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पोर्न एक्ट सेक्स स्टोरी में मैं मम्मी और बहनों के साथ अश्लील थियेटर में काम करता था। हमारी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया जहां मुझे सबके सामने मम्मी की गांड चुदाई करनी पड़ी!

कैसे हो मेरे प्यारो! मैं फिर से आपको सेक्स-चुदाई की कामुक कहानी का डोज देने आ गया हूं।

दस्तो, पारिवारिक चुदाई का मज़ा कुछ और ही होता है।

तो कुछ और बताने से पहले अपना परिचय दे दूं।

मेरा नाम ठोकसिंह छबीला है।
मैं जोधपुर, राजस्थान का रावणा राजपूत हूँ।
छबीला मेरा उपनाम है।

यह पोर्न एक्ट सेक्स स्टोरी मेरी मम्मी के बारे में है।

संयोग से मेरी मम्मी का नाम छबीली है, वह 39 वर्ष की है, हालांकि दिखने में वो 35 की लगती है।
जबकि मैं 18 का हूँ।

मेरी मम्मी का बदन मांसल, भरा-भरा, तीखा और माफ़ करना, कुछ सेक्सी है।
पुत्र होते हुए भी मुझे कहना पड़ता है कि उसके स्तन अर्थात मम्में बहुत प्यारे-प्यारे और दूधिया हैं, और बड़े भी।

मम्मी का शारीरिक हुलिया बताना मेरा परम कर्तव्य है, सो बता रहा हूं।

मेरी मम्मी के शरीर के गठन में उसकी जांघें केले के पत्ते जैसी चिकनी, चौड़ी और लोचदार हैं। लेकिन सबसे मस्त हैं उसके नितम्ब।

ममम्मी कलाकार है, कलाधर्मी कहिये।
वह जलेबीबाई चस्का थिएटर में नर्तकी है, और अश्लील नृत्य में माहिर है।
मेरी दो बहनें भी उसके संग नाचती हैं।

इसमें मधुर बात यह है कि इस थिएटर में अपनी मम्मी व बहनों के साथ मैं भी शामिल होता हूँ.
लेकिन मैं नाचने का काम नहीं करता … सिर्फ सेक्सी चुहलबाजी का काम होता है मेरा यहाँ।
और इसी काम से हमारी आमदनी होती है।

सच कहूं तो बहुत अच्छी आमदनी होती है।
भगवान की दया है।
तो ऐसे वातावरण में मैं अपनी मम्मी-बहनों से काफी खुल जाता हूँ और ये गलत भी नहीं है।

अलबत्ता घर में हम साफ़-सुथरे रहते हैं लेकिन थिएटर का असर मेरे मन में धँसा रहता है तो कभी-कभी सेक्स विचार आ ही जाते हैं।

यह सही है कि जलेबीबाई थिएटर में मम्मी व मेरी दो बहनों का काम नाचना ही है लेकिन इसके बीच-बीच अश्लील दृश्य व अश्लील बातचीत का तड़का जरूर लगता है।

अब सच ये है कि उस वक्त मेरा कर्तव्य अपनी मम्मी व दो बहनों के साथ खुलकर खेलने का होता ही होता है, ख़ासकर मम्मी के साथ।

सच दोस्तो! बहुत बार मुझे ऐसे अश्लील दृश्यों में मम्मी के ऊपर चढ़ जाना पड़ता है या गुत्थम-गुत्था हो स्टेज पर लोट-पोट होना होता है।
ऐसे दृश्यों की रिहर्सल जाहिर है घर पर ही होती है।

ऐसी पहली रिहर्सल जब हुई तो मैं बहुत झिझक रहा था।
तब मम्मी ने ही मुझे समझाकर दुलार के साथ उसके ऊपर चढ़ने का काम सिखाया था।

पहली बार जब मैं मम्मी के बदन पर चढ़ा तो मुझे अजीब लगा लेकिन फिर अभ्यास हो गया।

यानी मम्मी के ऊपर चढ़ने का काम फतह हो गया, और जब स्टेज पर यही काम मैंने कर दिखाया तो देखने वालों को मज़ा आया।

लेकिन सिर्फ मम्मी के ऊपर चढ़ना पर्याप्त नहीं था।
उससे ज्यादा कठिन काम था अश्लील और गंदे शब्द बोलना। इस तरह के थिएटरों में गन्दा बोल बहुत चलता है।

लोगों की रूचि विकृत है लेकिन हमको ये करना पड़ता है।

मेरी झिझक दूर करने के लिए मेरी प्यारी मम्मी ने ही मुझे ‘भोसड़ी’, ‘लौड़ा, लंड, चूत-फुद्दी’ बोलना व बकना सिखाया।
मेरी दो बहनें तो बहुत आसानी व प्यार से ये शब्द बोल लेती थीं।

अश्लील बातचीत को कॉमेडी कहा जाता है इस लाइन में!
मैं ये बता दूँ कि बिल्कुल पहली बार जब मैं जलेबीबाई चस्का थिएटर के रंगमंच पर उतरा तब क्या हुआ था?

