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Punjabi - ਭਾਸ਼ਾ भाई ने चूत सूजा दी

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हैलो दोस्तों इस में आप सभी स्वागत है यह आपको पढ़कर मज़ा आने लगेगा इस में आज मैं आपको एक अपनी ज़िंदगी की खूबसूरत पल का एहसास आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूं इसमें कोई बनावटी बात नहीं है सिर्फ मैंने अपने एहसास को शव्दो के माधयम से आपको सामने ला रही हूं सभी के ज़िदगी में कुछ ऐसे पल आते है

जहा रिश्तों की मर्यादा टूट जाती है मेरे साथ भी यही हुआ मैंने रिश्तों की मर्यादा को तार तार करने में कोई कसार नहीं छोड़ी करती भी क्या कुछ रास्ता भी नहीं था जवानी की दहलीज़ पे बड़ी सी बड़ी गलतियां आसानी से हो जाती है अंदरवासना डॉट कॉम पे मैं आपके लिए शेयर कर रही हूं

मैं बिहार से हूं मेरी उम्र उस समय 24 साल की थी मैं अपने दादी के साथ रहती थी क्यों की मेरे पापा मां और भाई बहन सारे जमशेदपर में रहते थे क्यों की उसकी उम्र मेरे से काफी छोटी थी वो रोज मेरे घर आया करता है मेरे घर के बगल में उसका घर था

मैं खाना बनाती थी वो मेरे चूल्हे के पास ही बैठा रहता था मैंने रेडिओ में गाना सुनती और वो गाने का विश्लेषण करता वो मेरे से काफी गूला मिला रहता था मैं भी उसके साथ अपनी मन की बात को शेयर किया करती थी मैं भरपूर जवानी की दहलीज़ पे थी

मेरी चूचियां भी काफी बड़ी बड़ी ब्रा से बांध के रखती पर कमबख्त जवानी छलक ही जाती थी जब मैं चूल्हे को फूक रही होती उस समय मेरी आधी चूचियां बहार आ जाती और मुकेश मेरी चूचियों को देखकर मज़ा लेता जब मैं मटक के आंगन में चलती तो वो मेरी चूतड़ को निहारते रहता मुझे भी अच्छा लगता

मेरी दादी शाम के करीब 7 बजे तक खाना खाके सो जाती थी मैं विविध भारती पे गाने सुनकर करीब 9 बजे तक सोती एक मुकेश रात को करीब 8 बजे आया और बैठ के अपनी एग्जाम के बारे में बातचीत करने लगा दादी घर के बाहर बगल में एक कमरा था वही सोती थी

गाँव में विजली बड़ी मुस्किल से आती थी सार काम लालटेन से ही होता था हम दोनों बैठ के बात कर रहे थे तभी जोर से आंधी चलने लगी आंगन में पड़े सामान को मैं कमरे में रखने लगी वो भी मेरी मदद कर रहा था और कुछ देर में बारिश होने लगी मैं भीग गयी थी

मेरा कपड़ा मेरे बदन पे चिपक गया था उस दिन मैं ढीला ढाला सूट पहन रखा था ब्रा भी नहीं पहनी थी भीगने की वजह से मेरे कपडे बदन में में चिपक गए था मेरी दोनों चूचियां साफ साफ दिखाई दे रही थी मेरे गांड भी वैसे ही दिखाई दे रहे थे

जब मैं लालटेन की रौशनी में आती मेरा भाई मुकेश भूखी निगाहों से मुझे देख रहा था मैंने देखा की उका लंड खड़ा हो रहा था उसने ट्रैक सूट पहन रखा था मेरा भी मन डोल रहा था पर रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल था क्यों की वो मेरा चचेरा भाई था

अचानक से मुकेश मुझे पीछे से पकड़ लिया उसके दोनों हाथ मेरे चुचों पे थे वो कह रहा था माफ़ करना दीदी अब बर्दास्त के बाहर है अगर मैं अपनी वासना की भूख नहीं मिटाऊंगा तो मैं पागल हो जाऊंगा मैंने उसके दोनों हाथ को पकड़ के हटाने की कोशिश की पर वो जोर से पकड़ रखा था

मैंने कहा मुकेश ये गलत बात है मैं तुम्हारी दीदी हूं तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते हमारा रिश्ता भाई बहन का है उसपर मुकेश बोला मैं आपका भाई हूं और रहुगा भी हमेशा लेकिन ये किसी को भी पता नहीं चलेगा मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं

मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं उसकी मजबूत बाहों ने मुझे भी पिघला दिया मुझे भी वो जकड़न अच्छा लगने लगा फिर मैं बड़े ही शांत स्वर में मुकेश से कहा मुकेश पता है ये बात किसी को पता चल गया तो क्या हाल होगा मुकेश ने कहा मां कसम दीदी मैं कभी भी किसी को नहीं बताऊंगा

