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Hindi - हिन्दी Adultery शौहर के चार दोस्तों से रातभर चुत चुदाई (All Parts)

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Part 1​

इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी में पटाखा किस्म की पाकीज़ा औरत थी. पर मेरे हिजड़े शौहर के कारण मेरी औलाद नहीं हो रही थी. एक बार मेरे शौहर के 4 दोस्त आये.

मैं अलीशा हूँ, मेरी उम्र 38 साल है. मैं एकदम गोरी चिट्टी शादीशुदा औरत हूँ.

मेरा फिगर 34-30-36 का है, मेरी आंखें काफी बड़ी बड़ी और काली हैं. कद 5 फुट 5 इंच का है. लंबे बाल और बाहर को निकली हुई मेरी मोटी कद्दू जैसी गांड है.
यानि कुल मिला कर मैं एकदम पटाखा किस्म की माल हूँ. पर मैं एक पाकीज़ा औरत हूँ और एक पर्दानशीं समाज से आती हूँ.
मेरे शौहर एक धर्म गुरु हैं. इस कारण मैं भी अपने मजहब के प्रति बेहद संजीदा हूँ.

मैंने आज तक अपने शौहर के अलावा किसी पराए मर्द के बारे में कुछ भी नहीं सोचा था.

मेरे शौहर मुझे बहुत कम ही चोदते थे और उनका लंड भी कुछ ज्यादा ही छोटा था.
यह बात मुझे उनके चारों पहलवान दोस्तों के लंड देख कर पता चली थी.

मेरे शौहर मुझसे सेक्स से संबंधी बात बहुत काम करते थे.
मैं भी इस बात को समझती थी कि वे शायद अपनी झेंप के कारण मेरे साथ ज्यादा बार हम बिस्तर नहीं होते थे.

हमारे समाज में हरेक महिला कम से कम चार पांच औलादें तो जरूर ही पैदा करती है.

शायद इसका कारण यह है कि हमारा खान पान कुछ ज्यादा ही गर्म होता है, मांस मच्छी के अलावा प्याज लहसुन का खाने में ज्यादा इस्तेमाल हमें अधिक कामुक बनाता है.

जब मैं अपने समाज की औरतों से मिलती थी तो उनको यह देख कर बड़ी हैरानी होती थी कि मैं एक धर्मगुरु की बीवी होते हुए भी बेऔलाद हूँ.
अब मैं उनसे क्या कहती कि मेरे शौहर का लंड किसी काम का नहीं है.

कई बार मन में आया कि किसी गैर मर्द से हम बिस्तर होकर अपनी सूनी गोद को भर लूँ.
पर शौहर की इज्जत के चलते मैं ऐसा नहीं कर पा रही थी.

यूं ही बेबसी में मेरे दिन गुजर रहे थे.

एक दफा मेरे शौहर के चार दोस्त घर आए.
तब मेरी इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी शुरू हुई.

इधर मैं उन चारों के नाम रख लेती हूँ.
हम उनके नाम रमेश, सुरेश, सतीश और अभिषेक रख लेते हैं.

वैसे भी मुझे उनके पूरे नाम नहीं पता थे.
इतना भी इसलिए मालूम हो गए थे क्योंकि वे सब मुझे चोदते वक्त एक दूसरे को इन्हीं नामों से बुला रहे थे.

इस सबमें अभिषेक थोड़ा कम उम्र का लग रहा था, जबकि बाकी सबके सब 40-45 की उम्र के आस पास के रहे होंगे.

यह कुछ एक महीने पहले की बात है.
मेरे शौहर के कुछ दोस्त मुंबई से आए हुए थे. इसमें मुझे सबसे ज्यादा चकित करने वाली बात ये लगी थी कि वे चारों दूसरे धर्म के थे. जबकि मेरे शौहर को अलग धर्म के लोग बिल्कुल पसंद नहीं थे, वे तो ऐसे किसी भी आदमी से बात तक करना अपने मजहब के खिलाफ समझते थे.

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया था कि उन्होंने इन लोगों कुछ पैसे उधार लिए थे, उसी कारणवश वे लोग आए हैं.

