रियल सेक्स विद आंटी का मजा मेरे ताऊ के बेटे ने मेरा मम्मी को चोद कर लिया. मेरे पापा नहीं हैं तो हम ताऊ के घर में रहते थे. चचेरे भाई ने मेरी माँ को ट्रिक से अपने जाल में फंसा लिया.
दोस्तो, मैं सूरज विदिशा से हूँ.
मेरी उम्र 19 साल और मेरी मां प्रतिमा की उम्र 38 साल है. मां की बहुत कम उम्र में ही शादी हो गयी थी.
पापा गांव में दुकान चलाते थे.
यह रियल सेक्स विद आंटी का मजा वाली बात सन 2022 की है. पापा को कैंसर हो गया था.
अपनी उस बीमारी से लड़ते लड़ते अभी दो महीने पहले उनकी मृत्यु हो गयी है.
हमारा सारा पैसा पापा के कैंसर के इलाज में चला गया है.
मेरी पढ़ाई और घर चलाने के लिए मेरी मां प्रतिमा, मेरे बड़े ताऊ गौरव के घर में काम करने लगीं.
गौरव ताऊ शहर में रहते हैं.
हम दोनों उनके घर में ही रहने लगे थे.
मेरी मां दिखने में बहुत सुंदर हैं.
उनके बड़े बड़े चूचे, गांड भी बड़ी है.
उन्हें देख कर तो हर कोई उनकी सवारी करना चाहेगा.
मेरी नजर भी पिछले दो साल से मां के चूचों पर ही टिकी है.
जब हम दोनों शहर में ताऊ के घर जाकर रहने लगे तो मेरी ताई को ये बात पसंद नहीं आई.
वे मेरी मां से घर का सारा काम करवाती थीं.
गौरव ताऊ का लड़का मुझसे बड़ा है और मेरे चचेरे भाई का नाम विवेक है.
वह कॉलेज में पढ़ता है और काफ़ी हैंडसम है.
उसकी नजर पहले दिन से ही मेरी मां पर थी.
वह मेरी सेक्सी मां को घूरता रहता था और मैंने देखा था कि वह मेरी मां का नहाते हुए वीडियो भी बना चुका था.
जब मैंने उसे देखा तो उसने बड़ी बेशर्मी से मुझे मेरी मां की नंगी वीडियो को दिखाया.
मैंने भी उसी बेशर्मी से उसे अपने लंड का हाल बताया.
हम दोनों की विचार धारा एक जैसी थी.
तो हम दोनों ने प्लान बनाया कि मां को कैसे चोदा जाए.
Desi Mom Sex Story - Maa ki chudai
यह तय हुआ कि जब भी कार्यक्रम बनेगा तो पहले विवेक चोदेगा, फिर मैं.
एक दिन मां घर में पौंछा लगा रही थीं.
उसी समय विवेक एक तौलिया पहन कर आया और उसने जानबूझ कर खुद को रपट कर गिर गया, जैसा नाटक किया और अपना तौलिया खोल दिया.
मां और ताई दौड़ कर उसके पास आईं.
मां ने पहले आकर उसे सहारा देकर उठाया. उस वक्त मेरी मां को उसके लंड का दर्शन हो गया.
फिर ताई के आने से पहले विवेक ने तौलिया पहन ली और ताई के सामने घुटने में दर्द का नाटक किया.
ताई ने मां को बहुत डांटा और कहा- मेरे बेटे को चोट लग गई. अब तू ही इसकी सेवा कर!
मां ने वैसे ही किया.
वे रूम में गईं और विवेक के घुटने पर तेल लगाने लगी.
विवेक ने कहा- प्रतिमा आंटी, मुझे शाम को भी तेल लगा देना.
शाम को ताऊ ताई बाहर जा रहे थे.
वे दोनों एक दिन के लिए कहीं शादी में जा रहे थे.
विवेक इस बात का फायदा उठाना चाहता था.
ताऊ ताई के शाम को बाहर चले जाने के बाद विवेक ने मां को आवाज देकर बुलाया और उनसे घुटने पर तेल लगाने के लिए कहा.
मां सरसों का तेल लेकर आईं.
तब घर में सिर्फ़ मां विवेक और मैं था.
मैं टीवी देख रहा था.
मां उसके कमरे में गईं और देखा, तो विवेक सिर्फ़ चड्डी में था.
