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Hindi - हिन्दी Audio Story पति ने मुझे मेरे बॉस से चुदवा दिया (All Parts)

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Part 1​


दीवानी जवानी की कहानी में पढ़ें कि शादी के पहले से ही मुझे चुदाई का शौक था. शादी के बाद पति के दोस्त से सेक्स का भी मन था. तभी मैंने नौकरी कर ली.

दोस्तो, मेरा नाम शिल्पा है. मैं उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले से हूं और एक सामान्य परिवार से संबंध रखती हूं. साधारण जीवन होने के बावजूद भी जवानी में कदम रखते ही मेरे अन्दर सेक्स और मर्दों में बहुत ज्यादा रूचि हो गयी थी.

मेरी वह आदत अभी भी वैसी ही बनी हुई है. मुझे मर्दों से चुदाई करवाने का बहुत शौक है. दीवानी जवानी की दहलीज को पार करते ही मेरे आशिकों की संख्या में हर दिन इजाफा होने लगा था.

Hindi XXX Audio Story​

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अब मैं 26 साल की हूं और चुदाई का चस्का मेरे अंदर वैसा का वैसा ही है. मैं न तो ज्यादा मोटी हूं और न ही ज्यादा पतली. मैं खुद नहीं कहती कि मैं सुन्दर हूं लेकिन मेरे हुस्न के दीवानों की संख्या ही ये कहती है कि मैं सेक्सी और हॉट हूं.

मुझे लड़कों से बुर चुसवाना, चूचियां दबवाना, निप्पलों को दांतों तले कटवाना और कठोर चुदाई करवाना बहुत पसंद है. खासकर मैं अनजान मर्दों से चुदवाती हूं. उनके साथ सेक्स करने में मुझे कुछ अलग ही मजा आता है.

शादी के पहले भी मैं 2 लड़कों से दीवानी जवानी की कहानी के खूब मजे लूट चुकी थी और अब मैं शादीशुदा हूं. मेरे पति कहते हैं कि मैं शक्ल से बहुत भोली, मासूम और दुनिया की सबसे सेक्सी व सुंदर औरत हूँ. उनका मानना है कि मैं सूट सलवार की बजाय साड़ी और ब्लाउज में ज्यादा सेक्सी और सुन्दर लगती हूं.

मेरे दूध पहले से ही बड़े थे लेकिन शादी के बाद अब मेरे बूब्स का साइज 34, कमर 32 और गांड भी 34 की हो गयी है। मेरी चूचियां ठोस, गोल और नुकीली हैं जिन्हें देख कर किसी भी लड़के का उन्हें भींचने और चूसने को मन मचल जाए।

मैं आज आपको जो अपनी थ्रीसम सेक्स की कहानी बताने जा रही हूँ. ये बिल्कुल सत्य घटना है और मेरी खुद की थ्रीसम चुदाई की कहानी है।

कुछ पारिवारिक परेशानियों के कारण मेरी शादी देर से हुई लेकिन पिछले 8 सालों से मैं और सोनू पति-पत्नी की तरह ही रह रहे थे.

सोनू के साथ मैंने 19 साल की उम्र से ही मजे लेने शुरू कर दिये थे. शुरूआत के 1-2 साल तो हम दोनों बस ओरल सेक्स करके ही संतुष्ट हो जाते थे क्योंकि मैं नई नई जवान हुई थी.

उस वक्त मुझे सेक्स करने से ये सोचकर डर लगता था कि अगर बच्चा हो गया तो फिर मेरी शामत आ जायेगी इसलिए मैंने बुर में लंड लेना शुरू नहीं किया था. वैसे भी सोनू का लंड बहुत बड़ा था. मेरी कुंवारी चूत उसको झेल नहीं सकती थी.

फिर सोनू ने मेरी चूत चोदना शुरू कर दिया था. रोज तो नहीं चोदते थे लेकिन हर तीसरे-चौथे दिन मेरी फाड़ ही देते थे. कभी रात में कहीं छुपकर तो कभी दिन में कहीं किसी कोने में पकड़ कर चोद देते थे.

हमारी शादी 5 फरवरी 2019 में हुई. शादी के तुरंत बाद ही मेरे पति मुझे लेकर सोनीपत (हरियाणा) चले गये. पति पत्नी बनने के बाद अब हम खुलकर बेखौफ चुदाई का मजा लेने के लिए उतावले थे.

दिनभर के सफर के बाद मेरी हालत खराब हो गयी थी. मगर मेरे पति मुझे दुल्हन के रूप में देखकर सारे रास्ते मुझे चोदने के ख्वाब देखते आ रहे थे. बीवी की चुदाई के लिए अब उनसे इंतजार नहीं हो रहा था.

घर पहुंचते पहुंचते मेरी हालत खराब हो गयी थी. मुझे उल्टियां आ रही थीं. मैंने सोचा कि कुछ देर आराम करने के बाद ही सेक्स करूंगी. मैं चलने फिरने की हालत में नहीं थी.

हम दिन ढलने से पहले घर पहुंच गये थे. बड़ी मुश्किल से मैंने सामान को रखा और फिर बेड पर चादर वगैरह बिछाई. मैं लेटने लगी तो पति ने मुझे आकर पकड़ लिया. मैं चुदने के मूड में नहीं थी लेकिन पति नहीं माने.

उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मेरे नंगे जिस्म को चूमने लगे. उनके होंठों की छुअन से मेरा भी मूड बन गया और मैंने भी उनके कपड़े उतार फेंके. हम दोनों गर्म हो गये और फिर चुदाई का जमकर मजा लिया. फिर हम ऐसे ही पड़कर सो गये.

पति का नाम तो आप जान ही चुके हैं. उनकी कद-काठी भी बता देती हूं. वह औसत दर्जे के पुरूष हैं. उनकी उम्र 30 साल है. लंड का साइज 7 इंच है और मोटाई भी अच्छी है. मेरी चूत में जाकर मुझे उनका लंड खूब मजे देता है.

मेरे पति बहुत चोदू किस्म के इन्सान हैं. चुदाई अच्छे से करते हैं. एक बार चढ़ जाते हैं तो एक घंटे से पहले नहीं उतरते हैं. मैं चुदकर निढाल हो जाती हूं तब जाकर वो मुझे छोड़ते हैं.

पति-पत्नी सेक्स का हम पूरा मजा ले रहे थे. उनको मोबाइल पर गन्दी पोर्न फिल्में देखने का काफी शौक है. वो चुदाई भी वैसे ही करते हैं जैसे पोर्न फिल्म में सेक्स दिखाया जाता है. वो सेक्स में हमेशा कुछ नया करने की सोचते हैं.

कई बार मेरी चुदाई करते हुए वो थ्रीसम सेक्स के बारे में भी बात करते थे. उनका एक दोस्त था नीरज. उससे मेरी बात शादी से पहले से ही होती थी. मैंने फोन पर उससे दोस्ती की थी.

फोन सेक्स और सेक्स चैट मैसेज के जरिये वो मुझे कई बार चोद भी चुका था. ये बात सोनू को भी पता थी. चुदाई करते हुए मेरे पति कई बार नीरज के लंड का गुणगान किया करते थे.

नीरज के नाम पर मेरी चूत में भी और ज्यादा चुदास जाग जाती थी. पति के दोस्त से चुदाई की सोचकर मेरे ऊपर सेक्स का एक अलग ही नशा चढ़ जाता था.

पति से चुदवाते हुए मैं नीरज की ही कल्पना करने लगती थी. उसके लंड को चूत में जाता सोचकर मैं बहुत जल्दी झड़ जाती थी.
चूंकि अब तो मेरी बात उससे बंद हो चुकी थी और हमारा फोन सेक्स भी शादी के पहले ही खत्म हो गया था, इसलिए मैंने उसके बारे में सोचना बंद कर रखा था.

मगर मेरे पति बार बार उसका जिक्र करके मुझे गर्म करते रहते थे. मेरा भी फिर मन करने लगा था कि एक बार नीरज मिल जाये तो मैं उसके लंड से अपनी चूत की चटनी एक बार तो बनवा ही लूं. उसके लंड से मैं अपनी बुर को कस कर चुदवाना चाहती थी.

एक बार मेरे पति और नीरज ने मकान मालिक के घर में काम करने वाली एक बाई को एक साथ रात भर चोदा था. मेरे पति ने खुद ये बात मुझे बताई थी.

कामवाली बाई की चुदाई की कहानी सुनकर तो नीरज के लिए मेरी दीवानी जवानी और चूत और ज्यादा मचलने लगी थी. मैं ये सोच सोचकर ही चुदासी हो जाती थी कि कोई जवान लड़का जब कामवाली को इतने बुरे तरीके से चोद सकता है तो मेरी चूत की क्या हालत करेगा.

अब मैं भी चाहती थी ये दोनों मिलकर मेरी चूत को भी वैसे ही चोद दें … रातभर मुझे बेरहमी से पेलें.

शादी के एक महीने तक पति के पास रहकर मैं अपने मायके चली गयी. मेरा मायका सोनीपत जिले में ही दिल्ली से सटे एक गांव में है.

मेरी मां और मेरी छोटी बहन एक प्राइवेट कंपनी में काम किया करती हैं. जब मैं मायके में गयी तो सारा दिन घर पर अकेली ही रहती थी. मैं बोर होने लगी.

अपने पति सोनू से मैंने जॉब करने के लिए पूछा तो उन्होंने हां कर दी और मैं भी फिर काम पर जाने लगी. इन्हीं दिनों में मेरे पति का तबादला हो गया. वो हरियाणा के बासलाम्बी में चले गये.

ये बोले- कुछ दिन तुम वहीं मायके में रहकर काम करती रहो. जब मुझे यहां का काम समझ आ जायेगा और थोड़ा सेटल हो जाऊंगा तो तुम्हें अपने पास बुला लूंगा.

इस तरह मैं अपने मायके में ही काम करती रही. जब भी पति का फोन आता तो वह फिर से नीरज की बात छेड़ देते थे और उसके साथ थ्रीमस सेक्स का मजा लेने की बात कहते थे.

