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Hindi - हिन्दी Audio Story भाई की शादी में मैंने मनाई सुहागरात (Part 1 & Part 2)

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Part 1​

माय टीन पुसी नीड सेक्स … अपने कॉलेज के एक लड़के को देख कर मेरी टांगों के बीच में खुजली होने लगती थी. मैं चाहती थी वह मुझे सरेआम नंगी करके चोद दे.

यह कहानी सुनें.

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दोस्तो, मेरा नाम शुभांगी है.
यह मेरी पहली चुदाई की कहानी है.

यह तब हुआ था, जब मैं 19 साल की थी.

उस वक्त मुझे पोर्न देखना बहुत पसंद था.
पढ़ाई से ज्यादा ध्यान मेरा इसमें ही लगता था.

उसके अलावा मुझे अपने कॉलेज का एक लड़का भी पसंद था.

उसका नाम शुभ था और वह 21 साल का था.
मैं उसके साथ खुल कर प्यार करना चाहती थी, घूमना चाहती थी और सेक्स भी करना चाहती थी.
लेकिन वह मेरा सीनियर था तो मुझे उससे बात करने भी डर लगता था.

अभी तो वह मेरा बंदा बन गया है … और यह कैसे हुआ, उसी की कहानी टीन पुसी नीड सेक्स मैं आज आप सभी को सुनाने जा रही हूं.

मैं कॉलेज के फर्स्ट ईयर में थी और वह लास्ट ईयर में था.
मैं उसको पहचानती थी लेकिन वह मुझे नहीं … क्योंकि वह सीनियर था.

वह काफ़ी क्यूट और हैंडसम था, तो मैं भी किसी भी तरह से कम नहीं थी.
क्लास में कई लड़के मुझे पसंद करते थे लेकिन मैं किसी को भाव नहीं देती थी.

मुझे ट्रेडिशनल के साथ साथ शॉर्ट ड्रेस और सब कुछ शॉर्ट शॉर्ट पहनना ही अच्छा लगता था.

इन सबके अलावा मैं पढ़ाई में भी अच्छी थी.
टीचर्स मेरी हमेशा तारीफ किया करते थे.

मेरा चुदाई का मन भी होता था लेकिन शुभ मिलता ही नहीं था.

ऐसे ही ऊहापोह की स्थिति में एग्जाम खत्म हुए और छुट्टियां हो गईं.
मैं कुछ नहीं कर पाई.

मैंने इंस्टा पर शुभ को फॉलो किया था, बस वही देख देख कर अपनी आंखें और चूत सेंक लेती थी.

इसके बाद तो मुझे पता था कि उसका कॉलेज खत्म हो जाएगा और वह कभी वापस नहीं आने वाला था.

फिर भी सोचा कि इंस्टा पर उससे बात करने की कोशिश करूंगी.
यह सोच कर मैं उस दिन चूत मसल कर सो गई.

अगले दिन सुबह किचन में चाय पीने गई.
तो मम्मी ने कहा कि तेरी बुआ के लड़के आशीष की शादी है!

मैं खुश हो गई और पूछा- कब है? हम लोग कब जा रहे है? शॉपिंग तो करनी पड़ेगी ना?

तो मम्मी बोलीं- तुझे तो पता है बेटा कि बुआ के साथ झगड़ा हो गया था तो तेरे पापा तो नहीं जाएंगे … और वे नहीं जाएंगे तो मैं भी नहीं जाऊंगी. तू अपने भाई से पूछ ले, अगर वह आएगा तो तुम दोनों चले जाना.

यह सुन कर मुझे थोड़ा बुरा लगा.
फिर मैं भाई से पूछने गई तो वह बोला- मुझे शादी में जाने का कोई इंट्रेस्ट नहीं है.

मतलब यह बोल कर उसने मना कर दिया लेकिन मुझे तो हर हाल में जाना ही था.
चाहे अकेले ही क्यों ना जाना पड़े.

मैंने जिद करके सबको मना लिया कि मैं अकेली जा सकती हूँ.
सबने हां कर दी.

मैंने सुबह सुबह दो बैग पैक किए, रेड कुर्ती और व्हाइट जींस पहन कर निकल गई.

पहुंचते पहुंचते दोपहर हो गई.
जब मैं ट्रेन से उतरी तो बुआ के घर तक जाने के लिए एक ऑटो में बैठ गई.
आधे रास्ते में ही वह ऑटो खराब हो गई.

अब करती भी क्या, बुआ का घर अभी दूर था … और मेरे पास 2 बैग थे.
मैं चल कर भी नहीं जा सकती थी.

आधा घंटा हो गया लेकिन ऑटो ठीक नहीं हुआ तो मैं ऑटो से उतर गई और दूसरे ऑटो के आने का इंतजार करने लगी.

