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Hindi - हिन्दी भाई की साली से प्यार में क्या क्या किया (All Parts)

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Part 1​

लव लव स्टोरी में मेरी भाभी की बहन भाई भाभी के साथ रह कर पढ़ाई कर रही थी. मैं भी वहीं रहकर जॉब कर रहा था. हालात ऐसे बने कि मुझे भाभी की बहन से प्यार हो गया.

मेरा नाम अंशु है।
मैं 24 साल का हूं और अपना बिजनेस करता हूं।

मेरे परिवार में 3 भाई 1 बहन और माता पिता हैं मेरी छोड़ सबकी शादी हो गई है।
मैं सबसे छोटा हूं।

मेरे माता पिता मेरे बड़े भाई के साथ रहते हैं मुंबई में!
मैं यहीं बिहार में अपने मंझले भाई भाभी के साथ रहता हूं।

मैंने और मंझले भाई ने, जिसका नाम सुमीत है, शहर में अभी नया नया एक 2 बी एच के मकान बनाया है।

सुमीत की शादी को 1 साल हो चुका है।
उसकी शादी गांव में हुई है लेकिन भाभी पढ़ी लिखी है।
वह काफी सुंदर हैं शर्मीली हैं उनका नेचर बहुत अच्छा है।
भाभी का नाम अंजलि है।

हम इस घर में 6 महीने पहले ही आए हैं, यहां मैं भईया भाभी और उनकी बहन रुचिका रहती है।
रुचिका भी अपनी बहन की तरह ही खूबसूरत है।
वह यहीं से ग्रेजुएशन कर रही है अभी वह 1st ईयर में है।

रुचिका के रहने से भईया भाभी अपने कमरे में और रुचिका मेरे कमरे में अलग बेड पर सोती थी।
जब भईया नहीं होते तो वह अपनी दीदी के साथ सो जाती है।

हम तीनों का काफी मजाक चलता रहता था और मेरा कोई गलत इंटेंशन नहीं था रुचि के प्रति!
सब काफी घुल मिल कर रहते हैं।

यह लव लव स्टोरी मेरी और रुचिका की है.

एक दिन सुबह सुबह भाभी मेरे कमरे में आई।
मैं सो रहा था।
भाभी- सुनो, रुचिका का एक्सिडेंट हो गया है, उसका फोन आया है, उसे ले आओ।

मैंने रुचिका से बात की.
वह रोती हुई बोली कि वह स्कूटी से गिर गई है फलाने रोड पर!

मैं अपनी गाड़ी ले उसे लाने चला गया.

उसके हाथ पैर छिल गये थे.
यह घटना इतनी सुबह हुई थी कि उस समय ना कोई क्लिनिक खुला था ना कोई मैकेनिक।

मैं उसे घर ले आया और स्कूटी को पास के ही एक दुकानदार के घर खड़ा कर दिया।

दरअसल वह जॉगिंग के लिए पार्क जाती है.
सुबह सुबह वहीं उसका योगा क्लास भी है तो स्कूटी से ही जाती है।

फिर घर आ भाभी ने देखा कि उसके दोनों हाथ पैर छिल गए थे, घुटने से खून आ रहा था।

भाभी ने उसका ट्राउजर खोल दिया.
अब वह सिर्फ़ पैंटी और टी शर्ट में थी।

मैंने उसकी मोटी मोटी जांघें देखते हुए उसके तौलिया लपेट दिया।
फिर भाभी उसके घुटनों की डेटॉल से सफाई करने लगी.
उसे जलन होने लगी।

रुचि रोती हुई- मत लगाओ. बहुत जल रहा है।
वह लगाने से मना करने लगी, काफी रोने लगी।
भाभी उसे बेड पर सुलाते हुए- इसका हाथ पकड़िए. देखते हैं कैसे नहीं लगाती है।

मैंने सावधानी से उसका हाथ पकड़ लिया उसके सर के तरफ से!
भाभी उसके पैरों को पकड़ उसके पैर साफ करने लगीं।

वह काफ़ी चिल्ला रही थी।
मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
उसने मेरा हाथ काट लिया।

मैं मजाक करते हुए बोला- शांति से लगवा लो चिलाओ नही, नहीं तो अब मुंह में कुछ डाल दूंगा।
फिर मैं बात बदलते हुए बोला- कपड़ा डाल दूंगा.

फिर भाभी ने उसके हाथ साफ किये और क्रीम लगा दी।

फिर भाभी ने उसे एक पेनकिलर खाने को दी.
कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया तो वह सो गई।

फिर भाभी तैयार हो किसी एनजीओ की मीटिंग अटेंड करने चली गई।
भाभी जाते हुए बोली- रुचि को डॉक्टर के पास ले जाना और खाना खिला देना।

फिर 11 बजे वह उठी तो मैंने उसे खाना दिया।

उसके उंगलियां भी पीछे की तरफ छील गई थी तो मैंने उसे अपने हाथ से खाना खिलाया।

फिर मैंने उसके कमर पर स्कर्ट पहना दिया और गाड़ी में बिठा किसी क्लिनिक के लिए निकल पड़ा।

हमारा घर आउट एरिया में है तो वहाँ आस पास कोई क्लिनिक नहीं है.
कुछ देर बाद हम जाम में फंस गए.
बैठे बैठे हालात खराब हो गई, 2 बजने को थे।

रुचि रूआंसी सी आवाज में- चलो घर चले जाते हैं।
मैं- क्या हुआ?
रुचि- कुछ नहीं, घर चलो बस!

मैं- अब जाम है तो मैं क्या कर सकता हूं? कुछ दूर पर एक क्लिनिक है वहाँ दिखा लेते हैं।
रुचि- नहीं चलो घर!

