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Hindi - हिन्दी Audio Story बस के ड्राइवर कंडक्टर से चुदी मैं

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हॉट सेक्स इन ग्रुप कहानी एक कॉलेज गर्ल की है जो रात की बस से घर जा रही थी. रास्ते में उसका पर्स गुम हो गया. तो उसने बस का किराया कैसे चुकाया?

हाय दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है।
आशा है कि आप सबको मेरी यह कहानी आप सब पाठकों को बहुत पसंद आएगी।

इस कहानी में मैंने ज्यादा मिर्ची मसाला नहीं डाला है।
मैंने जैसे यह कहानी सुनी है, वैसे की वैसे ही कहानी मैंने इधर लिखने का प्रयास किया है।

यह हॉट सेक्स इन ग्रुप कहानी मेरे साथ मेरे कॉलेज में पढ़ने वाली गांव की एक खूबसूरत हसीन लड़की की है जो हमारे हॉस्टल के कैंपस की गर्ल्स हॉस्टल में रहती है।
उसकी उम्र 20 साल है। उसका नाम पूजा पटेल है।

उसका बदन मानो खूबसूरती का खजाना है।
उसके वक्षस्थल और नितंब देखते ही चूसने और दबाने का मन हो जाता है।

ज्यादा बातें ना करते हुए हम हॉट सेक्स इन ग्रुप कहानी की ओर बढ़ते हैं।

यह कहानी पूजा ने मुझे हम जब सेमेस्टर फाइव में थे, तब उसने मुझे बताई थी।

वह जब सेमेस्टर 4 कंप्लीट करके अपने घर जा रही थी, उस टाइम की कहानी है.
तो हम आगे की कहानी उसी की जुबानी सुनेंगे.

यह कहानी सुनें.

Audio Story​

Listen to this audio story here...



आज मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि आज मेरा सेमेस्टर फॉर के एग्जाम कंप्लीट हो गए थे और गर्मियों की छुट्टी भी शुरू होने वाली थी.
तो मैं घर जाने के लिए बेताब हो रही थी.

मेरा घर हॉस्टल से 8 घंटे की दूरी पर है इसलिए मैंने रात का सफर तय करने को सोचा.
वैसे भी मैं 6:00 बजे तक फ्री नहीं हो रही थी एक तो एग्जाम थे ऊपर से पैकिंग भी करनी थी तो यह सब करते-करते 6:00 बज गए.

मैंने सोचा कि रात को 10:00 बजे की बस पकड़ कर मैं अपने घर चली जाऊंगी.

शाम को मैंने हॉस्टल में खाना खा लिया और पैकिंग कर के अपने बैग साथ में लेकर 9:00 बजे हॉस्टल से परमिशन लेकर अपने घर को जाने के लिए निकल पड़ी.

मेरे सामान में एक बड़ा सूटकेस था, एक छोटा साइड बैक था और एक हैंड पर्स था.
यह सारा सामान लेकर मैं जल्दी हॉस्टल से रिक्शा लेकर बस स्टैंड पहुंची और वहां पर बस का इंतजार करने लगी.

वहां पर मेज पर बैठे-बैठे अपने फोन में व्हाट्सएप चला रही थी.

व्हाट्सएप के हमारे कॉलेज की लड़कियों के ग्रुप में किसी ने सेक्सी वीडियो डाली थी.
वह देखकर मैं गर्म हुई जा रही थी.

एक तो रात थी और ठंडी हवा चल रही थी.
उसमें वीडियो देखा तो मेरा मन विचलित होने लगा था.

आसपास में कहीं कहीं कई लोग खड़े थे पर उनको उनकी नजरों से छुप छुप के मैं वीडियो देख रही थी.
मुझे उंगली करने का मन हो रहा था.
पर क्या करूं … हाय रे किस्मत …
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करने कहां जाती मैं!

थोड़ी दूरी पर लड़के भी खड़े थे जो कभी कभार मुझ पर लाइन मार लेते थे.
मैं मन ही मन मुस्कुरा कर फिर से अपने मोबाइल में मैसेज चेक करने लगती थी.

इतनी देर में मेरी बस आ गई तो मैं जल्दी से अपना सामान लेकर बस में चढ़ गई.

थोड़ी देर बाद बस में बस का ड्राइवर और बस का कंडक्टर चढ़े.
सारे यात्री अपनी अपनी जगह पर बैठ गए थे.
बस लोकल थी इसलिए इसमें ज्यादा रिजर्वेशन नहीं था.

मैं भी बिना रिजर्वेशन के चढ़ी थी. मुझे जब सीट मिली, उस सीट पर मैं जाकर बैठ गई.
बस में ज्यादा भीड़ नहीं थी.
रात का सफर था इसलिए ज्यादा लोग नहीं थे, सिर्फ 20-25 लोग थे.

और कंडक्टर और ड्राइवर कुल मिलाकर 25 लोग होंगे.
मैं थोड़ी गर्म थी तो मैंने सोचा कोई अच्छा सा लड़का जो अकेला हो, उसे देखकर उसके बगल में बैठ जाऊं.
पर ऐसा कोई मुझे मिला नहीं.