उतने में ही सामने से एक लड़का बाइक लेकर आ रहा था.

उसने सफ़ेद शर्ट और नीली पैंट पहनी थी.

एक पल के लिए मेरा ध्यान थोड़ा सा भटका और उसने एकदम से मेरे सामने आकर बाइक रोक दी.
मैंने नजर घुमाई और मैं हैरान रह गई.

वह तो शुभ था.
मैं सोच में पड़ गई कि यह यहां क्या कर रहा है.

वह कुछ बोल रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान तो उसको देखने में लगा था.

शुभ- ओ हैलो मिस रेड लाइट … बीच रास्ते में क्या ट्रेन रोकने के लिए खड़ी हो?
मैं- आपको रोकने के लिए.

ऑटो वाला- अरे भाई, मेरा ऑटो खराब हो गया है … और इनको पास में एक शादी है, वहां तक जाना है लेकिन और कोई ऑटो आएगा नहीं … अभी क्योंकि दोपहर हो गई है. क्या आप इनको वहां तक छोड़ देंगे?
शुभ- ठीक है कोई बात नहीं, मैं भी एक शादी में ही जा रहा हूँ.

यह सुनते ही मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गई और बोल पड़ी- किसकी शादी में, कहां पर है! मैं भी तो शादी में ही जा रही हूं.

शुभ- धीरे मिस, अभी तक तो आप चुपचाप खड़ी थीं … अचानक शादी की बात सुन कर इतना एक्साइटेड क्यों हो गईं?
मैं- अरे वहां मेरे बुआ के लड़के आशीष की भी शादी है ना … तो मुझे लगा आप भी वहीं जा रहे हो … इसलिए!
शुभ- अरे कौन … आशीष मल्होत्रा?

मैं- हां, उन्हीं की तो शादी है. वह मेरे भैया लगते हैं.
शुभ- अरे, तो वही तो मेरा दोस्त भी है.

ऑटो वाला- वाह रब ने बना दी जोड़ी.
मैं- हा हा …
शुभ- क्या हा हा … चलो बैठो.

मैं- लेकिन दो बैग भी है, कैसे ले जाऊंगी?
शुभ- अरे मैं हूँ ना, ये एक बैग आगे रख लूँगा और दूसरा वाला तो कॉलेज बैग है … वह आप पीछे लटका लेना.

ऑटो वाला- हां ये ठीक है.
मैं- ठीक है, जल्दी चलो मुझे गर्मी लग रही है.

मैं शुभ के पीछे बाइक पर बैठ गई.

थोड़ा आगे जाते ही एक कुत्ता अचानक रास्ते में आ गया.
तो शुभ ने जोर से ब्रेक लगाई और मैं सीधी उसकी पीठ से टकरा गई … मेरे बूब्स दब गए.

बूब्स क्या दबे … मेरे अन्दर से एक जोर की सांस निकल गई.

तो शुभ ने तुरंत पूछा- ठीक हो ना?
मैं- ठीक नहीं थी … लेकिन अभी ठीक हो गई हूँ.

मुझे उससे वापस दूर होने में झिझक हो रही थी और मन भी नहीं था कि उसको मैं छोड़ूँ.
मैं बेशर्मों की तरह वैसे ही चिपक कर बैठी रही.

फिर मैंने हिम्मत करके पूछा- आपने मुझे पहचाना नहीं?
शुभ- नहीं तो, आप मेरे को पहचानती हो क्या?

मैं- हां, बहुत पहले से … रोज तो देखती थी न!
मेरे इतना बोलते ही उसने बाइक रोक दी और बोला- देखती थी, मतलब?

तो मैं झट से उतरी और बैग लेकर भागने लगी क्योंकि बुआ का घर आ ही गया था और मुझे उसको अपने पीछे लगाना था.
इसलिए मैंने उसको कुछ नहीं बताया.

बस जाते जाते बोली- खाली पेट दिमाग नहीं चलता!
यह कह कर मैं वहां से चली गई.

बुआ के घर में घुसते ही मैंने अपने बैग एक तरफ डाल दिए और बुआ को देख कर चिल्लाई- बुआ, मैं आ गई, जल्दी खाना परोसा जाए, बहुत भूख लगी है.
बुआ- ओके शुबू, तुम फ्रेश हो जाओ मैं अभी खाना लगा देती हूँ.

फिर मैं कपड़े लेकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई. उधर अच्छे से नहा कर ब्रा पैंटी और सामान्य कपड़े जो घर पर पहनती हूँ टी-शर्ट और प्लाजो, उसे पहन लिया और बाहर आकर खाने बैठ गई.