शौहर ने मुझे बताया था कि उनके पैसों का इंतज़ाम करने के लिए उन्हें दो दिन लगेंगे, तब तक वे चारों घर पर ही मेहमान बनकर रहेंगे.
इसके अलावा उनके पास और कोई रास्ता नहीं है.

वे चारों हर टाइम पान खाते रहते थे और दिखने में गुंडे जैसे लगते थे पर बदन से बहुत की ताकतवर लगते थे.
मेरे शौहर उनके सामने बिल्कुल बच्चे की माफिक दिखते थे.

पैसों के कारण शौहर को दो दिन के लिए पास वाले शहर तक जाना पड़ा था जिस वजह से मैं उन दो दिनों के लिए उनके दोस्तों के साथ घर में अकेली रह गयी थी.

कुछ ऐसा हुआ कि एक ही दिन मैं हम सब आपस में बहुत घुल-मिल गए थे.
वे चारों सारा दिन हंसी मज़ाक करते रहते थे.

अगले दिन मैं हर रोज की तरह सुबह सूरज निकलने से पहले उठ गयी क्योंकि उस टाइम मुझे इबादत करनी होती थी.

उस दिन मैंने काले रंग की हिज़ाब पहनी थी.
मैं इबादत करने जाने लगी.

तभी रमेश जी मुझे देख कर बोले- भाभी जी, बुरा मत मानिएगा पर आज आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो!
मैं हंस पड़ी.

मैंने देखा उनकी नजर मेरी चूचियों पर थी.
मैं थोड़ा शर्मा गयी.

तभी वहां छत पर सतीश जी भी आ गए.
उन्होंने भी कहा- कसम से भाभी जी, आप आज बहुत गर्म माल लग रही हैं.

किसी दूसरे मजहब के आदमी के मुँह से ऐसी बातें सुनकर मुझे बहुत शर्म आ रही थी.
इसलिए मैं बिना इबादत किए तेज तेज कदमों से लगभग भागती हुई वापस अपने कमरे में आ गई.

न जाने क्यों आज मुझे अजनबी मर्दों के द्वारा इस तरह से बुलाए जाने पर बाद ही अच्छा लग रहा था.

उनके लंबे चौड़े कद मेरे अन्दर एक वासना को पैदा कर रहे थे और अन्दर की दबी हुई आग शोला बनने लगी थी.
मेरे मन में औलाद की आस पूरी करने की बात भी घुसी हुई थी.

फिर हम सभी ने नाश्ता किया.

नाश्ते के बाद सुरेश ने कहा- हम लोग बाज़ार जा रहे हैं. खाना हम लोग बाज़ार में ही खाएंगे.
मैं हैरान हो गयी और सबको देखने लगी.

रमेश जी बोले- इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं है भाभी जान … आज हम लोग सारा दिन खूब मज़े करेंगे.

ये कह कर वे हंसने लगे और साथ ही साथ उसके तीनों दोस्त भी हंसने लगे.

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
मैं वहां से उठ कर अपनी रसोईघर में आ गयी और बचे हुए बर्तन साफ करने लगी.

तभी रमेश जी मेरे पीछे वहां आ गए और बर्तन रखने में मेरी मदद करने लगे.

मैं बर्तन साफ कर ही रही थी कि वह कुछ ज्यादा ही मेरे पीछे से चिपक गए थे जिससे मुझे अहसास हुआ कि कोई बहुत बड़ी और मोटी चीज मेरी गांड को टच कर रही है.
वह चीज धीरे धीरे मेरे कपड़ों के ऊपर से मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रही थी.

मैं समझ गयी कि रमेश जी अपना लंड मेरी गांड की दरार में घिस रहे हैं.
इससे मुझे बहुत शर्म आई क्योंकि मैं एक पर्दानशीं पाकीज़ा औरत हूँ और वह भी एक धर्मगुरु की बीवी हूँ.
पर फिर भी मुझे उनके लंड का स्पर्श अन्दर से बहुत अच्छा लग रहा था.

मैं मन ही मन कहने लगी कि ‘हाय रब्बा कितना मोटा लंड है … बस जल्दी से घुस ही जाए!’