कई महीने बीत गये थे और मेरी चूत को भी लंड नहीं मिला था. मैं भी लंड के नाम से ही एक्साइटेड हो जाती थी. लंड चाहे पति का हो या किसी पराये पुरूष का, चूत की आग तो लंड से ही ठंडी हो सकती है. मेरी दीवानी जवानी को भी अब हर हाल में लंड चाहिए था.

मेरी चूचियां भी मेरे पति के हाथों को बहुत मिस कर रही थीं. शादी से ही पहले से ही वो मेरी चूचियों को रोज दबाते थे. मेरे बूब्स के साइज में आधा योगदान तो मेरे पति का ही है.

अगर कई दिन तक मेरे पति का हाथ मेरे बूब्स पर नहीं लगता था तो चूचियों में कुलबुलाहट मच जाती थी. जी करता था कि किसी मर्द के हाथों अपने इन मोटे मोटे प्यासे स्तनों को जोर जोर से मसलवा लूं. किसी को अपना दूध पिला दूं.

एक दिन नीरज की बात पर मैंने भी सोनू से कह ही दिया- ठीक है, जब मैं तुम्हारे पास आऊंगी तो नीरज को भी रूम पर बुला लेना. मैं तुम दोनों से खूब चुदवाऊंगी. दोनों मर्द मेरे स्तनों को खूब पीना, चूसना, काटना और मन करे जैसे चोद देना.

अब एक लंड से मेरी प्यास भी बुझने वाली नहीं थी. मैं सोनू के सामने दूसरे मर्द से चुदकर उसको उकसाना भी चाहती थी. अब थ्रीसम चुदाई का मैं भी पूरा मन बना चुकी थी.

मैंने सोनू से कहा- अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो हम नीरज को अपने साथ ही रख लेंगे. फिर रोज रात को आप दोनों मेरी चूत का बाजा बजाना. मैं दो दो पतियों की बीवी बनने के लिए भी तैयार हूं. हर रात एकदम नंगी होकर तुम दोनों को पूरा मजा दिया करूंगी.

ये अप्रैल की बात थी। एक बार मेरे कहने पर सोनू ने फोन कॉन्फ्रेंस पर नीरज से मेरी बात भी कराई. मैंने उससे जून में मिलने और चुदने का वादा कर लिया.

अब नीरज मुझे चोदने के बारे में मेरे पति सोनू से भी खुली बात करने लगा था. एक बार तो मेरे पति ने बताया कि वो इनके फोन में मेरी साड़ी-ब्लाउज वाली सेक्सी फोटोज़ देख कर खुद को रोक नहीं पाया और इनके सामने ही मेरी फोटो देखते देखते मुट्ठ मार कर झड़ गया।

वो फोन पर तो कई बार मेरी चूत का पानी निकाल चुका था और अब सच में मुझे चोदने के लिए वो कितना बेताब था ये मैं अच्छी तरह जानती भी थी और ये बताते भी थे।

खैर! अपनी बात पर वापस आती हूँ. मैं आपको बता दूं कि मैं मायके में साड़ी नहीं पहनती. ड्यूटी करने भी मैं सूट सलवार में ही जाती थी. इस पहनावे में मैं और ज्यादा सेक्सी और कुंवारी लगती थी.

मुझे काम पर जाते हुए थोड़े ही दिन हुए थे कि मैंने अपने बॉस की एक बात नोटिस की. मेरे बॉस मुझे अजीब तरह की नजर से घूरते रहते थे. उनका नाम आशीष पाण्डेय था.

देखने में वो काफी जवान और हैंडसम थे. उनकी उम्र 32 साल के करीब थी. शुरू के दिनों में तो मैं उनसे बहुत डरती थी क्योंकि वो काम की वजह से बहुत चिल्लाते थे.

फिर एक दिन की बात है कि मैं एक लड़की के साथ सुई धागे का कुछ काम कर रही थी. वो धागा सुई में अंदर नहीं जा रहा था. मेरे बॉस पास में ही खड़े थे.

वो समझाते हुए बोले- इसको पहले मुंह में लो और थूक लगाओ, ये खड़ा हो जायेगा.

इस पर मेरी हंसी छूट गयी. इस बात के दो मतलब निकलते थे और दूसरा मतलब लंड से था. मुझसे रुका न गया और मेरी हंसी निकल गयी.

आशीष बॉस को भी मेरी हंसी का मतलब पता चल गया. वो भी इस बात पर मुस्करा कर चले गये.

उस दिन के बाद से वो मुझसे कुछ ज्यादा ही खुल गये. मेरा डर भी दूर हो गया था.

वो मुझे अच्छे लगते थे मगर मैंने कभी ये बात उनको जाहिर नहीं होने दी. अब कई बार नोटिस करती थी कि मैं काम कर रही होती थी और वो चेयर पर बैठकर मुझे ही देखते रहते थे.

कई बार मैं उनकी पैंट में उनके तने हुए लंड को देख चुकी थी. उनके लंड के तनाव को देखकर मेरी चूत भी गीली होना शुरू हो जाती थी. बॉस से चुदाई करवाने का मेरा मन बहुत करता था लेकिन मैं अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाह रही थी.

काफी दिन ऐसे ही गुजर गये. एक दिन की बात है कि मैं केबिन में उनके पास में ही खड़ी हुई थी. वहां पर हम दोनों ही थे.
वो मुझसे बोले- शिल्पा, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं, तुम्हें पाना चाहता हूं. क्या हम एक बार मिल सकते हैं?

अचानक उनके मुंह से ऐसी चुदास भरी बातें सुनकर तो मेरा गला सूखने लगा.

मैंने देखा कि उनका लंड तनकर पूरा उछलने लगा था. पैंट को उठाये हुए था. पैंट के ऊपर से ही लंड का आकार साफ दिख रहा था.
उनके लंड के आकार देख कर लग रहा था कि औजार 8 इंच का तो कम से कम होगा ही.

ऐसा लंड देखकर मेरे मन में तो गुदगुदी सी होने लगी. मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी.
मैं चुपचाप वहां पर खड़ी रही. मैंने हां या ना में कोई जवाब नहीं दिया.

फिर उन्होंने पर्ची पर अपना फोन नम्बर लिखा और मुझे वो पर्ची पकड़ा कर उठने लगे.

उनका लंड पूरा तना हुआ पैंट से बाहर आने को रहा था. उसको हाथ से छुपाते हुए वो वहां से बाहर निकलने लगे. मेरे पास से गुजरते हुए उन्होंने अपना लंड मेरे हाथ से छुआ दिया और मेरे हाथ को दबाकर निकल गये.

मैं तो वहां पर खड़ी पानी पानी हो गयी थी. मेरी चूत और मेरी वासना दोनों ही आशीष के लिये तड़प उठी थीं. घर आकर मैंने धड़कते दिल के साथ एक मैसेज लिखा- अपना लंड मेरे हाथ से छुआने और मेरे हाथ को अपने हाथ से छूने के लिए आपका शुक्रिया.

मगर गलती ये हो गयी कि उसी वक्त मेरे पति से भी मैं चैट कर रही थी. वो मैसेज मेरे पति के पास चला गया.
मैसेज मिलते ही वो पूछने लगे- किसके पास ऐसे मैसेज कर रही हो?

पहले तो मैं बहाने बनाकर बात को टालने की कोशिश करने लगी. मगर वो जिद पकड़े रहे और बोलने लगे कि अगर कोई तुम्हें पसंद आ गया है तो बता दो, हम नीरज की जगह उसे ही अपने साथ ले लेंगे और थ्रीसम चुदाई का मजा लेंगे.

फिर मैंने भी उनको आशीष सर के बारे में सच-सच बता दिया. मैंने ये भी बता दिया कि सर मुझे बहुत जल्दी चोदना चाहते हैं और मैं भी उनसे चुदने के लिए बेचैन हो रही हूं.
सोनू बोले- ठीक है, उसको पटाकर रखो. जब मेरे पास आओगी तो उसको यहीं रूम पर बुला लेंगे और तीनों एक साथ चुदाई करेंगे.
मैंने खुश होते हुए कहा- ठीक है!

सोनू से बात होने के बाद मैंने सर का नम्बर मिलाया. मैंने सर से बात की तो उन्होंने बताया कि उनकी बीवी तीन महीने के लिए मायके चली गयी है अपने गांव। इस वक्त वो चूत मारने के लिए बहुत तड़प रहे हैं.

उसके बाद आशीष सर के साथ मेरी बहुत सारी बातें हुईं. लंड, चूत और चुदाई की बहुत खुलकर बात हुई. सर के मुंह से ऐसी कामुक बातें सुनकर मैं तो और ज्यादा चुदासी हो गयी. फिर तो मुझे सपने में भी सर का लंड ही दिखने लगा.

बॉस से चुदाई के ख्याल से ही मेरी चड्डी गीली हो जाती थी. मैं कंपनी में ही उनसे चुदवाने की प्लानिंग सोचने लगी लेकिन ऑफिस में चुदाई होना संभव नहीं था. मेरी मां भी मुझ पर नजर रखे रहती थी.
घर में कैमरे लगे थे इसलिए घर में भी चुदाई नहीं हो सकती थी.

मेरी छोटी बहन मेरा साथ देने के लिए तैयार थी. मेरी बहन भी आशीष सर से चुदवाना चाह रही थी. इसके अलावा मैं अपनी बहन की चुदाई अपनी ही कंपनी के मेरे एक यार से करवा देती थी. वो हमारे घर के बगल वाले रूम में ही रहता था.

अब मैं भी जल्दी से जल्दी पाण्डेय सर के लंड से चुदकर दीवानी जवानी का मजा लेना चाहती थी. सर को तो मुझसे भी ज्यादा जल्दी मची थी मुझे चोदने की.

अब बात इसी मोड़ पर आकर अटक गयी थी कि आखिर चुदाई हो तो हो कहां पर? सब प्लान तैयार था, सब लोग भी तैयार थे लेकिन मसला यहीं पर अटका हुआ था कि किस जगह पर चुदाई हो?

मेरी कहानी सेक्सी आवाज में सुनकर आनन्द लें.

फिर आगे कहानी में क्या हुआ और मैंने सर से किस तरह और कहां पर चूत मरवाई वो मैं अगले भाग में बताऊंगी.
मेरी ये सेक्स कहानी आपको पसंद आ रही हो तो अपने मैसेज में जरूर बतायें.
 