मैं- अरे … पर हुआ क्या? बताओ तो?
रुचि शर्माती हुई- मेरे पीरियड्स हो गए और मैंने पैड भी नहीं लगाया है, स्कर्ट पर दाग लग गया होगा।
मैं हंसने लगा।

रुचि मुझे मारती हुई- हंस क्यों रहे हो?
मैं- रुको, अगर मैं पैड ला दूं तो चलेगा?
रुचि- ठीक है।

फिर मैं गाड़ी साइड में लगा कर पैड, कुछ टिस्सु पेपर, एक पैंटी और एक स्कर्ट ले आया और उसे देते हुए- पीछे जाओ और साफ कर लो।

मैं बाहर खड़ा हो गया और सीट के तौलिये से शीशे ढक दिया।
वह पीछे गयी.
पर उसके हाथ पैर में चोट थी तो वह नहीं कर पाई।

कुछ देर बाहर इंतजार करने के बाद मैंने पूछा- हो गया क्या?
रूचि रोते हुए- नहीं हो रहा है।

फिर मैं अन्दर गया- तो मैं कर दूं?
रूचि- बकवास मत करो।
मैं- अरे लाओ ना … मैं कर देता हूं. क्या हो जाएगा … प्रॉब्लम में फैमिली ही तो काम आती है।

रूचि- ठीक है पहना दो लेकिन आंख बंद रखना।

मैंने उसकी पेंटी उतारी, उसे थैली में डाला, एक भीगे तौलिये से बिना देखे उसकी स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल उसकी चूत पौंछी.
फिर मैंने नई पैन्टी पर पैड लगा दिया और उसे पहना दिया.
पहनाते टाईम मेरे उंगलियां उसकी घनी झांटों से छू गई.

फिर मैंने उसके चूतड़ उठा उसकी स्कर्ट उतार उसे नई स्कर्ट पहना दी।

वह अपनी आंखें बन्द किए हुए थी।

मैं- देखो हो गया ना!
रुचि शर्मा रही थी कुछ नहीं बोल रही थी।

मैं मजे लेते हुए- जंगल में जंगली जानवर रहते हैं या यूं ही वीरान जंगल है?
रुचि- कौन से जंगल में?
मैं हंसने लगा।
कुछ देर बाद उसे समझ आया तो वह शर्मा गई।

फिर मैंने उसे डॉक्टर को दिखा दिया.
डॉक्टर ने उसकी मरहम पट्टी कर दी उसके बाएं हाथ की उंगलियों में ज्यादा चोट थी तो उस हाथ में स्लिंग टांग दिया.
फिर हम दवाई ले घर आ गए।

4 बज चुके थे भाभी घर पर नहीं थी।
रुचि- मुझे बाथरूम जाना है।
मैं- इंडियन सीट पर तुम्हें बैठने में नहीं बनेगा इसलिए मेरे कमरे के बाथरूम में चली जाओ।

रुचि चली गयी.
काफी देर बाद भी वह बाहर नहीं निकली तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
रुचि- धोने में नहीं बन रहा।
मैं- मेरी कुछ मदद चाहिए तो बोलो या दरवाजा खोलो।
रुचि ने कुछ देर बाद दरवाजा खोला।

वह स्कर्ट पहन खड़ी थी उसकी पैंटी घुटनों में थी।
फिर वह बैठ गयी और मैंने बिडे शावर से उसके पीछे कूल्हों के बीच में पानी डाला।

मैं मजाक में बोला- क्या क्या करना पड़ रहा है।
रूचि शरमा गई।

मैं- लेकिन मजा भी बहुत आ रहा है।
फिर मैंने उसके आहे चूत पर पानी डाला।

रुचि- क्या कर रहे हो?
मैं- जंगल में पेड़ों को पानी दे रहा हूं।
रुचि- तू देख क्यों रहा है?
मैं हंसते हुए- ऐसे ही!

फिर हम हंसने लगे।

फिर भईया भाभी आ गए।

कुछ दिन ऐसे ही चला.
जब भाभी घर पर होती तो भाभी उसकी देखभाल करती.
नहीं तो मैं तो घर पर ही रहता था क्यूंकि मैं घर से ही काम करता था।

18-20 दिन बाद वह ठीक हो गई।

एक रात को हम दोनों सोने के लिए अपने अपने बेड पर लेट गए थे कि अचानक उसने मुझे किस कर दिया।

मैं- ये क्या था?
रुचि- तुमने जो मेरी इतनी सेवा की … उसका ईनाम!
मैं हंसते हुए- इतना कम ईनाम लूंगा मैं?

रुचि- तो और क्या चाहिए?
मैं- मैं तो जंगल में जाना चाहता हूं।
रुचि- उधर जाने की सोचना भी मत! उधर सिर्फ खास लोग जाते हैं।
मैं- तो मैं खास नहीं हूं?
रुचि- हो … पर उतने भी नहीं!

मैं- तो उतना खास बनने के लिए अब मुझे क्या करना होगा?
रुचि- शादी।
मैं मजाक करते हुए- मेरी शादी तो नहीं हुई है, मेरे भाई की शादी हो चुकी है तो क्या वह आपके जंगल में गया है?
रुचि मेरी तरफ तकिया फेंक कर बोली- कुछ भी मत बोलो।

मैं- अच्छा तुम जंगल की सफाई क्यूं नहीं करती हो?
रुचि- अब तो तुमसे ही करवाऊंगी।

मैं- अब मैं कुछ नहीं करूंगा, तुम वह अपने खास से करवा लेना।
रुचि- तो तुम ही बन जाओ खास!

