देसी भाभी Xxx चुदाई का मजा मुझे मेरे पड़ोस की भाभी ने दिया जिन्हें मैं पिछले दस साल से चोदना चाह रहा था. उनसे हमारे पारिवारिक संबंध थे. एक दिन मैंने उन्हें नंगी देख लिया.
दोस्तो, मैं उत्तराखंड से हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है.
यह बात अभी कुछ ही समय पुरानी है.
मेरी एक चचेरी भाभी हैं. पिछले दस साल से मैं उन्हें पसंद करता हूँ.
उनकी शादी को भी दस साल ही हो गए, मतलब जब से भाभी घर आई हैं, मैं उन्हें चोदना चाहता था.
लेकिन मैं उनसे आज तक कभी बोल नहीं पाया कि मैं आपको पसंद करता हूँ जबकि मेरा उनके घर आना जाना लगा रहता है.
आज भाभी की उम्र 35 साल हो गई है लेकिन उनके हुस्न का जलवा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और मेरी बेचैनी भी.
क्या ही चीज़ हैं यार भाभी … मतलब एकदम मस्त माल.
खैर … भाभियां तो सबको ही पसंद होती हैं इसलिए आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हो कि मैं जिस भाभी की बात कर रहा हूँ, वे कैसी लगती होंगी.
एकदम भरे हुए दूध और उठी हुई गांड के अलावा भाभी के तीखे नैन नक्श … एक बार देखने में ही ऐसा लगे कि बस अभी पटक कर चढ़ जाएं.
लॉकडाउन के समय में कुछ ऐसा हुआ कि मैं उनसे बात करने लगा था और लॉकडाउन के गुजर जाने के बाद मैं उनसे कुछ ज्यादा ही बात करने लगा था.
हम दोनों के बीच सब कुछ सही चलने लगा था पर मेरी अभी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उनसे यह बोल सकूँ कि मैं आपको पसंद करता हूँ.
हमारे पड़ोस में ही एक और भाभी रहती हैं.
वे थोड़ी फरकुल किस्म की हैं, फरकुल मतलब वे कुछ ज़रूरत से ज्यादा ही चालू आइटम हैं.
अब मैं भाभी से खुल कर बात करने लगा था और उनको बताता रहता था कि मोहल्ले में कौन कितने पानी में है.
एक दिन हमारे पड़ोस वाली भाभी सामने से जा रही थीं तो मैंने अपनी भाभी से कहा- यह देखो, इस भाभी ने मोहल्ले में 4-5 लड़के पटा रखे हैं.
भाभी ने कुछ नहीं कहा; वे बस हँस कर रह गईं.
एक दिन मेरी भाभी के घर पर कोई नहीं था.
मैं उनके घर गया तो पता चला कि वे घूमने गई हैं और रात को वापस आएंगी.
उनकी घर की चाबी हमेशा पैर पौंछने वाले पैर-दान के नीचे दबी रहती थी.
मैंने चाबी निकाली और उनके घर में आ गया.
मैंने अन्दर से दरवाजा भी बंद कर लिया.
अब मैंने भाभी की पैंटी ढूँढी.
वह वॉशरूम में रखी थी.
मैं वॉशरूम में आ गया और उनकी पैंटी को उठा कर सूंघने लगा.
उनकी पैंटी में चूत की जगह से मस्त महक आ रही थी.
मैंने भाभी की चूत की महक सूंघते हुए ही अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और मुठ मार ली.
वह दोपहर का समय था.
मैं मुठ मारकर फारिग हुआ और वहीं उनके कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी की अलमारी चैक की.
उसमें भाभी की एक से बढ़ कर एक ब्रा पैंटी रखी हुई थीं.
मैं आंख बंद करके सोचने लगा कि भाभी इन ब्रा पैंटी में क्या मस्त माल लगती होंगी.
यही सोच सोच कर मेरा लंड दोबारा से खड़ा हो गया.
मैंने फिर से मुठ मारी और वापिस अपने घर आ गया.
इस घटना के दस दिन बाद भैया यानि भाभी के हज़्बेंड कहीं बाहर गए थे तो भाभी के घर रात को मैं रुक गया था.
