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Hindi - हिन्दी Audio Story फैशन शो में नग्न परेड के बाद चुदाई (Part 1&2)

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Part 1​

बिकिनी गर्ल न्यूड वाक का मजा ले गया मेरा पड़ोसी दोस्त जिससे मैंने जोश जोश में शर्त लगा ली थी. उसने मुझे सिर्फ चड्डी में चल कर दिखाया तो मुझे भी …

सभी पाठकों को प्रणाम.
मेरी पहली कहानी
और मेरी ले ली गयी
के उपरांत आप लोगों के रेस्पांस और आग्रह के कारण ये मेरी दूसरी कहानी आप लोगों के लिए प्रस्तुत है.
आपको यह अनुभव कैसा लगा, कमेंट सेक्शन में लिख कर ज़रूर बताएं.

यह कहानी सुनें.

Audio Story​

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यह बिकिनी गर्ल न्यूड वाक तब की बात है, जब मैं 12वीं क्लास में थी. यह वो समय होता है जब लड़के भोंदू और गोलू से हैंडसम होने लगते हैं और लड़कियां क्यूट और स्वीट से सेक्सी.
लड़कियों के बीच लड़कों की बातें होने लगती हैं.

हमारे ग्रुप में भी कुछ ऐसा ही था. सबकी रुचि लड़कों में बढ़ गई थी.
किसी किसी का तो चक्कर भी चल रहा था और जब वो कभी बताती थी कि लड़के ने उनको टच किया तो पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती थी.

मैं और मेरी बेस्ट फ्रेंड प्रिया भी यही सोच रहे थे कि कोई हमें भी टच करे.

वो बोली- तेरे तो घर में ही है मस्त आइटम!
मैंने कहा- कौन वो राहुल? कुछ भी बोलती है तू!

पहले मैं राहुल के बारे में बता दूँ. वो हमारे मकान मालिक का लड़का है. ग्राउंड फ्लोर पर वो लोग रहते हैं … और फर्स्ट फ्लोर पर हम लोग.
हम लोग एक ही क्लास में होने की वजह से दोस्त भी हैं और पढ़ाई भी साथ में होती है.

एक दूसरे के साथ हम बहुत खुले हुए थे लेकिन ऐसा कभी सोचा नहीं था.
पर आज उसने सोचने पर मजबूर कर दिया.

‘जिस लड़के के पीछे इतनी लड़कियां मरी जा रही हैं, तू उसे कुछ भी बोल रही है?’
प्रिया की यही सब बातों का नतीजा यह निकला कि मैंने और राहुल ने रात में साथ पढ़ने का समय भी बढ़ा दिया था. क्योंकि दिन में ज्यादा समय अब मिलता ही नहीं था. रात में कभी वो मेरे यहां कभी मैं उसके यहां!

अक्सर सबके सो जाने के बाद तक पढ़ाई चलती रहती थी.
एक रात को उसके यहां ही पढ़ना था क्योंकि उसके घर पर कोई नहीं था, सब दूसरे शहर गए थे.

रात में हमारे घर पर ही उसका खाना हुआ.
उसके बाद मम्मी ने कहा- नीचे जाकर ही पढ़ लो, वहां कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा.
मैंने राहुल से कहा- तुम चलो, मैं थोड़ी देर में आती हूं.

थोड़ी देर बाद जब मैं वहां पहुंची तो जनाब पढ़ने के बजाय फैशन शो देख रहे थे.

मैंने कहा- तुम्हारी ये पढ़ाई चल रही है?
वो बोला- पढ़ाई तो रोज़ ही चलती है, आज कुछ मजे करते हैं.

मैंने कहा- तो ये नंगी लड़कियां देखकर मजे करने वाले हो?
“नंगी कहां हैं यार … कपड़ों में तो हैं!”

“ये ज़रा जरा सी ब्रा और पैंटी, इनको कपड़े कह रहे हो?”
वो मेरी आंखों में देखने लगा.