साथ ही मैं ये भी सोचने लगी कि मुझे यह सब क्या हो रहा है, यह सब लोग एक गैर मजहबी हैं और मैं एक पाकीज़ा औरत, पर सच में उस वक्त रमेश जी के लौड़े का अहसास बड़ा ही प्यारा था.
हालांकि उस वक्त मैंने अपने मन की बात को अपने चेहरे पर नहीं दिखने दी.

रमेश जी ने कहा- हम लोग मूवी देखने बेडरूम में जा रहे हैं, तुम भी हमारे साथ चल कर मूवी देखो.

वैसे तो मुझे भी मूवी देखना पसंद है, पर गैर मर्दों के साथ एक पाकीज़ा औरत बैठे, यह मुझे अच्छा नहीं लग रहा था.

फिर उनके कई बार कहने पर मैं उनके साथ उनके बेडरूम में चली आई.
सतीश ने सीडी ऑन कर दी.

याल्ला … यह क्या बवाल लगा दिया था … सामने टीवी पर एक इंग्लिश ब्लू फिल्म चल रही थी.
उस सीडी के ऊपर जो पोस्टर चिपका था, उसमें एक पर्दानशी औरत नीचे बैठी हुई थी और उसके चारों तरफ 4 मर्द नंगे खड़े थे.

मैं ब्लू-फिल्म देख कर घबरा गयी और उधर से उठ कर जाने को हुई.

तभी अभिषेक ने मुझे अपने पास आकर बैठने को कहा.
लेकिन मैं भाग कर अपने कमरे में चली गयी.

मेरे पीछे पीछे अभिषेक मेरे कमरे में आ गया.
उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूचियों को दबाने लगा.

हाय रे … मुझे बहुत दर्द हो रहा था, जिससे मैं चिल्ला उठी.
मुझे अंदर तक मजा आ गया, मेरी चूत इतने से ही गीली हो गई.

उसने मुझे जकड़ लिया और मेरे गाल पर तीन चार चुम्मे ले लिए.
अब वह मुझे उठा कर घर के बाजू में बनी जानवरों के लिए बने कमरे में ले गया और उधर जमीन पर लिटा दिया.

हालांकि मैं चारों से चुदना चाह रही थी पर भी दिखावे के लिए मैंने फिर से उठ कर भागने की कोशिश की तो रमेश जी ने दौड़ कर कमरे का दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया और चाभी अभिषेक की तरफ फेंक दी.

अब अभिषेक ने मुझसे कहा- देखो भाभी, हमारे साथ तुम सेक्स का लुत्फ़ उठाओ … और मां बनने का सुख प्राप्त करो. तुम्हारा शौहर भी तुम्हें हम लोगों के साथ अकेला इसी लिए छोड़ कर गया है ताकि तुम हमल से हो जाओ.

अभिषेक के मुँह से यह सुनकर पहले तो मुझे भरोसा नहीं हुआ कि क्या मेरे शौहर ऐसा कर सकते हैं.
मैं डर और वासना के मारे बुरी तरह से कांप रही थी.

तभी रमेश जी कमरे में गए और वे उधर से ब्लू फिल्म का सारा सामान ले आए.
उन्होंने टीवी और सीडी प्लेयर वहीं चारागाह में सैट कर दी और ब्लू-फिल्म चालू कर दी.

तभी मेरी निगाह रमेश जी के ऊपर गई तो उन्होंने अपनी शर्ट उतार दी थी और उनका चौड़ा सीना मेरे अन्दर चुदास की भूख बढ़ाने लगा था.

तब तक अभिषेक ने मेरे कपड़े फाड़ दिए थे.
उस वक्त मैं उन सबके सामने सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में रह गयी थी.

लगभग नंगी होकर मुझे ऐसा लग रहा था मानो मेरा गैंगबैंग होने वाला हो और वह भी मेरे ही घर में.

मैं अपने दोनों हाथों से अपने भारी मम्मों को छुपा रही थी और मेरी आंखों से चुदास दिखने लगी थी.

उधर वे चारों भी अपने अपने कपड़े उतार कर सिर्फ अंडरवियर में आ चुके थे.
वे सभी मेरे चारों तरफ एक घेरा सा बना चुके थे और मैं उनके बीच जमीन पर लगभग नंगी पड़ी हुई थी.