उसने मां का हाथ पकड़ कर बेड पर बिठाया.
मां को बुरा लग रहा था लेकिन मजबूरी में उन्होंने विवेक के घुटने पर तेल लगाया.
उसी टाइम विवेक जानबूझ कर अपना आठ इंच का लंड चड्डी के अन्दर हाथ डाल कर मसल रहा था.
मां तेल लगा कर चली गईं.
तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा.
अब विवेक की चोट ठीक हो गई थी.
अगले दिन ताऊ ताई एक हफ्ते के लिए विदिशा से बाहर जाने वाले थे.
यह मौका विवेक और मैं किसी सूरत में नहीं खोना चाहते थे.
हम दोनों ने प्लान बनाया और मैं तीन दिन के लिए अपने दोस्त के घर चला गया.
ताऊ ताई के जाने के बाद फिर से एक दिन मां पौंछा लगा रही थीं और घर पर उनके अलावा सिर्फ़ विवेक था.
उसने फिर से जानबूझ कर सिर्फ तौलिया पहना और गिरने का नाटक करने लगा.
वह इस बार बहुत तेज दर्द वाला नाटक करने लगा.
वह नंगा गिरा था.
मां उसके पास आईं और उसे उठाया, तो विवेक का तना हुआ 8 इंच का लंड मां को दिखने लगा.
मेरी मां को भी उसके लंड देख कर कुछ हसरत जागी, पर वे कुछ नहीं बोलीं.
मां विवेक को कंधे के सहारे उसके कमरे में लेकर गईं.
मां ताई को कॉल लगाने वाली थीं कि तभी विवेक ने मां को रोक दिया.
विवेक ने कहा- मैं ठीक हूँ … मैं मम्मी से कुछ नहीं बोलूँगा, पर आपको तेल लगाना पड़ेगा.
मां मान गईं.
वे रसोई से तेल लेकर आईं.
विवेक ने कहा- कमर और जांघों पर तेल लगा दो.
मेरी मां वैसा ही कर रही थीं.
विवेक अब भी नंगा ही था और मां तेल लगा रही थीं.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.
मां को उसका लंड देख कर अन्दर ही अन्दर कुछ होने लगा था.
कुछ देर बाद मेरी मां ने विवेक से कहा- तुम चड्डी पहन लो.
विवेक ने कहा- कमर में इतना ज्यादा दर्द कर रहा है कि मैं कुछ पहन ही नहीं सकता हूँ.
मां ने भी कुछ नहीं कहा.
वे विवेक की जांघों के जोड़ तक अपने हाथ लाकर उसे तेल लगाने लगी थीं. उस वजह से मेरी मां का हाथ विवेक के लंड से स्पर्श हो जाता था, तो विवेक का लंड फुंफकार मार देता था.
यह देख कर मां के होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी और उनकी आंखें विवेक की आंखों से मिलीं तो विवेक ने भी अपनी आंख दबा कर उन्हें लंड छूने के लिए उत्साहित कर दिया.
अब तो मेरी मां विवेक के लंड को पकड़ कर उसे भी मुठियाने सा लगी थीं और विवेक भी मां की पीठ पर हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ दबाने लगा था.
हालांकि मेरी मां ने इससे आगे कुछ नहीं किया लेकिन तब भी मेरी मां की दबी हुई वासना जागने लगी थी.
पिता जी के जाने के बाद से मां को यौन सुख नहीं मिला था तो उस दबी हुई राख में चिंगारी सी भड़कने लगी थी.
अब विवेक मेरी मां के सामने नंगा ही रहने लगा था.
मैं भी 3 दिन तक घर नहीं आने वाला था.
अगली रात को खाना खाने के बाद विवेक ने मेरी मां से तेल लगाने के लिए बुलाया.
मां तेल लेकर आईं और विवेक की कमर पर तेल लगाने लगी थीं.
तभी विवेक ने हंस कर कहा- अरे यार प्रतिमा आंटी, थोड़ा इस पर भी तेल लगा दो ना … आज बहुत कड़क हो रहा है.
यह बोल कर उसने मेरी मां का हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रखवा दिया.
मां थोड़ा झिझकीं लेकिन वे भी अन्दर से कहीं न कहीं विवेक के लंड से आकर्षित हो चुकी थीं.