मैंने कहा ठीक है पर बस एक बार ही दूंगी पहले प्रोमिस करो मुकेश ने प्रोमिस किया की एक ही बार वो मुझसे सम्भोग करेगा मैंने उसके तरफ घूम गयी वो अब चूचियों को छोड़ कर मेरे बड़े बड़े चूतड़ को दोनों हाथ से दबा के अपने लंड के पास मेरे चूत को सटा लिया और धक्का मारने लगा

मैंने उसके होठ को अपने होठ से चूमना सुरु कर दी आंधी तेज चल रही थी ठंडा मौसम में गरम एहसास हो रहा था मेरा शरीर गरम हो चुका था मैं मुकेश का लंड लेने के लिए काफी व्याकुल थी मैं चुद जाना चाह रही था तभी मुकेश ने मेरे ऊपर के गीले कपडे को उतार दिया

मेरा बड़ा बड़ा चूच उसके सामने जैसे ही पड़ा वो बच्चो की तरह पिने लगा मैंने पूछा मुकेश क्या मिल रहा है इसमें इसमें से तो कुछ भी नहीं निकलेगा मुकेश ने कहा दीदी जब लड़की की चूची को पियों को अमृत दूध से नहीं चूत से निकलने लगती है देखो हाथ लगा के अपने चूत पे अमृत निकल रहा होगा

मैंने अपने सलवार का नाड़ा ढीला किया और चूत पे हाथ लगा के देखा तो चूत गरम हो चुका था और लस लसीला पदार्थ निकल रहा था मैंने कहा हां मुकेश सही कर रहे हो चूत से तो अमृत निकल रहा है पर तुम ऊपर क्या कर रहे हो पीना है तो अमृत पियो

वो चूची को छोड़कर नीचे बैठ गया और मैंने दोनों पैर फैला दी बीच में आके मेरे चूत को चाटने लगा मैं बैचेन होने लगी में उसके बाल को पकड़ के उसका मुंह चूत में सटाये जा रही थी मैंने कहा बस मुकेश अब चोद दो मुझे पूरा कर लो अपनी हसरत

मैं तुम्हारी हूं आज रात के लिए जो मर्ज़ी कर लो मेरे साथ मैं तुम्हारी हूं डिअर आई लव यू माय ब्रदर वो मुझे गोद में उठा लिया और पलंग पे लिटा दिया मेरी चूत में खुजली हो रही थी लग रहा था जल्दी से लंड का मज़ा ले लू

तभी मुकेश मेरे पैर के पास बैठ गया और मेरे दोनों पैर को फैला दी और अपना लंड को चूत के ऊपर से गांड के छेद तक सटाया ऐसा उसने चार पांच बार किया मैं तो उसकी लंड की रगड़न से काफी परेशान हो रही थी और उसने वो कर दिया जिसका मुझे इंतज़ार था

पूरा की पूरा लंड मेरे चूत में पेल दिया मैं दर्द से कराह रही थी उसका लंड मेरे चूत में सेट हो चुका था मेरे आँख में आंसू आ गए थे क्यों की ये मेरी पहली चुदाई थी वो फिर धीरे धीरे निकाला और फिर से एक झटका दिया मैंने तो पहले समझ रही थी

उसका लंड पूरा चला गया पर मैं गलत थी उसका लंड आधा ही अंदर गया था अब दो इंच और गया तीसरे झटके में पूरा लंड मेरे चूत से होते हुए पेट तक जा रहा था दर्द का एहसास हो रहा था पर ये एहसास अच्छा था फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा

मैंने भी गांड उठा उठा के चुदवा रही थी वो फिर कई तरह से मुझे चोदा मैंने पूछा मुकेश तुम्हरे इतने सारे पोज कैसे आता था तो वो बोला हमलोग एडल्ट मूवी देखते है इसलिए मुझे पता है चुदाई का पोजीशन

रात भर चोदने के बाद मेरा चूत सूज गया था दर्द के मारे चला नहीं जा रहा था सुबह के करीब चार बजे मुकेश वापस अपने बंगले में सोने चला गया और मैं भी सो गयी उस रात का चुदाई का एहसास गजब का था इस साल मेरी शादी होने बाली है

देखो उतना मज़ा मिलता है की नहीं जितना मुकेश ने दिया था वो अपनी प्रोमिस को नहीं निभा पाया वो मुझे कई बार चोदा जब भी उसका मन किया मुझे भी लग रहा था ये गलत प्रोमिस मैंने करवाया था उसके साथ क्यों की मुझे भी अपने भाई से चुदना अच्छा लगता था कैसी लगी यह कॉमेंट करके जरूर बताना
 
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