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Part 2​


मस्त जवानी की सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे बॉस और मैं चुदाई के लिए तड़प रहे थे. मेरे पति मुझे चुदवाने को तैयार थे पर अपने सामने … बॉस अकेले में चोदना चाहते थे!

हैलो फ्रेंड्स, मैं शिल्पा एक बार फिर से आपके लौड़ों को खड़ा करने के लिए आ गयी हूं. बहुत सी चूत भी मेरी तरह लंड के लिए तड़प रही होंगी. इसलिए जल्दी से अपनी थ्रीसम चुदाई की कहानी आगे बढ़ा रही हूं.

अपनी मस्त जवानी की सेक्स कहानी के पहले भाग

Hindi XXX Audio Story​

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में मैंने आपको बताया था कि शादी के बाद मैं और मेरे पति सोनीपत चले गये थे. वहां से फिर एक महीना रहकर मैं मायके आ गयी.

मैं एक कंपनी में जॉब करने लगी और पति का तबादला हो गया. इस दौरान मेरा दिल मेरे बॉस पर आ गया. उन्होंने एक दिन केबिन मुझे प्रपोज किया और अपना लंड मेरे हाथ से छुआ दिया.

अब मैं भी जल्दी से जल्दी पाण्डेय सर के लंड से चुदकर मजा लेना चाहती थी. सर को तो मुझसे भी ज्यादा जल्दी मची थी मुझे चोदने की. पति चाहते थे कि वो आशीष सर के साथ मिलकर मेरी चुदाई करें लेकिन मेरे पति के पास जाने तक का वेट हम दोनों से हो नहीं रहा था।

मैं जब भी कॉल करती बस एक ही बात पूछते- तुम्हारे एक महीने में से कुछ दिन कभी कम भी होंगे या नहीं?
मैंने सर से वादा किया था कि एक महीने के अंदर अंदर आपसे जरूर चुदवाऊंगी।

पांडेय सर का रूम हमारी कंपनी से थोड़ी ही दूर पर था.
एक दिन मैंने सर से कहा- आप मेरी मम्मी से बहाना मारो कि शिल्पा को बगल वाली दूसरी कम्पनी में लगवाने ले जा रहा हूँ, जो इस कंपनी से ज्यादा पेमेंट दे रही है और काम भी अच्छा है. फिर मुझे अपने कमरे पर ले जाकर जी भर के चोद लो. एक बार मेरी चूतफाड़ चुदाई कर दो तो मेरी चूत की खुजली शांत हो जायेगी. कस कर दो-तीन घंटे पेलो मुझे. फिर मैं अपने पति के पास चली जाऊंगी. वहां पर आकर रोज मुझे चोदना फिर.

मैं बेशर्म होकर सर को चुदवाने का प्लान बता रही थी. मगर मेरे लाख कहने पर भी उनकी हिम्मत नहीं हुई ऐसा करने की. उसका कारण था कि अगर किसी को शक हो जाता तो उनकी नौकरी जा सकती थी.

जैसे तैसे करके मैंने दो महीने का टाइम निकाला. अब मैंने जल्दी से सोनू से कहा कि मुझे यहां से ले जाओ. मई का महीना आ गया था और 12 तारीख को वो मुझे वहां से अपने साथ ले गये.

जाते समय मैं पाण्डेय सर से वादा करके गयी थी कि पति के पास जाते ही दूसरे दिन मैं उनको अपने घर पर बुला लूंगी. मगर मेरे ले जाने के बाद मेरे पति सोनू का मूड बदल गया. वो मुझे अकेले सर से नहीं चुदवाना चाहते थे.

मैं आपको बताना भूल गयी कि थ्रीसम चुदाई की बात सर को नहीं पता थी. वो अकेले में मेरी चुदाई करना चाहते थे. मैं भी उनसे एक बार अकेले में ही चुदना चाहती थी. मगर सोनू इस बात के लिए तैयार नहीं था और मैं सर से चुदने के लिए मरी जा रही थी.

फिर मैंने आखिर में हाथ पैर जोड़ने के बाद सोनू से कहा कि मैं सर को थ्रीसम चुदाई के लिए ही राजी करूंगी.

काफी दिन गुजर गये. पति का लंड तो मुझे मिलने लगा था. हमने सेक्स के खूब मजे लिये लेकिन मैं आशीष सर को नहीं भुला पा रही थी.

जब से मेरा दिल पाण्डेय सर पर आया था तब से ही मैं नीरज को जैसे भूल ही गयी थी. नीरज ने भी काफी दिनों से कोई फोन-मैसेज नहीं किया था. मैं तो अब बस अपने बॉस से चुदाई का मजा लेना चाह रही थी.

पति से चुदाई करवाते हुए भी मैं अपने सर को ही याद किया करती थी. सोनू का लंड मेरी चूत में जाता था लेकिन अपनी कल्पना के माध्यम से मैं उसको आशीष सर का लंड बना लेती थी और मस्त जवानी की चुदाई का जमकर मजा लेती थी.

सोनू सुबह ऑफिस चले जाते थे और मैं उनके जाने के बाद सर को फोन किया करती थी. उनको थ्रीसम चुदाई के लिए मनाती थी. मगर वो नहीं मान रहे थे और कहते थे कि पति के सामने चुदाई का मजा नहीं आयेगा.

फिर भी मैंने किसी तरह उनको ग्रुप सेक्स के लिए राजी कर ही लिया.
वो बोले- ठीक है, लेकिन पहले तुम अपने पति से मेरी बात करवाओ, उसके बाद ही मैं तुमसे मिलने तुम्हारे घर आऊंगा.
मैंने कहा- ठीक है, शाम को जब वो ऑफिस से लौटेंगे तो हम दोनों ही आपसे फोन पर बात करेंगे.

उसी रात मेरे हस्बैंड मुझे एकदम नंगी करके मस्ती से चोद रहे थे लेकिन जब से पांडेय सर ने मेरी मस्त जवानी पर अपना जादू चलाया था तब से मैं तो उन्हीं से चुदाई के सपने देखने लगी थी.

चुदाई मेरे पति के लंड से हो रही थी लेकिन ख्याल में पांडेय सर थे. पैंट में उनका 8 इंची लंड जब से मैंने देखा था तब से एक ही बात सोच ली थी कि इस लंड को चूत में लेकर ही रहूंगी.

मेरे पति मुझे गन्दी गन्दी गालियां देकर चोदा करते थे. मुझे भी उनके मुंह से गंदी गालियां सुनना बहुत पसंद था. मर्द के मुंह से गाली सुनकर चुदने का मजा ही अलग है.

उस रात भी वो चोदते हुए कह रहे थे- साली रंडी … मैं तुझे इतनी पेलता हूं लेकिन फिर भी तेरी चूत की प्यास शांत नहीं होती है … लगता है तुझे तेरे पांडेय सर का लंड दिलवाना ही पड़ेगा.

मैंने भी जोश में आकर जवाब दिया- हां, बहनचोद … जल्दी दिलवा दे उनका लंड … चुदवा दे मुझे पांडेय से … दोनों के लंड लेकर चुदना चाहती हूं मैं … तुम्हें भी अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदते हुए देखने का बहुत शौक है न? मैं तेरा ये शौक पूरा करके दिखा दूंगी!

अब मैं सोनू को ही पांडेय सर समझ कर चूमने चाटने लगी. पहले से भी दोगुने जोश के साथ चुदने लगी. मेरे पति को भी उस रात की चुदाई में बहुत ज्यादा मजा आया.

उस रात के बाद वो रोज मुझे पांडेय सर के बारे में बात करते हुए ही चोदते थे.

एक दिन मैंने चूत में माल डलवाने के बाद कहा- आप रोज पांडेय सर को लाने की बात कहते हो लेकिन कभी लेकर नहीं आते. मुझे प्लीज उनका लंड दिलवा दो न एक बार? वो भी बहुत प्यासे हैं. मैं आप दोनों से एक साथ चुदना चाहती हूं. आप उनके साथ मिलकर मुझे चोदना. मैं दोनों को खुश कर दूंगी. अगर आपने उनका लंड दिलवा दिया तो मैं उसी वक्त आपको अपनी गांड भी दे दूंगी. वो आपके कहे बिना नहीं आयेंगे. क्या आप एक बार मेरे लिये उनके पास फोन नहीं कर सकते?

मेरे मुंह से ये सुनते ही मेरे पति का लन्ड फिर से खड़ा हो गया और उन्होंने मुझे बांहों में कस कर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया. फिर मेरी बुर पर लंड लगा दिया जो कुछ देर पहले ही चुदी थी और माल से भरी हुई थी.

गीली बुर पर लंड लगाकर उन्होंने अपना लौड़ा अंदर पेल दिया. फिर मुझे जोर जोर से चोदने लगे और चोदते हुए बोले- डार्लिंग … आज ही पांडेय के पास फोन लगाता हूं.

फिर वो मेरी चूत में लंड डाले हुए ही हिलाते रहे और फोन मिलाने लगे. उस वक्त रात के 10 बज रहे थे.
सर ने फोन उठाया तो पहले मैंने हैलो किया और बात करने की भूमिका बना दी. फिर फोन सोनू ने फोन ले लिया और वो उनसे बात करने लगे.

मेरी आंखों के सामने मेरे पति मेरी चूत में लंड डाले हुए किसी गैर मर्द से मेरी चुदाई की प्लानिंग कर रहे थे. ये सब घटना सोचकर मेरी चूत में जोर की चुदास जगी और मैं खुद ही सोनू के ऊपर चढ़कर उसको चोदने लगी. उसके लंड को चूत में ले लेकर धक्के लगाने लगी.

गचागच मेरी चूत उनके लंड पर ऊपर से नीचे चल रही थी. मैं उस वक्त बहुत ज्यादा कामुक हो गयी थी. मन कर रहा था कि पति के लंड से चूत को अंदर तक फड़वा लूं. मगर ये काम तो एक मर्द ही कर सकता था.

औरत कितनी भी लंड की सवारी कर ले लेकिन जिस तरह से मर्द ताकत लगाकर चूत को फाड़ता है वैसा मजा खुद से करने में कहां आता है. वो बातें करते रहे और मैं लंड पर उछलती रही.