‘ये तो बेशर्म हैं ही, तुम भी वही बन जाओ.’
‘इसमें बेशर्म वाली कौन सी बात है, किसी के पास कुछ अच्छा है, तो दिखा रही है.’

‘अच्छा है … तो दिखाने की क्या जरूरत है … रखे अपने पास?’
‘किसी फूल में खुशबू बहुत अच्छी है और कोई उसको सूंघे ही नहीं, तो पता कैसे चलेगा कि कैसी खुशबू है?’

अब मैं एक पल को चुप हो गई.

‘कोई चीज अगर अच्छी है तो लोगों को पता भी चलना चाहिए और उसकी तारीफ़ भी होनी चाहिए. इनका फिगर अगर इतना अच्छा है तो दिखाने में बुराई क्या है?’
‘इतना ही अच्छा है तो तुम क्यों नहीं दिखाते?’

‘पर हमको देखने का किसे शौक है. आप दिखाएं तो कुछ और बात हो.’
‘पहले आप … हमने कहा क्योंकि हमको पता था कि बोलने में तो सब आगे रहते हैं, पर जब खुद को करना पड़ता है तो किसी की हिम्मत नहीं पड़ती.’

उसने कहा- ठीक है, पर अगला नंबर आपका है. रैम्प वॉक के लिए तैयार हो जाइए.
मैंने कहा- पहले आप तो करें जनाब!

वो अन्दर स्टडी रूम में चला गया और मैं बाहर ही ड्रॉइंग रूम में रुकी रही. वो फैशन शो देखते हुए, जिसमें लड़कियां बीच बीच में टॉपलेस भी आ जाती थीं.

मुझे पता था कि थोड़ी देर में वो वैसे ही वापस आ जाएगा.
हालांकि कपड़े उतार कर लड़की के सामने आना उसके बस की बात नहीं थी.

मैं थोड़ी देर इंतजार करती रही … और वो सिर्फ बनियान और चड्डी में वापस आ गया.

मुझे तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हुआ.
मस्त नज़ारा था.

फिर भी मैंने कहा- ये बनियान में क्या है तुम्हारे पास छुपाने के लिए?
उसने पूछा- क्या मतलब?

‘मतलब बनियान हटाओ तभी तो लगेगा कुछ दिखाया है.’
उसने बिना कुछ सोचे बनियान उतार दी.

अब मैं क्या बोलती, मैं तो बस उसे देखती ही रह गई.
आंखें खुली की खुली रह गईं.

वो सिर्फ चड्डी में खड़ा था और इधर उधर टहल रहा था.

मैंने शर्म के मारे मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.
उसने कहा- अब क्या हुआ. अब क्यों मुँह घुमा लिया. तुमको ही तो देखना था ना. जो देखना है देख लो क्योंकि अब तुम्हारी बारी है.

ये सुनते ही मेरी तो हालत खराब हो गई.

अब वो मुस्करा रहा था और मैं परेशान स्टडी रूम की तरफ जा रही थी.
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. क्या पहने रहूँ और क्या उतार दूँ.

बड़ी मुश्किल से टी-शर्ट और लोअर उतारा और चल पड़ी रैम्प वॉक के लिए.
वहां घुसते ही ऐसा लगा कि दोस्त की आंखें लाज और शर्म के बजाय आज वासना को समेटे हुई थीं.

उसकी आंखें अब हर जगह देख रही थीं, जहां कभी भूले से भी नजर ना पड़ी थी. उस ब्रा और पैन्टी में चलते हुए मुझे ऐसा लग रहा था मानो कुछ पहना ही ना हो.
अचानक उसने बोला- मैडम, ये तो बेईमानी है. हमारी बनियान उतरवा दी और अपनी ब्रा को अभी भी कलेजे से लगाए हो.

उसको कलेजे से हटाने की हिम्मत तो मुझमें थी नहीं. मैं तो बस जल्दी से जल्दी वहां से निकालना चाह रही थी.
‘इतना ही काफी है.’ बोलकर मैं वहां से बाहर निकली और अपने कपड़े वापस पहन कर ऊपर अपने घर भाग गई.