तभी रमेश जी ने मुझे एक हाथ से पकड़ कर उठाया और किस करना शुरू कर दिया.
वे मेरे होंठों से होंठ लगा कर चूम रहे थे, तो मुझे साँस लेने में मुश्किल हो रही थी.

उनकी जीभ मेरे मुँह में चारों तरफ घूम रही थी. एक बार को ऐसा लगने लगा था मानो यह वक्त यही ठहर जाए और मेरे मुँह में चल रही जीभ हमेशा यूं ही घुसी रहे.

पर अभी तो यह शुरुआत थी.
मुँह में जुबान के बाद शायद उनके लंड भी घुसने वाले थे और उसके बाद मुझे अम्मी बनाने का सुख देने के लिए उनके लौड़े भी मेरी चुत का भोसड़ा बनाएंगे.

सब कुछ समय के गर्त में था, मैं बस मदहोश सी अपने मुँह में रमेश जी की खुरदुरी जीभ का स्वाद ले रही थी.

थोड़ी देर तक मुझे भँभोड़ कर किस करने के बाद रमेश जी ने एक हाथ से मेरी ब्रा में हाथ डाला और उसको खींच दिया.
मेरी ब्रा फट गई और मेरी चूचियां एकदम आज़ाद हो गयी थीं.

रमेश ने मेरे बाएं बूब को काटना शुरू कर दिया.
अभिषेक मेरे दाएं बूब को चूसने लगा.

मैं उन दोनों के सामने विवश पड़ी थी और ना चाहते हुए मना कर रही थी … दिखावे के लिए अपने हाथ जोड़ती हुई कह रही थी- मुझे छोड़ दो, मैं आप सबसे माफी की तलबगार हूँ.

लेकिन उन सब ने मेरी एक ना सुनी.
मेरे बहुत ज़िद करने पर सतीश ने मेरे मुँह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और चुप रहने को कहा.
अब मैं बहुत ज़्यादा डर गयी और चुप हो गयी.

तभी रमेश जी ने एक झटके से मेरी पैंटी फाड़ कर निकाल दी और उसे दूर फेंक दी.
मैं अब एकदम मादरजात नंगी हो चुकी थी.

अभिषेक ने हाथ बढ़ा कर मेरी दोनों टांगों के बीच में डाला और चुत को सहलाना शुरू कर दिया.

रमेश जी ने अपना अंडरवियर उतार दिया और वे अपना लौड़ा मेरे सामने लहराने लगे थे.

उनका लंड देख कर तो मेरी साँसें ही रुक गईं. उनका लंड मेरे शौहर के लंड के तीन गुना था, वह लंबाई और मोटाई दोनों में ही गधे का लंड लग रहा था.

उन्होंने लौड़े को झटका देते हुए कहा- भाभी, आज तुमको मेरा ये लंबा और मोटा लंड पूरा अपनी इस पाकीज़ा चुत के अन्दर लेना पड़ेगा … तभी तुम्हारी कोख में बच्चा आएगा.

एक ओर तो मैं बहुत ज्यादा डर गयी थी कि ये हाथी का लंड चुहिया की चुत में कैसे जाएगा … पर दूसरी ओर इस बात से बड़ा सुकून मिल रहा था कि मेरी कोख हरी हो जाएगी.

मैंने बड़े लौड़े से डर कर रोना शुरू कर दिया.
पर उन सबको कोई फर्क नहीं पड़ा.

वे सभी एक एक करके नंगे होते चले गए.

उन सबके लंड एक से बढ़ कर एक थे.
मुझे तो अपनी आँखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था कि मर्द का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है.

मैंने तो आज तक बस अपने शौहर का ही देखा था जो उन चारों के सामने छोटी सी नुन्नी से ज्यादा कुछ भी नहीं था.

एक चीज और थी कि उन चारों के लंड साबुत थे और उनके लाल लाल सुपारे चमक रहे थे.

अभिषेक ने कहा- साली आज चार सच्चे मर्दों के लंड तेरी चुदाई करने के लिए बेताब हैं.
सतीश ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरी एक चूची के साथ खेलने लगा.