सर बोले कि वो मुझे नंगी देखना चाहते हैं और वो वीडियो कॉल कर रहे हैं.
सोनू ने मुझसे पूछा तो मैंने मना कर दिया.
वैसे तो मैं चाहती थी कि सर को अपनी गर्म जवानी दिखा कर इतना तड़पा दूं कि वो खुद आकर मुझे चोद जाएं.
मगर मैं अपने पति के सामने शर्म का नाटक करने लगी.

फिर सर बोले- ठीक है तो व्हाट्सएप पर नंगी फोटो ही दिखा दो?
सोनू फिर से मुझसे रिक्वेस्ट करने लगे. अब तक मैंने अपने पूरे कपड़े पहन लिये थे. बहुत कहने के बाद मैं राजी हो गयी.

अब सोनू ने व्हास्टसएप पर वीडियो कॉल शुरू कर दी और मुझे कैमरे के सामने नंगी होने के लिए कहा. अपने पति के सामने मैं किसी गैर मर्द के लिए पहली बार नंगी हो रही थी. मुझे बहुत रोमांच महसूस हो रहा था.

दोस्तो, पहले उन्होंने ब्लाउज़ में कसी हुई मेरी छातियों पर से मेरी साड़ी हटाई, फिर ब्लाउज के एक-एक बटन खोलने लगे। मैं शर्म के मारे पिघली जा रही थी लेकिन आज मैं पांडेय सर के सामने अपनी मस्त जवानी का ताला खोल देना चाहती थी.

फिर मेरे पति ने सर के सामने मेरी चूचियों को ब्लाउज़ के बंधन से आज़ाद कर दिया और मेरे नंगे दूधों को मसल कर पीने लगे और सर को दिखाने लगे.

अब मेरी बुर दिखाने की बारी थी. बुर दिखाने के लिए वो मेरी साड़ी-पेटीकोट को ऊपर कमर पर चढ़ाने लगे लेकिन मैं बुर अभी उन्हें नहीं दिखाना चाह रही थी। मैंने काफी देर तक मना किया और अपनी चूत छुपाती रही लेकिन कब तक छुपाती? दो दो मर्द मुझे नंगी करने पर तुले थे.

आखिर में मुझे हथियार डाल देने पड़े और उन्होंने पैर से कमर तक मुझे नंगी कर लिया. फिर कैमरा सामने करके नंगी चूत के दर्शन भी करा दिए सर को। इतना सब करते हुए फिर से सोनू का मूड बन गया और वो मुझे बिस्तर पर लिटाकर चोदने लगे.

लाइव चुदाई को उन्होंने सर को भी दिखा दिया. सर भी उधर नंगे हो गये थे. वो अपना लंड हिला हिलाकर कैमरे में मुझे दिखा रहे थे.
सर के लंड को देखकर मुझे जबरदस्त उत्तेजना हो रही थी. मैंने सर से कहा- अब और न तड़पाओ, जल्दी से आ जाओ बस!

पहले तो मैंने खूब शर्माने का नाटक किया जबकि मन तो कर रहा था कि सर को अपनी नंगी जवानी दिखा कर उन्हें जल्दी से जल्दी चोदने के लिए तड़पा दूँ. फिर मैं भी बेशर्म हो गयी.

मैं लेटी हुई सर से वीडियो कॉलिंग पर बात करती रही. ईयर फोन में सर की गर्म सिसकारियां मेरी चूत में और ज्यादा आग लगा रही थीं. सर अपने लंड को जोर जोर से हिलाते हुए मेरी चूत चोदने की बात कर रहे थे.

मेरे पति मेरी जबरदस्त चुदाई में लगे हुए थे और सर को सारा सीन दिखा रहे थे. फिर ऑडियो कॉलिंग करके मेरे पति ने सर से मुझे चोदने आने के लिए निमंत्रण देते हुए कहा- आप बेझिझक आ जाओ, हम दोनों थ्रीसम सेक्स करने का फुल मूड बना चुके हैं।

पहले तो सर ने भी बेवजह बहुत नखरे दिखाए लेकिन मेरे पति के बार बार रिक्वेस्ट करने पर आने के लिए राजी हो गए। मेरे पति की हफ्ते में दो दिन (शुक्रवार और शनिवार) छुट्टी रहती थी, इसलिए 28 जून शुक्रवार की प्लानिंग हो गयी।

उस रात को मेरे पति ने एक और कसम ले ली- जब तक तुम्हारी चूत में पांडेय का लंड नहीं जायेगा तब तक मैं भी तुम्हारी चूत में अपना लंड नहीं डालूंगा. अब पहली चुदाई वही करेंगे और उसके बाद फिर मैं तुम्हें चोदूंगा.

उन्होंने सर को भी ये बात बता दी कि वो मुझे अब तय दिन तक लंड के बिना भूखी ही रखेंगे. इसलिए सर को तय दिन पर आने के लिए कह दिया. सर ने भी पक्का वादा किया कि उनकी बीवी को वो चोदने के लिए जरूर आयेंगे.

अब मैं तीन-चार दिन तक बिना लंड के रहने वाली थी जो मेरे लिए बहुत ज्यादा मुश्किल था. मैं लंड के बिना नहीं रह सकती थी, खासकर ऐसी स्थिति में कि जब मुझे पता हो कि मेरी चूत को मेरा मन पसंद नया लंड मिलने वाला है.

दोस्तो, किसी तरह से मैंने फोन सेक्स कर करके और फोन पर ही सर से चुद चुद कर दो दिन निकाले.
शुक्रवार को सुबह ही मैंने सर को कॉल कर दिया और कहा- मैंने बड़ी मुश्किल से अपने पति को तैयार किया है, अगर मुझे इतना जमकर चोदना है कि मेरी चूत फट जाए और मैं चिल्ला चिल्ला कर चुदूँ तो जल्दी आ जाओ, अब वेट नहीं होता।

वो बोले- अगर हम दोनों का मन तुम्हें एक साथ चोदने का बन गया तो क्या करोगी?
मैंने कहा- तुम दोनों एक साथ आ जाना, मैं झेल लूँगी। एक साथ ही चोदना है, एक मेरी चूत में लन्ड डाल देना और दूसरा मुंह में।

सर ने कहा- मुझे तो गांड भी मारनी है तुम्हारी.
मैं बोली- उसमें नहीं जाएगा.
फिर सर जिद करने लगे तो मैंने कहा- अगर आप अपने लंड को मेरी गांड के अंदर घुसाने में कामयाब हुए तो गांड भी चोद लेना.

वो बोले- देख लो, बीमार हो गयी तो?
मैंने कहा- बीमार नहीं पड़ूंगी, सारी रात चुदने की कैपेसिटी है मेरी।
ये सब मेरे पति देव भी सुन रहे थे और उनका लन्ड बेकाबू हो रहा था।

फिर उसके बाद सर ने मेरे पति से भी बात की और बोले- मुझे तो तुम्हारी बीवी की गांड चुदाई भी करनी है. अगर वो अपनी गांड चुदवाने के लिए राजी होती है तो ही मैं आऊंगा.

मेरे पति ने कहा- वो तो तैयार है, इसी से पूछ लो.
मैंने कहा- ठीक है, गांड भी दूंगी, आ जाओ।
सर बोले- ठीक है आता हूँ.

ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया. अब मेरी चूत की आग बुझाये न बुझ रही थी. मैं सर के आने से पहले तैयार होना चाहती थी. मैं सर को अपनी चूत दिखाकर पागल कर देना चाहती थी.

मैं बाथरूम में गयी और कपड़े उतार कर नंगी हो गयी. चूत पर काफी घने बाल थे. मैंने सोनू को अंदर बुला लिया और अपनी चूत के बाल साफ करवाने लगी. पति के सख्त कठोर हाथ मेरी गर्म चूत पर लगे तो मजा आने लगा.

वो रेजर से मेरी चूत को साफ कर रहे थे और मेरी चूत से रस निकलना शुरू हो गया था. मैं चूत खोलकर उनके सामने फर्श पर गांड टिकाकर बैठी थी. बस मन कर रहा था कि वो अपना मोटा लंड निकालें और मेरी निगोड़ी चूत को चोद डालें.

मगर पति ने भी कसम खाई हुई थी कि सर से चुदवाये बिना वो मेरी चूत के दर्शन अपने लंड को नहीं करवायेंगे. मैंने पति की गर्दन को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उनके होंठों को चूसने लगी. मुझसे ये चस्का बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

पति के होंठों को चूसते हुए मैं चूत में उंगली करने लगी. चूत पर साबुन लगा हुआ था और कामरस बह रहा था. चूत पूरी चिकनी थी और मैं तेजी से उंगली किये जा रही थी.

पांच मिनट तक जोर जोर उनके होंठों को काटती रही और उनकी लार को पीती रही. वो भी मेरी मस्त जवानी की चुदास देखकर मेरा साथ देते रहे. फिर अचानक चूत से गर्म फव्वारा छूट गया और मैं झड़ गयी. मैंने पति के मुंह को छोड़ा तो वो बुरी तरह से हांफ रहे थे. दो तीन मिनट लगे उनको नॉर्मल होने में.

इसी कहानी को सेक्सी लड़की की आवाज में सुन कर मजा लें.

फिर उन्होंने मेरी चूत पर पानी डाला और उसको साफ किया. चूत पूरी साफ और चिकनी लग रही थी. मैं सोचकर खुश हो रही थी कि सर को ये चूत बहुत पसंद आयेगी. फिर मैं नहाकर बाहर आ गयी और तैयार होने लगी.

दोस्तो, मेरी प्यासी चूत की चुदास को शांत करवाने के लिए मैं किस तरह से चुदी वो आपको मैं जल्दी ही बताऊंगी. मेरी थ्रीसम चुदाई की ये मस्त जवानी की सेक्स कहानी आपको कैसी लग रही है मुझे बताते रहें.
अपना मैसेज ईमेल करें या कहानी के नीचे दिये कमेंट बॉक्स में बतायें.
 