मेरी मां ने बिना किसी हिचकिचाहट के विवेक के लंड के ऊपर हाथ लगा दिया और उसके लौड़े को मुठियाती हुई उसे पर तेल लगाने लगीं.
विवेक को अपने लौड़े की इस तरह से मालिश करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
कुछ ही देर में मां के हाथ तेजी से चलने लगे और वे विवेक के लंड की मुठ मारने लगीं.
इससे उसके लंड से माल निकल गया.
विवेक ने कहा- आह मजा आ गया यार आंटी … आपने कितना मजा दिया है.
मां ने एकदम से खुद को सहेजते हुए कहा- मगर विवेक ये सब गलत है!
विवेक ने हल्के से धमकी भरे अंदाज में कहा- मेरे घर में रहना है तो मेरी सेवा करनी ही होगी!
मां कुछ नहीं बोलीं.
वे उसके कमरे से बाहर आ गईं.
फिर सुबह 9 बजे मां विवेक के कमरे में झाड़ू लगा रही थीं.
विवेक बाथरूम गया था और वापस नंगा ही आया.
उसने मेरी मां से कहा- प्रतिमा आंटी, मेरा लंड फिर से दर्द कर रहा है. जरा जल्दी से लंड की मालिश कर दो.
मां भी सुबह से कुछ गर्माई हुई थीं, उन्होंने भी कहा- ठीक है लेट जाओ.
विवेक ने कहा- आज खड़े खड़े ही करवाने का जी कर रहा है.
मां ने तेल की कटोरी उठाई और घुटनों के बल बैठ कर उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगीं.
विवेक का लंड तुरंत ही खड़ा हो गया.
उसने देखा कि आज मेरी मां उसके लंड को देखती हुई मस्ती से मालिश कर रही थीं.
विवेक ने अपने हाथ मेरी मां के सर पर रख दिया और वह आह आह करने लगा.
तभी न जाने क्या हुआ कि मेरी मां ने विवेक के लंड को अपनी जीभ से चाट लिया.
बस विवेक ने भी अपने लंड को मेरी मां के मुँह में दे दिया.
मेरी मां भी सब कुछ भूल कर उसका लंड चूसने लगीं.
विवेक को मानो मन मांगी मुराद मिल गई थी.
उसने अपने लौड़े को मेरी मां के मुँह में अन्दर तक देना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरी मां अपनी पूरी शिद्दत से अपने भतीजे के लंड को चूसने लगी थीं और उसके टट्टे सहलाती हुई अपने हाथ की कला को दिखा रही थीं.
विवेक ने जल्दी से मेरी मां को खड़ी किया और उनके बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
मेरी मां भी वासना में फुंकी जा रही थीं, तो वे भी सब कुछ भूल कर सेक्स का मजा लेने के लिए आतुर हो गई थीं.
विवेक ने मेरी मां को पूरी नंगी कर दिया और अपने बदन से टी-शर्ट को उतार कर वह भी पूरा नंगा हो गया.
उसने देखा कि मेरी मां की चूत पूरी चिकनी थी.
विवेक ने मेरी मां की चूत को सहलाते हुए कहा- जान, तुमने तो मैदान साफ कर रखा है!
मेरी मां ने सिर्फ मुस्कुरा कर उसे अपने मम्मों पर खींच लिया.
मां ने विवेक के मुँह को अपने एक दूध से लगा दिया.
विवेक मेरी मां के दूध को चूसने लगा और वह उनके दूसरे दूध को दबाने लगा.
उसने मेरी मां के दूध को अपनी मुट्ठी में भर कर जोर से दबा दिया तो मेरी मां की आह निकल गई.
उन्होंने विवेक से कहा- जरा धीरे करो, मुझे दर्द होता है.
अब उन दोनों में ताई और भतीजे का रिश्ता खत्म हो गया था और अब वे दोनों सिर्फ नर मादा के रिश्ते को जी रहे थे.
दोस्तो, यहां मैं एक बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूँ कि बनाने वाले ने सिर्फ नर और मादा का जोड़ा ही बनाया है, जिससे प्रकृति का सृजन होता है.
चाहे पशु पक्षी हों, वनस्पतियां हों, फूल हों या कोई भी वृक्ष हो. सभी में प्रजनन और निषेचन की प्रक्रिया के बाद ही जन्म का प्रादुर्भाव होता है.