उस वक्त मेरी माँम लहंगा उठाकर अपनी टाँगें चौड़ी करके नाच रही थी, और दर्शकों को अश्लील इशारे भी कर रही थी।
उस पर जो गीत के बोल थे:
“तेरे लहंगे में गर्म मसाला, इसमें आगे से किसने डाला … तेरी टांगों के बीच, तेरी जांघों के बीच, छोरी ‘बेलन’ किसने डाला?”

एक और सुनिए:
“आठ इंच का केला तेरी चूत बीच पेला, तब लंडन का खेला तेरी गांड ने था झेला, अलबेला मेरी लैला, चुद्दी-फुद्दी कस लैला लोला-लोली वाला छैला घप्प घुस लंड ठेला।”

इस तरह के बोल व अश्लील नाच के वक्त मुझे अपनी मम्मी के लहंगे में छिपी उसकी ‘चूत’ की तरफ एक लम्बे डंडे से भद्दे इशारे करने होते थे।
इस इशारे का मतलब कुछ ये समझ में आता जैसे मैं अपनी माँ की चूत में वह डंडा पेल रहा हूँ।

बस ठीक इसके बाद मुझे अपनी मम्मी के पीछे लग, यानि उसकी गांड से सट कर एक धक्का देना था, और फिर आगे से मम्मी के ऊपर सबके सामने चढ़ जाना था।
फिर लोट-पोट का खेल होता।

कभी मम्मी मेरे पर तो कभी मैं उसके ऊपर। इस तरह के नाच व अश्लील दृश्यों के कारण हमारा थिएटर लोकप्रिय होने लगा, लेकिन अब लोग और ज्यादा अश्लील, खुले दृश्य चाहते थे।
अब थिएटर में नृत्य कम और गंदे दृश्य बढ़ने लगे।

ऐसे ही एक दृश्य में मुझे अपनी मम्मी के आगे से चिपट उसके मम्में एकदम नंगे करके दिखाने थे।
यह काम काफी अश्लील तो था लेकिन यह मुझे अपनी मम्मी के कहने पर करना पड़ा।
अच्छा ये था कि उस रात मम्मी ने ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी।

मैंने अपनी मम्मी की भारी भारी छातियों पर मुंह मारा और ब्लाउज के बटन खोल मम्मी की मस्त उभारदार छातियों को एकदम नंगा करके सबको दिखा दिया।
यहाँ तक कि मैंने अपनी मम्मी की चूचियों को भी खींच कर सबको दिखाया। इसे ही कहते हैं रंगमंच की कला।

यह दृश्य मैंने बहुत कलाकौशल के साथ किया।
मम्मी के नंगधड़ंग मम्मों में मुंह मारते हुए मैंने अपना एक हाथ उसकी गांड पर टिका दिया व दूसरा हाथ मम्मी की जांघों के बीच छुपी उसकी चूत पर, आह्ह।

उस वक्त मैं सिर्फ एक निक्कर और पतला टीशर्ट पहने हुए था और ये करते वक्त मैंने अपनी टाँगें मम्मी की टांगों के बीच फंसा दी थी।
क्या ही अच्छा दृश्य था।
मगर लोग चाहते थे कि मैं अपनी मम्मी को पूरी तरह से नंगी करूं।

अगली रात का दृश्य ज्यादा अश्लील हो गया था।
इसमें मुझे अश्लील बोलते हुए अपनी ही मम्मी को सब देखने वालों की आँखों के सामने, अपनी जन्मदात्री मम्मी को भरपूर-भरपेट अर्थात एकदम नंगी करना था।

अब करना था तो करना था, लेकिन ये दृश्य करने से पहले मेरा हृदय जोर से धड़कने लगा।
वह तो मम्मी ने ही मुझे हिम्मत दी और घर पर तीन बार रिहर्सल किया तो काम बन गया।

ऐसे खुले कामुक दृश्यों के कारण थिएटर की शोहरत ऊंची होने लगी।

एक दिन एक सेठ हमारे पास आये और उसने मेरी मम्मी से बहुत देर तक एकांत में बात की।

मम्मी ने मुझे बताया- अब हमें कला धर्म के दूसरे मुकाम पर पहुंचना है। यह धर्म है नग्न फिल्मों में अपनी कला दिखाने का। इससे हमें गाड़ी, बंगला, बैंक बैलेंस व अच्छी शोहरत मिलने वाली है।