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Part 3​


आखिर चुदाई की रात आ ही गयी जब मैं अपने पति के सामने अपने बॉस से चुदने वाली थी. मैं खूब सज संवर कर बॉस का इन्तजार करने लगी. सर आये और …

दोस्तो, मैं शिल्पा फिर से आ गयी हूं. जितनी चुदास मेरी चूत में रहती है उतनी ही जल्दी मुझे आपको अपनी चूत की चुदाई की कहानी बताने की भी रहती है.

अपनी देसी चुदाई की कहानी के पिछले भाग

में मैं आपको बता रही थी कि कैसे मैंने अपने पति और अपने बॉस को एक साथ मेरी चूत चोदने के लिए राजी किया. फिर वो दिन भी आ गया जब आशीष सर मेरी चूत चोदने के लिए हमारे घर आने वाले थे.

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मैंने पति से अपनी चूत के बाल साफ करवाए और फिर बाहर आकर तैयार होने लगी. उस दिन मैंने अपने आप को खूब सजाया था. नीचे से मैंने अपनी फेवरेट ब्रा और पैंटी पहनी थी जिसमें मैं किसी ब्लू फिल्म की हिरोइन से कम नहीं लगती थी.

मैंने मखमली कपड़े वाली पीले रंग की साड़ी पहनी थी जिसमें मेरा गोरा बदन सूरजमुखी के फूल जैसा दमक रहा था. चेहरे पर गहरा मेकअप और होंठों पर गाढ़ी लाल लिपस्टिक। मेरी चूचियों का कसाव और उठाव मेरी फिगर में कहर बनकर उभर रहा था.

सोनू बोले- यार, आज तो तुम बला की खूबसूरत और सेक्सी लग रही हो, चुदास तो तुम्हारी आँखों से साफ झलक रही है।
मैंने भी मुस्कराकर कहा- सब आपकी वजह से है।

चुदाई की रात आ ही गयी. फिर सर की कॉल आयी और हम दोनों पति पत्नी उन्हें थोड़ी दूर से रिसीव करने गए। सर को देखकर मेरी चूत में रिसाव होने लगा. वो आज बहुत ही हैंडसम लग रहे थे.

उनकी पैंट और शर्ट में जो फॉर्मल लुक आ रहा था उसको देखकर मन कर रहा था कि यहीं खुले में उनके सामने नंगी हो जाऊं और आउटडोर चुदाई का मजा लूं. मगर ऐसा नहीं हो सकता था.

मेरे पति और सर ने आपस में हाथ मिलाया. कुछ बातें हुईं और फिर हमने एक ऑटो कर लिया. आते हुए ऑटो में मैं बीच में और मेरी एक तरफ मेरे पति और दूसरी तरफ मेरा आशिक बैठा था.

ऑटो में धक्का लगने से सर मेरे बदन से टच होते तो मेरा पूरा शरीर सिहर उठता। मैं सर की जांघ पर हाथ फिराना चाह रही थी लेकिन पति के लिहाज से रह गयी. वरना मैं वहीं ऑटो में ही सर का लंड पकड़ लेती.

फिर हम अपने रूम पर पहुंच गये. कमरे पर पहुंचे तो मेरे पति कोल्ड ड्रिंक वगैरह लेने के लिए दुकान पर चले गए. दुकान घर से थोड़ी दूरी पर थी. अब मैं और सर कमरे में अकेले थे.

मुझसे रुका न गया और मैंने आगे बढ़कर सर को अपनी बांहों में ले लिया. मैं उनको चेहरे और गालों पर हर जगह चूमने लगी. इतनी ही देर में सर का लंड खड़ा हो चुका था.

सर ने मेरी चूचियों को पकड़ कर मसल दिया और बोले- यहीं झुक झाओ, जब तक तेरे पति आते हैं एक बार पीछे से चोद दूं.
मन तो मेरा भी हो रहा था कि एक बार जल्दी से करवा लूं, चूत भी रह रहकर पानी छोड़े जा रही थी. मगर फिर सोचा कि अगर सोनू इस बीच आ गये तो कहेंगे कि अकेले ही शुरू हो गयी.

मैं पति का सपना भी नहीं तोड़ना चाह रही थी. फिर मैंने सर को मना कर दिया कि इतनी जल्दी भी क्या है, पूरा दिन और रात आपकी है, जब मन करे, जितना मन करे … चोद लेना.

इतने में ही सोनू भी सामान लेकर आ गये.
मैं सामान लेकर किचन में चली गयी और नाश्ते का इंतजाम किया.

फिर हमने सर को चाय पानी कराया और उसके बाद मैं खाना बनाने में व्यस्त हो गयी.

दो घंटे के अंदर मैंने खाना बनाकर उन दोनों को खिला दिया. फिर हम तीनों साथ में आ बैठे. मैं मोढ़े पर बैठी थी जबकि मेरे पति और सर सोफे पर बैठे हुए थे.

सोनू ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींचकर अपने और सर के बीच में बिठा लिया. अब मैं बीच में थी और मेरे अगल बगल मेरे दो पति थे.

आज मेरी चूत जम कर पानी छोड़ रही थी। मेरी पैंटी एकदम गीली हो गयी थी. आज उसे दो दो लन्ड जो मिलने वाले थे।

मेरे पति बहुत रोमांटिक हो रहे थे लेकिन सर उनके सामने शर्मा रहे थे। मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ कर सर के लन्ड पर रख दिया.

आशीष सर का लंड पहले से ही तना हुआ था. मैं उनके फूले हुए लंड को दबाने लगी. वो भी मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरी छातियों को दबाने लगे. मेरे बदन में चुदास भरने लगी.

सर का लंड पकड़ कर मैं पहले से ही मचल रही थी और ऊपर से सर के सख्त हाथ मेरे बोबों को भींचने में लगे हुए थे. चूत ने पानी छोड़ छोड़कर पैंटी को पूरी गीली कर दिया था.

मैंने कहा- अरे कपड़े तो बदल लेने दो?
ये सुनकर मेरे पति सर के सामने ही मेरी साड़ी खोलने लगे. मुझे बहुत सेक्सी फील हो रहा था ये सब, धड़कनें बढ़ गयी थीं। फिर भी मैंने थोड़ा बहुत शर्माने का नाटक किया लेकिन सोनू ने साड़ी खोल डाली.

अब मैं ब्लाउज और पेटीकोट में हो गयी. फिर सर के सामने ही मेरे पति मेरे ब्लॉउज़ के हुक खोलने लगे और अब मैं एक अजनबी मर्द के सामने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. इस अहसास से एक बार फिर मेरी फुद्दी ने ढेर सारा पानी उगल दिया.

मैं अपने हाथों से अपनी इज्जत ढकने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरे पति ने मेरे हाथ भी छातियों पर से हटा दिए. मैं भी एकदम निर्लज्ज होकर जिंदगी का असली मजा लेने को तैयार हो गयी।

फिर मैंने दूसरे कमरे में आकर पेटीकोट भी उतार दिया. मैंने ऊपर ब्रा पर एक टीशर्ट डाल ली और नीचे एक घाघरी डाल ली. घाघरी के नीचे मैंने जानबूझकर पैंटी नहीं पहनी ताकि सर के लंड को मेरी चूत में जाने में जरा भी देर न लगे.

तब तक मेरे पति ने बिस्तर फर्श पर ही लगा दिया था. वो जानते थे कि चुदाई घमासान होने वाली है और जगह कम नहीं पड़नी चाहिए.

हम तीनों बिस्तर पर आ गये और मैं उन दोनों के बीच में आ गयी. वो दोनों मेरे अगल बगल में लेटे थे. सर अभी भी मेरे पति के सामने कुछ करने में हिचक रहे थे.

इधर मेरी चूत में आग लगी हुई थी. पति ने खुद ही मुझे सर की ओर धकेल दिया और मुझे उनके सीने से चिपका दिया. अब सर की हिचक मिट गयी. मैं तो अब खुद ही उनके होंठों पर टूट पड़ी.

कब से मैं इन होंठों को चूसने के लिए तड़प रही थी. उनके होंठों को मुंह में भरकर मैं बेतहाशा उनका रस पीने लगी. वो भी मेरे लिपस्टिक लगे गुलाबी होंठों को चूसने लगे.

तब तक मेरे पति ने मेरी टीशर्ट को उतार दिया और मेरी ब्रा को खोलकर मेरी चूचियों को आजाद कर लिया. वो मेरी चूचियों को मसलने लगे. फिर मेरा एक दूध उन्होंने सर के मुंह में दे दिया और दूसरे को खुद पीने लगे.

मैं इस हालत में इतनी मस्त हो गयी कि दिमाग समझ ही नहीं पा रहा था कि कौन सा मर्द ज्यादा अच्छी चुसाई कर रहा है. दो दो मर्द मुझे जम कर खा रहे थे। मैं तो अपने होश खोने लगी.

उनके होंठों से हो रही सिरहन से मेरे पूरे बदन में एक सनसनी सी दौड़ रही थी। सहसा मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … आह्ह … सर … आह्ह … सोनू … अम्म … चूस लो दोनों … मिलकर चूस डालो मुझे … आह्ह … मेरे चूचे … पी जाओ इनको.

चुदाई का नशा मेरे ऊपर पूरी तरह से हावी होने लगा था और मुझे ज्यादा कुछ पता नहीं लग रहा था कि मैं क्या बड़बड़ाये जा रही हूं. दो मर्दों से एक साथ चूची चुसवाने का मेरा ये पहला अनुभव था जो मुझे पागल कर रहा था.

मैं दोनों के मुँह में चूचे ठूंस ठूंस कर अपना दूध पिला रही थी और सिसकारियां भरते हुए बड़बड़ाये जा रही थी- आह्ह … कस कर मसलो … आह्ह काट लो मेरी घुंडियों को … चूस डालो इनको, सारा रस निचोड़ लो. मैं आज तुम दोनों की रंडी हूं. रौंद डालो मेरी जवानी. बहुत तड़पी हूं मैं इस दिन के लिए. अब मुझे और मत तड़पाओ … आह्ह … मेरी जवानी की प्यास बुझा दो मेरे मर्दों … मेरी प्यास बुझा दो।

फिर सोनू ने मेरी घाघरी को उठा लिया और मेरी चूत को नंगी कर लिया. मेरी नंगी चूत से रस की धार बह रही थी जिस पर जीभ टिकाने में मेरे चोदू पति सोनू ने देर न की.