मैंने उनके साथ बात की, खाना खाया और बिस्तर पर जाकर लेट गया.
भाभी भी मेरे बाजू में आकर लेट गईं.
हम दोनों अपने अपने मोबाइल में लग गए.
मोबाइल चलाने के साथ साथ हम दोनों एक दूसरे से बात भी कर रहे थे.
रात को 11 बजे तक हम लोग सो गए.
मैं उनके साथ ही सो रहा था मतलब लेटा था, मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मेरा लंड तो यही सोच कर खड़ा हो गया था कि भाभी के पास लेटा हूँ और कभी भी मौका मिल सकता है.
बस यही सोच सोच कर लंड फनफनाता रहा और नतीजा कुछ निकलना नहीं था इसलिए सो गया.
रात को दो बजे के करीब मेरी आंख खुल गई.
मुझे अब नींद नहीं आ रही थी.
भाभी मेरी तरफ़ पीठ करके लेटी हुई थीं, वे मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थीं.
लंड को उनकी गांड की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी तो मैंने अपना लंड भाभी के चूतड़ों में डालना शुरू कर दिया.
कपड़े पहने हुए मुझे मज़ा आ रहा था साथ ही डर भी लग रहा था.
इस वजह से कुछ हो ही ना पाया और सो गया.
अगले दिन सुबह मैं अपने घर आ गया.
फिर मेरी जॉब लग गई और मैं बाहर चला गया.
इसी दीवाली में मैं अपने घर आया था तो उनके घर गया हुआ था.
सच में क्या मस्त माल लग रही थीं भाभी.
उन्होंने मुझे देखा तो बोलीं- कब आया?
मैंने कहा- आज ही सुबह आया हूँ.
भाभी बोलीं- अब मेरे साथ चल सबको गिफ्ट देना है, तेरे भैया के पास तो समय ही नहीं है.
मैंने उनके साथ गिफ्ट बंटवाए और उसी दिन रात में उनके घर पर ही रह कर पटाखे फोड़े.
रात गहरा गई थी तो मैं वहीं सो गया.
सुबह भैया जल्दी उठ गए थे.
उन्हें किसी दोस्त के पास जाना था तो वे चले गए.
मैं उठा और चाय पीकर घर आ गया.
भाभी भी नहाने चली गई थीं.
अपने घर आते ही मुझे याद आया कि मेरा फोन उनके घर पर ही रह गया.
मैं भागते हुए वापिस आया तो दरवाजा खुला था.
मैं सीधा अन्दर घुसता चला गया और मोबाइल लेकर रूम से बाहर आया.
उधर से देसी भाभी बाथरूम से तौलिया लपेट कर बाहर आ रही थीं.
हम दोनों की टक्कर हुई और दोनों गिर गए.
भाभी की तौलिया खुल गई और उनका पूरा सामान नंगा देख कर मेरा तो एकदम से खड़ा हो गया.
वे कराह रही थीं तो मैंने उनको सहारा देकर उठाया और नजरें नीची करके सीधा अपने घर आ गया.
शाम को उनके घर गया तो भाभी ने कहा- आज भी यहीं रुक जा!
मैं रुक गया.
भैया भैया भाभी साथ में सो रहे थे.
क्योंकि भैया सुबह जल्दी उठे थे तो उन्हें नींद आ गई थी.
फिर अगले दिन भी उन्हें जल्दी उठ कर कहीं जाना था.
वे जल्दी सो गए.
रात को 12 बजे भाभी मेरे पास आईं और उन्होंने कहा- मुझे दर्द हो रहा है. गिरने की वजह से घुटने में लग गई है. दर्द के मारे नींद नहीं आ रही है.
मैंने कहा- मालिश कर दूँ क्या?
वे कुछ नहीं बोलीं और मैं करने लगा.
आज न जाने कहां से मेरे अन्दर हिम्मत आ गई थी.
मैंने कहा- भाभी आज आप बहुत अच्छी लग रही हो!
उन्होंने हंस कर कहा- अच्छा … पहले नहीं लगती थी क्या?
मैंने कहा- लगती तो पहले भी थीं पर आज कुछ अलग बात है.