जब मैंने कंडक्टर को देखा तो मेरी वासना और भड़क उठी.

कंडक्टर बहुत ही हॉट था. शायद 28-30 साल का होगा.
एकदम हॉट एंड सेक्सी बंदा था, थोड़ा सांवला था और उसका जिम बॉडी उसके कपड़ों में समा नहीं रहा था.

उसने बस की घंटी बजाई तो बस बस-स्टैंड छोड़कर सिटी को पार करके सिटी से बाहर निकल गई.

10 मिनट के बाद वह सबकी टिकट लेने लगा.
धीरे-धीरे सब को टिकट देते हुए वह मेरे पास आया.

उसने मुझे कहा- टिकट … कहां जाना है आपको?
मैंने अपने गांव का नाम बताया तो उसने तुरंत ही टिकट निकाली.

पर जैसे ही मैं अपने पैसे लेने अपने हैंड पर्स को ढूंढने लगी तो पता चला कि हैंड पर्स तो बस स्टैंड पर ही छूट गया है.

मैंने उसे कहा- मेरा पर्स नहीं मिल रहा है. शायद वो बस स्टैंड पर छूट गया है. क्या आप वापस बस ले सकते हो? उसमें मेरे थोड़े पैसे और मेरा आई कार्ड वगैरह हैं.
कंडक्टर बोला- ऐसा मुमकिन नहीं है क्योंकि हम बस स्टैंड से आधा घंटा दूर निकल चुके हैं तो बस वापस लेने का कारण नहीं है. तो आप पर्स भूल जाइए.

तो मैंने उसको बताया कि अगर हम बस लेने नहीं गए तो मैं आपकी टिकट के पैसे नहीं दे पाऊंगी.
उसने कहा- कोई बात नहीं, मैं कुछ करता हूं आप के टिकट के पैसे का! आप निश्चिंत होकर बैठी रहें.

उसकी सांत्वना के शब्दों ने मुझे पर्स भूलने की टेंशन से थोड़ा दूर कर दिया था.

फिर मैं सोचने लगी आखिर पर्स में क्या क्या था.
तो उसमें शायद ₹2000 थे और मेरे आई कार्ड थे जो मैं शायद व्हाट्सएप चेक करने की वजह से वही बस स्टैंड पर भूल आई थी.

थोड़ी देर बस चलने के बाद कंडक्टर खड़ा हुआ और ड्राइवर के पास गया और उसके कान में कुछ कहने लगा.

डाइवर धीरे से मुस्कुराया और उसने कंडक्टर को आंख मारी.

फिर वह वापिस मेरे बगल में आकर बैठ गया.
उसने मुझे बोला- आपके पास अगर टिकट के पैसे नहीं हैं तो आप को जुर्माने के तौर पर शायद 2 दिन की जेल हो सकती है. यहां तो फिर आपको जितना पैसा टिकट का हुआ है उससे 5 गुना ज्यादा घर जाकर हमें देना पड़ेगा. यहां हमारी सरकारी बस का नियम है. तो आपको कौन सी सजा मंजूर है?

उसकी यह बात सुनकर मेरा टेंशन और बढ़ गया और मेरी आंखों से आंसू आने वाले थे.
तभी उसने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया और मुझे बोला- तुम डरो मत, तुम्हें इनमें से कोई भी सजा नहीं मिलेगी. अगर जैसा मैं कहूं, तुम वैसा करो तो!

मैंने उसके सामने देखा और बोली- मुझे क्या करना होगा?
मुझे अंदाजा तो हो ही गया था कि उसकी हवस भरी निगाहें मेरे बदन को ताड़ रही हैं.

उसने धीरे से मेरे बूब्स को छुआ और बोला- आगे 1 घंटे बाद स्टॉप आएगा. 30 मिनट का हॉल्ट होगा. वहां रेस्तरां के ऊपर छोटा सा गेस्ट हाउस है. उस गेस्ट हाउस के कमरे में तुम्हें हमारे और ड्राइवर चाचा के साथ थोड़ी मसाज करनी होगी.

मैंने पहले तो उसे मना किया पर मेरे बदन में भी गर्मी चढ़ी थी तो मैंने उसे कह दिया- ठीक है, मैं तैयार हूं!

वह वहीं पर मेरे बाजू में बैठा रहा और मेरे बूब्स दबाता रहा.
फिर मेरी जींस की चैन खोलकर मेरी चूत में उंगली डालने लगा.

बस में अंधेरा था इसलिए कोई कुछ देख नहीं रहा था.
मैं धीरे-धीरे से सिसकारियां ले रही थी, आवाजें आ रही थी.

ऐसे ही करते करते स्टॉप आ गया.
परिचालक उतरा और मुझे पीछे आने को कहा.

मैं उसके पीछे पीछे चलने लगी.

रेस्तरां के ऊपर गेस्ट हाउस के रिसेप्शन पर पहुंचेन हम.

उसने रिसेप्शन पर कुछ बात की तो उसने मेरे सामने आंख मारी और हमें एक कमरे में जाने को कहा.