उसकी गर्म जीभ चूत पर लगते ही मैं सिसकार उठी. उसने मेरी चूत में जीभ पेल दी और दांतों से मेरी चूत के दाने को काटने लगे. मुझे करंट सा लग रहा था और बदन में झटके लग रहे थे.

दूसरी ओर सर मेरी छाती और मेरे होंठों को बारी बारी से चूस रहे थे. उनका स्तन मर्दन का अंदाज मुझे बहुत खास लग रहा था. ऐसे तो कभी सोनू ने भी मेरे स्तनों को प्यार नहीं दिया.

कब मेरा हाथ मेरे सर के लंड पर खिसक कर चला गया मुझे तो पता भी नहीं लगा. उस दिन केबिन में जब इस लंड ने मेरे हाथ को छुआ था तभी से मैं इसको हाथ में भरकर प्यार करना चाह रही थी. आज मेरा हाथ उसी मस्त लौड़े पर था.

उनकी पैंट में उनका लंड लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था. एकदम टन्न होकर खड़ा हुआ था. उसकी लम्बाई, मोटाई और तनाव भांपकर मैं जान गयी कि आज मेरे मन की सारी मुराद पूरी होने वाली है.

मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. दो दो मर्दों का ये हमला मेरे रोम रोम में वासना की आग लगा चुका था और मेरा रोम रोम सम्भोग के लिए गुहार लगा रहा था. सोनू अभी भी मस्ती में मेरी चूत को पिये जा रहे थे.

वो बीच बीच में मेरी चूत में उंगली भी कर देते थे जिससे मैं और ज्यादा तड़प जाती थी. वो जब मेरी चूत के दाने को दांतों से हल्के-हल्के काटते तो मैं लन्ड अंदर लेने को तड़प उठती. उस वक्त मुझे जो सुख मिल रहा था उसे लफ्जों में बयान करना मुमकिन ही नहीं है.

उस दिन मुझे सही मायने में अहसास हुआ कि सोनू बार बार थ्रीसम चुदाई के लिए क्यों कह रहा था? थ्रीसम चुदाई का असीम सुख मैं आज भोग रही थी.

मेरे पति ने सर का हाथ मेरी गीली चूत पर रखते हुए कहा- देखो कितनी रसदार हो रही है इनकी चूत, ये रो रही है आपके लन्ड के लिए, आज इसे इतना चोदो कि ये दोबारा हफ़्तों तक लन्ड लेने लायक न रह जाये।

अपने पति के मुँह से ये सुनकर मुझसे अब रहा नहीं गया, मैं उठ कर बैठ गयी और सर की पैंट खोलकर नीचे खींच दी. साथ ही अंडरवियर भी सरक आया था. अब जो नजारा मेरी आंखों के सामने था उसे देखकर मेरी आंखें फटी रह गयीं.

उफ़्फ़ … कितना कड़क, मोटा और लम्बा लौड़ा था सर का … सोनू के लन्ड से भी एक इंच बड़ा। सर का नंगा लन्ड मेरे सामने लहराकर ऐसे खड़ा हो गया जैसे कह रहा हो- चूत की रानी! आज तेरी सेवा अच्छे से करने वाला हूँ।

जिस लन्ड के लिए मैं इतना तरसी थी, दिन रात उसके सपने देखे थे, जिस लौड़े को सोच कर ही मेरी चड्डी गीली हो जाती थी, आज वही लन्ड मेरे पति की मेहरबानी से मेरा और सिर्फ मेरा था।

जी तो किया कि तुरन्त उसके ऊपर बैठ कर गप्प से पूरा का पूरा लौड़ा अपनी चूत में भर लूं और चूत का सारा पानी उससे सुखवा लूं. फिर सोचा कि इतनी जल्दबाज़ी ठीक नहीं. मेरे पति क्या सोचेंगे?

जबकि मेरे पति ने मुझे पहले खूब समझाया था कि सर से चुदवाते हुए ये भूल जाना कि मैं भी हूँ, जैसे-जैसे मर्जी हो वैसे ही करना और पूरा मजा लेना। फिर भी मैंने कोई जल्दबाजी करना उचित न समझा।

सोनू तो पहले से ही नंगे थे. उनके लन्ड के मुँह से भी उत्तेजना के मारे लार टपक रही थी। मैं तो आज सातवें आसमान पर उड़ रही थी. दो दो लंडों की अकेली मालकिन जो थी। मैं बीच में बैठी और दोनों लंडों को मुठियाने लगी.

आशीष सर भी कम न थे. उन्होंने मेरा सिर पकड़ा और अपने लंड पर झुका लिया. मेरा तो पहले से ही मन हो रहा था कि सर के लंड को मुंह में भर लूं और इतना चूसूं कि वो पूरा सूख जाये.

मगर यहां पर एक बात मुझे रोक रही थी. मैं अपने पति का लंड कम ही चूसा करती थी. अब यहां पर अगर मैं सर का लंड ऐसे बिना कहे चूस लेती तो पति कहते कि मेरा तो चूसती नहीं हो और सर का बहुत प्यार से चूस गयी!

अब जब सर ने ही मेरा मुंह उनके लंड पर रख दिया था तो मुझसे भी रहा नहीं गया. मैंने लंड को अपने हलक तक मुंह में भर लिया और उसकी खुशबू लेते हुए उसको मुंह में फील करने लगी.
फिर मुंह आगे पीछे चलाते हुए उनके लंड को मैंने पीना शुरू कर दिया.

इतने में उन दोनों ने बाकी बचे कपड़े भी निकाल फेंके. अब मैं घुटनों के बल बैठकर दोनों लंडों को बारी बारी से चूस रही थी.

मैं ये देख पा रही थी कि आज मेरे पति का लन्ड भी रोज की अपेक्षा ज्यादा टनटना गया था और मोटा भी हो गया था।

अब मेरे मुंह और चूत के बीच जंग छिड़ी हुई थी. मेरा मुंह कह रहा था कि दोनों लंडों को चूसता ही रहे और चूत नीचे तिलमिला रही थी कि मुझे लंड दे दो. वो जल्द से जल्द सर के लंड की ठोकर खाना चाह रही थी. चूत के होंठ जैसे सर के लंड की राह देख रहे थे.

मुझे लन्ड चूसने में बहुत मजा आ रहा था. वो दोनों खूब आह … ऊह … ओ मेरी जान.. और चूस … और चाट … जैसे शब्द कह कहकर मेरा मुंह बुरी तरह से चोद रहे थे. मेरे दूधों को मसले जा रहे थे.

मेरे पति का लंड भी कम मोटा नहीं था लेकिन सर के लंड से मेरे मुंह का गुलप्पा भर गया था. मेरा मन कर रहा था कि सर अगर मेरे मुंह में एक बार झड़ जायें तो मैं उनका सारा माल पी लूं.
आज मैं बहुत ज्यादा चुदास से भर गयी थी. इतनी चुदासी मैं जिंदगी में पहली बार हुई थी।

मेरी हालत देख कर मेरे पति ने कहा- क्या बात है … आज तो मेरी रानी पक्की छिनाल बन गयी है, आज मैं पहली बार तेरा पूरा सेक्सी रूप देख रहा हूँ.

मैंने भी तरसते हुए कहा- चोद लो मादरचोदो, मुझे जी भरकर पेल दो, मैं जितनी चाहे चिल्लाऊं लेकिन मुझे छोड़ना नहीं. जब तक मेरी चूत फट न जाये, खून से लथपथ न हो जाये और मैं बेहोश न हो जाऊं तब तक मुझे पेलते रहना.

सर ने कहा- तू चिंता मत कर … आज इस चुदाई की रात में ऐसा मजा दूंगा कि जिंदगी भर याद रखेगी और रह नहीं पाएगी मेरे लौड़े के बिना. अब मैं तेरे मुँह में माल छोड़ने वाला हूँ।

इतना बोलकर सर ने एक बार मेरे मुँह में कस कर अपनी गांड दबाई और झटका लेते हुए अपना सारा माल मेरे गले में उड़ेल दिया. मैंने अभी तक अपने पति सोनू का वीर्य नहीं पीया था. वो कई बार जिद भी कर चुके थे लेकिन मैं टाल देती थी.

मगर सर के लंड की तो मैं सारी मलाई बिना कहे ही गटक गयी. पराये मर्द के माल के लिए पता नहीं मेरे अंदर ये प्यास कैसे जाग गयी थी.

फिर सर ने मेरी चूचियों पर अपने लंड को रगड़ रगड़ कर साफ किया.
वो निढाल हो गये और एक ओर लेट गये.

मेरे पति अभी भी अपने हाथ से ही अपने लंड की मुट्ठ मारने में व्यस्त थे. मैं सर के बगल में लेट गयी. अपनी चूत को फैला कर मैंने सोनू को इशारा किया कि मुट्ठ न मारो, आकर मुझे पेल दो.

वो मेरा इशारा समझ कर बोले- नहीं मेरी जान … चुदाई का पहला हक आज हमारे घर आये मेहमान का है. पहले सर तुम्हारी चूत मारेंगे और फिर उसके बाद मैं अपनी सेक्सी चुदक्कड़ बीवी की चुदाई करूंगा.

यह कहानी लड़की की मधुर आवाज में सुनें.

इतना बोलते हुए ही सोनू के लंड से वीर्य की धार मेरे चूचों पर आकर लगने लगी. उन्होंने सारा माल मेरे स्तनों पर फैला दिया. लंड को भींच भींच कर सोनू ने उसकी हर एक बूंद मेरे स्तनों पर रगड़ दी. फिर वो भी थक कर मेरी दूसरी बगल में आ लेटे.

चुदाई की रात की स्टोरी पर अपनी राय देना न भूलें. मुझे आप सबकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहता है. इसलिए मेरी ईमेल पर अपने मैसेज जरूर भेजें.
 
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Part 4​


नंगी लेडी की मस्त चूत चुदाई की शुरूआत दो मर्दों ने लंड चुसवाकर की. मैंने दोनों लंड निचोड़ डाले. फिर उन दोनों ने मेरे साथ जो किया वो मैं कभी भूल नहीं पाऊंगी.