वह एक अर्थपूर्ण नजरों से देखने लगीं.
हम दोनों के बीच एक मूक वार्तालाप सा हुआ कि आज मैंने उनके नंगी देह के दीदार कर लिए थे.
भाभी मेरे पास से उठ कर चली गईं.
रात को 3 बजे उनके पति चले गए, उन्हें कहीं बाहर जाना था.
वे शायद अगले दिन या उसके भी अगले दिन आने वाले थे.
भैया के जाने के बाद भाभी मेरे पास आकर लेट गईं.
मेरी आंख खुल गई पर मैं सोने का नाटक करता रहा और भाभी से चिपक गया.
भाभी ने कोई ऐतराज नहीं जताया.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के एक दूध पर अपना हाथ रख दिया और अपना लंड उनके चूतड़ों में दबाने लगा.
भाभी भी पीछे को होकर अपनी गांड को मेरे लौड़े से दबा रही थीं.
अब भाभी ने खुद ही अपनी नाइटी ऊपर कर दी और मैंने भी अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया.
मैं भाभी की नंगी हो चुकी दरार में लंड घुसेड़ने लगा.
जब नहीं घुसा तो भाभी ने पलट कर मेरे कान में कहा- ऐसे नहीं घुसेगा.
यह सुनकर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही ना रहा.
मैंने कहा- फिर कैसे घुसेगा?
उन्होंने कहा- तेल लेकर आ!
मैंने इतनी ब्लू फिल्म देखी थीं, उनमें तो तेल लगे बिना ही गांड मार दी जाती है.
तब मैंने कहा- भाभी, आपकी चूत चाट कर देख सकता हूँ क्या?
भाभी ने कहा- मैं खुद यही बोलने वाली थी कि चाटने से भी काम बन सकता है.
बस अब मैंने भाभी को चित लिटाया और उनकी चूत में मुँह लगा दिया.
मस्त फूली हुई चूत का स्वाद नमकीन लग रहा था.
उसके बाद मैंने भाभी के सारे कपड़े निकाल दिए, साथ ही मैंने अपने भी निकाल दिए.
अब मैंने लंड सैट किया और पेल दिया.
भाभी की आह आह निकलने लगी.
मैं और जोर से देसी भाभी Xxx चुदाई का मजा लेने लगा.
मैंने उन्हें चोदते हुए कहा- भाभी, मैं आपको पिछले दस साल से चोदना चाहता था.
भाभी ने कहा- अब चोद लिया न … मजा आ गया न!
मैंने कहा- बहुत मजा आ रहा है भाभी.
सुबह 4 बजे तक चुदाई खत्म करके हम दोनों सो गए.
सुबह मैं उठा तो भाभी घर की साफ सफाई ख़त्म करके चाय बना रही थीं.
मैं उठा और उनके पीछे जाकर किस करने लगा.
फिर वे घूम गईं और मैं उनके होंठों पर चुंबन करने लगा.
कुछ देर बाद भाभी ने चाय बनाई और हम दोनों ने चाय खत्म की.
भाभी ने कहा- नहा ले!
मैंने कहा- चलो, दोनों नहाते हैं.
वे हंस दीं और हम दोनों नंगे होकर नहाने लगे.
नहाते हुए ही मैंने अपने लंड पर साबुन लगाया और भाभी की गांड पर साबुन लगा कर लंड घुसेड़ने लगा.
हल्का सा दर्द मेरे लंड को भी हुआ पर भाभी की गांड मारने में मजा आने लगा.
गांड मारने के बाद मैंने चूत भी चोदी और लंड का माल भाभी के चेहरे पर लगा दिया.
भाभी ने अपने मुँह पर मेरे वीर्य को किसी फेसपैक की तरह फैला लिया और मेरी तरफ मदहोशी से देखने लगीं.
कुछ देर बाद हम दोनों नहा कर बाहर निकले और मूवी देखने लगे.
उस वक्त पता नहीं मेरे मन में क्या आया, मैंने भाभी से कहा- भाभी, आज आप अभी दुल्हन बन जाओ. आज मैं आपके साथ सुहागदिन मनाना चाहता हूँ.