चूंकि मानव समाज को बुद्धि अलग से मिली है इसलिए उसने समाज में मां बाप बेटा बेटी या अन्य दूसरे रिश्ते बना लिए हैं ताकि एक व्यवस्था बनी रहे.
अन्यथा तो सभी पशुवत ही व्यवहार करने लगेंगे.
जिस तरह से खुली सड़क पर एक कुतिया के पीछे दस कुत्ते उसे चोदने के लिए घूमते नजर आते हैं. उसी तरह से सड़क पर एक लड़की को चोदने के लिए दस लड़के उसे चोदने के लिए घूमते नजर आने लगेंगे. साथ ही कपड़े पहनना भी बेमानी हो जाएगा.
खैर … दार्शनिक बातों को एक तरफ रख कर वापस ताई और भतीजे की चुदाई की कहानी की तरफ लौटते हैं.
विवेक ने अपनी प्रतिमा आंटी की चूत में अपना मुँह लगा दिया था और प्रतिमा आंटी यानि मेरी मां अपनी चूत चटवाने का सुख लेने लगी थीं.
कुछ ही देर में विवेक ने मेरी मां को चित लिटा दिया और वह उनकी टांगों के बीच में आ गया.
जल्दी ही मेरी मां की चूत में उनके भतीजे विवेक का लंड घुस गया और धकापेल चुदाई शुरू हो गई.
उस दिन विवेक ने रियल सेक्स विद आंटी का मजा लेते हुए मेरी मां को दो बार चोदा.
दोनों ही बार उसने अपना वीर्य मेरी मां की चूत में छोड़ दिया.
उस दिन की चुदाई के बाद मेरी मां को जीवन जीने का एक रास्ता दिखाई दे गया था.
उन्होंने विवेक के लंड से आगे बढ़ कर गौरव ताऊ यानि अपने जेठ के लंड को भी किस तरह से अपनी चूत में लिया और धीरे धीरे किस तरह से खुद को एक धनी महिला बना लिया, यह सब आप समझ ही गए होंगे.
दोस्तो, मेरी मां ने मुझसे किस तरह से चुदवाया, यह बात आपको मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में कभी लिखूँगा.
दोस्तो, मैं सूरज विदिशा से हूँ.
मेरी उम्र 19 साल और मेरी मां प्रतिमा की उम्र 38 साल है. मां की बहुत कम उम्र में ही शादी हो गयी थी.
पापा गांव में दुकान चलाते थे.
यह रियल सेक्स विद आंटी का मजा वाली बात सन 2022 की है. पापा को कैंसर हो गया था.
अपनी उस बीमारी से लड़ते लड़ते अभी दो महीने पहले उनकी मृत्यु हो गयी है.
हमारा सारा पैसा पापा के कैंसर के इलाज में चला गया है.
मेरी पढ़ाई और घर चलाने के लिए मेरी मां प्रतिमा, मेरे बड़े ताऊ गौरव के घर में काम करने लगीं.
गौरव ताऊ शहर में रहते हैं.
हम दोनों उनके घर में ही रहने लगे थे.
मेरी मां दिखने में बहुत सुंदर हैं.
उनके बड़े बड़े चूचे, गांड भी बड़ी है.
उन्हें देख कर तो हर कोई उनकी सवारी करना चाहेगा.
मेरी नजर भी पिछले दो साल से मां के चूचों पर ही टिकी है.
जब हम दोनों शहर में ताऊ के घर जाकर रहने लगे तो मेरी ताई को ये बात पसंद नहीं आई.
वे मेरी मां से घर का सारा काम करवाती थीं.
गौरव ताऊ का लड़का मुझसे बड़ा है और मेरे चचेरे भाई का नाम विवेक है.
वह कॉलेज में पढ़ता है और काफ़ी हैंडसम है.
उसकी नजर पहले दिन से ही मेरी मां पर थी.
वह मेरी सेक्सी मां को घूरता रहता था और मैंने देखा था कि वह मेरी मां का नहाते हुए वीडियो भी बना चुका था.
जब मैंने उसे देखा तो उसने बड़ी बेशर्मी से मुझे मेरी मां की नंगी वीडियो को दिखाया.