खाते खाते बुआ और दीदी से बात की.
मजाक में दीदी से कहा- भैया का तो नंबर आ गया, इसके बाद आपका ही है … कोई लड़का देख लो शादी में, लगे हाथ आपकी भी शादी हो जाएगी!
इस बात पर हम तीनों हंसने लगे.

फिर खाना खाकर मैंने बुआ से कहा- बुआ, मैं दीदी के कमरे में सो जाती हूँ थोड़ी देर, ट्रैवल करके थक गई हूँ … शाम को उठा देना. आप दोनों को मेहंदी लगा दूंगी और दीदी आप मुझे लगा देना.
तब मैं सोने चली गई.

शाम को दीदी उठाने आईं.
मैं- अरे दीदी क्या हुआ सोने दो ना … अभी 5 मिनट ही तो हुए हैं सोए हुए!
दीदी- अरे पागल, शाम के 6 बज रहे हैं … जल्दी उठ और तैयार हो जा. आज मेहंदी है.

मैं एकदम से बोली- क्या सच में छह बज गए … दिखाओ!
दीदी ने फोन में दिखाया तो सच में 6 बज गए थे और मुझे पता नहीं इतनी गर्मी क्यों हो रही थी.
मैं पूरी पसीने से भीग गई थी.

मैं- दीदी रुको, बस मुझे 10 मिनट दो. मैं अभी नहा कर आती हूँ और झट से रेडी हो जाती हूँ.
दीदी- अभी क्या नहाना! ऐसे ही तैयार हो जा न!

मैं- नहीं ये पसीना मुझे पसंद नहीं है … इसलिए प्लीज.
दीदी- ठीक है जल्दी जा!

मैं जल्दी से उठी, कपड़े लिए और भाग कर सीधी बाथरूम में घुस गई. तौलिया रस्सी पर लटकाया और दरवाजा बंद करके जल्दी से कपड़े उतारने लगी.
सब कपड़े उतार दिए और बाथरूम की लाइट चालू की तो बवाल हो गया.

मैं चिल्लाई- आआ आआ छिपकली … सॉरी शुभ!

मेरे तो होश उड़ गए … वह मेरे सामने पूरा नंगा खड़ा था और उसने अपने लंड को पकड़ कर रखा था.
इतना ही देख पाई मैं और एकदम फ्रीज हो गई.
लेकिन उसको तो कुछ बोलना चाहिए न या फिर दरवाजा बंद करके करना चाहिए … कुछ करें तो क्या करें … ऊपर से उसने लाइट भी बंद करके रखी थी, तो मेरी क्या गलती!

वह थोड़ा मेरी ओर बढ़ा तो मैं तुरंत बोल उठी.

घबराहट में पता नहीं कैसे मेरे मुँह से निकल गया कि मैं तुमको 3 साल से जानती हूँ. तुम जिस कॉलेज में पढ़ते हो उसी में मैं भी पढ़ती हूँ … और और तुम बहुत अच्छे हो … और हॉट भी हो … हां और क्यूट भी … मुझे तुम बहुत पसंद हो … और मैं तुमसे प्यार भी करती हूं.

मैं चुप ही नहीं हो रही थी, तो उसने झट से मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और मुझे चुप करा दिया.
फिर वह मेरे पास को आ गया.
उसका लंड पूरा टाइट था.

वह शायद मुझे देख कर अपना हिला रहा हो, यह पता नहीं.
वह जैसे ही मेरे पास आया, तो उसका लंड मेरी चूत से टकराने लगा.

ऊओओ मां … मेरी तो बस जान निकलनी बाकी रह गई थी. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि वह भी निकल ही जाएगी, अगर ये अभी का अभी मुझे चोद दे.

उतने में वह मेरे कान के पास आकर बोला- मुझे सब पता है तुम्हारे बारे में, मैंने आशीष से सब पूछ लिया था और जैसे ही तुम बाइक पर बैठी थीं न … अपने बूब्स लगा कर … मैं तभी समझ गया था कि इतनी प्यारी लड़की ऐसा करें, तो समझ में आ ही जाता है कि वह प्यार करती है और एक्चुअली मुझे भी तुम पसंद आने लगी हो … आई लव यू शुभांगी.
मैं- आई आई लव यू टू शुभ.

मैं उससे जोर से चिपक गई और उसका लंड मेरे दोनों पैरों के बीच की जगह और चूत के नीचे घुस गया.

मेरे 32 इंच के बूब्स उसके सीने से चिपक गए थे, मैंने इतना कसके उसको गले लगाया था.
मेरा तो उसे छोड़ने का मन तो नहीं हो रहा था. मेरा तो अभी के अभी ही उससे चुदने का मन जोर जोर से हो रहा था.