अगले दिन जब प्रिया को सब बताया तो वो तो साली जैसे मजे ले रही थी.
वो बोली- कितना सही मौका था यार, मैं तेरी जगह होती तो ब्रा क्या, पैंटी भी हटा कर जाती!

मैंने कहा- बोलना आसान है. जब लड़का खुद केवल चड्डी में बैठा हो और बेशर्म की तरह वहीं हाथ रखे हो तो सारी हवा निकल जाती है.
उसने तपाक से दोबारा पूछा- तो हाथ कहां था उसका?

मैंने कहा- चड्डी पे.
‘और उसके नीचे क्या पकड़े था बता ना साली.’

‘अरे वही होगा जो लड़कों के पास होता है और क्या?’
‘मतलब वो अपना लंड पकड़ कर बैठा था और तू उसके सामने आधी नंगी घूम रही थी?’

‘अरे ऐसा नहीं था, मैं बस वो वॉक करके वहां से निकल गई.’
उसने कहा- अरे ऐसा मौका कभी कभी ही मिलता है और तूने गंवा दिया.

‘तो और क्या करती?’
वो मुस्करा कर बोली- अरे उसके हाथ की जगह अपना हाथ रख देती.
‘हट पागल.’

तभी राहुल वहां आ गया.
वो बोला- अगली बार आपकी बारी है.
प्रिया ने अनजान बनते हुए पूछा- कैसी बारी?

उसने कहा- इन्हीं से पूछ लीजिएगा.
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- वो कल कुछ पढ़ाई का रह गया था.

राहुल बिना कुछ बोले मुस्करा कर वहां से चला गया.
प्रिया आंख मार कर बोली- पता है क्या पढ़ रही है तू आजकल … और रात में क्या पढ़ कर आयी है … और अगली बार ये पढ़ाई पूरी करके आना, बीच में छोड़े बिना.

अगली बार पता नहीं कब आना था क्योंकि ऐसे मौके रोज रोज नहीं मिलते थे, पर उसको सोच सोच कर ही मेरा हाल बुरा था.

उस पर प्रिया कुछ ज्यादा ही एक्साइटेड थी और चुहलबाजी का कोई मौका छोड़ती नहीं थी.

दिन बीतते गए और सब कुछ नॉर्मल होता गया.
कुछ समय बाद फिर से ऐसा मौका आ गया, जब उसके घर में कोई भी नहीं था.

वो स्कूल में ही कहता हुआ गया कि आज आपकी बारी है.
राहुल तो चला गया लेकिन प्रिया ने पूछा कैसी बारी?

मेरी तो जान ही सूख गई ये बताने में कि आज उसके घर में कोई नहीं है. उसने भी अंधेरे में तीर मारते हुए कहा- वाह आज तो मज़े हैं तेरे!
मैंने कहा- कैसे मजे?

उसने कहा- अब बन मत … आज तो सब दिखा डाल और देख भी ले, नखरे मत कर … ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा.
मैं मुस्कुरा दी.

‘और पिछली बार की तरह ऐसे ही मत चली जाना. थोड़ा तैयार होके अच्छे से जाना. मैं शाम को आती हूं तेरे पास!’
मेरे दिल की धड़कनें अब बढ़ चुकी थीं पता नहीं क्या होने वाला था.
लड़का कुछ करे ना करे, ये लड़की मुझे नंगा करवा देगी.

वो शाम को मेरे घर पर आ धमकी. पता नहीं कौन से शो की तैयारी करवा रही थी.
पहले पूरा वैक्स किया गया. हर अनचाही जगह के बाल हटाए गए.
हां हां वहां से भी.

वो मेरे लिए एक स्टाइलिश ब्रा पैंटी का सैट भी लायी थी.
ब्रा तो फिर भी ठीक थी, पर पैंटी में तो कुछ था ही नहीं. पीछे से सिर्फ एक डोरी जो चूतड़ों के बीच में गुम जाती थी. मतलब पीछे से देखो तो पूरे चूतड़ नजर आते थे.