तब मम्मी बोली- स्टेज पर तो तुम मुझे दो-तीन बार मुझे मादरजात नंगी कर ही चुके हो। खुल कर अश्लील बोलना भी तुम्हें आ गया है। तुम्हारा संकोच भी ख़त्म हो गया है। तो अब एक अच्छे बेटे की तरह सच्चे सपूत बन अपनी मम्मी को नग्न कलाकौशल के परम धाम पहुँचाओ।

यह सुन कर व मम्मी का इरादा भांप कर मैंने हामी भर दी।
मैं समझ गया कि इसका मतलब क्या है।

तो फिर मैंने अपनी मम्मी को अच्छी तरह से देखा।
वाह, क्या मस्त माल थी … मोटे सुडौल मम्में, तीखी चूची, कोमल पेट, सुन्दर नाभि, पतली कमर, तनी हुई जांघों का खुमार, चिकनी तिकोनी चूत, और मस्त मटकती गांड।

फिर मम्मी ने भी मुझे ताका और बुदबुदाई- वाह, क्या कमसिन लौंडा है, हाय … इसका लंड मेरी भोसड़ी में जाएगा तो कितना मज़ा आएगा … आह्ह भगवान जी!

दूसरे ही दिन हमें सेठ के पोर्न स्टूडियो जाना था।
हमारी कला के बारे में सेठ के ख्याल अच्छे थे।
हम दोनों मम्मी-बेटे समझते थे कि नंगी फिल्म क्या होती है।

अब तो हम दोनों के शरीर में सेक्स का करंट भी चढ़ चुका था।
उफ़ … क्या बात थी कि बेटा अपनी मम्मी को चोदने और मम्मी अपने ही बेटे से चुदने को लालायित थी।

जब हम वहां पहुंचे तो हमें प्रोड्यूसर सेठ ने बताया कि इस काम को फिल्माने के लिए जो स्टाफ है वो सब जवान लड़कियों का है।
डायरेक्टर का नाम बेलारानी भोसले था, कैमरा चलाने वाली का नाम मधु था।

स्टूडियो में स्टाफ की 20 लड़कियों की भीड़ थी।
इन सब के सामने मुझे अपनी मम्मी को चोदना था।

कथा लेखिका कंचना कुमारी ने मुझे बताया कि इस फिल्म में एक बेटा अपनी मम्मी को अपनी दो बहनों के सामने चोदत़ा है।

जिन दो लड़कियों को फिल्म में मेरी बहनों का रोल करना था वो स्कूल गर्ल थी।
दोनों स्कर्ट व टॉप में थीं।
हम दोनों ने फिल्म की पटकथा पढ़ ली थी व संवाद समझ लिए थे।

फिर सेठ ने कहा कि वह हमें एक बार यह काम करके बताएगा, उसी तरह से हम दोनों को चुदाई का काम करना है। तब जो प्रोड्यूसर सेठ था झुम्मन लाल चुम्मन लाल शाह वह तपाक से नंगा हो गया।

सेठ का बदन बहुत भारी था, पेट आगे की ओर आया हुआ, पुट्ठे व पिंडलियाँ मजबूत।
उसका लंड 7 इंच का था व अंडकोष बड़े-बड़े थे।
झांटें ट्रिम थीं।

सेठ ने मुझसे कहा- अपनी मम्मी को नंगी कर, मैं उसे चोद कर दिखाऊंगा।
फिर बोला- चल रहण दे छोरे, मैं ही उसे नंगी करता हूँ. साली, क्या मस्त माल है।

सेठ मेरी मम्मी के पास पहुंचा और वह पीछे से मेरी मम्मी की गांड से सट गया।
उसका एक हाथ मम्मी की जीन्स की जिप पर और दूसरा हाथ मम्मों पर गया।

उसने मम्मी के गालों पर अपनी जीभ रगड़ी और बोला- आ जा मेरी जान, आज तुझे अपने लंड, अपने लौड़े की सैर कराता हूँ।
यह कह कर वो मेरी मम्मी को मेरे सामने ही नंगी करने लगा और अब मम्मी नंगधड़ंग थी।

उसने भी नखरे के साथ सेठ से कहा- हाय मेरे राजा, क्या मोटा … झोटे जैसा लंड है तेरा!
यह कह कर मम्मी ने सेठ का लौड़ा पकड़ लिया।

सेठ ने मेरी मम्मी की गांड में उंगली डाल दी और मम्मी ने सेठ की मोटी गांड को सहलाना शुरू कर दिया।

अब जो दो स्कूल गर्ल थीं उन दोनों ने मेरे कपड़े उतारे और मेरे लंड को सहलाने लगीं।
फिर दोनों लड़कियों ने मेरा लंड बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया जिससे वो पूरा बड़ा हो गया।

सेठ ने मुझे बुलाया और कहा- चल, अपनी मम्मी को चोद!
मम्मी ने भी मुझे बुलाया और कहा- आ जा बेटा, तू यही चाहता था न! तू अपनी मम्मी को चोदना चाहता है न, मेरा राजा बेटा!

