

मैं बीच में गया और दोनों को छुड़ाने लगा.

पर दोनों मानने को तैयार नहीं थीं, एक दूसरे के बाल पकड़े हुइ थीं.

मैंने दोनों के बीच में हाथ डाल कर अलग करना चाहा, पर दोनों नहीं हटीं.
मेरा हाथ उन दोनों के चूचों से रगड़ रहा था.

मेरे दिल में पहले ऐसा कुछ नहीं था.
पर बाद में मुझे अहसास हुआ कि मेरे दोनों हाथ उन दोनों के चूचों में लग रहे हैं.

अब मैंने जानबूझ कर उनका फायदा उठाया और झगड़ा छुड़ाने के नाम पर दोनों के दूध मसलता रहा.

एक को पेट पकड़ कर खींचना चाहा, तो खींचते हुए ही चूचे दबा देता और पीछे से भी मैं चिपक जाता.

उनके बीच में घुस गया तो दोनों के चूचे मेरे बदन पर रगड़ने लगे थे.

आखिरकार मैंने दोनों को अलग कर दिया और एक को पकड़ कर उसके घर ले गया.

उसे घर में बंद किया, फिर दूसरी को पकड़ कर उसे उसके घर ले गया.

ले जाते वक्त भी उसके चूचे दबाते हुए ही उसको ले गया था.

अब मैंने सबको बोल दिया- जाओ, सब लोग जाओ … सब शांत हो गया.
सब चले गए.

फिर मैं सबसे पहले मंजरी के घर गया.
उसका गुस्सा अभी उतरा नहीं था.

पर शायद उसका बदन दर्द कर रहा होगा.

मैंने उससे पूछा- क्या हुआ भाभी, झगड़ा कैसे हुआ?
तो वह रोने लगी.

मैंने उसे चुप करवाने के लिए उसको अपने गले से लगा लिया.
वह भी मुझसे चिपक कर रोने लगी.

उसका सर मेरे कंधे पर था.
मेरा एक हाथ उसके बालों में था तो दूसरा हाथ मैं उसकी कमर पर ले गया.

वह रोये जा रही थी.

मेरा एक हाथ उसके बालों को सहला रहा था और अपना दूसरा हाथ मैं भाभी की कमर पर चला रहा था.

मेरा औजार खड़ा होने लगा.

मैंने घर में नजरें घुमाईं तो घर में कोई नहीं था.
मेरा काम आसान हो गया.

मैं मंजरी से और ज्यादा चिपक गया.
मैंने उसे कसके अपने सीने से चिपका लिया.

वह भी किसी नादान लड़की की तरह सिमटती चली गयी.
मैंने महसूस किया कि उसकी सांसें गर्म हो गयी थीं.

उसे मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा था.
मेरी बांहों में उसे अपनापन मिल रहा था.

उसने अपने दोनों हाथ मेरे बाजुओं के अन्दर से डाले और कँधे पर ले गयी.

मैंने कहा- चुप हो जाओ भाभी. मैं हूँ न यहाँ, आपको कुछ नहीं होने दूंगा. अगर वह आती है तो मैं उससे बात करूंगा. पर आप तक आने से पहले उसे मुझसे बात करनी होगी.

ऐसा कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसें छोड़ीं, तो वह मेरे साथ सिमट गयी.

मैंने उसकी गर्दन पर किस कर दिया.
वह मुझमें समाने लगी.

मैं लगातार किस करने लगा.
वह गर्दन नचाने लगी.

मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों के ऊपर ले गया और साड़ी के ऊपर से ही चूतड़ सहलाने लगा.
वह कुछ नहीं बोली पर शायद वह मेरी मंशा जान गयी थी.

अब मैंने उसके बालों को पकड़ा और उन्हें खींचा ताकि भाभी का चेहरा मेरे सामने आए.

ऐसा करने से भाभी को दर्द तो हुआ पर मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और उसे चूसने लगा.

वह भी मेरा साथ दे रही थी.
आंखें बंद किए हुए ही उसने मुझे मानो चुदाई की दावत दे दी थी.

अब मैं बिंदास हो गया था.

फिर मैंने भाभी की कमर को दोनों हाथों में पकड़ लिया और उसे किस किए जा रहा था.

मैंने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और घर के एक कोने में बिछी चारपायी पर ले जाकर आहिस्ता से रख दिया.

मैं भी उसके ऊपर झुक गया था.
मेरा किस करना जारी था.