और आगे से भी इतनी छोटी कि बस वही जगह छुपी थी.
उसे पहन कर तो उसमें से झांटें भी बाहर झांक रही थीं, जिसको उसने पूरा साफ़ करवाया.

मैंने कहा- मैं ये इतनी छोटी पहन कर उसके सामने नहीं जा सकती.
वो हंस कर बोली- पता है मुझे, तू सब उतार कर जाने वाली है. पर यहां से पहन कर यही जाने वाली है. अब जरा एक बार चल कर तो दिखा सब उतार के.

और उसने कई बार वहीं रिहर्स करवाया … और बेस्ट ऑफ लक बोल कर निकल ली.

मुझे लग रहा था कि कहीं मम्मी को कुछ पता ना चल जाए. कोई मेकअप किए बिना भी सब चमक रहा था इसलिए और कुछ नहीं कर सकते थे.
लिपस्टिक काजल वगैरह पेंसिल बॉक्स में रख लिया था कि मौका मिला तो वहीं लगा लेंगे.

बाकी का समय कट नहीं रहा था.
किसी तरह समय आ ही गया और मैं उसके सामने.

वो आराम से आज भी कुछ वैसा ही देख रहा था.
मुझको देख कर तो जैसे उसकी आंखों में चमक आ गई.

उसने सवालिया अंदाज में कहा- तैयार?
मैंने कहा- किसलिए?

उसने कहा- अपनी बची हुई वॉक के लिए बिना ब्रा और पैंटी के.
‘पागल हो गए हो?’

‘ये तो बेईमानी है. मेरा तो सब उतरवा लिया और अपनी बारी में मुकर गई.’
‘मुकर नहीं गई, लेकिन बिना ब्रा पैंटी के तो ना हो पाएगा.’

‘तो ठीक है ब्रा तो उतार कर करो, कम से कम कुछ तो वादा पूरा करो.’

मैं बिना कुछ बोले ही उसके सामने से उठ कर बाहर चली गई, लिपस्टिक काजल वगैरह लगाया.
कपड़े उतारे और ब्रा को अनहुक करके जैसे ही हटाया, हिम्मत जवाब देने लगी.

ब्रा को वापस पहना और ऐसे ही जाने का फैसला किया.
जैसे ही वापस अन्दर पहुंची वो एकटक देखता ही रह गया.

आज भी केवल ब्रा पैंटी ही थी पर आज का लुक एकदम अलग था.
उसमें कुछ छुप भी नहीं रहा था. ब्रा से आधी चूचियां बाहर छलक रही थीं.

सच में इतनी छोटी ब्रा मैंने आज तक नहीं पहनी थी और पैंटी तो ऐसा लगा रहा था कि पहनी ही नहीं है.
फिर भी उसने ब्रा हटाने की मांग तो रख ही दी.
मुझे लगा आज तो हिम्मत करनी ही पड़ेगी.

पीछे मुड़ी और ब्रा को अनहुक करके धीरे से कंधों से नीचे सरकाया, तब याद आया कि पीछे का नज़ारा तो और भी संगीन है.
पैंटी के नाम पर पीछे तो कुछ है ही नहीं.
पर अब क्या हो सकता है चूतड़ों की नुमाईश तो हो चुकी थी और ये ब्रा हाथ में थी.

अब कुछ हो नहीं सकता था … तो उसे नीचे गिरा दिया.
अपने दोनों हाथ अपनी निर्वस्त्र हो चुकी चूचियों पर रखकर वापस उसकी तरफ मुड़ी.

उसकी आंखों में जैसे चमक आ चुकी थी.
उसने कहा- हाथ तो हटाओ.
मैंने ना में सिर हिलाया और बिकिनी गर्ल ने वॉक स्टार्ट की.

देखने के लिए कुछ बचा तो था नहीं वो पैंटी के नाम पर ज़रा सा कपड़े का टुकड़ा मेरी इज्जत का रखवाला बना हुआ था.