फिर उसने धीरे धीरे कमर हिलाना शुरू की, तो मैं भी मदहोश होने लगी और अपने पैर खोलने लगी. उसकी वजह से अब मेरी चूत का छेद भी खुलता जा रहा था.
अभी तो मैंने लौड़े के मजे लेना शुरू ही किया था कि बाहर से किसी ने दरवाजा खटखटाया.
हम दोनों घबरा गए और अलग हो गए.

मैंने तुरंत आवाज दी- कौन?
तो दीदी बोलीं- चल जल्दी आ.
मैं- हां बस आई!

अब मैंने शुभ से कहा- बेबी, यहां कंफर्टेबल नहीं है, अभी जाओ … बाद में हम कुछ प्लान करते हैं.
शुभ- ओके शोना, मुझे कपड़े पहना दो ना!
तो मैंने उसको कपड़े पहनाए.

कपड़े पहनते पहनते ही उसने मेरी गांड पर, बूब्स पर, चूत पर हथेली घुमाई.

मैं भी काबू से बाहर थी तो उसकी बॉडी को मस्त छू रही थी और आखिर में तो मैंने उसके लंड को जोर जोर से हिला कर छोड़ा और जल्दी से पैंट पहना कर बाहर भेज दिया.
जब मैं उसका लंड हिला रही थी तो हाय उसके चेहरे के भाव देखने लायक थे.

मैं तो उसकी मर्दानगी पर फिदा हो गई थी.

जब वह मेरी बॉडी पर हाथ घुमा रहा था न तो ‘उम्ह्ह्ह …’ बस ऐसा लग रहा था कि अब जल्दी से उससे चुद जाऊं.

मेरे दिल में यही तड़प थी लेकिन उस समय तो जल्दी मच रही थी, तो मैं फटाफट नहाई और कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर निकल आई.

रात हुई, सब मेहंदी में जमा हुए और मैंने भी सबको मेहंदी लगाई.
मैं काफी थक गई थी लेकिन मैं चाहती थी कि शुभ मुझे ऐसे ही चोद चोद कर थका दे.

वह भी सबके साथ बैठ कर बात कर रहा था. हमारी नजरें जब भी मिल रही थीं तो हम स्माइल कर दिया कर रहे थे.
हमारी हंसी तो रूक ही नहीं रही थी.

मुझे भी दीदी ने मेहंदी लगा दी.

सभी ने मेहंदी की रस्म खूब एंजॉय की.

रात बहुत हो गई थी और अब सोने का टाइम था.
बहुत रिश्तेदार आए थे, तो सबके सोने के लिए गद्दे लग चुके थे.

मैं शुभ को ढूंढ रही थी लेकिन वह मुझे कहीं दिख ही नहीं रहा था. शायद वह आशीष भैया के साथ बाहर गप्प लड़ा रहा होगा.
शादी का माहौल है, तो यह सब सामान्य सी बात है.

मुझे भी नीचे सोने का मन हुआ तो मैंने दीदी की मदद की और अपने कपड़े चेंज किए.

मैंने ऊपर टी-शर्ट और नीचे शॉर्ट पहन लिया.
दीदी ने मुझे कंबल ओढ़ा दिया और मेरा पूरा मुँह ढक कर नीचे ही लेटा दिया.
मैं अब सोने लगी.

कुछ देर बाद मुझे थोड़ी हलचल महसूस हुई कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा.
क्योंकि जब मैं लेट रही थी, तब कहीं जगह नहीं थी.

जहां मैं लेटी थी, वहां मैंने थोड़ा स्पेस छोड़ दिया था … क्योंकि थोड़ा दूर एक अंकल सो रहे थे.

तो मैंने यह सोचा था कि अंकल और मेरे बीच में जो भी सोए, उसको जगह मिल जाए.

अब जगह देख कर कोई यहां सोने के लिए आ गया था.
थोड़ा वक्त गुजरा तो मुझे फिर हलचल महसूस हुई.

मुझे गुस्सा आया कि एक तो सुबह शादी है और मुझे सोने भी नहीं दे रहा है.
मैंने कंबल हटा कर देखा, तो शुभ अपनी आंखें बंद करके कंबल के अन्दर जहां लंड होता है, उसकी वह जगह हिल रही थी.

मैं समझ गई कि वह क्या कर रहा है.
यह तो सोने पर सुहागा हो गया था, हॉल में अंधेरा था, बस हल्की लाइट ही जल रही थी.

मैंने धीरे से अपना मुँह उसके कान के पास लेकर गई और बोली- बेबी!

शुभ ने डर कर तुरंत आंखें खोलीं और मुझे देख कर खुश हो गया- अरे तुमने तो डरा ही दिया यार!
मैं- अच्छा, तो मेरे होते हुए ऐसा काम करते ही क्यों हो?