अब मैंने दोनों हाथों से उसकी चोली के हुक खोले और उसके चूचों को आजाद कर दिया.
भाभी के नुकीले चूचे मुझे चिढ़ा रहे थे.

मैंने भी अपने दोनों हाथों से उन्हें पहले मसला, फिर बारी बारी उन्हें चूसने लगा.

एक निप्पल को चूसते हुए मैं खींचने लगा.
भाभी आह आह करने लगी.

अब मैं उसके चूचों को हाथों से दबाने लगा और अपना मुँह नीचे करके उसके नंगे सपाट पेट पर ले आया.

मैं भाभी की नाभि को चाटने लगा, अपनी जुबान नाभि के अन्दर डाल कर हिलाने लगा.

फिर मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी खोलनी चाही. पर उसने मेरा हाथ पकड़ लिया.

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने दरवाजे की तरफ इशारा कर दिया.

मैं भूल गया था कि दरवाजा मैंने बंद ही नहीं किया.

तब मैं झट से उठा और दरवाजे के पास गया, बाहर नजर दौड़ायी … सब सुनसान था. कहीं कोई नहीं दिख रहा था.
मैंने दरवाजा बंद किया और सिटकनी लगा दी.

अब मैं वापस भाभी के पास लौटा, वह अपनी चोली हाथ से पकड़ कर अपने चूचे छुपाने का प्रयास कर रही थी.

मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और अलग कर दिए.

इसके बाद मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया.
भाभी की आंखें बंद थीं.
मैं होंठों का रसपान किए जा रहा था.

अब तक मैंने भाभी की साड़ी व पेटीकोट को उतार दिया था.

भाभी ने चड्डी पहनी थी, पर फटी हुई थी.

मैंने उस भी उतार दिया.
वह अब पूरी तरह नंगी थी.

मैंने उसकी चूत को देखा तो कयामत लग रही थी.
चुत पर छोटे छोटे बाल ऐसे लग रहे थे, जैसे 3-4 दिन पहले ही साफ किए होंगे.

मैंने भाभी की चुत पर हाथ फेरा, वह तडप उठी.

तब मैंने हल्के से उसकी चुत की पंखुड़ियों को खोला.

आह क्या मस्त नजारा था … अन्दर गुलाबी दीवारों के साथ कामरस की खुशबू और चिकनाई थी.

मैंने पहले चुत की खुशबू ली, फिर अपनी जुबान को उस मखमली चुत में घुसा दी.
वह तड़प कर रह गयी.

मैंने जुबान को चुत के अन्दर जैसे ही हरकत देनी शुरू की, वैसे ही वह छटपटाने लगी.

मैं चुत चाटने में लगा रहा, अपनी जुबान को गांड के छेद से चुत के छेद तक फेरने लगा.

वह वासना के आधीन होकर आंखें बंद किए मंद मंद मुस्कुराने लगी, अपने दांतों से अपने होंठों को चबाने लगी, मुट्ठी बंद करके वह अपने अंतर्मन की छुवन का मजा ले रही थी.

मैं चुत में अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा था.

तभी वह थरथराने लगी, उसने मेरे सर को अपनी चुत पर जोर से दबाया और ‘अअह अअह्ह …’ की आवाज निकाल कर झड़ने लगी.

उसका यौन रस मेरे मुँह में आ गया.
मैं उसको चाट गया.

कुछ देर बाद वह शांत हुई.
उसने अपने आप पर काबू पाया.
पर मैं फिर जुबान चलाने लगा.

उसकी चुत फिर से रस छोड़ने लगी.

मेरे लंड का फनफनाते हुए बुरा हाल हो चुका था.
मैं खड़ा हो गया और लंड को उसकी चुत पर घिसने लगा.

वह अपने मुँह को अपने हाथ से छुपाए पड़ी थी.

मैंने लंड को सैट करके चुत पर दबाया तो लंड अन्दर घुसने लगा.

उसकी चुत में अन्दर काफी चिकनाई थी; वह एक बार झड़ जो चुकी थी.

थोड़ा थोड़ा करके पूरा लंड अन्दर चला गया.

मैंने उसके एक चूचुक को मुँह में भर लिया और धक्का लगाना आरंभ कर दिया.
मेरा हर धक्का उसे हिला रहा था.

मैं कभी उसके होंठों को किस करता, कभी उसके चूचों के चूचुक को चूसने लगता.