मैंने भी उसी बेशर्मी से उसे अपने लंड का हाल बताया.
हम दोनों की विचार धारा एक जैसी थी.
तो हम दोनों ने प्लान बनाया कि मां को कैसे चोदा जाए.
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यह तय हुआ कि जब भी कार्यक्रम बनेगा तो पहले विवेक चोदेगा, फिर मैं.
एक दिन मां घर में पौंछा लगा रही थीं.
उसी समय विवेक एक तौलिया पहन कर आया और उसने जानबूझ कर खुद को रपट कर गिर गया, जैसा नाटक किया और अपना तौलिया खोल दिया.
मां और ताई दौड़ कर उसके पास आईं.
मां ने पहले आकर उसे सहारा देकर उठाया. उस वक्त मेरी मां को उसके लंड का दर्शन हो गया.
फिर ताई के आने से पहले विवेक ने तौलिया पहन ली और ताई के सामने घुटने में दर्द का नाटक किया.
ताई ने मां को बहुत डांटा और कहा- मेरे बेटे को चोट लग गई. अब तू ही इसकी सेवा कर!
मां ने वैसे ही किया.
वे रूम में गईं और विवेक के घुटने पर तेल लगाने लगी.
विवेक ने कहा- प्रतिमा आंटी, मुझे शाम को भी तेल लगा देना.
शाम को ताऊ ताई बाहर जा रहे थे.
वे दोनों एक दिन के लिए कहीं शादी में जा रहे थे.
विवेक इस बात का फायदा उठाना चाहता था.
ताऊ ताई के शाम को बाहर चले जाने के बाद विवेक ने मां को आवाज देकर बुलाया और उनसे घुटने पर तेल लगाने के लिए कहा.
मां सरसों का तेल लेकर आईं.
तब घर में सिर्फ़ मां विवेक और मैं था.
मैं टीवी देख रहा था.
मां उसके कमरे में गईं और देखा, तो विवेक सिर्फ़ चड्डी में था.
उसने मां का हाथ पकड़ कर बेड पर बिठाया.
मां को बुरा लग रहा था लेकिन मजबूरी में उन्होंने विवेक के घुटने पर तेल लगाया.
उसी टाइम विवेक जानबूझ कर अपना आठ इंच का लंड चड्डी के अन्दर हाथ डाल कर मसल रहा था.
मां तेल लगा कर चली गईं.
तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा.
अब विवेक की चोट ठीक हो गई थी.
अगले दिन ताऊ ताई एक हफ्ते के लिए विदिशा से बाहर जाने वाले थे.
यह मौका विवेक और मैं किसी सूरत में नहीं खोना चाहते थे.
हम दोनों ने प्लान बनाया और मैं तीन दिन के लिए अपने दोस्त के घर चला गया.
ताऊ ताई के जाने के बाद फिर से एक दिन मां पौंछा लगा रही थीं और घर पर उनके अलावा सिर्फ़ विवेक था.
उसने फिर से जानबूझ कर सिर्फ तौलिया पहना और गिरने का नाटक करने लगा.
वह इस बार बहुत तेज दर्द वाला नाटक करने लगा.
वह नंगा गिरा था.
मां उसके पास आईं और उसे उठाया, तो विवेक का तना हुआ 8 इंच का लंड मां को दिखने लगा.
मेरी मां को भी उसके लंड देख कर कुछ हसरत जागी, पर वे कुछ नहीं बोलीं.
मां विवेक को कंधे के सहारे उसके कमरे में लेकर गईं.
मां ताई को कॉल लगाने वाली थीं कि तभी विवेक ने मां को रोक दिया.
विवेक ने कहा- मैं ठीक हूँ … मैं मम्मी से कुछ नहीं बोलूँगा, पर आपको तेल लगाना पड़ेगा.
मां मान गईं.
वे रसोई से तेल लेकर आईं.
विवेक ने कहा- कमर और जांघों पर तेल लगा दो.
मेरी मां वैसा ही कर रही थीं.
विवेक अब भी नंगा ही था और मां तेल लगा रही थीं.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.
मां को उसका लंड देख कर अन्दर ही अन्दर कुछ होने लगा था.
कुछ देर बाद मेरी मां ने विवेक से कहा- तुम चड्डी पहन लो.