भाभी झट से मान गईं.
एक घंटे बाद मैं भाभी के कमरे में गया.
भाभी बिल्कुल नई दुल्हल लग रही थीं.
मैंने उनके पास बैठ कर घूँघट उठाया और होंठों पर किस की.
कुछ देर हौले हौले से उन्हें मदहोश करता गया और मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए.
वे ब्रा पैंटी में आ गई थीं.
अब मैंने अपने भी कपड़े निकाले और भाभी की ब्रा पैंटी भी निकाल दी.
भाभी को उधर रखी कुर्सी पर बिठाया और उनकी टांगें फैला कर भाभी की चूत चाटना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक चूत चाटने के बाद मैं भी कुर्सी पर चढ़ गया.
मैंने भाभी को चोदना शुरू कर दिया.
उस आसन में भाभी एकदम मस्त चुद रही थीं.
उस दिन मैंने भाभी को रुक रुक कर दो घंटे तक चोदा.
मैं कभी झड़ गया तो भाभी ने लंड को चूस कर खड़ा कर दिया. कभी वे झड़ गईं तो मैंने उनकी चूत चाट कर उन्हें वापस गर्म कर दिया.
कभी किचन में, कभी डाइनिंग टेबल पर तो कभी बाथरूम में … मतलब मैंने हर जगह उन्हें खूब चोदा.
भाभी शायद भैया से संतुष्ट नहीं हो पाती थीं मगर उन्होंने एक बार भी अपने मुँह से यह नहीं कहा कि भईया उन्हें सही से नहीं चोदते हैं.
अगले दिन मैं अपने घर आ गया.
फिर मैं अपनी जॉब पर आ गया.
अब जब भी मुझे समय मिलता है, मैं भाभी के पास चला जाता हूँ और उन्हें चोद लेता हूँ.
या यूं कहें कि भाभी खुद फोन करके मुझे बुला लेती हैं कि आ जाओ, तेरे भईया नहीं हैं.
तो दोस्तो, आपको देसी भाभी Xxx चुदाई स्टोरी कैसी लगी, ज़रूर बताएं.
नीचे मेरा ईमेल पता लिखा है
mrgovindyadav66@gmail.com
दोस्तो, मैं उत्तराखंड से हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है.
यह बात अभी कुछ ही समय पुरानी है.
मेरी एक चचेरी भाभी हैं. पिछले दस साल से मैं उन्हें पसंद करता हूँ.
उनकी शादी को भी दस साल ही हो गए, मतलब जब से भाभी घर आई हैं, मैं उन्हें चोदना चाहता था.
लेकिन मैं उनसे आज तक कभी बोल नहीं पाया कि मैं आपको पसंद करता हूँ जबकि मेरा उनके घर आना जाना लगा रहता है.
आज भाभी की उम्र 35 साल हो गई है लेकिन उनके हुस्न का जलवा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और मेरी बेचैनी भी.
क्या ही चीज़ हैं यार भाभी … मतलब एकदम मस्त माल.
खैर … भाभियां तो सबको ही पसंद होती हैं इसलिए आप खुद अंदाज़ा लगा सकते हो कि मैं जिस भाभी की बात कर रहा हूँ, वे कैसी लगती होंगी.
एकदम भरे हुए दूध और उठी हुई गांड के अलावा भाभी के तीखे नैन नक्श … एक बार देखने में ही ऐसा लगे कि बस अभी पटक कर चढ़ जाएं.
लॉकडाउन के समय में कुछ ऐसा हुआ कि मैं उनसे बात करने लगा था और लॉकडाउन के गुजर जाने के बाद मैं उनसे कुछ ज्यादा ही बात करने लगा था.
हम दोनों के बीच सब कुछ सही चलने लगा था पर मेरी अभी भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं उनसे यह बोल सकूँ कि मैं आपको पसंद करता हूँ.
हमारे पड़ोस में ही एक और भाभी रहती हैं.
वे थोड़ी फरकुल किस्म की हैं, फरकुल मतलब वे कुछ ज़रूरत से ज्यादा ही चालू आइटम हैं.