दोस्तो, मैं शिल्पा अपने सर और अपने पति के साथ नंगी लेडी की मस्त थ्रीसम चुदाई का अन्तिम भाग लेकर आई हूं. इस शृंखला की पहली तीन कहानियां पढ़कर आपके लंड और चूतों ने आपको खूब परेशान किया होगा. अब चौथे और अंतिम भाग में जानिये कि दो मर्दों के लंड से चुदकर मेरी नंगी चूत की परेशानी कैसे हल हुई?

नंगी लेडी की मस्त चूत चुदाई कहानी के पिछले भाग

में मैंने बताया था कि हम दोनों पति पत्नी सर को रिसीव गये. घर आते ही मैंने सर को चूसना शुरू कर दिया. फिर पति भी शामिल हो गये और उन दोनों ने मुझे नंगी कर दिया.

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मैं बारी बारी से दोनों के लंड चूसने लगी और सर ने मेरे मुंह में अपना माल पिला दिया. मेरे पति ने मेरे चूचों पर माल छोड़ा और हम तीनों थक कर लेट गये.

अब आगे नंगी लेडी की मस्त चूत चुदाई कहानी:

अब हम तीनों एकदम नंगे लेटे हुए थे. मैं सर को अपने बदन से सटाकर कसे हुए थी और एक हाथ से उनका लन्ड पकड़ रखा था. दो-दो लन्ड होते हुए भी मेरी चूत का पानी किसी ने सुखाया नहीं था.

मेरी चूत तो अभी प्यासी की प्यासी ही थी. सोनू मेरी पीठ और गांड चाट रहे थे. लगभग 15 मिनट के बाद सर का लन्ड फिर से उठने लगा।
सर बोले- अगर अपनी चूत की खुजली मिटाना चाहती है तो मुँह में ले ले … जल्दी तैयार हो जाएगा लौड़ा.

मैं एक सेकेंड का भी समय गंवाए बिना उठ बैठी और लंड को मुंह में लेकर मस्त चुसाई करने लगी. लंड को हिला हिला कर पीटने लगी. अपने होंठों पर पटकने लगी ताकि वो जल्दी से अपने चुदाई वाले आकार में आ जाये.

5 मिनट की लगातार चुसाई में ही लंड ने पहले वाला रूप ले लिया.

अब मेरी चूत की बर्दाश्त करने की क्षमता भी खत्म हो गयी थी. मैं तुरंत सर के लंड के ऊपर बैठ गयी. मेरी चूत जो पिछले एक घंटे से लगातार पानी छोड़ रही थी उसने गप्प से सर के आधे लंड को अंदर ले लिया.

सर का लंड सोनू के लंड से ज्यादा लम्बा और मोटा था. मुझे लंड लेने में दर्द तो हुआ लेकिन उसके आगे जो मजा आने वाला था उसको सोचकर मैं सारा दर्द बर्दाश्त कर गयी. थोड़ी देर ऊपर नीचे होने के बाद मेरी चूत का सारा दर्द गायब हो गया.

मुझे अब लंड को और अंदर लेने का मन करने लगा और मैंने दबाव डालकर पूरा लंड अपनी चूत में घुसड़वा लिया. नंगी चूत की चुदाई में मुझे जन्नत का सा मजा आने लगा. उस प्यारे से सख्त लौड़े के लिए मेरी चूत ने अपने अंदर पूरी जगह बना ली.

अब मैं सर के ऊपर बैठकर उनको गपागप ताबड़तोड़ तरीके से चोदे जा रही थी. उधर मेरे पति ने अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया था और मैं मस्ती में उसके लंड को पिये जा रही थी. सच कहूं तो उस दिन मुझे चुदाई का असली मजा आ रहा था.

पांडेय सर कभी मेरी मस्त चूचियों को हाथ से मसलते तो कभी मेरी घुंडियों को मुंह में भरकर दांत से काट लेते. मुझे बहुत मजा दे रहे थे वो. शादी के बाद पहली बार किसी पराये मर्द का सुख भोग रही थी.

अपने चूतड़ उठाकर जब मैं पूरी ताकत से सर के लंड पर पटकती तो चट्ट … चट्ट … फट्ट … फट्ट की जो आवाज हो रही थी वो और ज्यादा सेक्स को बढ़ा रही थी.

बच्चेदानी में लन्ड की ठोकर बार बार लग रही थी और हर बार मेरा पूरा शरीर मदहोशी से ऐंठ रहा था. चुदाई के नशे में मुझे ये भी होश न रहा की मैं क्या बोल रही हूं. सेक्स के नशे में मेरी आवाज भी सेक्सी हो रही थी.

मैं सिसियाते हुए जो मुँह में आ रहा था, बके जा रही थी- फाड़ डालो सालों मेरी चूत को … आज खून निकाले बिना न छोड़ना … मेरे मुंह में, मेरी गांड में … मेरे शरीर में जितने छेद हैं सब में भर दो अपने लन्ड. मेरी बच्चेदानी फाड़ डालो … और भी दो-एक दोस्तों को बुला लो अपने।

सर भी नीचे से अपनी गांड उचका-उचका कर अपना लन्ड और गहराई में घुसाने की कोशिश कर रहे थे और बोल रहे थे- आह्ह … स्साली … आज रंडी बना कर चोदूँगा तुझे … आज से तुझे अपनी रखैल बना लूंगा और रोज पेलूँगा तेरी चूत में अपना लन्ड. तेरे पति के सामने कुतिया बना कर चोदूंगा तुझे … तेरी चूत में मेरी बीवी की चूत से कई गुना ज्यादा मजा है. आज तेरी चूत का भोसड़ा बना कर ही दम लूंगा मैं!

इतने में ही मेरे पति बोले- आज ये मेरी बीवी नहीं, हम दोनों की रंडी है।
अब मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही उन्होंने मेरे मुंह में अपना लंड पेल दिया जो मेरे हलक में फंस गया.

मैं पांडेय सर के लन्ड पर उछल-उछल कर अपने मन के मुताबिक चुदाई का आनंद ले रही थी। मदहोशी से भरी मेरी सिसकारियों से कमरा गूंज रहा था. शायद आवाज़ बाहर तक भी जा रही हो लेकिन आज मैं खूब चिल्ला चिल्ला कर चुदना चाह रही थी।

लगभग आधे घण्टे मेरी चूत और सर के लन्ड की लड़ाई के बाद अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरा पूरा बदन ऐंठने लगा. शरीर में अजीब सी मस्ती छा गयी और कमरे में तेज-तेज सांसों का तूफान सा आ गया.

फिर मैंने सर के मस्त फूले हुए लौड़े को अपनी चूतमें खूब अंदर तक पेल लिया और उनकी झांटों से अपनी चिकनी चूतरगड़ते हुए झड़ गयी. मैं एकदम ढीली होकर उनकी छाती से चिपक गयी।

कुछ देर के लिए हम दोनों शांत हो गए लेकिन सर का लन्ड तो अभी ज्यों का त्यों टनटनाया हुआ था. अब उनको कैसे सब्र हो? उन्होंने फिर हरकत करना शुरू किया और धीरे-धीरे पेलने लगे.

मैं फिर उठकर उनके लन्ड पर बैठ चुकी थी. मुझे गोदी में लिये सर मेरी एक चूची को पी रहे थे और दूसरी को सोनू दबा दबा कर पी रहे थे. नीचे से सर का लन्ड भी शरारत कर रहा था.

अब मुझे फिर मस्ती छाने लगी और मैं सर की गोदी में ही बैठी बैठी उनसे कस कर लिपट गयी. मैं गांड को उचका-उचका कर चुदने लगी. पति के लंड को मैं कुछ देर के लिए भूल ही गयी थी.

मैंने फिर से मुंह खोलकर उनको इशारा किया कि मेरे मुंह में लंड दे दो.
मेरे इशारे पर वो पास आये और मेरे मुंह में अपना लंड भर दिया. मैं मस्त सिसकारियों के साथ अपने पति का लंड चूसने लगी.

सर के लंड पर मैं चूतड़ पटक पटक कर चुद रही थी. पराये मर्द से चुदवाने में सच में बहुत ही ज्यादा मजा है. ये मजा और दोगुना हो जाता है जब खुद का पति भी सामने हो और वो लाइव चुदाई देख रहा हो और साथ में चोद भी रहा हो.

“मैं अपने पति के सामने किसी गैर मर्द से चुदवा रही हूँ” … हर बार ये सोच कर बहुत जोर का जोश मुझे चढ़ जाता था और मैं बार-बार गर्म हो रही थी. मेरी गर्मी को सर का लंड हर बार ठंडा कर रहा था.

सच में दोस्तो, उस दिन मुझे पता चला कि नंगी लेडी की मस्त चूत को गैर मर्द से चुदवाने का अहसास, मजा और जोश कुछ अलग ही होता है, जो पति की चुदाई से बहुत ज्यादा मजेदार और चुदाई के नशे से पागल कर देने वाला होता है।

फिर पांडेय सर जैसा मर्द हो तो बात ही क्या है! सर ने उत्तेजना के मारे मेरे गालों और छाती पर दांत से काट काट कर कई जगह निशान बना दिये और मैंने भी जोश में उनकी पीठ पर कई बार अपने नाखून चुभा दिए।

अब तक मैं 2 बार झड़ चुकी थी. फिर भी उनके लन्ड से जी नहीं भरा था, लेकिन अब सर ने मुझे लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गए. लन्ड से अलग होने के लिए चूतराजी नहीं थी तो चूत में पेले पेले ही वो ऊपर आ गए और मैं लेट गयी।

अब उनकी बारी थी और वो अपनी पूरी मर्दानगी दिखाने लगे. क्या बताऊँ दोस्तो, क्या मस्त हुमक हुमक के चोदते हैं पांडेय सर … जब अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर सट्ट से पूरी ताकत से अंदर पेलते तो मैं चिहुंक उठती.

उत्तेजना के मारे उधर मेरी बच्चेदानी का मुँह सर का लौड़ा अंदर लेने के लिए खुलता, तो इधर मेरा भी मुँह खुल जाता.