विवेक ने कहा- कमर में इतना ज्यादा दर्द कर रहा है कि मैं कुछ पहन ही नहीं सकता हूँ.
मां ने भी कुछ नहीं कहा.
वे विवेक की जांघों के जोड़ तक अपने हाथ लाकर उसे तेल लगाने लगी थीं. उस वजह से मेरी मां का हाथ विवेक के लंड से स्पर्श हो जाता था, तो विवेक का लंड फुंफकार मार देता था.
यह देख कर मां के होंठों पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी और उनकी आंखें विवेक की आंखों से मिलीं तो विवेक ने भी अपनी आंख दबा कर उन्हें लंड छूने के लिए उत्साहित कर दिया.
अब तो मेरी मां विवेक के लंड को पकड़ कर उसे भी मुठियाने सा लगी थीं और विवेक भी मां की पीठ पर हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ दबाने लगा था.
हालांकि मेरी मां ने इससे आगे कुछ नहीं किया लेकिन तब भी मेरी मां की दबी हुई वासना जागने लगी थी.
पिता जी के जाने के बाद से मां को यौन सुख नहीं मिला था तो उस दबी हुई राख में चिंगारी सी भड़कने लगी थी.
अब विवेक मेरी मां के सामने नंगा ही रहने लगा था.
मैं भी 3 दिन तक घर नहीं आने वाला था.
अगली रात को खाना खाने के बाद विवेक ने मेरी मां से तेल लगाने के लिए बुलाया.
मां तेल लेकर आईं और विवेक की कमर पर तेल लगाने लगी थीं.
तभी विवेक ने हंस कर कहा- अरे यार प्रतिमा आंटी, थोड़ा इस पर भी तेल लगा दो ना … आज बहुत कड़क हो रहा है.
यह बोल कर उसने मेरी मां का हाथ पकड़ कर अपने लंड के ऊपर रखवा दिया.
मां थोड़ा झिझकीं लेकिन वे भी अन्दर से कहीं न कहीं विवेक के लंड से आकर्षित हो चुकी थीं.
मेरी मां ने बिना किसी हिचकिचाहट के विवेक के लंड के ऊपर हाथ लगा दिया और उसके लौड़े को मुठियाती हुई उसे पर तेल लगाने लगीं.
विवेक को अपने लौड़े की इस तरह से मालिश करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
कुछ ही देर में मां के हाथ तेजी से चलने लगे और वे विवेक के लंड की मुठ मारने लगीं.
इससे उसके लंड से माल निकल गया.
विवेक ने कहा- आह मजा आ गया यार आंटी … आपने कितना मजा दिया है.
मां ने एकदम से खुद को सहेजते हुए कहा- मगर विवेक ये सब गलत है!
विवेक ने हल्के से धमकी भरे अंदाज में कहा- मेरे घर में रहना है तो मेरी सेवा करनी ही होगी!
मां कुछ नहीं बोलीं.
वे उसके कमरे से बाहर आ गईं.
फिर सुबह 9 बजे मां विवेक के कमरे में झाड़ू लगा रही थीं.
विवेक बाथरूम गया था और वापस नंगा ही आया.
उसने मेरी मां से कहा- प्रतिमा आंटी, मेरा लंड फिर से दर्द कर रहा है. जरा जल्दी से लंड की मालिश कर दो.
मां भी सुबह से कुछ गर्माई हुई थीं, उन्होंने भी कहा- ठीक है लेट जाओ.
विवेक ने कहा- आज खड़े खड़े ही करवाने का जी कर रहा है.
मां ने तेल की कटोरी उठाई और घुटनों के बल बैठ कर उसके लौड़े को हाथ से सहलाने लगीं.
विवेक का लंड तुरंत ही खड़ा हो गया.
उसने देखा कि आज मेरी मां उसके लंड को देखती हुई मस्ती से मालिश कर रही थीं.
विवेक ने अपने हाथ मेरी मां के सर पर रख दिया और वह आह आह करने लगा.
तभी न जाने क्या हुआ कि मेरी मां ने विवेक के लंड को अपनी जीभ से चाट लिया.
बस विवेक ने भी अपने लंड को मेरी मां के मुँह में दे दिया.
मेरी मां भी सब कुछ भूल कर उसका लंड चूसने लगीं.
विवेक को मानो मन मांगी मुराद मिल गई थी.