मैं कंडक्टर के साथ उस कमरे में गई.
मुझे पता था कि अब मेरे साथ क्या होने वाला था.

मैं भी बहुत गर्म थी इसलिए कमरे में आते ही बेड पर लेट गई.

जैसे ही कंडक्टर कमरे के अंदर आया, उसके पीछे-पीछे ड्राइवर भी अंदर आया.

ड्राइवर कंडक्टर से शायद 10 साल बड़ा था.
कंडक्टर 30 का था तो ड्राइवर 40 का था.

कंडक्टर ज्यादा हैंडसम था.
बस ड्राइवर भी कोई कम नहीं था.

दोनों ने कहा- चलो अब तैयार हो जाओ!
और कंडक्टर ने दरवाजा बंद कर दिया.

वे दोनों बेड पर आए और मुझे सहलाने लगे.

कंडक्टर ने मेरा टॉप उतार दिया और ड्राइवर ने मेरी जींस खोल कर उतार दी.
मैं अब सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी.
गुलाबी रंग की ब्रा और लाल रंग की पैंटी मेरे शरीर को और आकर्षक बना रही थी.

धीरे-धीरे दोनों मुझ पर टूट पड़े. चालक ने मेरे होठों का रस पीना शुरू कर दिया और कंडक्टर ने पैंटी नीचे सरका के मेरी चूत चाटने लगा.

मुझे मजा आ रहा था तो मैं बहुत चिल्लाने लगी और आवाज कर रही थी.

कंडक्टर ने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे बूब्स को आजाद कर दिये.
वे दोनों मेरे बूब्स पर टूट पड़े और दूध पीने लगे.

फिर कंडक्टर ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और ड्राइवर ने भी अपने कपड़े उतार दियव.

ओह माय गॉड … उन दोनों के लंड देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई.
कंडक्टर का लंड बड़ा था पर ड्राइवर का उससे भी बड़ा और मोटा लंड था.
यह देखकर मैं मन ही मन बहुत ही खुश हो गई.

धीरे से कंडक्टर मेरे ऊपर आया और मेरी जाँघों को फैला के मेरी चूत चाट कर उसने लंड चूत पर टिका कर एक करारा झटका मारा और पूरा लंड मेरी चूत में चला गया.
मुझे थोड़ा दर्द हुआ पर मजा भी बहुत आ रहा था.

और ड्राइवर ने उसका लंड मेरे मुंह में दिया.

5 मिनट तक ऐसे चुदाई चली.
बाद में उन लोगों ने मुझे घोड़ी बना दिया.

ड्राइवर मेरे पीछे आ गया और कंडक्टर मेरा मुंह चोदने लगा.

मैं चिल्ला रही थी, आवाज कर रही थी.

धीरे-धीरे उनकी स्पीड बढ़ने लगी.

कंडक्टर ने मेरे मुंह में से अपना लंड हटा लिया.
और ड्राइवर ने मेरी चूत चोदने की स्पीड बढ़ाई.
तभी वह मेरी चूत में ही झड़ गया, फिर वह एक साइड में बैठ गया.

फिर परिचालक मेरे ऊपर चढ़ा और मेरी चूत को चोदने लगा.
धीरे-धीरे उसने भी अपनी स्पीड बढ़ाई और अपना पूरा माल मेरी चूत में छोड़ दिया.

इस सारी प्रक्रिया में शायद 20-25 मिनट लग गये.

तबी कंडक्टर बोला- चलो चाचा, अब हमारा टाइम हो गया है.

और उसने मुझे भी कहा- तुम भी अपने कपड़े पहन लो. अब तुम्हारी टिकट के पैसे वसूल हो गए हैं, अब तुम्हें कोई खतरा नहीं है. तुम आराम से अपने घर पहुंच जाओगी.

मैंने अपने कपड़े पहने.
ड्राइवर और कंडक्टर ने भी अपने कपड़े पहने.

तब तक ड्राईवर निकल गया था.
कंडक्टर कमरे में रहा.

उसने मुझे एक बार फिर से हग करके चूम लिया.
फिर उसने मुझे कहा- चलो, अब चलते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर हम बस में आकर बैठ गए.

बस में रेस्तरां वाले ने काफी सारी खाने की चीजें रखवा दी थी.

मैंने परिचालक के साथ खाना खाया.

अब मैं भी तनाव मुक्त, फ्रेश होकर बैठ गई.
बस का सफर शुरू हो गया.

फिर मैं अपने गांव जाकर उतर गई तो बस कंडक्टर ने मुझे उसका नंबर दिया.

आज भी वो रात वाला हॉट सेक्स इन ग्रुप मुझे याद आता है.

कभी-कभी मैं उस कंडक्टर को फोन कर लेती हूँ.
अब मैं आने जाने के लिए उसी बस में बैठती हूं.

तो उसी होटल पर जाकर हम चूत चुदाई का काम करते हैं.

तो कैसी लगी मेरी हॉट सेक्स इन ग्रुप कहानी आपको?
कमेंट्स में जरूर बताना!
 
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