मैं उन्हें अपनी बांहों में कस कर भींच लेती और चिल्ला उठती- मैं तो पागल हो गयी … आह्ह … ऊह्ह … मम्मी रे … मर गयी … हाय दईया … चोद ले साले … चोद मादरचोद … और कस कर पेल अपना लन्ड मेरी भोसड़ी में … बच्चेदानी में घुसेड़ दे सीधा। आज अगर खून न निकला तो तुम दोनों मर्द के बच्चे नहीं हो … फाड़ डालो स्साली बुरिया को … तुम दोनों एक साथ अपने लन्ड क्यों नहीं पेल देते मेरी भोसड़ी में? आह्ह … एक साथ पेल दो मेरे चुदासे राजाओं … ये चूतबहुत दिन से तुम दोनों के लन्ड एक साथ लेने को तरस रही थी … आह्ह … हाय रे … चोदो … मुझे चोदो।”

ये सब बोल बोल कर न जाने कितनी बार मेरी चूत पानी छोड़ चुकी थी। कमरे में हम तीनों की तेज तेज़ सांसों का और मेरी सिसकारियों का तूफान फिर पैदा हो गया था।

उधर सोनू का भी बुरा हाल था लेकिन मुझे सर के लन्ड से जो मजा आ रहा था वो सोनू के लन्ड में कहाँ … पति का लंड तो जिंदगी भर के लिए मेरा ही था … फिर जब सर से फुर्सत मिले तभी तो सोनू का लन्ड लूं?

मैं उस चुदाई के नशे में सच में ये भूल गयी थी कि मैं अपने पति के साथ हूँ और बस बके जा रही थी- प्लीज सर … हाथ जोड़ती हूँ … मुझे रोज ऐसे ही आकर चोदना, अपनी रंडी बना लो मुझे … बताओ ये मजा मुझे रोज दोगे कि नहीं राजा जी? आओगे न मुझे रोज चोदने?

लगभग 20 मिनट की धुंआधार पेलाई के बाद मेरी चूत भी दर्द करने लगी और सर बहुत जोर जोर से पूरी ताकत लगाते हुए मेरी टांगें फैला फैलाकर लन्ड पेलने लगे.

मुझे लगा कि वो अब छूटने वाले हैं. मैंने उन्हें कस कर पकड़ लिया.

अपनी चूत को ऊपर उठा उठा कर मैं लंड को पूरी गहराई तक चूत में लेने लगी. अब मैं खुद ही उनके लंड को बच्चेदानी में घुसाने की कोशिश करने लगी. फिर सर के धक्के और ज्यादा तेज हो गये. मेरा रोम रोम प्रफुल्लित हो उठा सर की जोरदार चुदाई से।

फिर लगभग 5 मिनट बहुत तेज चुदाई करने के बाद सर ने मेरी चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया. हाय रे … कितना सुख दे रहा था मुझे वो उनका झटका ले लेकर झड़ना!

वो मेरे सीने से कस कर चिपक गए और सांसें बहुत तेज हो गयीं। उनका लन्ड सीधा मेरी बच्चेदानी में ठोकर मार रहा था. मेरे पूरे शरीर में न जाने क्या क्या हो रहा था.

हाय रे … मैं सच में जन्नत की सैर कर रही थी … जी कर रहा था कि बस वो ऐसे मुझे चोदते रहें और मैं जिंदगी भर ऐसे ही चुदवाती रहूँ। उनकी गर्म गर्म सांसें मेरे मुँह में गयीं तो मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी और उनके साथ फिर एक बार झड़ गयी।

झड़ने के बाद पांडेय सर निढाल होकर लेट गए. नंगी लेडी की मस्त चूत भी सूज गयी थी.
चुदाई से मेरा दिल भी भर गया था लेकिन मेरे पति कहाँ मानने वाले थे. उन्होंने मुझे तुरन्त घोड़ी बनाया और पेल दिया लौड़ा.

मैं सिसिया उठी लेकिन उन पर कोई असर नही पड़ा. वो थोड़ी देर पहले मुझे सर के लंड से रंडी की तरह चुदते हुए देख चुके थे. पहले सर से चुदवाने वाली उनकी कसम भी भी पूरी हो गयी थी।

मेरी गीली चूत में मस्त लौड़ा फिर अंदर बाहर होने लगा और वो ऊपर-नीचे, आगे-पीछे होकर मेरी चूत मारने लगे।

मैं फिर जोश में भर गई और झुके झुके ही सर का मुरझाया हुआ लन्ड मुँह में भर कर मस्त लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

लेकिन ये क्या … सर के लन्ड में फिर खून का प्रेशर भरने लगा और वो मेरे मुँह में ही बड़ा होने लगा। मैंने सर की तरफ बड़ी हसरत भरी निगाह से देखा जैसे मैं कहना चाह रही हूं- फिर यही चाहिए मुझे!

सर मेरी आँखों की बात समझ भी गए और बोले- अब तेरी गांड की बारी है।
मेरे तो प्राण निकल गए ये सुनकर क्योंकि मैंने तो कभी अपने पति सोनू से भी गांड नहीं मरवाई थी।

फिर सोचा कि अगर सर का लंड गांड में घुस गया तो फिर चुदवा लूंगी. मैं उनसे ये वादा भी कर चुकी थी कि अगर घुसा पाये तो गांड चुदाई करवा लूंगी.

सर ने सोनू को इशारा किया तो वो लेट गए और मैं उनके मुँह की तरफ मुँह करके लन्ड पर बैठ गयी. मेरे पति ने मेरी पीठ पर अपने दोनों हाथ कस कर मुझे अपने सीने से चिपका लिया।

उधर सर ने पीछे की पोजीशन ले ली और अलमारी पर से नारियल का तेल उठा कर ढेर सारा अपने लन्ड पर लगाने लगे. फिर काफी सारा तेल मेरी गांड के छेद में उड़ेल दिया. फिर अपना सुपारा मेरी गांड के छेद पर टिका दिया.

मेरी धड़कन बहुत तेज हो गयी थी. पहली बार मैं गांड में लंड लेने वाली थी.

सर ने एक धक्का दिया मैं जोर से चीखी- आईई मां … फट गयी … ईईईई … आईई .. मर गयी रे … आईई … उफ्फ … निकालो सर … आह्ह मर गयी।
ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी गांड में लोहे की गर्म रॉड डाल दी हो.

फिर वो मेरे गोरे गोरे चूतड़ों को सहलाने लगे और बोले- बस … अब सब ठीक हो जायेगा.

यकीनन तौर पर थोड़ी देर बाद सब कुछ धीरे धीरे शांत पड़ने लगा. फिर मैं ही थोड़ी हिलने लगी.
मुझे अच्छा सा लगा तो मैंने आगे पीछे होकर अपनी गांड में सर का लंड लेना शुरू किया.

सर भी मस्त तरीके से गांड में लंड को हिलाने लगे. कुछ ही पल बाद वो मेरी मस्त गांड मारने लगे.

अब नीचे से मेरी चूत में मेरे पति का लंड था और पीछे मेरी गांड में सर का लंड घुसा हुआ था. मेरी एक चूची मेरे पति के मुंह में थी और दूसरी चूची सर के हाथ में।

आह्ह … दोस्तो, सच में क्या मजा मिल रहा था. मैं सच कहूं तो उस दिन लगा कि गांड मरवाने में भी चूत मरवाने से कम मजा नहीं है. मेरे दोनों छेद में ही लंड थे और दोनों में ही बराबर का मजा मिल रहा था.

लड़की की मीठी आवाज में यह कहानी सुनें.

लगभग आधे घंटे तक वो दोनों मेरी चूत और गांड मारते रहे. फिर मुझे चोदते हुए दोनों ही अपनी अपनी जगह पर झड़ गये.

मैं इतनी मदहोश हो चुकी थी कि मेरा शरीर मेरे वश में नहीं था. मैं लगभग बेहोश सी होकर अपने पति के सीने पर गिर गयी.

मेरी चूत और मेरी गांड दोनों से ही खून और वीर्य का मिश्रण निकल रहा था. मेरी चूत और गांड सच में फट गयी थी. मगर चुदाई का जो मजा उस दिन मुझे मिला उसके अहसास को शब्दों में बता पाना मुश्किल है.

दोस्तो, मैं सच कह रही हूं कि जब तक नंगी लेडी की मस्त चूत और गांड से खून न निकले तब तक चुदाई का असली मजा नहीं है. उस दिन मेरी चुदाई चलते हुए शाम के 6 बज गये थे.

लगभग पांच घंटे की चुदाई के खेल के बाद मेरा जिस्म एकदम से हल्का हो गया था. सारी चुदास शांत हो गयी थी लेकिन रग रग दुखने लगी थी. उस दिन जो संतुष्टि मिली वो जिन्दगी में पहली बार मिली थी.

मगर कहते हैं कि मनचाहा लंड मिल जाये तो चूत और मन दोनों ही ज्यादा देर तक शांत नहीं रह सकते. मैंने भी उस दिन सर को वापस जाने ही नहीं दिया. सारी रात उनसे चुदना चाहती थी.

उसके बाद फिर सर के साथ मेरी चुदाई में मैंने क्या क्या मजे किये और सर ने कितनी बार मेरी चूत और गांड का बाजा बजाया वो मैं आपको अपनी किसी और कहानी में बताऊंगी.

आपको जानकर हैरानी होगी कि उस रात मैंने सर को धोखे से सेक्स की गोली खिला दी. फिर उन्होंने मेरी जिस तरह से चुदाई की वो मैं कभी भूल नहीं पाई. उस कहानी को भी जल्दी लेकर आऊंगी.

इतना ही नहीं, मैंने और मेरे पति सोनू ने मिल कर कैसे सर की इज्जत लूटी वो वाकया भी बड़ा मजेदार है. ये सब किस्से मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगी.

तब तक के लिए आपसे विदा लेती हूं. आशा करती हूं कि मेरे थ्रीसम सेक्स को फील करके आप सबके लौड़ों और चूतों ने पानी फेंक दिया होगा और प्यासी चूतों ने सोनू और पांडेय सर को ढूंढना शुरू कर दिया होगा.

नंगी लेडी की मस्त चूत चुदाई कहानी पर आपकी प्रतिक्रियाओं इंतजार करूंगी. अपने संदेश और कमेंट्स मुझ तक जरूर पहुंचायें. आपकी अपनी चुदासी शिल्पा भाभी की प्यासी चूत का प्यार भरा नमस्कार।
 
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