शुभ- अरे यार, मुझे आदत हो गई है रोज रात को हिलाने की … क्या तुम ठीक कर दोगी प्लीज शोना!
मैं- हां बिल्कुल, आज से हिलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी मेरे बेबी को … मुझे चोद कर निकाल लेना आज से … टीन पुसी नीड सेक्स!

शुभ- तो अभी चलो फिर करते हैं!
मैं- अरे यहां कैसे? सब हैं … लाओ आज मैं हिला देती हूँ.
मैंने तुरंत अपना हाथ निकाला और उसकी तरफ बढ़ा दिया.

फिर याद आया कि अरे मैंने तो मेहंदी लगाई है.

मैं- अब क्या करें हाथ में तो मेहंदी लगी है?
शुभ- मुझे कुछ नहीं पता, अब वह तुम्हारी जिम्मेदारी है.

फिर मैं सोचने लगी कि हिलाने का बोल दिया तो है … और पहली बार है, नहीं कर पाऊंगी तो खुद को ही अच्छा नहीं लगेगा … और शुभ ने भी पहली बार कुछ मांगा है.
तो मैं पोर्न याद करने लगी और तुरंत दिमाग में आया कि हाथ नहीं है तो क्या मुँह तो है, चूत भी तो है … लेकिन वह सब यहां कैसे?

मैं- बेबी हो जाएगा लेकिन यहां सब सोये हैं … यहां संभव नहीं है. कोई और जगह है क्या?
शुभ सोचने लगा. फिर बोला- हां, छत है ना!
मैं- हां, चलो चलो जल्दी उठो.

मैं धीरे से उठी और दबे पांव सबसे नजरें चुरा कर उसको छत पर ले भागी.

उसके बाद तो मजे ही मजे लिए.
वो सब टीन पुसी नीड सेक्स कहानी के अगले भाग में!
आपको यह भाग अच्छा लगा या नहीं … प्लीज मैसेज जरूर करें.
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टीन पुसी नीड सेक्स कहानी का अगला भाग:
 

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Part 2​

इंडियन लड़की कहानी में मैं अपने कॉलेज के एक लड़के को चाहती थी. मेरे कजिन की शादी में वह मुझे मिल गया और मैंने उसे चुदाई के लिए तैयार कर लिया.

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हम दोनों छत पर पहुंच गए, ऊपर हल्की हल्की चाँदनी की रोशनी थी.
मैं अब तक पार्लर में जाकर इतनी तकलीफ सह कर वेक्सिंग, थ्रेडिंग, मेनिक्योर, पेडिक्योर करवा कर चूत चुदवाने को मरती रही थी.
ऐसा लग रहा था, उस सबका फल आज मिल रहा है!

मैं अभी यह सोच ही रही थी कि उसने पीछे से आकर जोर से अपनी बांहों में भर लिया.
उसका लंड तो ऑलरेडी टाइट हो ही चुका था तो वह मेरे दोनों पैरों के बीच में घुस गया.

शुभ जैसे बाथरूम में कमर हिला रहा था, वह वैसे ही वापस से हिलाने लगा और इस बार तो उसने मेरे मम्मों को भी नहीं छोड़ा.
वह मेरे दोनों पपीतों को पकड़ कर मसलने लगा.

उसको गर्दन खाली लगी तो वहां पर भी अपने होंठों से चाटना शुरू कर दिया.

मैं एक ही पल में पूरी मदहोश हो गई.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं शुभ के अन्दर ही समा जाऊंगी.
वह मुझे प्यार करे ही जा रहा था.

मैंने उसके कान में धीरे से बोला- खुद ही सब करोगे कि मुझे भी कुछ करने का मौका मिलगा?
शुभ- तुम क्या करोगी?

मैं- प्यास लगी है, पानी निकालूंगी तुम्हारे हैडपंप से!
शुभ- इतनी आसानी से पानी नहीं निकलेगा मेरी जान!

मैं- तो क्या, मैं बहुत मेहनती हूँ … पूरा जोर लगा कर मेहनत करूंगी और पानी निकाल ना दिया तो मेरा नाम भी शुभांगी नहीं.
शुभ ने मुस्कुराहट के साथ कहा- हां बेबी किसकी है, निकाल ही देगी!

उसने जैसे ही थोड़ा ढीला छोड़ा, मैं तुरंत घूमी और जोर से उसके होठों को चूसने लगी ‘उम्म उम्म्ह आआह्ह्ह’

मैंने हाथ अपनी गांड पर पलट कर रखे थे क्योंकि मेहंदी लगी थी न!
चूमने के बाद मैं घुटनों पर बैठ गई और उसको देखने लगी.
शुभ- क्या?