थोड़ी ही देर बाद उसने मेरे मुँह में अपना लंड दे दिया और अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
उसका लंड हद से ज्यादा बड़ा और मोटा था, जो बड़ी मुश्किल से मेरे मुँह में जा पा रहा था.

उधर अब सुरेश किसी पागल कुत्ते की तरह मेरी चुत को चाट रहा था.

मैं उस बेरहमी को एंजाय करने लगी थी क्योंकि मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने सुरेश के सर पर अपना हाथ रख कर उसे अपनी चुत पर दबाना शुरू कर दिया था.

अब मैं भी जोश में आ गयी थी और मुझे भी मज़ा आने लगा था.

दोस्तो, मैं इंडियन वाइफ सेक्स स्टोरी के अगले भाग में आपको अपनी चुत चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगी.
आप मुझे जरूर बताएं कि आपको सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
crazyman59515@gmail.com
 

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Part 2​

चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी में मैं एक ही रात में चार मर्दों से चुदी. चारों लंड बहुत बड़े थे, लम्बे और मोटे. मोटा लंड मेरी चूत में घुसा तो चूत फट गई.

दोस्तो, मैं अलीशा एक बार पुनः अपनी चुदाई की कहानी के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
मेरे शौहर मुझे अपने दोस्तों से चुदने छोड़ गये
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि मेरे शौहर के चार मुस्टंडे दोस्तों ने मुझे रात को नंगी करके चोदने का कार्यक्रम चालू कर दिया था.

अब आगे चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी:

आज मैं चार पहलवान सरीखे मर्दों से अपने पाकीज़ा जिस्म को उनसे मसलवा रही थी.
भले ही शुरू में मैं दुविधा में थी, पर अब मैं बस यही चाहती थी कि इनके साथ मेरी चुदाई कभी खत्म ही ना हो.

फिर रमेश और अभिषेक ने मुझसे अपना लंड सहलाने को कहा.
मैं उन दोनों का लंड सहलाने लगी.

उधर सतीश मेरे मुँह में ही एक बार झाड़ चुका था.
उसका इतना सारा पानी पीने के बाद मुझे अहसास हुआ कि मेरे शौहर का एक महीने में भी इतना नहीं निकलता होगा, जितना इसका एक बार में निकला है.

मैंने उसका पानी थूकना चाहा तो उसने मुझे थूकने नहीं दिया.
वह बोला- तुम ये सारा पानी पी जाओ, तुम्हें ताकत आएगी.

मैंने अपने जिस्म की आग बुझाने के सदके उसके लंड का सारा पानी पी लिया.

सुरेश अभी भी मेरी चूचियों को मसल रहा था, वह भी बड़ी बेदर्दी से!
सतीश ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरी जीभ को चूसने लगा जिससे मैं और ज़्यादा गर्म हो गयी.

मेरी चूत से लगातार पानी निकल रहा था।
मैं वह सब एंजाय कर रही थी.

तभी अभिषेक ने कहा- कौन सब से पहले इस पाकीज़ा औरत को चोद कर अपने बच्चे की मां बनाएगा?
सतीश ने कहा- यार पहला हक़ रमेश भाई का है, क्योंकि भाभी को चोदने का प्लान उन्हीं का था, इसलिए वही सब से पहले इस पाकीज़ा रांड की चूत को फाड़ेंगे!

अब रमेश जी मेरे पास आ गए.
सतीश ने मेरी लेफ्ट चूची को और सुरेश ने मेरी राइट चूची को चूसना शुरू कर दिया.
जबकि रमेश जी ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और वे उसे अन्दर बाहर करने लगे.

दोस्तो, मैं बता नहीं सकती उस टाइम मेरी क्या हालत थी.

जब रमेश जी ने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया, तो मैं जोश में आकर बोलने लगी- आहह … ओह आह … मजा आ गया रमेश जी!

थोड़ी देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद रमेश जी ने अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत के छेद में रखा और अन्दर दबाना शुरू कर दिया.

चुदी होने के बाद भी रमेश जी के लंड के सामने मैं एक कुंवारी लड़की जैसी ही थी.
इसी वजह से उनके लंड के लिए मेरी चूत बहुत ही टाइट थी.

रमेश जी ने जैसे ही थोड़ा ज़ोर लगाया, तो मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मैं चिल्लाने लगी.