मैं बोला- हाँ मम्मी, मैं तेरी भोसड़ी में अपना लंड घुसा घुसाकर तुझे मज़ा दूंगा, मेरी रानी!
मम्मी फुसफुसाई- हाय मेरा राजा बेटा, देखूं तो तेरा लौड़ा।

तब मैंने निहायत बेशर्मी से अपनी मम्मी को अपना नंगा लौड़ा दिखा ही दिया।

मम्मी उसे चूसने लगी और मैं मम्मी के मम्मों को मुंह में भर जुगाली करने लगा।
अब मेरा लौड़ा 7 इंच का हो गया था।
फिर मैं बोला- मम्मी, मैं तेरी भोसड़ी देखूंगा।

मम्मी बोली- देख न बेटा, अच्छी तरह से देख!
तब मम्मी ने अपनी चूत चौड़ी की और भीतर का हिस्सा दिखाया।
वो बोली- यही वो जगह है जहां से तुम पैदा होकर निकले हो।

मैं बोला- हाँ मम्मी, अब इसी में मैं अपना लंड पेल-पेलकर तुझे गर्भवती करूंगा, फिर मेरे सीमन (वीर्य) से बच्चा पैदा होगा।

मम्मी की भोसड़ी को मैंने अच्छी तरह से देखा, वो भीतर से गर्म और लाल थी।
क्या मस्त लसलसी चूत थी!

हरेक बेटे को अपनी मम्मी की नंगी चूत देखनी चाहिए।

मम्मी की चूत में मैंने उंगली की, पहले एक, फिर दो, फिर तीन।

तीनों उंगली आगे पीछे करते हुए मैं अपनी मॉम के गुप्तांग में घिस्से लगा रहा था।
उसे खूब चौड़ा किया और क्लिट तक अंगूठा घुसा उसे खूब छेड़ा।

उसी वक्त मेरी दोनों फ़िल्मी बहनें भी आ गई और बोलीं- भैया, अब मम्मी की फुद्दी में अपना डंडा फंसाओ, रगड़ो और मम्मी को तड़पा कर चोद दो।

मैंने मम्मी की गांड के नीचे तकिया रखा और चूत के मांस में अपना फूलकर मोटा हो चुका लंड घुसेड़ दिया।
मम्मी ने अपनी जांघें भरपूर चौड़ी कर रखी थीं और यह दृश्य निहायत अश्लील था।

मगर मादरचोद होने का मज़ा ही कुछ और है और मैं सौभाग्य से अपनी दो बहनों की आँखों के सामने अपनी जन्मदात्री मम्मी को चोद रहा था।
साथ-साथ मम्मी की गांड में उंगली भी कर रहा था।

मम्मी चिल्ला रही थी- आह … आह … हाय उफ़्फ …
मगर मैं कमर को कसकर पकड़े हुए मम्मी की भोसड़ी में शटिंग कर रहा था।

कुछ भी हो, लगातार पौना घंटा मैंने मम्मी की भोसड़ी रगड़ी।

फिर मेरे वीर्य का फव्वारा छूट गया जिसमें से मैंने कुछ मम्मी के मुंह पर उड़ेल दिया।
कसम से कह सकता हूँ कि इस रतिक्रिया में मेरे से ज्यादा मम्मी को मज़ा आया।

अब मेरी मम्मी का कर्तव्य था कि वो मेरे लंड को मुंह में भर उसे मजे से चूसे।
मेरे लौड़े का सुपारा भभका हुआ था और उसका डंडा मोटा और लंबा हो गया था।

मैंने मम्मी के मुंह को झंझोड़ा, उसके गालों पर झापड़ मारा, फिर अपने अंडकोष मम्मी के अधरों पर टिका दिए।

मम्मी के होंठों को मुंह में दो उंगली डाल जबरदस्ती करते हुए खोला और मुंह में अपना लौड़ा डाल दिया।