नीचे वो पैंटी और ऊपर हाथ से चूचियों को ढके मैंने उसकी तरफ बढ़ना शुरू किया.
उसके पास पहुंच कर स्टाइल से खड़ी हो गई.
ऊपर से मेरा बिंदासपन दिख रहा था और अन्दर से गांड फटी हुई ही कि अब ये क्या करेगा आ कहेगा.

अगले भाग में मिलती हूँ कि बिकिनी गर्ल न्यूड वाक सेक्स कहानी में आगे क्या हुआ. आप कमेन्ट करके जरूर बताएं.
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बिकिनी गर्ल न्यूड वाक कहानी का अगला भाग:
 
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Part 2​

पहली चुदाई न्यूड गर्ल की हुई पड़ोस के जवान लड़के से! एक दूसरे के सामने कपड़े उतार कर रैंप वाक करने के चक्कर में मेरी कुंवारी बुर चुद गयी यार!

हैलो फ्रेंड्स, मैं आपको अपनी पहली चुदाई की कहानी में बता रही थी कि क्या हुआ.
कहानी के पहले भाग
फैशन शो में नग्न परेड
में अब तक आपने पढ़ा था कि राहुल के सामने मैं कैटवाक करती हुई लगभग नंगी खड़ी थी.
मेरी गांड फटी हुई थी, तब भी खुद को किसी तरह से संयत किए हुई थी.

अब आगे पहली चुदाई न्यूड गर्ल:

यह कहानी सुनें.

Audio Story​

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उसने पीछे हाथ ले जा कर मेरे चूतड़ों को सहलाया और कहा- मस्त है तू तो!
उसके हाथ लगाते ही मैं तो जाने कहां पहुंच गई.

तभी अचानक उसने दोनों हाथों से मेरी पैंटी को नीचे जांघों तक सरका दिया और वहां देख कर बोला- वाह एकदम चिकनी चमेली.
मेरी तो समझ में ही नहीं आया कि क्या करना है.

मैं पीछे मुड़ गई पर मुझे लग रहा था कि पैंटी नीचे स्लिप हो रही है इसलिए पैरों के बीच में गैप बढ़ा दिया ताकि पैंटी नीचे ना गिरे.

पर अचानक उसने अपनी एक उंगली वहां टांगों के बीच रख दी और बोला- ये तो जबरदस्त गीली हो रही है.
मैं हडबड़ा कर पैर मिला कर सीधी खड़ी हो गई पर इस सब में पैंटी कदमों में ढेर हो गई.

जो मैं नहीं चाहती थी, वही हो गया.
मैं निपट नंगी हो गई थी.

पैंटी उठाने के लिए झुकने का मतलब था पीछे से बुर के दर्शन सुलभ कर देना और ना उठाने का मतलब ऐसे ही नंगी खड़ी रहना.

फिर सोचा कि तू ऐसे ही होने तो आयी थी, तो कर डाल एक वॉक ऐसे ही.
मैं पीछे उसकी तरफ मुड़ी.

उसकी आंखें अब मेरी टांगों के जोड़ पर थीं, जहां पर चिकनी बुर की शुरूआत की पर्याप्त झलक मिल रही थी.
सारी रिहर्सल याद आ गयी जो प्रिया ने करवाई थी.

मैंने हाथ भी किसी तरह हटाए चूचियों से … और पूरी नंगी ही उसकी तरफ चल दी.
उसकी आंखें ऊपर से नीचे तक हर हिस्से की नाप-जोख में लगी थीं और मेरे निप्पल तन कर उसके सामने खड़े हुए थे.
उसकी आंखें कभी मस्त चूचियों को निहारतीं, कभी चिकने बदन पर फिसलती हुई नीचे आ पहुंचतीं.

मेरा हाथ बार बार उसे छुपाने के लिए टांगों के बीच पहुंच रहा था पर मैं कंट्रोल कर रही थी.

मैंने कहा- देख लिया, मैं भी कर सकती हूँ ये सब … और तुमसे ज़्यादा!
इतना सुनना था कि उसने कहा- मैं भी कर सकता हूँ, बोलो क्या करना है?