सुरेश ने रमेश जी से कहा- यार, जरा धीरे धीरे डालो, ये अभी तक कुँवारी जैसी ही है, साले इसके हिजड़े खसम में दम ही कहां होगा! साली की चूत बहुत टाइट होगी … देख ना कितना दर्द हो रहा है इस पर्दानशीं पाकीज़ा औरत को!

रमेश जी ने एक हल्का सा धक्का मारा तो उनका लंड मेरी चूत में एक इंच अन्दर चला गया.
मेरी तो चीख ही निकल गयी, मुझे लग रहा था कि कोई गर्म लोहा मेरी चूत में डाल दिया गया हो.

सुरेश ने मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया ताकि मेरी आवाज ना निकले.
रमेश जी ने फिर ज़ोर लगाया तो इस बार उनका लंड 3 इंच और अन्दर चला गया.

मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा.
मैं चिल्लाना चाहती थी लेकिन सुरेश ने अपने होंठों से मेरे होंठों को सील कर रखा था.
इसलिए मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी.

मैं रोने लगी और मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
रमेश जी ने फिर से ज़ोर लगाया तो लगा कि मेरी जान ही निकल जाएगी.

उनका आधा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस चुका था.
मेरी चूत से खून भी निकल आया.

रमेश जी मेरी चूत से खून आता देख कर थोड़ी देर रुके रहे और कुछ पल बाद उन्होंने अचानक से एक ज़ोरदार धक्का दे मारा.

मुझे बहुत तेज दर्द हुआ. ये दर्द मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

इस बार रमेश जी का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर पूरा जा चुका था.
उनके दोनों आंड को मैं अपनी गांड के पास महसूस कर रही थी.

सतीश और अभिषेक ने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया.
जब मैं कुछ शांत हुई तो रमेश जी ने अपना लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मैं फिर से चिल्ला उठी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई चाकू से मेरी चूत को काट रहा हो.

रमेश जी ने कहा- घबराओ मत, अभी थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा और तुमको भी खूब मज़ा आएगा!

तब रमेश जी ने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी तो मुझे फिर दर्द होने लगा.

थोड़ी देर तक चुदवाने के बाद मेरा दर्द भी कम हो गया और मुझे मज़ा आने लगा.
मेरे मुँह से अब सेक्सी आवाज़ें निकलने लगीं.
मेरे अन्दर एकदम आग सी लग गयी.

मैंने रमेश जी का साथ देना शुरू कर दिया तो उन्होंने बहुत तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दी.

आज एक पाकीज़ा पर्दानशीं औरत, जिसने आज तक अपने शौहर को ही सब माना हो, वह अपने घर में ही एक से नहीं बल्कि 4 पहलवान किस्म के मर्दों से अपनी चूत चुदवा रही थी.

बहुत देर तक मुझे चोदने के बाद रमेश जी चिल्लाए- ऑह … साली रांड पाकीज़ा कुतिया … मैं आ रहा हूँ … ले बहन की लौड़ी अपनी कोख में मेरे बीज को बुववा ले!
मैं अपनी गांड उठा उठा कर उस हाथी के लौड़े से चुदवा रही थी.

मैंने कभी अपने शौहर के अलावा किसी के बारे में सोचा तक नहीं था और अब यहां मैं एक गैर मर्द का इतना मोटा और लंबा लंड खा रही थी.

तभी मेरी चूत में उसके लंड से कुछ गर्म गर्म सा पानी निकलने लगा और साथ ही साथ मेरी चूत ने भी उसी तरह का पानी छोड़ना शुरू कर दिया!
आह … एक गैर मर्द ने मेरी पाकीजा चूत को अपने पानी से आज भर दिया था.
मुझे ऐसा लगा मानो मुझे जन्नत मिल गई हो.

मुझे अपनी चूत में रमेश जी के लंड का पानी निकलवाने से बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था.
मेरा अंग अंग ख़ुशी से झूम उठा था.

रमेश जी के लौड़े का पानी तो जैसे निकलना खत्म ही नहीं हो रहा था.
वह पानी लगातार मेरी चूत के हर कोने को भरता जा रहा था.
उनका इतना वीर्य निकला कि वह मेरी चूत से बाहर निकल कर मेरी चूत के आस पास फैलने लगा था.