मेरा लंड मम्मी को हलक तक चुभ रहा था।
वो बार-बार खांस रही थी।

मेरा लौड़ा जड़ समेत मम्मी के मुंह में घुस चुका था।

कम से कम आधे घंटे मम्मी की मुख चुदाई की उसके लायक बेटे, उसके सुपुत्र ने।

लकिन अभी एक मुख्य काम बाक़ी था।
सेठ ने शुरू में ही कह दिया था कि इस फिल्म में मुख्यतः तुम्हें अपनी मम्मी की गांड मारनी है, और बाद में बहनों की भी।
लेकिन दो घंटे तक तो सिर्फ और सिर्फ मम्मी की गांड मारने का सीन चलेगा।

अब सच ये है कि मैं मम्मी की गांड पर पहले से ही फ़िदा था; हमेशा सोचता कब और कैसे मम्मी की गांड को टटोलूं, उसके गोलकों को चौड़ा करके मम्मी की गांड का छेद देखूं।

पुरुष को चूत के बजाय गांड मारने में ही सच्चा मजा आता है।
बलिष्ठ और सच्चे मर्द ही गांड मार सकते हैं।

मैंने मम्मी की गांड पर थाप लगाईं और उसे सचेत किया।

मैं मम्मी के कानों में फुसफुसाया- मम्मी, अब मैं तेरी गांड मारूँगा!
मम्मी बोली- ना बेटा, यह गलत है।

मैंने हँसते हुए कहा- नहीं मम्मी, आजकल अच्छे बेटे अपनी मम्मी-बहनों की गांड जरूर से जरूर मारते हैं, तू एक बार मरवा कर तो देख, गांड मरवाने में कितना मज़ा आता है। हाँ, शुरू में थोड़ा दर्द होगा, मगर बाद में तुम उछल पड़ोगी।

कह कर मैंने अपनी प्यारी मम्मी की गांड सहलाई, थपथपाई और उसकी गांड के गोलकों को मथने लगा।
दोनों बहनों से कहा कि वे मम्मी के गोलकों को कस कर पकड़ें।
साथ ही मम्मी की गांड का मुहाना विपरीत दिशा में चौड़ा करें ताकि मैं अपनी प्यारी मम्मी की गांड का छेद अच्छे से से देख सकूं।

मम्मी के साथ यह काम मैं बल लगा कर करने लगा।

मैंने मम्मी की गांड के छेद में थूका, फिर पेशाब किया, फिर क्रीम लगाई और फिर उंगली करके अंदर तक पहुंचाई।

अब गांड लौड़ा घुसाने लायक हो गई थी।
फिर मैंने एक बार ही में जोर का धक्का दिया तो 3 इंच घुस गया मेरा लौड़ा।

इस समय मम्मी के मुंह से चीख निकली लेकिन मैंने उसका मुंह दबोच दिया।
मित्रो, गांड मारने का मज़ा ही कुछ और होता है।

गांड मारने के साथ मैं अपनी मॉम की चूत में उंगली भी कर रहा था। मम्मी हाय-तोबा मचा रही थी लेकिन मैंने साली को छोड़ा नहीं।

एक रंडी की तरह उसकी गांड मारने का कार्यक्रम मैंने किया।
सेठ मेरे इस पोर्न एक्ट सेक्स से खुश था।

उसने अपनी मोटी-ताज़ी सेठानी से बोला कि वो मेरी गांड के पीछे नंगी हो चिपक जाए और मेरी गांड को धक्का दे, इससे मेरा लौड़ा मम्मी की गांड में जड़ तक जम जाएगा।

यहाँ बताने लायक बात ये है कि मेरे बाद सेठ ने भी अपना लौड़ा मेरी मम्मी की गांड में ठोका।

सेठ के फारिग होने के बाद मैंने दोबारा से मम्मी की गांड मारना शुरू किया।
अब तो मम्मी को भी मज़ा आने लगा।

वह इस कुत्सित आनंद के कारण सुखपूर्वक आह … आह … आह्ह करती चली जा रही थी।
मैं जोर जोर से शिकारी कुत्ते की तरह उसकी गांड मारे चला जा रहा था।

मम्मी चुदास के आनंद के वशीभूत होकर चीखी- आह्ह मेरे बेटे … शाबाश … आह्ह और चोद … मार अपनी मम्मी की गांड … आह् … हाय … क्या मजा दे रहा है मेरा लाल … तूने मेरे दूध की लाज रख ली।

दोस्तो, मैं मम्मी की गांड में ही खाली हो गया और सेठ इस दृश्य पर ताली बजाने पर मजबूर हो गया।

मम्मी-बेटे की चुदाई की ये फिल्म आगे भी जारी रखने की कोशिश करूंगा।
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