मैंने कहा- तो उतारो सब!
उसने झट से अपना सब उतार दिया और जैसे ही उसका हाथ चड्डी पर पहुंचा, मेरी तो दिल की धड़कनें ही रुक गईं.

उसने उसको धीरे धीरे नीचे करना शुरू किया और मेरी आंखें वहीं टिक गईं.
अगले ही पल उसकी चड्डी नीचे और लहराता हुआ लंड बाहर था.

मेरे तो दिल और दिमाग सुन्न पड़ गए थे.
उसने अपने खड़े लंड पर हाथ फेरा. मेरा दिमाग कह रहा था कि उधर ना देखो, पर नजर वहां से हट ही नहीं रही थी.

यही तो है वो जो किसी लड़की को पूर्णता प्रदान करता है; बिना इसके एक लड़की अधूरी ही रहती है.
जिसे देखने मात्र से मन प्रफुल्लित हो उठता है.

उसने अपनी वॉक शुरू की.
पहली बार किसी लड़के को ऐसे चलते देख रही थी. मन तो कर रहा था कि हम भी उस पर अपना हाथ फ़ेर कर देखें, पर बोल नहीं सकती थी.

दोनों लोग अगल बगल बैठ गए थे, बोलने के लिए कुछ बचा नहीं था.

मैं वहां से उठी और बोली- अब सब खत्म किया जाए!
उसने अचानक मेरा हाथ पकड़ कर खींचा और अपनी जांघ पर बैठा लिया.

उसने कहा- इतनी जल्दी भी क्या है?
मेरे नंगे चूतड़ अब उसकी जांघों पर रखे हुए थे और उसका एक हाथ मेरी चूचियों पर आ गया था.
दूसरे हाथ से उसने मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया.

आह … पूरे शरीर में मानो करंट दौड़ गया.

उसने मेरे हाथ को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया … और मैं किसी रोबोट की तरह वही क्रिया दोहराने लगी.
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था और वो दोनों स्तनों को सहलाने में लगा था.

मेरे निप्पल भी बेशर्म तन कर खड़े होकर उसका ही साथ दे रहे थे.

धीरे धीरे उसने मेरी पूरी बॉडी का जायजा लेना शुरू कर दिया.
उसका एक हाथ नीचे की ओर बढ़ चला और दोनों टांगों के बीच पहुंच गया. दूसरा हाथ अभी भी चूचियां मसलने में व्यस्त था.

मेरा दिमाग काम करना बंद कर चुका था. उसका हाथ मेरी टांगों को खोलकर चिकनी बुर तक पहुंच चुका था, जो उस समय रस से सराबोर थी.

उसने धीरे धीरे भग्नासा को छेड़ना शुरू कर दिया. मेरा खुद पर से नियंत्रण खत्म हो चुका था.
अब मैं वही कर रही थी, जो वो कह रहा था.

उसने मुझे अपनी टांगों के बीच में बैठा लिया. मेरे मुँह के ठीक सामने उसका लंड था जो मेरे मुँह में जाने के लिए तैयार था.
मैंने उसके आगे के भाग पर अपनी जीभ फिरायी.

कुछ अजीब सा था टेस्ट … पर उस पर कोई रिएक्शन दे पाती, उससे पहले ही उसने आधा लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया.
उसने मेरे बाल पीछे से पकड़ कर मेरे सर को आगे पीछे करने लगा.

इस तरह से मेरा मुख चोदन आरंभ हो गया.
अब मुँह से केवल गूं गूं की आवाज ही निकल पा रही थी.

जिसको कुछ देर पहले ही छूने मात्र की अभिलाषा रोमांचित कर रही थी, उसको अब मुँह में लेकर आनंदित थी.

पर ये नहीं पता था कि इसको कहीं और जाने के लिए मैं स्वयं ही प्रेरित एवं तैयार कर रही हूं, जिसके लिए मैं खुद ही तैयार नहीं हूं.