कुछ पल की चुदाई के बाद मैंने उसकी दोनों टांगें ऊपर कर दीं और धकापेल चोदने लगा.

इस बार वह ऊपर को खिसकने लगी और आह आह करने लगी.

मेरे लंड की चोट उसकी चुत की पूरी गहराई तक लग रही थी.

मैं उसकी परवाह किए बगैर उसको पेले जा रहा था.

दस मिनट बाद मैंने उसे औंधा लिटा दिया और पीछे से उसकी चुत में अपना औजार घुसा दिया.

जैसे ही मैंने लंड अन्दर डाला, वैसे ही वह उठने लगी.
पर मैंने उस दबोच लिया और ठोकना चालू कर दिया.

ठप ठप की आवाज गूंज रही थी.
गाँव सेक्स में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

क्या उभरी हुई गांड थी भाभी की … और जोर जोर से चोदने का मन कर रहा था.
हर धक्के पर भाभी अ हं हं हं किए जा रही थी.

कुछ पल बाद भाभी के पैर कांपने लगे, मेरा भी काम होने को था.
हम दोनों साथ में झड़ने लगे.

झड़ने के बाद मैं भाभी के ऊपर ही लेट गया.

कुछ पल बाद मेरा लंड बाहर आ गया.
उसके साथ हमारा मिश्रित वीर्य भी उसकी जांघों से बहने लगा.

हम दोनों की धड़कने तेज थीं.
कुछ पल बाद दोनों की सांसें सौम्य हुईं.

मैंने अपने कपड़े पहने, उसने भी साड़ी पहनी.

फिर मैं उसके पास गया और उसको किस करके गले से लगाया.

एक बार उसे गोद में उठा भी लिया, फिर एक किस करके मैंने दरवाजा खोला, बाहर देखा … कोई नहीं था.
मैं चुपचाप बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया.

तब मैं सोचने लगा कि यह क्या मस्त माल मिल गया आज!
इसको पेला तो पहलवान की बीवी भी मिल सकती है.

अभी लोहा गर्म था तो मैंने हथौड़ा मार देने की ठान ली.

हॉट सेक्स गाँव की भाभी के साथ कहानी के अगले भाग में मैं आपको विस्तार में बताऊंगा कि उधर का मामला कैसे जमा … पड़ोस वाली मीनाक्षी भाभी की चुदाई की कहानी का मजा लिखूँगा.
धन्यवाद.
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Part 2​

विलेज भाभी सेक्स कहानी में गाँव की दो औरतें लड़ रही थी, कोई उन्हें छुड़ाने नहीं आया तो मैं उनको छुड़ाने लगा. इस बिच बचाव में दोनों भाभियों के जिस्म ने मुझे बहुत मजा दिया.

अब आगे विलेज भाभी सेक्स कहानी:

मैं अपने कमरे से फिर से बाहर निकल गया.

पहले मैंने मंजरी भाभी के घर की तरफ देखा, कोई नहीं था.
फिर चारों तरफ नजरें घुमाईं तो कहीं कोई नहीं था.

मैं झट से पहलवान के घर में घुस गया.

अन्दर देखा तो उसके दोनों बच्चे घर पर ही थे, दोनों उस भाभी का बदन दबा रहे थे.

मैंने दस्तक दी तो उसने मुड़ कर देखा और उठकर साड़ी ठीक करने लगी.

अब भाभी बोली- अरे आप … अन्दर आइए ना!
मैं भी अन्दर चला गया.

उसने मुझे पानी दिया, चाय पिलायी.

तब तक मैं उसको निहारे जा रहा था, उसके एक एक अंग का जायजा ले रहा था.

मैं उसके पिछवाड़े को बहुत गौर से देख रहा था.
उसी वक्त उसकी नजर मुझ पर गयी.

उसे भी पता चल गया था कि मैं उसके पिछवाड़े को देख रहा हूँ.

अब वह और जोर से अपनी कमर मटकाने लगी.

कुछ पल बाद हम दोनों की नजरें मिलीं, हम एक दूसरे को देख रहे थे.
कोई कुछ नहीं बोल रहा था.

तभी बच्चे बोले- मम्मी, हम बाहर जाएं खेलने?
ये सुन कर हम दोनों अपनी दुनिया से बाहर आ गए.

वह बोली- हां, पर ज्यादा दूर नहीं जाना!
बच्चे बाहर चले गए.

भाभी फिर से मुझे देखने लगी.
मैंने बात शुरू की.