मैं एकदम से सातवें आसमान पर पहुँच गयी थी.

ढेर सारा पानी मेरी चूत में निकालने के बाद रमेश जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और हट गए.

मैं अभी खुद को संभाल भी नहीं पाई थी कि सुरेश ने मेरी चूत में एक झटके से ही अपना आधा से ज़्यादा लंड पेल दिया.
‘हाई रे मर गई …’ मैं फिर से चिल्ला पड़ी.
पर इस बार मुझे दर्द के साथ मज़ा भी बहुत आया.

सुरेश ने फिर से एक ज़ोरदार धक्का मारा और अपना सारा लंड मेरी चूत के अन्दर घुसा दिया.
उसका पूरा लंड मेरी पहले से गीली चूत में उतर चुका था.

फिर उसने खूब तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करना शुरू कर दी.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी खुल कर उसका साथ देने लगी थी.

रमेश जी मेरे मम्मों को मसल रही थे.
उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- वाह भाभी … वाह तुम तो बहुत जल्दी से चुदवाना जान गयी! आज के बाद तुझे बस हम जैसे मोटे मोटे लंड से ही चुदने में मज़ा आएगा!

उधर अभिषेक अब मेरे मुँह में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था और सुरेश तो मेरी गर्म गर्म चूत को चोदते हुए एकदम पागल सा हो रहा था.
वह पूरी ताक़त के साथ बहुत ही तेज़ी से मुझे चोद रहा था.

लगभग 25 मिनट तक मेरी चूत चोदने के बाद वह भी अन्दर ही झड़ गया.
मेरे बदन का हर हिस्सा दर्द करने लगा था लेकिन मैं अभी भी गर्म थी.

उसकी चुदाई के दौरान मैं दो बार झड़ चुकी थी.

सुरेश के हट जाने के बाद अब सतीश ने उसका स्थान ले लिया था.
उसने मुझे रगड़ कर चोदना शुरू कर दिया.

सतीश का लंड उन दोनों के मुक़ाबले पतला और छोटा था.
उसका लंड अपने साथियों की बनिस्बत छोटा था, पर तब भी वह मेरे शौहर के लंड से दुगना था.

सतीश ने भी ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदना शुरू कर दिया.
मैं खूब मज़े ले लेकर उससे चुदवा रही थी और नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

उधर अभिषेक अब मुझे किस कर रहा था और मेरी चूचियों को मसल रहा था.

सतीश ने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी, जिससे मैं एकदम मस्त हो गयी और अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ देने लगी.
लगभग 20 मिनट तक ही चोदने के बाद उसने भी मेरी चूत के अन्दर ही अपना बीज बो दिया.

सतीश से चुदवाने के दौरान मैं केवल एक बार ही झड़ पाई थी.

अब बचे हुए अभिषेक से चुदवाने की बारी थी.
वह मेरी टाँगों के बीच आ गया और उसने मेरी टाँगों को फैला दिया.

मेरी चूत अपना मुँह खोल कर कर उसका लंड देख रही थी.
अभिषेक ने अपना खूब मोटा और लंबा नौ इंच का लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया.

उसने मेरी कमर को पकड़ कर जैसे ही एक धक्का लगाया, तो मुझे बहुत दर्द होने लगा.
माना रमेश का लंड उससे लंबा था पर मोटाई मैं अभिषेक का लंड उससे ज्यादा था, चुत फाड़ मोटा लंड चूत में घुसने से मैं फिर से चीख पड़ी.

उसका आधा लंड अभी भी बाहर ही था और मुझे ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरी चूत को हाथों से पकड़ कर फैला रहा हो.
उसने फिर एक ज़ोर का धक्का मारा, जिससे उसका मुश्किल से एक इंच लंड ही मेरी चूत में घुस पाया.

मैं दर्द से एकदम बेहाल होने लगी.
रमेश, सुरेश और सतीश मेरे बूब को मसलने में लग गए.

अभिषेक ने एक बार फिर से अपना लंड बाहर निकाल कर मेरी चूत में डालने की एक नाकाम कोशिश की.
लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुस पाया.