उधर मेरी चूचियों पर उसके हाथों का बढ़ता दबाव, मेरी टांगों के बीच का गीलापन बढ़ा रहा था.
मेरी कोशिश अभी भी टांगों को मिलाए रखने की थी, जिससे वहां का नज़ारा उपलब्ध ना हो, परन्तु क्लीन शेव्ड बुर को इस प्रकार से छुपाना सम्भव नहीं होता.

वो अपनी झलक देकर लंड को उकसाने का काम बखूबी करती रहती है, साथ ही टांगों को गीला भी करती रहती है.

उसने पूछा- अब तो शर्म नहीं आ रही है ना?
मैंने ना में सिर हिलाया.

उसने कहा- गुड. तो अब बिना शर्माये और बिना कुछ छुपाये एक वॉक हो जाए.

अब कुछ शर्माने को बचा नहीं था इसलिए मैं उठी और अबकी बार बिना हाथ से कुछ भी छुपाये वॉक करने लगी.

इस बार वो हर अंग का पूर्ण लुत्फ उठा रहा था. चाहे वो ऊपर नीचे होती हुई चूचियां हों, चाहे चिकनी बुर हो या फिर मटकती हुई गांड़.

वॉक होने के बाद मैं जमीन पर पड़ी हुई अपनी पैंटी उठाने के लिए जैसे ही झुकी, उसको टांगों के बीच का नज़ारा पीछे से देखने का मौका सुलभ हो गया.

उसी पल उसने अपना हाथ वहां रखकर कहा- इसको तुम्हारी पैंटी की नहीं इसकी ज़रूरत है.
उसका दूसरा हाथ उसके लंड पर था.

मैंने शर्म के मारे मुँह दूसरी ओर घुमा लिया.
मेरी चड्डी को मैं हाथ में पकड़े हुए थी.

उसने मुझको अपने हाथ में उठा लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को किस करते हुए बेड तक आ गए.
मुझे तो इस बात का होश ही नहीं रह गया था कि जो पैंटी मैं हाथ में पकड़े हुए थी, उसे पहनना भी था.

उसने मुझे बेड पर पटका और मेरी दोनों टांगें खोल दीं.
मेरा हाथ अपने आप ही टांगों के बीच पहुंच गया और अपनी उस नाम मात्र की पैंटी से मैंने उसे छुपाने की कोशिश की जो बेकार ही साबित हुई.

जल्द ही उसे मुझसे छीनकर अलग कर दिया गया.
अब मैं पूर्णतया नंगी टांगें खोले उस बेड पर पड़ी थी और मेरे अंग प्रत्यंग का बारीकी से मुआयना किया जा रहा था.

ऐसा तो कभी मैं अकेले कमरे में भी नहीं लेटी थी, जैसा उसने मुझे कर रखा था.
उसकी उंगलियां मेरी बुर का जायजा ले रही थीं और मैंने शर्म से मुँह दूसरी ओर घुमा रखा था.

लेटे लेटे उसने अपना मुँह मेरे निप्पल पर रखा और उसे चूसने लगा.
मेरा अपने ऊपर से नियंत्रण खोने लगा था.
धीरे-धीरे उसकी एक उंगली मेरी बुर में प्रवेश कर गई और मेरी सांसें तेज़ होने लगीं.

मैंने उसे मना किया कि वहां उंगली मत डालो!
उसने कहा- तो फिर क्या लौड़ा डालूँ?

ये सुनकर तो मेरी बोलती ही बंद हो गई.
तो आज क्या ये भी होने वाला है, ऐसा तो सोचा ही नहीं था.

हमने तो सिर्फ फैशन परेड प्लान किया था. यहां तो पहले नग्न परेड करवा दी गई और अब बढ़ते बढ़ते बात बुर के उद्घाटन तक पहुंच गई है.

उसने कहा- वैसे आयी तो तू पूरी तैयारी से है.
मैंने कहा- कैसी तैयारी?

उसने कहा- चुदने की और किसकी? इतनी सज-धज के, पूरी चिकनी होके, बुर को भी चिकना करके.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि मरवा दिया इस प्रिया ने!