मैं बोला- भाभी कैसी हो आप?
तो वह बोली- मैं ठीक हूँ.

मैंने कहा- क्या बात हो गयी थी कि आप जैसी खूबसूरत, हसीना, कमसिन, नाजुक, समझदार, लड़की को झगड़ा करना पड़ा.
ऐसा बोल कर मैं पहले सॉरी बोला फिर बोला कि मतलब आप जैसी जहीन औरत को झगड़ा करना पड़ा!

यह कह कर मैं उसकी तरफ देख रहा था, वह मंद मंद शर्मा रही थी.

उसने मेरी तरफ देखा तो मैं उसे प्यार भरी नजरों से देखने लगा था.
पर वह कुछ बोली नहीं.

मैं बोला- भाभी बताओ ना!
अब वह बोली- बच्चों का झगड़ा हुआ था. मैं पूछने गयी तो वह मेरे ऊपर आने लगी. फिर मैंने भी उसे मेरा गुस्सा दिखा दिया.

‘पर भाभी आप गुस्से में बिल्कुल अच्छी नहीं लगतीं.’
इस पर वह शर्मा गयी.

मैं फिर से बोला- भाभी, एक बात और पूछ सकता हूँ?
वह बोली- पूछो ना!

मैं बोला- भाई साहब तो पहलवान हैं और आप एक कोमल लड़की हैं. आप कैसे सहन करती हो?
यह सुनकर वह कुछ देर चुप रही.

फिर मैं ही वापस बोला- भाभी, मैंने कुछ गलत तो नहीं पूछ लिया?
वह बोली- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.

मैं फिर से बोला- भाभी, भले आपको बुरा लगे … पर आप एक नाजुक फूल हो, कोई रसीला इन्सान आपकी जिंदगी में होना चाहिए!
यह कह कर मैं शांत हो गया.
वह भी गुमसुम हो गयी.

मैं उसके करीब को गया और बोला- भाभी, आपको बुरा लगा क्या?
तो उसने कहा- नहीं, मुझे अच्छा लगा कि कोई मेरे बार में सोचता भी है.

मैं बोला- भाभी, आप गजब की खूबसूरत हो. भाईसाहब नसीब वाले हैं जो आप जैसी परी से भी सुंदर लड़की उन्हें मिली … और वे भी पहलवान हैं तो आपको हर तरीके से खुश रखते होंगे.

इस बात पर वह उदास सा मुँह बनाकर शांत हो गयी.

मैं बोला- भाभी बताओ ना, क्या आप भाईसाब से खुश नहीं हैं?
अब वह बोली- वे सिर्फ बाहरी शरीर से पहलवान हैं. अन्दर से नहीं.

मैं दिल ही दिल में खुश हुआ.

मैंने पूछा- भाभी, इतना भारी शरीर वाला आदमी अपनी बीवी को भी खुश कर नहीं सकता?
वह बोली- हां.

फिर मैंने कहा- भाभी, कोई नहीं मानेगा इस बात को!
तो वह बोली- क्यों?

मैं बोला- भाभी आपके दो बच्चे हैं. ये तो उन्हीं के हैं ना!
इस पर वह चुप हो गयी.

अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह सहम गयी पर बोली कुछ नहीं.

मैंने धीरे से उसके कंधे दबाए, थोड़ा उसके कंधे सहलाए.
वह और ज्यादा सहम गयी.

मैं बोला- भाभी, अगर मुझे आप एक अच्छा इन्सान समझती हो और अपना समझो, तो मैं आपकी हर बात को अपने दिल में राज रखूँगा. आपको जो भी दुख है, वह बोल दो.
वह रोने जैसा मुँह बनाकर मुझे देखने लगी.

मैंने अपने दोनों हाथ खोले और उसको अपनी बांहों में आने का न्योता दे दिया.

शायद वह भी जैसे इसी इंतजार में थी.
मेरी बांहों में आ गयी.

मैंने उस गले लगाया, उसे कसके अपनी बांहों में भर लिया.
मैं उसके गले को किस करने लगा, उसके बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उसे खुद से दूर किया और देखने लगा.
वह थोड़ी शर्माई और फिर से मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी.

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा.

उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, उसकी सांसें तेज हो गईं.

तभी उसके पहलवान पति के आने की आहट हुई.

वह झट से अलग हो गयी.
मैं भी दूर हुआ.