मैं उसके लंड को देख कर मन ही मन कह रही थी कि आह रब्बा … इतना मोटा लंड बनाने की जरूरत ही क्या थी!

अभिषेक ने मुझे बिना लंड निकाले ही उठा लिया और खुद नीचे लेट गया.
मैं अब उसके ऊपर थी.

रमेश जी, सुरेश और सतीश ने मुझे ज़ोर से पकड़ कर अभिषेक के लंड पर दबा दिया.
‘हययी मर गई …’

मुझे उनके ऐसा करने से अभिषेक का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया और मैं दर्द के मारे चिल्लाने लगी.
मैं दर्द से बुरी तरह से तड़फ रही थी और अपने हाथ पांव पटक रही थी.

उन तीनों ने मुझे पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया, मानो मैं कोई बेबी हूँ और वह तीनों मुझे झूला झूला रहे हो!’

उनके ऐसा करने से अभिषेक का पूरा मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर बाहर होने लगा.
करीब 15 मिनट दर्द से तड़फने के बाद धीरे धीरे मेरा दर्द खत्म हो गया और मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

कुछ देर तक इसी तरह करने के बाद अभिषेक ने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया यानि अब एक पाकीज़ा पर्दानशीं औरत एक साढ़े नौ इंच के मोटे लंड वाले गैर मर्द की कुतिया बन चुकी थी.
कुतिया के जैसे बनने की वजह से मेरा चेहरा बुरी तरह से तमतमाया हुआ था क्योंकि मैंने लगातार चौथा लंड अपनी चूत में लिया हुआ था.

मैं अचानक से थक गई और वहीं जमीन पर अपने दोनों हाथ फैला कर सो गयी.

मेरी हालत देख कर वे चारों गैर मर्द हंस रहे थे कि साली पाकीज़ा औरत चुदती हुई सोने लगी है.

अभिषेक ने मुझे फिर खड़ा करके कुतिया बना दिया और वापस मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चुदाई करने लगा.

अब तो अभिषेक पूरी ताक़त से मुझे चोदने लगा था और अपने हाथ नीचे डाल कर मेरी दोनों चूचियों को मसल रहा था.

सच कहूँ तो मैं अभिषेक से चुदवाने में सबसे ज़्यादा मज़ा ले रही थी.
अभिषेक से चुदवाते हुए मुझे लगभग एक घंटा हो चुका था.

इस दौरान मैं 4 बार झड़ चुकी थी और वह था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

लगभग दस मिनट और चोदने के बाद वह मेरी चूत में ही झड़ गया और साथ ही साथ मैं भी एक बार फिर से झड़ गयी.
अब मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका वीर्य सीधा मेरे पेट में जा रहा हो और मुझे अन्दर से पाकीज़ा कर रहा हो.

मैं अब एकदम थक कर चूर हो गयी थी.
मेरी आंखों से सामने तारे दिखाई दे रहे थे … ऐसा लग रहा था कि मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही हूँ.

अभिषेक ने अपना मोटा लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुँह की तरफ अपना लंड कर दिया.
इतनी बुरी हालत होने के बाद भी मैं उसके लंड को चाटने में लग गयी.

मेरी चूत अभी भी परपरा रही थी.
मैंने अभिषेक का लंड चाट चाट कर एकदम साफ कर दिया और उसके बाद जैसे तैसे करके बाथरूम चली गयी.

बाथरूम से आने के बाद हम सब नंगे ही आराम करने लगे.

मैंने उन सभी को बेडरूम में चलने को कहा तो उन्होंने कहा कि यहीं ज्यादा शांति है.

उस रात उन्होंने मुझे एक एक बार और चोदा और सुबह मेरे शौहर आ गए.
शौहर ने उन सबको शुक्रिया कहा और वे सब चले गए.

मैं हैरान थी कि शौहर ने उन्हें कोई पैसा वापस नहीं किया था.

नौ महीने बाद मैं जुड़वां बच्चों की मां बन गई थी.
मुझे नहीं पता कि मेरे बच्चे किसके बीज से हुए, पर अब मैं बहुत खुश थी.

आपको यह चुत फाड़ मोटा लंड सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताएं.
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