मैंने आंखों के इशारे से शॉर्ट को दिखाने लगी.
मैं- उतारो ना!

शुभ- तो उतारो दो ना, हाथों में मेहंदी लगी है क्या?
मैं- हां मेहंदी ही लगी है … इसलिए बोल रही हूं पागल!
शुभ- ओह हां सॉरी सॉरी!

उसने झट से अपनी शॉर्ट अंडरवियर के साथ ही उतार दी और उसका लंड मेरी आंखों के सामने चांद की रोशनी में लहराने लगा.

हाय मैं मर जावां … इतना मोटा और लंबा लंड … बिल्कुल परफेक्ट जैसा मुझे चाहिए था!
अगर लौड़े के इर्द इर्द उगे बालों को शेव कर दूँ, तो जैसे पोर्न में देखा था … सेम वैसा ही लंड था.

हाय मेरी तो लाइफ सैट हो गई!

मैंने उसके हिलते हुए लंड को गाल पर लगाया, जिससे उसने हिलना बंद कर दिया
अब मैंने लंड पर चुम्मियां देना शुरू किया, जांघों पर भी दी.

फिर जीभ को बाहर निकाला और जहां से लंड कनैक्ट होता है, वहां से जीभ के पीछे के हिस्से से चाटते हुए आगे तक आ गई.

लंड का सुपारा अभी बंद था, तो मैंने अपने मुँह को लंड की साइज जितना खोला और मुँह को धकेलते हुए आगे ले गई, ऊपर की स्किन पीछे फिसलती हुई खुल गई और उसका सुपारा मेरे मुँह में घुस कर जीभ से टच होने लगा.

मैंने उसके लौड़े पर जीभ को गोल गोल घुमाना चालू कर दिया.
मैं लंड पर जीभ घुमाती रही.

उसने जोर से अपने हाथ से मेरे बालों को पकड़ लिया और खुद की कमर और मेरे सर को तेजी से हिलाने लगा.

उईई मां … माउथ फकिंग चालू हो गई!

मैं अपने हाथों को पीछे करके लंड चूसे जा रही थी और मजे दे रही थी.
करीब दस मिनट तक लंड चूसने के बाद आखिरकार मैंने उसका पानी निकाल ही दिया.

येयेये …

उसने सारा पानी मेरी प्यास बुझाने में लगा दिया.
लेकिन उसको क्या पता था कि अभी तो बस मुँह की प्यास बुझी है … जिस्म की आग बुझाने में तो अभी उसको बहुत पानी निकालना पड़ेगा.

फिर मैं उठ गई और बोली- शांत हुए ना?
शुभ- हां शोना, आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू बेबी.

शुभ- ठीक है, चलो जल्दी इससे पहले कोई उठे … हम जाकर सो जाते हैं.
मैं- क्या? खुद की आग बुझा ली … मेरा क्या?

शुभ- तुमने मेहंदी लगाई है इसलिए कुछ नहीं हो सकता.
मैं- तो क्या लंड पर तो नहीं लगी है ना कि अन्दर डाल भी नहीं सकते! चूत पर तो नहीं लगी ना कि अन्दर ले नहीं सकती? बूब्स पर तो नहीं लगी ना कि दबा नहीं सकते! तुम्हारी उंगलियों पर तो नहीं लगी ना कि चूत में डाल नहीं सकते … बोलो ना अब चुप क्यों हो?

शुभ- अरे लेकिन सुनो तो …
मैं- क्या सुनूं, बोल दो ना कि कुछ करना ही नहीं है.

शुभ- बेबी, मैं बस ये बोल रहा हूँ कि शादी का घर है. कोई जाग गया, आ गया कोई किसी ने देख लिया तो … इसलिए!

मैं- मुझे कुछ नहीं पता, कल शादी है … मुझे मेरे हाथ और चूत दोनों लाल दिखने चाहिए … फिर तुम जो भी करो!

इतना बोल कर मैं मुँह फुला कर नीचे बैठ गई.
शुभ थोड़ी देर इधर उधर घूम घूम कर कुछ सोच रहा था.
कि मैं बोली- सोचो मत, मुझे चोदो ना प्लीज़!

वह तुरंत अपनी शॉर्ट ऊपर करके नीचे चला गया.
मुझे लगा कि शुरू होते ही सब खत्म हो गया.

मैं रोने लगी, उतने में वह वापस आया.
उसके हाथ में बिछाने के लिए कुछ था.

शुभ- तुम रो क्यों रही हो पागल? वह तो मैं देखने गया था कि सब सो रहे है ना … और ये लेने.