उसने मुझे चारपाई के नीचे छुप जाने का इशारा किया.

चारपायी चादर से ढकी हुई थी.
मैं तुरंत चारपाई के नीचे छुप गया.

तभी मुझे किसी का साया आता दिखा, एक लंबा चौड़ा साया आया और चारपायी पर बैठ गया.
वह बोला- मीनाक्षी, पानी ला!

उसने पानी पिया और वह बोला- अच्छा ये बता किससे लड़ बैठी तू?
वह बोली- यह बाजू की कुतिया, बच्चे को भला बुरा बोल रही थी तो मैं ना छोड़ूँगी उसे!

वह बोला- चुपचाप पड़ी रह घर में. नहीं तो …

बस यह बोल कर वह उठ कर खड़ा हो गया और उसके पास गया.

गुस्से से उसके हाथ को मरोड़ा, वह दर्द के मारे पलट गयी.

पहलवान ने उसे दीवार से चिपका दिया.
वह दर्द के मारे चिल्लाने लगी.

उसके बच्चे आवाज सुन कर भागकर अन्दर आ गए.
पर पप्पा को देख कर वापस लौट गए, शायद वे भी डर गए थे.
पहलवान ने उसकी साड़ी पीछे से ऊपर की.

उसने मना किया क्योंकि उसे मालूम था कि मैं चारपाई के नीचे छुपा था.
पर उसकी कुछ ना चली.

पहलवान ने अपना लंड निकाला.
मैंने देखा तो साले का लंड बहुत ही छोटा सा था.

मैंने किसी तरह से अपनी हंसी रोकी.
उसने खड़े खड़े ही मीनाक्षी को थोड़ा झुका कर घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी गांड में अपना लंड डाल दिया.

मीनाक्षी ने उन्ह आह की और पहलवान उसे चोदने लगा.

पहलवान ने उसे इस तरह झुकाया था कि मीनाक्षी की गांड का छेद और सूरज सिंह का लंड मुझे साफ दिख रहा था.
मीनाक्षी ने मेरी ओर देखा और उसके आंसू निकल आए.

मुझे भी मीनाक्षी को उस हाल में देखना अच्छा नहीं लगा.

उसका पति बेरहमी से उसकी गांड में लंड पेले जा रहा था पर उसके लंड का उस पर कोई असर नहीं हो रहा था.

वह बिना किसी हावभाव के झुकी रही.
मुझे उस पर दया आयी.

अभी शायद पाँच मिनट भी पूरे नहीं हुए थे कि पहलवान के लंड का पानी निकल गया और वह बाथरूम में चला गया.

मौक़ा देख मैं भी घर के बाहर निकल गया.

जाते वक्त मीनाक्षी मुझे देख रही थी पर मैं सीधे बाहर निकल गया.
मैंने उसकी तरफ देखा ही नहीं.

मैं अपने घर आ गया और वहां बाहर चबूतरे पर बैठ गया.

मुझे मीनाक्षी पर दया आ रही थी.
इतनी सुंदर औरत को कोई इस तरह करता है क्या!

उसकी उस घर में कोई इज्जत नहीं थी, खुले आम उसको साड़ी उठा कर पेल दिया.
कोई भी अन्दर आ सकता था, कोई देख भी सकता था. बच्चे आ सकते थे और दोनों को इस हाल में देख सकते थे.

तब उस औरत की क्या हालत होती!
शर्म के मारे तो मर ही जाती होगी वो!

दूसरी ओर पहलवान आदमी और लंड के नाम पर पतली सी नुन्नी.
क्या चोदता होगा ये आदमी अपनी बीवी को!

फिर ये बच्चे किसके हैं.
कहीं कोई और तो पानी नहीं डाल रहा इस रसीले पेड़ को … और फल भी उगा दिए!

यह सब ख्याल करके मेरा माथा ठनका. मैं बाहर खड़ा रहा.

कुछ देर बाद पहलवान बाहर निकला.
उसने मुझे देखा तो मैंने उसे हाथ दिखाया.

मैंने कहा- कैसे हैं पहलवान जी?
वह हंस दिया और बोला- जी ठीक हूँ!

वह अपने काम पर निकल गया.
मैंने सब जगह नजरें घुमाईं. सब अपने अपने कामों में मस्त थे.

मैं चुपके से पहलवान के घर में घुस गया.
अन्दर मीनाक्षी रो रही थी.

मैंने उसके कँधे पर हाथ रखा, वह डर गयी.