अब तो ये मेरी बुर चोद कर ही दम लेगा.
तब तक उसने उंगली की जगह अपना लंड रख दिया था. अब मेरी बुर पर लंड घिसा जा रहा था और ना चाहते हुए भी मेरी सिसकारियां निकल रही थीं.

वो मेरी टांगों के बीच आ गया और धीरे-धीरे उसके लंड का दबाव बढ़ता जा रहा था पर शायद बुर एकदम टाइट होने की वजह से वो अन्दर जा नहीं पा रहा था.
मेरे ऊपर ही लेट कर वो मुझे किस करने लगा और अचानक एक तेज़ झटका लगा.

मेरी तो चीख ही निकल गई होती अगर उसके होंठ मेरे होंठों को बंद ना किए होते … और शायद आवाज मेरे घर तक भी पहुंच जाती.

अभी तक जो लंड मेरी बुर के बाहर रगड़ खा रहा था, वो अब बुर के अन्दर धमाल मचाने की तैयारी में था.
काफी देर तक चले इस कार्यक्रम में मुझे पूरी तरह से निचोड़ लिया गया था.

मुझे कुछ होश नहीं था कि मेरा कितनी बार हुआ, बस लगातार मज़ा आ रहा था.
उसका होने के बाद वो तो बेड पर निढाल पड़ गया, पर मुझे काफी देर तक मज़ा आता रहा.

सब होने के बाद मैं वहां से उठी और कपड़े पहनने लगी पर पैंटी वहां मिली ही नहीं.
उसने कहा- कल ले लेना.
आमतौर पर मैं 12 बजे से पहले ही वापस ऊपर अपने घर चली जाती थी. लोग अक्सर सो चुके होते थे. पर आज तो 1:30 बज गया था.

पहली चुदाई के बाद न्यूड गर्ल बिना चड्डी पहने ही थोड़ा लड़खड़ाती हुई मैं वापस पहुंची.
सब सो चुके थे.

अगले दिन मेरी चुदायी का पूरा किस्सा प्रिया ने पूरे चटखारे लेकर सुना.
राहुल से आंख मिलने की हिम्मत ही नहीं पड़ रही थी.

अब इस रात को तो शर्म के मारे, पढ़ने जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी. पर तभी याद आया कि पैंटी वापस लेनी है तो जाना तो पड़ेगा ही.
तो चल पड़े अनायास ही कदम उस ओर … तभी याद आया कि उसको हाथ में वापस लेकर तो आएंगे नहीं, इसलिए वैसे ही जाना पड़ेगा, जैसे कल वापस आए थे यानि बिना चड्डी के.

वापस कमरे में गई, चड्डी उतारी और केवल स्कर्ट में ही चल दी उस ओर.
वहां पहुंचते ही नज़रें झुकाए दोनों हाथ से किताब पकड़े खड़ी हो गई थी.

मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा कर कहा- पैंटी?
उसने कहा- पहने तो हो.

मेरे मुँह से निकल गया- नहीं पहनी है.
उसकी आंखों में तो चमक आ गई.

उसने कहा- दिखाओ.
मैं वैसे ही खड़ी रही.

उसने कहा- नहीं पहन कर आयी होगी, तभी मिलेगी.
अब क्या करूं सोच कर कि आगे से उठा कर तो नहीं दिखा सकती.

मैं पीछे घूमी और पीछे से स्कर्ट उठा दी.
उसने चूतड़ों को प्यार से सहलाया और कसके एक चमाट लगा दी. दोनों को बारी बारी से लाल किया गया और कुतिया बना कर स्कर्ट ऊपर कर दी गई.

पैंटी तो थी नहीं, नंगे चूतड़ पेश ऐ खिदमत थे.
जिनकी एक बार फिर से भरपूर सेवा की गयी.

आज की रात एक बार फिर से कुछ अलग एंगल में मेरी फटी चूत की जबरदस्त खिदमत की गई और मैं अपनी पैंटी लेकर वापस लौट गयी.

उम्मीद है आपको ये पहली चुदाई न्यूड गर्ल कहानी भी पिछली कहानी की तरह पसंद आयी होगी.
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