अब मैं भाभी से खुल कर बात करने लगा था और उनको बताता रहता था कि मोहल्ले में कौन कितने पानी में है.
एक दिन हमारे पड़ोस वाली भाभी सामने से जा रही थीं तो मैंने अपनी भाभी से कहा- यह देखो, इस भाभी ने मोहल्ले में 4-5 लड़के पटा रखे हैं.
भाभी ने कुछ नहीं कहा; वे बस हँस कर रह गईं.
एक दिन मेरी भाभी के घर पर कोई नहीं था.
मैं उनके घर गया तो पता चला कि वे घूमने गई हैं और रात को वापस आएंगी.
उनकी घर की चाबी हमेशा पैर पौंछने वाले पैर-दान के नीचे दबी रहती थी.
मैंने चाबी निकाली और उनके घर में आ गया.
मैंने अन्दर से दरवाजा भी बंद कर लिया.
अब मैंने भाभी की पैंटी ढूँढी.
वह वॉशरूम में रखी थी.
मैं वॉशरूम में आ गया और उनकी पैंटी को उठा कर सूंघने लगा.
उनकी पैंटी में चूत की जगह से मस्त महक आ रही थी.
मैंने भाभी की चूत की महक सूंघते हुए ही अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया और मुठ मार ली.
वह दोपहर का समय था.
मैं मुठ मारकर फारिग हुआ और वहीं उनके कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी की अलमारी चैक की.
उसमें भाभी की एक से बढ़ कर एक ब्रा पैंटी रखी हुई थीं.
मैं आंख बंद करके सोचने लगा कि भाभी इन ब्रा पैंटी में क्या मस्त माल लगती होंगी.
यही सोच सोच कर मेरा लंड दोबारा से खड़ा हो गया.
मैंने फिर से मुठ मारी और वापिस अपने घर आ गया.
इस घटना के दस दिन बाद भैया यानि भाभी के हज़्बेंड कहीं बाहर गए थे तो भाभी के घर रात को मैं रुक गया था.
मैंने उनके साथ बात की, खाना खाया और बिस्तर पर जाकर लेट गया.
भाभी भी मेरे बाजू में आकर लेट गईं.
हम दोनों अपने अपने मोबाइल में लग गए.
मोबाइल चलाने के साथ साथ हम दोनों एक दूसरे से बात भी कर रहे थे.
रात को 11 बजे तक हम लोग सो गए.
मैं उनके साथ ही सो रहा था मतलब लेटा था, मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मेरा लंड तो यही सोच कर खड़ा हो गया था कि भाभी के पास लेटा हूँ और कभी भी मौका मिल सकता है.
बस यही सोच सोच कर लंड फनफनाता रहा और नतीजा कुछ निकलना नहीं था इसलिए सो गया.
रात को दो बजे के करीब मेरी आंख खुल गई.
मुझे अब नींद नहीं आ रही थी.
भाभी मेरी तरफ़ पीठ करके लेटी हुई थीं, वे मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थीं.
लंड को उनकी गांड की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी तो मैंने अपना लंड भाभी के चूतड़ों में डालना शुरू कर दिया.
कपड़े पहने हुए मुझे मज़ा आ रहा था साथ ही डर भी लग रहा था.
इस वजह से कुछ हो ही ना पाया और सो गया.
अगले दिन सुबह मैं अपने घर आ गया.
फिर मेरी जॉब लग गई और मैं बाहर चला गया.
इसी दीवाली में मैं अपने घर आया था तो उनके घर गया हुआ था.
सच में क्या मस्त माल लग रही थीं भाभी.
उन्होंने मुझे देखा तो बोलीं- कब आया?
मैंने कहा- आज ही सुबह आया हूँ.
भाभी बोलीं- अब मेरे साथ चल सबको गिफ्ट देना है, तेरे भैया के पास तो समय ही नहीं है.
मैंने उनके साथ गिफ्ट बंटवाए और उसी दिन रात में उनके घर पर ही रह कर पटाखे फोड़े.
रात गहरा गई थी तो मैं वहीं सो गया.
सुबह भैया जल्दी उठ गए थे.