उसने झट से ऊपर देखा.
मुझे देख कर वह और तेज रोने लगी.

मैंने उसको चुप कराया, उसे गले से लगाया.
वह चुप हो गयी.

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और चूसने लगा.
वह भी गर्म होने लगी.

मैं उसके चूचों को दबाने लगा और उसे अपने सीने से चिपका लिया.

तब मैं अपने हाथों को उसके पिछवाड़े पर ले गया और साड़ी के ऊपर से ही चलाने लगा.

मैंने धीरे से उसके कान में कहा- दरवाजा खुला है!
वह झट से मुझसे अलग हुई और दरवाजे के पास जाकर बाहर देखने लगी.

उसने दरवाजा बंद कर दिया, फिर वापस आ गयी और खड़ी रही.

उसे फिर से मैंने अपनी गिरफ़त में ले लिया, उसकी साड़ी को पीछे से ऊपर की. उसकी नंगी उठी हुई पहाड़ी जैसी गांड पर मेरे दोनों हाथ चले गए.

मैंने उसके पीछे के छेद को कुरेदा तो उसके छेद में से उसके पहलवान पति का पानी आ रहा था.
उस गीले छेद में मैंने अपनी एक उंगली घुसाई, तो उसके पति के लंड का पूरा पानी मेरे हाथों पर बहने लगा.

अब उसकी गांड खाली हो चुकी थी.
मैंने अपना हाथ उसकी साड़ी से पौंछ लिया.

अब मैंने इस भाभी की चोली के हुक खोल दिए.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
दोनों रसीले आम उछल कर बाहर आ गए.

मैंने बारी बारी उन्हें चूसा, दबाया, निप्पलों को खींचा.

उसकी आह्ह निकल गयी.

अब मैंने उसको अपने दोनों हाथों में उठा लिया, जैसे फिल्मों में उठाते हैं.
वह शर्मायी और उसने अपना चेहरा मेरी कमीज में छुपा लिया.
मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसकी साड़ी निकालनी चाही, पर उसने मना कर दिया.

वह- ऐसे ही … कोई आ जाएगा!
मैंने उसके पैरों को ऊपर उठाया और साड़ी को ऊपर कर दिया.

मैं उसकी चुत को निहारने लगा.
वह साड़ी के कोने से अपनी चुत को छुपाने का प्रयास करने लगी.
मैंने उसकी एक ना चलने दी.

उसकी चुत पर भी बगल वाली भाभी जैसे थोड़े थोड़े बाल थे, जैसे कुछ दिन पहले साफ किए हों.

मैंने उसकी गुलाबी फांकों को छुआ, उसकी चुत के दाने को दबाया, सहलाया.

उसके मुँह से इस्स निकल गया.
वह अम्म आह्ह करने लगी.

मैंने झुक कर भाभी की चुत को सूंघा, अपनी नाक को उसकी चुत पर रगड़ा.
फिर जुबान को निकाल कर मैंने उसकी चुत की फांकों को चाटना शुरू कर दिया.

उसने बेड की चादर को अपनी मुट्ठी में भर ली.
यह अहसास उसके लिए नया था.
उसकी चुत से क्या मस्त खुशबू आ रही थी.

मेरा लंड अकड़ कर पतलून में छटपटाने लगा.

मैंने जुबान उसकी चुत के अन्दर उतार दी.
जुबान को मैंने उसकी चुत में गहराई तक जाने दिया और फिर जुबान हिलाने लगा.

उसकी चुत के अन्दर तूफान उठने लगा, उसकी टांगें थरथराने लगीं.

भाभी ने टांगों के बीच में मेरे सर को दबा लिया.
पर मैं नहीं रुका.
अपने हाथों से मैं उसकी टांगों को अलग करके चुत को जुबान से चोदने लगा.

उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, उसका पेट ऊपर नीचे होने लगा.
भाभी होंठों को दातों से दबाने लगी और कुछ ही पलों में उसकी चूत का फव्वारा छूट गया.
वह झड़ने लगी.

उसके मुख पर एक अनछुयी और सुकून भरी मुस्कान थी, जैसे आज उसकी पहली चुदाई हुई हो.

मैंने उसकी चुत में से अपनी जुबान निकाल ली और मैं खड़ा हो गया.
अब मैंने अपनी पतलून उतार दी, लंड को लहराने दिया.