उसने अपने लौड़े को मेरी मां के मुँह में अन्दर तक देना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में मेरी मां अपनी पूरी शिद्दत से अपने भतीजे के लंड को चूसने लगी थीं और उसके टट्टे सहलाती हुई अपने हाथ की कला को दिखा रही थीं.
विवेक ने जल्दी से मेरी मां को खड़ी किया और उनके बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
मेरी मां भी वासना में फुंकी जा रही थीं, तो वे भी सब कुछ भूल कर सेक्स का मजा लेने के लिए आतुर हो गई थीं.
विवेक ने मेरी मां को पूरी नंगी कर दिया और अपने बदन से टी-शर्ट को उतार कर वह भी पूरा नंगा हो गया.
उसने देखा कि मेरी मां की चूत पूरी चिकनी थी.
विवेक ने मेरी मां की चूत को सहलाते हुए कहा- जान, तुमने तो मैदान साफ कर रखा है!
मेरी मां ने सिर्फ मुस्कुरा कर उसे अपने मम्मों पर खींच लिया.
मां ने विवेक के मुँह को अपने एक दूध से लगा दिया.
विवेक मेरी मां के दूध को चूसने लगा और वह उनके दूसरे दूध को दबाने लगा.
उसने मेरी मां के दूध को अपनी मुट्ठी में भर कर जोर से दबा दिया तो मेरी मां की आह निकल गई.
उन्होंने विवेक से कहा- जरा धीरे करो, मुझे दर्द होता है.
अब उन दोनों में ताई और भतीजे का रिश्ता खत्म हो गया था और अब वे दोनों सिर्फ नर मादा के रिश्ते को जी रहे थे.
दोस्तो, यहां मैं एक बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूँ कि बनाने वाले ने सिर्फ नर और मादा का जोड़ा ही बनाया है, जिससे प्रकृति का सृजन होता है.
चाहे पशु पक्षी हों, वनस्पतियां हों, फूल हों या कोई भी वृक्ष हो. सभी में प्रजनन और निषेचन की प्रक्रिया के बाद ही जन्म का प्रादुर्भाव होता है.
चूंकि मानव समाज को बुद्धि अलग से मिली है इसलिए उसने समाज में मां बाप बेटा बेटी या अन्य दूसरे रिश्ते बना लिए हैं ताकि एक व्यवस्था बनी रहे.
अन्यथा तो सभी पशुवत ही व्यवहार करने लगेंगे.
जिस तरह से खुली सड़क पर एक कुतिया के पीछे दस कुत्ते उसे चोदने के लिए घूमते नजर आते हैं. उसी तरह से सड़क पर एक लड़की को चोदने के लिए दस लड़के उसे चोदने के लिए घूमते नजर आने लगेंगे. साथ ही कपड़े पहनना भी बेमानी हो जाएगा.
खैर … दार्शनिक बातों को एक तरफ रख कर वापस ताई और भतीजे की चुदाई की कहानी की तरफ लौटते हैं.
विवेक ने अपनी प्रतिमा आंटी की चूत में अपना मुँह लगा दिया था और प्रतिमा आंटी यानि मेरी मां अपनी चूत चटवाने का सुख लेने लगी थीं.
कुछ ही देर में विवेक ने मेरी मां को चित लिटा दिया और वह उनकी टांगों के बीच में आ गया.
जल्दी ही मेरी मां की चूत में उनके भतीजे विवेक का लंड घुस गया और धकापेल चुदाई शुरू हो गई.
उस दिन विवेक ने रियल सेक्स विद आंटी का मजा लेते हुए मेरी मां को दो बार चोदा.
दोनों ही बार उसने अपना वीर्य मेरी मां की चूत में छोड़ दिया.
उस दिन की चुदाई के बाद मेरी मां को जीवन जीने का एक रास्ता दिखाई दे गया था.
उन्होंने विवेक के लंड से आगे बढ़ कर गौरव ताऊ यानि अपने जेठ के लंड को भी किस तरह से अपनी चूत में लिया और धीरे धीरे किस तरह से खुद को एक धनी महिला बना लिया, यह सब आप समझ ही गए होंगे.
दोस्तो, मेरी मां ने मुझसे किस तरह से चुदवाया, यह बात आपको मैं अपनी अगली सेक्स कहानी में कभी लिखूँगा.