मैं- एक सेकंड … क्या तुम मुझे इन डायरेक्टली प्रपोज कर रही हो?
रुचि- जो तुम समझो।

मैं- साफ साफ बोलो तब तो मैं समझूं!
रुचि मेरे बेड पर आते हुए- सच बोलूं तो पहले तुम मुझे बिल्कुल पसन्द नहीं थे. लेकिन अब मैं तुम्हें पसन्द करने लगी हूं।
मैं हंसते हुए- हाय दईया … मैं तो मर ही जाऊंगा। ऐसा मजाक नहीं करो।
रुचि- मैं मजाक नहीं कर रही! सच में मैं तुम्हें प्यार करने लगी हूँ।

कुछ देर मैं खामोश रहा।

फिर मैं बोला- देखो, हम एक ही घर में रहते हैं, हमारा इतना अच्छा रिश्ता है, इतने घुलमिल कर हंसी खुशी रहते हैं। अगर प्यार व्यार करेंगे तो हमारा इतना अच्छा रिश्ता बर्बाद हो जाएगा। फिर आपके घर वालों को लगेगा कि मैंने आपका फायदा उठाया है।

रुचि उठ कर अपने बेड पर चली गई- मैं समझ गई आपको।
फिर वह चुपचाप सो गई।
मैं कुछ बोला तो उसने जवाब नहीं दिया।

फिर कुछ दिन उसने मुझसे बात नहीं की।

एक रात हम सोने गए तो मैं बोला- देखा यह लव लव प्यार व्यार कितना खतरनाक होता है. हम कितने खुश रहते थे पहले! अब 4 दिन से तुम मुझसे नाराज हो।
रुचि कुछ देर चुप रहने के बाद- लेकिन मैं क्या करूं … तुमने मेरा इतना ख्याल रखा कि मुझे तुमसे प्यार हो गया।

मैं उसके बेड पर लेट गया और उसकी बाजू पर हाथ रख कर बोला- मुझे सोचने दो. एक लड़की जिसके 32 B के स्तन हैं, 28 की कमर, 34 के हिप्स, जो थोड़ी हेल्दी है, काफी गोरी है, सुंदर है, थोड़ी नखरीली है, गुस्सा नाक पर रहता है, उस लड़की को मुझसे प्यार है। अगर मैं भी उससे प्यार करने लगूं तो मुझे क्या मिलेगा?
रूचि थोड़ी खुश होती हुई- वह सब कुछ जो मेरे खास को मिलना चाहिए।

फिर मैं उसकी कमर में हाथ डाल उसके पीठ से चिपक गया।

रुचि- छोड़ो मुझे … क्या कर रहे हो? पहले बोलो कि तुम मुझसे प्यार करते हो।
मैं- ठीक है, आई लव यू।
रुचि मेरे गले लगती हुई- आई लव यू टू!

फिर मैं उसके कूल्हे दबाते हुए बोला- अब तो अपना जंगल दिखा दो, मुझे गुफा में जाना है।
रुचि- नहीं मैं वह सब शादी के बाद ही करूंगी। शादी करोगे ना … मुझे धोखा तो नहीं दोगे?

मैं उसके सर पर हाथ रखते हुए- कसम खाता हूं कि शादी करुंगा तो तुमसे ही करूंगा, नहीं तो नहीं करुंगा। बोलो तो अभी बात कर लूं शादी की तुम्हारे घर वालों से?
रुचि- नहीं, अभी नहीं … कुछ दिन बाद। पहले मैं अपनी दीदी से बात कर लूं. तब तुम जीजा जी से बात कर लेना।

मैं- ओहो, शायद तुम भूल रही हो कि तुम्हारी दीदी अब मेरे घर की मेंबर हैं. तो मैं अपनी भाभी से पूछ लूंगा, तुम अपने मम्मी पापा से पूछ लेना।
रुचि- ठीक है. पहले तुम पूछ लेना।

मैं- अब तो जंगल दिखा दो।
रुचि- देख तो तुम पहले ही चुके हो।

मैं- अरे अच्छे से कहा देखा था. अब अच्छे से दिखा दो।
रुचि- अभी नहीं, दिन में जिस दिन दीदी घर पर नहीं होगी, उस दिन अच्छे से देख लेना और जंगल की सफाई भी कर देना।
इतना बोल कर वह शर्मा गयी.

मैं उसके चूचे छूते हुए- तो इन संतरों का रस ही पिला दो।
रुचि- क्या कर रहे हो? छोड़ो!

फिर मैं उसके होंठों पर उंगलियों से सहलाने लगा।
रुचि कांपती हुई- क्या कर रहे हो?
मैं- मैं तुम्हारे अधरों का रस पीना चाहता हूं। इजाजत दे दो।

रुचि मुस्कुराती हुई- हम्म!

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
उसने लेटे हुए मेरे गले में बाहें डाल दी.

मेरे हाथ उसकी कमर पर थे. हम दोनों काफी चिपक गए थे.
उसने एक जांघ मेरी कमर पर रख दी.

हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे।

अब उसकी सांसें तेज हो गई थी, वह हांफने लगी तो मैंने उसके होंठों से होंठ हटा लिये।

मैं- कैसा लगा?
रुचि ने शरमा कर मेरे सीने में अपना मुंह छुपा लिया।

मैं उसके पीठ सहलाने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उसका चेहरा उठाकर उसके माथे पर किस किया, फिर उसकी आंखें चूमी, उसके गाल चूमें, उसकी गर्दन और गले पर चुम्बन किया.
फिर मैंने उसके सीने पर उसके बूब्स पर मैंने कपड़े के ऊपर से चूम लिया।

उसकी सिसकारी निकल गई।

फिर मैं अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया और उन्हें सहलाने लगा।
वह आह आह करने लगी।

अब मैंने सलवार के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रख दिया।

रुचि- आह … सुनो ना … मैं ये सब शादी के बाद करना चाहती हूं।
मैं- क्या सब?
रुचि- सेक्स, मैं अपनी सुहागरात पर ही करना चाहती हूं।

मैं- मैं वादा करता हूं तुम पहली बार सेक्स सुहागरात पर ही करोगी।
यह कहते हुए मैं उसकी चूत सहलाने लगा.