उसने यह बोला … तो मुझे और गुस्सा आ गया.
मैंने हाथ ऊपर किया तो वह बोला- देख कर … हाथ में मेहंदी लगी है … और मैं नहीं मार पाई!

मैं- मेहंदी हटने दो, कल बहुत मारूंगी और गांड पर ही मारूँगी साले.

शुभ हँसते हुए बोला- हां मार लेना मेरी जान, लेकिन अभी तो मैं तुम्हारी मार लेता हूँ.

मैंने उसको अपने सर से पेट में मार दिया और वह चटाई बिछाने लगा.

शुभ- लेट जाओ शोना.
मैं लेट गई और वह अपने सारे कपड़े उतारने लगा, फिर मेरे पास बैठ गया और मेरे हाथों को प्यार से संभाल कर ऊपर कर दिए ताकि मेहंदी खराब न हो.

हाय … वह कितना अच्छा है.

फिर मेरी टी-शर्ट को मेरे बूब्स से ऊपर तक कर दिया, बाहर नहीं निकाला क्योंकि उसे पता था कि अगर टी-शर्ट निकलेगी, तो मेहंदी खराब हो सकती है.

अब उसने मेरी ब्रा खोल दी. मेरे दोनों गोल गोल मम्मों को बाहर निकाल दिया और उन पर हाथ रख कर मसलने लगा.

वह मेरे ऊपर चढ़ गया और किस भी करने लगा. यह सब करते करते अब वह नीचे गर्दन पर आ गया. वहां चूमा और आखिरकार मेरे बूब्स से दूध निकालने की कोशिश करता हुआ पीने लगा.
उसने मेरे एक दूध पर मुँह लगा दिया और दूसरे को भँभोड़ने लगा.

मैं- आह बेबी चूसो, पियो मेरे दूध को अम्ह्ह … यस बेबी आह दबाओ ऊऊओ दबाओ.

वह करता गया.
नीचे जाते हुए उसने मेरे पेट, नाभि से गुजरते हुए अपनी मंजिल पा ही ली.

उसने मेरी शॉर्ट के बटन को खोला और चूत को सूंघते हुए मजे लेने लगा.

फिर उसने मेरी शॉर्ट और पैंटी दोनों एक साथ उतार दी और मुझे छत पर नंगी कर दिया.
वह भी नंगा होकर मेरे ऊपर लेट गया. उसका लंड मेरे पेट पर दबा हुआ था.

शुभ- विल यू मैरी मी शुबू!
मैं पूरा शॉक्ड- रियली … ऑफ़ कोर्स यस बेबी!

इतना बोलते ही वह थोड़ा सा नीचे खिसका ताकि लंड पेट से उतर कर चूत पर चला जाए … और उसने ये किया भी, तो मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई होगी.
मैंने भी झट से अपनी टांगें खोल दीं, लंड जाकर चूत की फांकों में सट गया.

उसने अपने दोनों हाथ से सपोर्ट लिया और ऊपर उठ गया. ऊपर नीचे होकर अपने लंड से चूत के छेद को ढूंढने लगा.
उसे तत्काल मिल भी गया.
मैं बहुत उत्तेजित थी.

उसने ज़ोर से धक्का लगा दिया पर लंड फिसल गया, गोल न हो सका!

चूत टाइट थी न … कभी इतना बड़ा कुछ डाला ही नहीं था इसलिए लंड को निराशा हाथ लगी.
मैं हल्के से मुस्कुराने लगी.

वह ट्राय करता रहा. दो तीन मिनट हो गए.

मैं- सॉरी, मेरे हाथों में मेहंदी लगी है वरना मैं पकड़ कर रख देती छेद पर और तुम ज़ोर देते तो घुस जाता!

शुभ- लेकिन अभी क्या करें!
मैं हंस दी- मुझे क्या पता? तुम चोद रहे हो मुझे … करो कुछ भी.

शुभ- अच्छा ऐसा है, लो फिर तुम चोदो.
मैं- मैं कैसे?

शुभ- हाथ नहीं लगा सकती, लंड पर बैठ तो सकती हो ना!

फिर वह उठा, मुझे भी उठाया और खुद सीधा लेट गया.
वह मुझे बोला- चलो चढ़ जाओ!

मैं उसके टावर जैसे खड़े लंड के बीच में खड़ी हो गई और पैर फैला दिए.
फिर नीचे बैठने लगी.

उसने अपने हाथ से लंड को पकड़ा और सीधा रखा.
मैं चूत को लंड पर घुमाने लगी और जैसे ही छेद मिला, मैं एक झटके में उसके ऊपर धम्म से बैठ गई.

आह …

लंड रास्ता बनाते हुए एकदम स्पीड में चूत को चीरते हुए अन्दर घुस गया.
वह भी पूरा.