उसी वक्त मीनाक्षी भाभी ने अपनी आंखें खोलीं.
मेरा लंड उसकी आंखों के सामने था.

वह चिल्ला दी- उई मां!
तत्काल खुद उसने अपने मुँह पर अपना हाथ रख कर आंखें बंद कर लीं.
शायद वह इतना बड़ा लंड देख कर डर सी गयी थी.

मैंने उसके पैरों को फैलाया.
लंड को उसकी चुत पर सैट कर दिया और एक धक्का दे मारा.

मेरा लंड चुत को फैलाते हुए अन्दर घुस गया.

लंड ने चुत के आखिरी छोर पर दस्तक दे दी.

मीनाक्षी के मुँह से ‘अम्मा अम्मा …’ निकलने लगा था.
उसको दर्द हो रहा था.

शायद बहुत दिनों से उसकी चुत चुदायी नहीं हुई थी.

मैंने चुदाई शुरू की; विलेज भाभी सेक्स का मजा आने लगा.

मैं घपाघप ठोके जा रहा था, उछल उछल कर लंड से चुत में चोट किए जा रहा था.

ठप ठप की आवाज घर में गूंजने लगी.

मीनाक्षी भाभी आज गांड पति से और चुत मेरे लंड से चुदवा रही थी.

पर पति जबरदस्ती ठोक गया था और मैं प्यार से उस चोद रहा था.
मुझसे वह खुशी खुशी चुद रही थी.

मैं उस चोद रहा था तब उसके चेहरे पर असीम आनन्द की रेखाएं थीं.

वह फिर से एक बार अकड़ने लगी.
उसने मेरी पीठ में नाखून गाड़ दिए और आह्ह की गूंज के साथ बहने लगी.

पर मैं अभी भी उसे चोदे जा रहा था.

अब मैंने उस पलट दिया.
वह डर गयी.

उस लगा कि कहीं मैं भी उसके पति की तरह उसकी गांड मारने वाला हूँ.

पर मैंने पीछे से उसकी चुत में अपना लंड घुसाया और दनादन चोदने लगा.
हर धक्के पर वह हिल जाती.

उसे चोदते हुए मुझे 20 मिनट हुए होंगे, अब मेरा भी निकलने को हुआ.

आठ दस झटकों में मेरे लंड ने पिचकारी मारी.
मेरा वीर्य उसकी चुत में भरने लगा.

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया.
वह बेड पर गिर गयी.

मैं बाथरूम में आ गया.

साफ सफाई करके मैं वापस बाहर आया.
वह वैसी ही पड़ी थी.

मैंने उसे उठाया और बोला कि बाथरूम जाओ!
वह चुपचाप बाथरूम में चली गयी.

कुछ देर बाद लौटी, तो उसके चेहरे पर सुकून वाली मुस्कान थी.

मीनाक्षी ने मेरी ओर देख कर स्माईल दी और बोली- आज मैं पूरी तरह से संतुष्ट हुई हूँ.
मैं बोला- भाभी एक बात पूछू? मैंने आपके पति का सामान देखा है. उसकी तो मेहनत बेकार की है, तो ये बच्चे किसके हैं?

वह उदास हो गयी.

मैं बोला- भाभी, आज से आप मेरी हो गयी हो. आपके सारे राज मेरे हुए. मैं किसी को नहीं बताऊंगा.
वह बोली- हमारे बाबूजी (ससुर जी) जब भी आते हैं, हमारा पांव भारी करके ही जाते हैं.

मैं बोला- कैसे?
‘रात को खाना खाने के बाद ये सो जाते हैं. मैं बाबूजी के पैर दबाने बैठ जाती हूँ. कुछ देर पैर दबाने के बाद बाबूजी हमको अपने साथ …’

यह कह कर वह शर्माने लगी.

मैं समझ गया कि इसका ससुर इसे पेलता है.

मैं बोला- अब मैं चलता हूँ मीनाक्षी, फिर आऊंगा.
इतना कहकर मैं बाहर निकल आया.

एक महीने मैं मैंने उस करीब 20 बार चोदा.
घर के बाजू में, तो कभी मेरे घर में, तो कभी उसके घर में.

एक महीने बाद उसने मुझे बताया कि उसके पांव भारी हो गए हैं.
वह खुश थी और मै भी खुश हो गया.

मेरा विलेज भाभी सेक्स कहानी कैसी लगी?
मुझे बताना.
धन्यवाद दोस्तो.
vishuraje010@gmail.com
 
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