रुचि- तो वहाँ से हाथ हटा लो ना … मुझे कुछ हो रहा है।
मैं- मुझ पर भरोसा है?
रुचि- अपनी जान से भी ज्यादा।
मैं- तो जो मैं कर रहा हूं करने दो और मजे लो।

हम दोनों किस करने लगे.

मैं अब भी उसकी चूत सहला रहा था.
वह आह आह करे जा रही थी.

उसने अपनी जांघों को जोड़ से भींच लिया और कुछ देर बाद झड़ गई।

मैंने पूछा- कैसा लगा?
उसने अपना चेहरा फिर से मेरे सीने में छिपा लिया।

कुछ देर यों ही बात करते हुए हम सो गए।

मेरे प्रिय पाठको, यह लव लव स्टोरी चार भागों में चलेगी.
अभी तक की कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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Part 2​

प्यार प्यार में भाई की साली के साथ मैंने चूमा चाटी की. चुलबुली सेक्सी बातें करते करते मैंने उसकी पैंटी उतारी तो उसकी लम्बी लम्बी झांटें थी. मैंने उसकी बुर की शेव की.

कहानी के पहले भाग
भाई की साली से प्यार में चूमा चाटी
में आपने पढ़ा कि भाभी की बहन हमारे घर में रह कर पढ़ रही थी. एक दिन उसका एक्सीडेंट हो गया तो मैंने उसकी बहुत मदद की.
उसे मुझसे प्यार हो गया.
हमने शादी का वादा कर लिया और मैंने उसके साथ चूमा चाटी की.
रुचि ने शरमा कर मेरे सीने में अपना मुंह छुपा लिया।

अब आगे प्यार प्यार में क्या क्या हुआ:

अगले दिन हम उठे तो आज मैंने भाभी से बात करने की सोची.
लेकिन भाई भाभी काम में बिजी थे तो बात हो नहीं पाई।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.

फिर एक दिन भाई काम पर चले गए फिर भाभी भी एक ओल्ड एज होम में सेवा देने चली गई।
हम दोनों अकेले थे घर में!

मैं- आज जंगल दिखा दो, भाभी भी नहीं है।
रुचि शर्माती हुई- ठीक है।

फिर हम बाथरूम में गए.
मैंने उसका कमीज उतार दिया, फिर उसकी सलवार उतार दी.
वह अब सिर्फ ब्रा पैन्टी में थी वह काफी शरमा रही थी।

मैंने उसकी पैन्टी उतारने के लिए उसके पैंटी को छुआ तो रुचि बोली- तुम भी तो अपना उतारो. तुमने तो मुझे नंगा देख लिया, तुम भी तो दिखाओ।

तभी मैंने अपना सब कुछ उतार दिया.
वह मेरा खड़ा लन्ड गौर से देखने लगी।

अब मैंने उसकी पैंटी उतार दी.
उसकी झांट के बाल 2 इंच से भी ज्यादा लम्बे थे.
मैं हंसने लगा।
उसकी पूरी चूत ढकी हुई थी।

मैंने उसकी चूत पर शेविंग क्रीम लगाया और सहलाने लगा.
वह आह आह करने लगी.
फिर मैंने रेजर लिया और उसके बाल साफ कर दिए।

तब उसकी चूत एकदम चमक रही थी.
उसकी चूत के होंठ फूले हुए थे.
मैं उसे बार बार टच कर रहा था.

फिर मैं उसे गोद में उठा बेड कमरे में ले आया।
उसने अपनी आंखें बन्द कर ली.

मैंने उसे बेड पर लिटा दिया.
वह शरमा रही थी.

फिर मैंने उसकी आंखों में देखा और उसके होंठों से होंठ लगाकर चूसने लगा.
मैंने उसके कान भी चूसे, उसकी गर्दन पर चुम्बन लिया, उसके गले को चूमा, उसकी ब्रा खोल उसके मम्मे चूसने लगा.
वह सिसकारियां भरने लगी।

मैंने उसके निप्पल पर जीभ फिरा दी, उसके पेट को चूसा चाटा, उसकी नाभि चूसने लगा.

फिर मैंने उसके पेडू पर चूमा. फिर उसकी चूत पर जीभ फिरा दी.

वह ‘आह आह’ करती हुई मेरा सर हटाने लगी.

फिर मैं उसकी मोटी जांघें चूसने चूमने लगा।

कुछ पल बाद मैं प्यार प्यार में उसकी चूत चाटने लगा कुछ देर बाद वह ‘आह आउह’ करती हुई झड़ गई।

अब मैं उसके बगल में लेट गया.
कुछ देर चुप रहने के बाद वह नॉर्मल हुई तो मेरे ऊपर चढ़ मुझे किस करने लगी.

वह मेरे निप्पल को काटने लगी मेरे पेट पर चूमते हुए मेरे लन्ड की ओर बढ़ गई.

मैंने उसे मना कर दिया और सिर्फ उसके हाथ में लन्ड पकड़ा दिया.

उसे कुछ नहीं आता था तो मैंने उसे चमड़ी पीछे कर सहलाने को कहा.
उसने जब चमड़ी पीछे की तो मेरा गुलाबी सुपारा बाहर देख हैरान हो गई वह उसे टच करने लगी.
जिससे उसका नाखून मेरे सुपारे पर लग गया, मुझे बहुत तेज जलन होने लगी।

अब मैंने उसे लन्ड आगे पीछे करने को कहा.
कुछ देर बाद उसका हाथ दर्द होने लगा तो मैंने उसकी चूत पर लन्ड रख दिया.