मैं दहल गई … खेल खत्म, मैं सीधा उसके ऊपर लेट गई.

मैं- अब इसके आगे तुम्हारी जिम्मेदारी, जो करना है … करो. मेरे से कुछ नहीं होगा.
शुभ ने मुझे प्यार से अपनी गर्म सांसें मेरे कानों में छोड़ते हुए बोला- थैंक्यू बेबी … अब तुम बस मजे लो.

उसने नीचे से कमर हिलाना शुरू किया और स्लो स्लो धक्के मारने लगा.
मुझे दर्द हो रहा था … और आंसू भी निकलने लगे. पर पता नहीं क्यों, फिर भी मैं खुश थी.
वह अब मुझे चोदने लगा. मैं चुदने लगी.

वह ‘आह आह …’ कर रहा था और धक्के दे रहा था.
कमी थी तो बस मेरे मोटिवेशन की … तो मैं आह आह करते हुए उसे उत्साहित करने लगी.

मैं- ओय तेज करो ना … अम्ह … यस बेबी … फक माय पुसी … आह्ह्ह्ह उम्म्म आऊऊ फास्ट शोना … यस उम्म चोदो चोदो और तेज … मेरे शुभु बेबी … आह आह कम ऑन … जानू उम्मह.

ये सब उसके कान में पड़ने लगा और स्पीड बढ़ती गई. वह चोदता गया, मैं चुदाती गई.

चांदनी रात में आह क्या मजा आ रहा था चुदने में … खुले आसमान के नीचे ठंडी ठंडी हवाएं जिस्म को छू रही थीं और चुदाई का आह ऐसा सुख और कहां मिल सकता था!

उसने मुझे भरपूर चोदा.
मुझे मजा आ रहा था और मेरा दर्द कम हुआ तो मैं उठ गई.
वह बोला- बेबी अब तुम रिलैक्स करो, मैं करता हूँ.

मैंने उसे रोका और फिर से उसके लंड के ऊपर उछलने लगी और खुद को ही चोदने लगी.
वह भी आह आह आह ओह करके मजे ले रहा था.

मेरा बेबी कितना प्यारा लग रहा था.
हाय मैं उसको देख कर और जोश में उछलने लगी; मेरे बूब्स जोर जोर से हिलने लगे.

उससे ये देखा नहीं गया, तो उसने दोनों को पकड़ लिया और मिसमिसा कर दबाने लगा.
टाइम हो गया था, उसका निकलने वाला था तो वह बोला- उठ जाओ जल्दी से!

मैं समझ गई, झट से उठ कर लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
उम्मम् उम्ह करके लंड चूसने लगी.

उसने पानी छोड़ दिया, पूरा मुँह में भर दिया.
मैंने भी ले लिया और उठ कर घर के पीछे छत के ऊपर से थूक दिया.

फिर उसने मुझे कपड़े पहना दिए.
मेरे हाथ में मेहंदी थी न इसलिए … और खुद भी पहने.
हाय मेरा पति.

फिर हम दोनों नीचे आ गए और पास पास ही सो गए.
उसने मेरी चूत लाल कर दी और मेहंदी तो लाल हो ही जाएगी.

अगले दिन भैया की शादी में हमने मजे किए रस्मों में … और फोटो लेकर तैयार होकर ऐसे मजे लिए.

फिर शादी खत्म हुई.

रात को शुभ को निकालना था, तो मैं बुआ से बोली- मैं कल नहीं, आज ही जाऊंगी.
बुआ- अरे अभी रात होने वाली है, कैसे भेज दें हम तुझे?

मैं- अरे बुआ, अकेली कहां … शुभ है ना … इसके साथ चली जाऊंगी!
बुआ- ठीक है.

तो हम दोनों निकल गए और रात को बीच में होटल में भी रुके.

रूम में घुसते ही उसने तो मुझे एक बार बिना कपड़े उतारे ही चोद दिया.
उसने बस चूत खोली थी और अपना लंड निकाला था.

फिर वहां तो मेरे हाथ भी फ्री थे और नाइट ड्रेस ली थी, वह पहन कर मजे लिए.
बूब्स फकिंग की, खड़े होकर चुदाई की, घोड़ी भी बनी, बेड तोड़ चुदाई की.

बहुत मजा आया.
वह सेक्स कहानी फिर कभी लिखूँगी.

तो दोस्तो, वह मेरा बंदा ऐसे बना था और ऐसे शादी किसी और की हुई थी लेकिन सुहागरात मेरी मनी.

मैं उम्मीद करती हूँ कि आपको खुश कर पाई होऊंगी. इंडियन लड़की कहानी पर अपने विचार मेल और कमेंट्स में लिखें.
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