उन्हें किसी दोस्त के पास जाना था तो वे चले गए.
मैं उठा और चाय पीकर घर आ गया.
भाभी भी नहाने चली गई थीं.
अपने घर आते ही मुझे याद आया कि मेरा फोन उनके घर पर ही रह गया.
मैं भागते हुए वापिस आया तो दरवाजा खुला था.
मैं सीधा अन्दर घुसता चला गया और मोबाइल लेकर रूम से बाहर आया.
उधर से देसी भाभी बाथरूम से तौलिया लपेट कर बाहर आ रही थीं.
हम दोनों की टक्कर हुई और दोनों गिर गए.
भाभी की तौलिया खुल गई और उनका पूरा सामान नंगा देख कर मेरा तो एकदम से खड़ा हो गया.
वे कराह रही थीं तो मैंने उनको सहारा देकर उठाया और नजरें नीची करके सीधा अपने घर आ गया.
शाम को उनके घर गया तो भाभी ने कहा- आज भी यहीं रुक जा!
मैं रुक गया.
भैया भैया भाभी साथ में सो रहे थे.
क्योंकि भैया सुबह जल्दी उठे थे तो उन्हें नींद आ गई थी.
फिर अगले दिन भी उन्हें जल्दी उठ कर कहीं जाना था.
वे जल्दी सो गए.
रात को 12 बजे भाभी मेरे पास आईं और उन्होंने कहा- मुझे दर्द हो रहा है. गिरने की वजह से घुटने में लग गई है. दर्द के मारे नींद नहीं आ रही है.
मैंने कहा- मालिश कर दूँ क्या?
वे कुछ नहीं बोलीं और मैं करने लगा.
आज न जाने कहां से मेरे अन्दर हिम्मत आ गई थी.
मैंने कहा- भाभी आज आप बहुत अच्छी लग रही हो!
उन्होंने हंस कर कहा- अच्छा … पहले नहीं लगती थी क्या?
मैंने कहा- लगती तो पहले भी थीं पर आज कुछ अलग बात है.
वह एक अर्थपूर्ण नजरों से देखने लगीं.
हम दोनों के बीच एक मूक वार्तालाप सा हुआ कि आज मैंने उनके नंगी देह के दीदार कर लिए थे.
भाभी मेरे पास से उठ कर चली गईं.
रात को 3 बजे उनके पति चले गए, उन्हें कहीं बाहर जाना था.
वे शायद अगले दिन या उसके भी अगले दिन आने वाले थे.
भैया के जाने के बाद भाभी मेरे पास आकर लेट गईं.
मेरी आंख खुल गई पर मैं सोने का नाटक करता रहा और भाभी से चिपक गया.
भाभी ने कोई ऐतराज नहीं जताया.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी के एक दूध पर अपना हाथ रख दिया और अपना लंड उनके चूतड़ों में दबाने लगा.
भाभी भी पीछे को होकर अपनी गांड को मेरे लौड़े से दबा रही थीं.
अब भाभी ने खुद ही अपनी नाइटी ऊपर कर दी और मैंने भी अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया.
मैं भाभी की नंगी हो चुकी दरार में लंड घुसेड़ने लगा.
जब नहीं घुसा तो भाभी ने पलट कर मेरे कान में कहा- ऐसे नहीं घुसेगा.
यह सुनकर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही ना रहा.
मैंने कहा- फिर कैसे घुसेगा?
उन्होंने कहा- तेल लेकर आ!
मैंने इतनी ब्लू फिल्म देखी थीं, उनमें तो तेल लगे बिना ही गांड मार दी जाती है.
तब मैंने कहा- भाभी, आपकी चूत चाट कर देख सकता हूँ क्या?
भाभी ने कहा- मैं खुद यही बोलने वाली थी कि चाटने से भी काम बन सकता है.
बस अब मैंने भाभी को चित लिटाया और उनकी चूत में मुँह लगा दिया.
मस्त फूली हुई चूत का स्वाद नमकीन लग रहा था.
उसके बाद मैंने भाभी के सारे कपड़े निकाल दिए, साथ ही मैंने अपने भी निकाल दिए.
अब मैंने लंड सैट किया और पेल दिया.