तो वह चौंक गई- क्या कर रहे हो? तुमने वादा किया था कि ये सब शादी के बाद करेंगे।
मैं- तुम चिंता मत करो।

फिर मैं उसके चूत पर लन्ड रख उसकी जांघों को जोड़ कर उसकी जांघों में लन्ड आगे पीछे करने लगा।

कुछ देर बाद मैं झड़ गया.
अब मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू किया.

कुछ देर बाद वह झड़ गई।

मैंने पूछा- कैसा लगा?
रुचि मेरी बांहों में सिमट गई।

अब हमने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ किया।

शाम को भाई भाभी आ गईं।

अगले दिन मैंने भाभी से बात करने की ठानी शादी के बारे में!

लेकिन रुचि ने कहा- मैं ही दीदी को बता देती हूं। वे मेरे घर पर बता देंगी।

तभी रुचि भाभी के कमरे में गई और बोली- दीदी एक बात बतानी है।
भाभी- बता?

रुचि- मुझे ना … अंशु से प्यार है. तुम हमारी शादी की बात घर पर कर लो ना!
भाभी- ये सब करने आई थी यहां? या पढ़ाई करने? मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं है।
वे उसे डांटने लगी.

काफी कुछ कहासुनी हो गई दोनों में!
रुचि काफी गुस्से वाली थी तो हो गई पैनिक!

मैं दरवाजे के बाहर से उनकी सारी लड़ाई सुन रहा था।

भाभी ने हमारा रिश्ता एकदम नकार दिया।

मैं एकदम शॉक्ड था भाभी का ऐसा रूप देखकर!
रुचि को तो मैंने गुस्सा होते देखा था पर भाभी को आज मैं पहली बार गुस्सा होते देख रहा था।

भाभी- प्यार करने के लिए तुम्हें यही मिला था? दुनिया में लड़कों की कमी है क्या? और उसके लिए तू मुझसे लड़ रही है … अपनी सगी बहन से … जिसने तेरे लिए क्या नहीं किया।
रूचि- क्या किया तुमने? अभी जब मेरा एक्सीडेंट हुआ था तब कहाँ थी तुम? कितनी सेवा की तुमने? तुम तो सुबह चली जाती थी मीटिंग अटेंड करने! उसके बाद क्या? उसके बाद कौन करता था?

कुछ देर और बहस चली।
फिर रुचि रोते हुए बाहर आ गई।

मैंने उस टाईम भाभी से बात करना सही नहीं समझा।

सारा दिन घर में एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहा था।

अगले दिन मैंने अपने भाई को बताने की सोची.
लेकिन उसे दो दिन बाद 15 दिन के ट्रिप पर अंडमान निकोबार जाना था तो मैंने उसे टेंशन देना सही नहीं समझा।
वह काम पर चला गया।

दिन में मैं भाभी से बात करने गया तो उन्होंने साफ मना कर दिया।

अगले दिन जब भाई निकलने वाला था तो भाभी बोली- आप रुचि को घर पहुंचा दीजिए, बहुत पढ़ लिया इसने, अब नहीं पढ़ेगी।
भाई- क्यूं क्या हुआ? अभी तो 1St ईयर में ही है।

भाभी- अब कितना पढ़ेगी।
भाई- अरे अभी बहुत पढ़ना है, हां अगर मन नहीं लगता तो कुछ दिन कही घूम लेंगी। और अभी मैं ट्रिप पर जा रहा हूं, आता हूं तो बात करता हूं।
फिर भाई चला गया।

तो आज मैं भाभी से हिम्मत कर बात करने गया।

मैं- भाभी एक बात करनी थी।
भाभी- हां, मुझे पता है. एक बात सुन लीजिए, मेरे परिवार की किसी भी लड़की की शादी इस परिवार में नहीं होने दूंगी।
मैं- आपके परिवार की? पर मुझे लगा कि हम एक ही परिवार के हैं। और क्या गलती हो गई हमारे परिवार से … जो आप ऐसा बोल रही हैं?
मेरी आंखें डबडबा गई.

भाभी- मेरी ज़िंदगी तो बर्बाद हो ही गई, अब मैं किसी और की जिंदगी बर्बाद नहीं होने दूंगी।
मैं- अगर आपको मुझसे दिक्कत है तो मेरे परिवार को क्यों बीच में ला रही हैं. और रुचि को जाने को क्यूं बोल रहे हैं, मुझसे दिक्कत है तो मुझे बोलिए, मैं ही चला जाता हूं।

फिर मैं अपने कमरे में आ गया.

रुचि ने हमारी बातें सुन ली थी.
मेरी आंखों में आंसू देख वह गुस्से में भाभी के कमरे में गई।

मैंने अपने कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया.
उनके बीच कहा सुनी की हल्की आवाजें मेरे कमरे में आ रही थीं।

तभी मुझे पता नहीं क्या हुआ … मैं अपना सामान पैक करने लगा।

कुछ देर बाद रुचि मेरे कमरे में रोते हुए आई.

मुझे समान पैक करता देख उसने मेरा सारा सामान फिर से अलमारी में रख दिया, मेरे कपड़े, किताब सब!
हम दोनों को ऐसा करता भाभी ने देख लिया।

भाभी गुस्से में- तुम दोनों को एक ही कमरे में सोने ही नहीं देना चाहिए।

मैं उनको देख बाहर चला गया।
भाभी अपनी बहन का सारा सामान अपने कमरे में ले गई।

शाम को मैं घर आया तो रुचि के चेहरे पर चांटे का निशान दिखा.
मुझे बहुत गुस्सा आया।
मैं मन में गुस्सा पी कर रह गया.

रुचि का सारा सामान मेरे कमरे में ही था.
शायद सामान को लेकर दोनों में झगड़ा हुआ था, उसी में भाभी ने मारा होगा।
रुचि मेरे कमरे में थी।

रात को मैंने खाना नहीं खाया, रुचि ने भी नहीं खाया।
भाभी रुचि का हाथ पकड़ उठाते हुए- खाना नहीं खाना है? भूखी मरना है? जो करना है कर लेकिन चल … इस कमरे में नहीं सोना है, चल मेरे कमरे में!

रुचि ने उनसे अपना हाथ छुड़ाया, उन्हें धक्का दिया और मेरे कमरे में बन्द हो गयी।

भाभी- पता नहीं क्या मंत्र मारा है!
वे अपने कमरे में चली गयी.
मैं सोफे पर ही सो गया।

रात को रुचि मेरे पास आ लेट गयी और फफक कर रोने लगी।

मैं- रोना बन्द करो, भाभी आ जायेंगी तो वबाल करेंगी।

उसे चुप कराते हुए मैंने उसके चेहरे के निशान को चूम लिया।

मैं- लगता है कि ये हमारी शादी के लिए कभी राजी नहीं होंगी। मैं तुम्हारे भाई से बात करूं क्या? या मम्मी पापा से?
रूचि- जब तक ये नहीं कहेगी तब तक वे भी नहीं मानेंगे। अब एक ही रास्ता है, भाग कर शादी कर लो मुझसे!
मैं- नहीं … मैं करुंगा तो सबकी मर्जी से शादी करुंगा। नहीं तो नहीं करूंगा।
यह बोलते हुए मेरा गला भर आया.

फिर वह मेरा हाथ पकड़ कमरे में ले गयी।

रुचि मुझे बांहों में भरते हुए- तो फिर … तुम मेरे साथ सेक्स कर मुझे प्रेग्नेंट कर दो तब ये सब मान जायेंगे।
मैं- पागलों जैसी बात मत करो।
रूचि रोते हुए- तो तुम ही बताओ, मैं अब क्या करूं? मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी।
वह मुझे किस कर रही थी रो रही थी,

मैं उसे बांहों में भर बेड पर लेट गया.
वह रोती रही, मैं उसे चुप कराता रहा.
फिर वह रोते रोते सो गई।

मैं कुछ देर में सोफे पर आकार लेट गया और सो गया।

मैं सुबह उठा तो मैंने भाभी से बात करनी चाही।
फिर मैं सोचने लगा कि भाभी को दिक्कत क्या है मुझसे।

मैं- भाभी, आपने रूचि को मारा?
भाभी कुछ नहीं बोली।

मैं- बोलिए, क्यूं मारा?
भाभी- गलती करेगी तो मारूंगी ही!

मैं- तो फिर मुझे भी मारिए।
भाभी कुछ नहीं बोली।

मैं- आप पहले तो ऐसी नहीं थीं, कितना प्यार करती थी. ओल्ड एज होम, अनाथ आश्रम जाकर सेवा देती हैं, और खुद के घर के बच्चों को मारती हैं. ऐसा क्या हो गया हमसे जो ऐसा कर रही हैं? मैं आपकी कितनी इज्जत करता हूँ. भाई आपसे कितना प्यार करते हैं, आप दोनों कितना खुश रहते हैं. हमारा पूरा परिवार कितना खुश रहता था। ऐसा क्या गलती हो गई जो आपने शादी के लिए सीधा मना कर दिया? कोई कमी है मुझमें? क्या मैं कमाता नहीं? शराबी हूं? अय्याशी करता हूं? जुआ खेलता हूं? बोलिए कुछ गलत करता हूं?

भाभी- सिर्फ ये सब होना काफी नहीं होता. जिन्दगी में पति का प्यार सबसे जरूरी होता है जो मुझे इस घर में नहीं मिलता। तो मैं अपनी बहन को इसी घर में कैसे ले आऊं उसकी जिंदगी बर्बाद करने के लिए?
मैं- क्या बोल रही हैं? भाई इतना तो प्यार करते हैं आपसे, आपकी हर बात मानते हैं।

भाभी- एक औरत को इतना काफी नहीं होता, उसकी शारीरिक जरूरत भी कुछ होती है।
मैं- मतलब आप कहना चाह रही हैं कि आप की मैरिड लाइफ़ में सब कुछ सही नहीं चल रहा है?
भाभी- ये तुम अपने भाई से पूछो तो बेहतर होगा।

मैं- उससे तो मैं पूछूंगा ही … पहले यह बताओ अगर आप लोगों को कोई प्रॉब्लम है तो आपने मुझे बताया क्यों नहीं?
भाभी- क्या बताती मैं तुम्हें? कि तुम्हारा भाई मुझे …
मैं- हां, इसलिए तो हम परिवार कहलाते हैं. जब आप किसी को बताओगी नहीं, तो हल कैसे निकलेगा?
कुछ देर वे चुप रहीं।

मैं- तो इन सबसे मेरी शादी का क्या लेना देना? हमारी शादी आप क्यों नहीं होने देना चाहती हैं।
भाभी- क्योंकि जिस घर में मैं खुश नहीं हूं, उस घर में मेरी बहन कैसे खुश रह सकती है?

मैं- मतलब आप कहना चाहती हैं कि आप भाई के साथ खुश नहीं हो तो रूचि भी मेरे साथ खुश नहीं रहेगी। मतलब आपको मेरी सेक्सुअल कैपबलिटी पर शक है>
भाभी- हां कुछ ऐसा ही समझ लो।

मैं काफी नाराज होकर चला आया।
रूचि हमारी बातें सुन रही थी।

रात को फिर से वैसे ही सोये।
रात में मैं रूचि से बात कर रहा था।

रूचि- कुत्ती कमीनी, हमारी शादी होने नहीं देना चाहती इसलिए उलजलूल बहाने बना रही है।
मैं- सही कह रही हो. मेरे भाई को मैं जानता हूं. उसमें सेक्सुअल पॉवर, उत्तेजना कम हो ही नहीं सकती. हम दोनों इतने अच्छे दोस्त हैं, हर बात शेयर करते हैं. अगर कुछ प्रॉब्लम होती भी तो वह मुझे जरूर बताता।