भाभी की आह आह निकलने लगी.
मैं और जोर से देसी भाभी Xxx चुदाई का मजा लेने लगा.
मैंने उन्हें चोदते हुए कहा- भाभी, मैं आपको पिछले दस साल से चोदना चाहता था.
भाभी ने कहा- अब चोद लिया न … मजा आ गया न!
मैंने कहा- बहुत मजा आ रहा है भाभी.
सुबह 4 बजे तक चुदाई खत्म करके हम दोनों सो गए.
सुबह मैं उठा तो भाभी घर की साफ सफाई ख़त्म करके चाय बना रही थीं.
मैं उठा और उनके पीछे जाकर किस करने लगा.
फिर वे घूम गईं और मैं उनके होंठों पर चुंबन करने लगा.
कुछ देर बाद भाभी ने चाय बनाई और हम दोनों ने चाय खत्म की.
भाभी ने कहा- नहा ले!
मैंने कहा- चलो, दोनों नहाते हैं.
वे हंस दीं और हम दोनों नंगे होकर नहाने लगे.
नहाते हुए ही मैंने अपने लंड पर साबुन लगाया और भाभी की गांड पर साबुन लगा कर लंड घुसेड़ने लगा.
हल्का सा दर्द मेरे लंड को भी हुआ पर भाभी की गांड मारने में मजा आने लगा.
गांड मारने के बाद मैंने चूत भी चोदी और लंड का माल भाभी के चेहरे पर लगा दिया.
भाभी ने अपने मुँह पर मेरे वीर्य को किसी फेसपैक की तरह फैला लिया और मेरी तरफ मदहोशी से देखने लगीं.
कुछ देर बाद हम दोनों नहा कर बाहर निकले और मूवी देखने लगे.
उस वक्त पता नहीं मेरे मन में क्या आया, मैंने भाभी से कहा- भाभी, आज आप अभी दुल्हन बन जाओ. आज मैं आपके साथ सुहागदिन मनाना चाहता हूँ.
भाभी झट से मान गईं.
एक घंटे बाद मैं भाभी के कमरे में गया.
भाभी बिल्कुल नई दुल्हल लग रही थीं.
मैंने उनके पास बैठ कर घूँघट उठाया और होंठों पर किस की.
कुछ देर हौले हौले से उन्हें मदहोश करता गया और मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए.
वे ब्रा पैंटी में आ गई थीं.
अब मैंने अपने भी कपड़े निकाले और भाभी की ब्रा पैंटी भी निकाल दी.
भाभी को उधर रखी कुर्सी पर बिठाया और उनकी टांगें फैला कर भाभी की चूत चाटना शुरू कर दिया.
कुछ मिनट तक चूत चाटने के बाद मैं भी कुर्सी पर चढ़ गया.
मैंने भाभी को चोदना शुरू कर दिया.
उस आसन में भाभी एकदम मस्त चुद रही थीं.
उस दिन मैंने भाभी को रुक रुक कर दो घंटे तक चोदा.
मैं कभी झड़ गया तो भाभी ने लंड को चूस कर खड़ा कर दिया. कभी वे झड़ गईं तो मैंने उनकी चूत चाट कर उन्हें वापस गर्म कर दिया.
कभी किचन में, कभी डाइनिंग टेबल पर तो कभी बाथरूम में … मतलब मैंने हर जगह उन्हें खूब चोदा.
भाभी शायद भैया से संतुष्ट नहीं हो पाती थीं मगर उन्होंने एक बार भी अपने मुँह से यह नहीं कहा कि भईया उन्हें सही से नहीं चोदते हैं.
अगले दिन मैं अपने घर आ गया.
फिर मैं अपनी जॉब पर आ गया.
अब जब भी मुझे समय मिलता है, मैं भाभी के पास चला जाता हूँ और उन्हें चोद लेता हूँ.
या यूं कहें कि भाभी खुद फोन करके मुझे बुला लेती हैं कि आ जाओ, तेरे भईया नहीं हैं.
तो दोस्तो, आपको देसी भाभी Xxx चुदाई स्टोरी कैसी लगी, ज़रूर बताएं.
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