रूचि- कमीनी कैसे अपने पति पर लांछन लगा रही थी।

मैं- मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है।
रूचि- कल मैं उन्हें मेरे साथ सेक्स करने बोलूंगा. अगर यही कारण है तो मेरी सेक्सुअल कैपेबीलिटी टेस्ट कर लो। फिर देखता हूं क्या बोलती हैं। तुम्हें कोई ऐतराज तो नहीं?
रूचि- मुझे तुम्हारे साथ जीवन बिताना है, उसके लिए तुम जो भी करो।
मैं- फिर ठीक है।

अब कुछ देर उसे किस करने के बाद मैं सोफे पर आकर सो गया।

प्रिय पाठको,
अभी तक की प्यार प्यार की कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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Part 3​

बड़ी भाभी चुदाई कहानी में मुझे भाभी की बहन से प्यार हो गया. पर भाभी इस रिश्ते के खिलाफ थी क्योंकि वे मेरे भाई से खुश नहीं थी. तो मैंने भाभी की चुदाई करके उन्हें अपनी ताकत दिखाई.

कहानी के दूसरे भाग
भाभी बनी मेरे प्यार की दुश्मन
में आपने पढ़ा कि भाभी को मेरी सेक्स की क्षमता पर संदेह था क्योंकि वे भाई की चुदाई से खुश नहीं थी. तो मैंने भाभी को मेरा टेस्ट लेने को कहा. इस पर वे भड़क गयी.

अब आगे बड़ी भाभी चुदाई कहानी:

मैं- सीधी सी बात है, आपको शक है तो आप टेस्ट ले लीजिए, मेरे साथ सेक्स कीजिए. अगर मैं फेल हो गया तो आप शादी नहीं होने देना. और अगर मैं पास हो गया तो शादी के लिए हां बोल देना।
भाभी- क्या बकवास कर रहे हो, मैं ये सब नहीं करूंगी. और तुम्हें शर्म नहीं आई मुझसे ऐसी बात करते हुए?

मैं- जब आपको शर्म नहीं आई अपने पति पर लांछन लगाते हुए, तो मुझे क्यूं आयेगी?
भाभी- मैंने कोई लांछन नहीं लगाया, जो सच है वही बताया है।

मैं- मुझे नहीं पता है मेरे भाई के बारे में, आप हमारी शादी नहीं होने देना चाहती इसलिए उल जलूल बहाने बना रही हैं। अगर मुझ पर शक है तो आप एक बार आजमा कर देख लीजिए।
भाभी- मैं ये सब नहीं करने वाली।
मैं- तो फिर कौन करेगा? रूचि तुम करोगी?
वह कुछ नहीं बोली.

मैंने उसका हाथ पकड़ अपने से चिपका लिया और किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.

फिर मैंने उसके गर्दन पर किस करते हुए कान में धीरे से कहा- तुम छुटने की कोशिश करो।
उसने वैसा ही किया।

मैंने उसे पकड़े रखा।

भाभी- ओए … छोड़ उसे!
मैं उसे छोड़ भाभी को पकड़ते हुए- तो ठीक है, आप ही करो।

तभी मैं उनको पकड़ किस करने लगा.
उन्होंने मुझसे छुटने की कोशिश की.
जब वे नहीं छूट पाई तो मुझे थप्पड़ मार दिया।

मैंने उन्हें छोड़ दिया और रोने लगा।
फिर उन्होंने ही चुप कराया।

मैं- भाभी, आप मेरी कसम खा कर बोलो कि आप सच बोल रही हो. क्या सच में भैया के साथ आप खुश नहीं हैं?
भाभी- मैं बिल्कुल सच बोल रही हूं।

मैं- आप पूरा बताओ, क्या प्रॉब्लम है क्या इरेक्शन में प्रॉब्लम है?
भाभी- पता नही, पर वे मुझे टाईम ही नहीं देते. कभी जब वीक में एकाध बार हाथ भी लगाते हैं तो मैं पहली बार शर्माते हुए मना करती हूं तो फिर वे मुझे हाथ भी नहीं लगाते।

मैं- वीक में आप लोग कितनी बार सेक्स करते हो।
भाभी- कभी हफ्ते तो कभी महीने गुजर जाते हैं बिना …

मैं- क्या आपने कभी उनको बोला या रिझाने की कोशिश की?
भाभी- मैं लडकी हूँ. मैं कैसे कह सकती हूं।
मैं- मतलब आप अपने दांपत्य जीवन के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझती।

भाभी चुप रह गयी।
मैं- मुझे लगता है कि प्रॉब्लम आप में है भाई में नहीं!
भाभी- नहीं … मुझमें क्या प्रॉब्लम होगी।
मैं- फिर मुझे ट्राई करने दीजिए।

भाभी कुछ नहीं बोली।

मैंने रूचि को जाने का इशारा किया.
वह चली गई.

मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया।

मैं भाभी के सीने से लग गया।
वे मुझे हटाने लगी- छोड़ो मुझे!

मैं- क्या ऐसा ही, आप भाई को भी बोलती हैं।
भाभी कुछ देर चुप रहने के बाद- हां!

मैं- उसके बाद भाई क्या करता है।
भाभी- मुंह फेर कर सो जाते हैं।

मैं- लेकिन आप क्या चाहती हैं।
भाभी- वे मुझसे प्यार करें।
मैं उनके सीने पर चूमते हुए- तो वही तो कर रहा हूं।

भाभी- नही, ये सब ठीक नहीं है, मैं किसी पराए मर्द से संबंध नहीं बना सकती।
मैं- क्या मैं आपके लिए पराया हूं।
भाभी- नहीं … पर अगर तुम्हारे भाई को पता चल गया तो?
मैं- मैं खुद उसे बताऊंगा, वह कुछ नहीं बोलेगा. वह हमसे बहुत प्यार करता है, आप बोलो तो अभी उससे पूछ लूं आपके सामने?
भाभी- ऐसा करना भी मत … नहीं तो मैं कभी उनसे नजर नहीं मिला पाऊंगी।

मैं- अरे लगता है आप उसे अभी तक जान नहीं पाई हैं. शादी के पहले तो वह खुद बोलता था कि तेरी वर्जिनिटी तो मैं अपनी बीवी को गिफ्ट करुंगा, फिर उसने कहा कि आप काफी संस्कारी हो तो नहीं हो पाया।
भाभी- कुछ भी मत बोलो, संस्कारी तो वे हैं. कभी मेरी इजाजत के मुझे हाथ भी नहीं लगाते।

मैं- मैं यह मान ही नहीं सकता कि वह आप जैसी खूबसूरत बीवी को बिना चोदे एक दिन भी रह सकता है।
भाभी- कैसी भाषा बोल रहे हो तुम मेरे सामने?
मैं- सॉरी भाभी, चलो मैं देखता हूं।

फिर मेरी नजर उनकी कांख के बालों पर गयी, काफी लम्बे थे।
अगले दिन दोपहर में भाभी अपने कमरे में आराम कर रही थीं।
मैं उनके कमरे में रूचि के साथ गया।

मैं- भाभी, आपको मेरी सेक्सुअल कैपबलिटी पर शक है ना … तो बिना टेस्ट लिए मुझे फेल क्यों कर रही हैं? आप मेरा एक्जाम लीजिए, फिर डिसाइड कीजिए।
भाभी- क्या मतलब है तुम्हारा?

मैं उनकी कांख को सहलाते हुए बोला- ये क्या है? इतने बाल? इनको देख कर तो किसी का क्या ही मूड बनेगा। यहां हैं तो वहाँ भी होंगे. कितने दिन से आपने सफाई नहीं की है अपने जंगल की?
भाभी- यह कैसी भाषा बोल रहे हो मुझसे?

मैं उनकी कमर को पकड़ उनके होंठ चूसने लगा।
भाभी अपने होंठ छुड़ाते हुए- यह क्या कर रहे हो, मैं फिर मार दूंगी।
मैंने एक चाकू ला उनको दिया- लो जान से मार दो. वैसे भी रूचि के बिना मैं मर ही जाऊंगा। लेकिन मरने से पहले आपके दांपत्य जीवन को मैं खुश देखना चाहता हूं।
वे कुछ नहीं बोली।

मैंने उन्हें बांहों में भर लिया और किस करने लगा.
वे बिल्कुल निर्भाव खड़ी थी. कोई विरोध नहीं, कोई साथ नहीं।

मैं- क्या भाई के साथ भी आप ऐसा ही करती हैं?
भाभी- हूं।
मैं- इसलिए शायद उसका मन नहीं करता होगा। लगता है आपको सब सिखाना पड़ेगा।

तब मैंने उन्हें बताया- सबसे पहले शर्माना छोड़ो, अपनी पति का हर प्ले में साथ दो।

मैंने उन्हें किस करना सिखाया।
उनके होंठ चूसे, उनको मेरे होंठ चूसने बोला.
उनकी गर्दन चूसी, गले को चूसा, सीने को चूमा, कान चूसा, कपड़े के ऊपर से उनके बोबे चूसे .

वे बिल्कुल भी सिसकारी नहीं निकाल रही थीं.
तो मैंने जोर से काट लिया।

भाभी- पागल हो क्या? काट क्यों रहे हो?
मैं- जब मैं सहला रहा था, चूम रहा था तो कैसा लग रहा था?
भाभी- अच्छा!

मैं- अच्छा फील हो रहा था तो आप जता क्यों नहीं रही थी?
भाभी- कैसे जताते हैं?
मैं- सिसकारियां निकाल कर … आपका मन नहीं होता सिसकियां भरने का?
भाभी- होता है … पर मुझे शर्म आती है।
मैं- शर्माना छोड़ो और मजे लो।

अब मैं उन्हें फिर चूसने चाटने लगा.
अब वे धीरे धीरे सिसकारियाँ भरने लगी थी।

मैं- सबसे पहले तो आपकी ग्रूमिंग करनी पड़ेगी।

तब मैं उन्हें बाथरूम में ले गया और उन्हें ऊपर से पूरी नंगी कर दिया.
अब वे सिर्फ़ पेटीकोट पहने थी।
उन्होंने अपने उरोजों को हाथ क्रॉस कर ढक रखा था।

मैंने उनके हाथ हटाइ.
वे शरमाने लगी.
मैंने उनके निप्पल पर जीभ फिरा दी और उनके गुदाज चूचों को मुंह में भर कर पीने लगा.
उनके चूचे काफी सख्त थे, एकदम तने हुए, बिल्कुल भी लटक नहीं।

तब मैंने उनकी कांख के बाल साफ कर दिए।
मैं- देखो अब कैसे चमक रही हो!
भाभी शर्माते हुए- हूं, अब चलो हो गया।

मैं- रुको अभी! अगर मैं गलत नहीं हूं तो एक जंगल ओर है।
बोलते हुए मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
पेटीकोट जमीन पर गिर गया।

भाभी अपना पेटीकोट उठाते हुए- पागल मत बनो।
मैं उन्हें किस करने लगा और उनके हाथ से पेटीकोट छुड़ा लिया.
अब वे सिर्फ़ पैन्टी में थी।
उन्होंने अपने हाथ पैन्टी पर रख दिये।

मैंने नीचे बैठे उनके हाथ हटा दिये।

मैं- कहा था ना … एक और जंगल है। कितने दिन से साफ नहीं किया?
उनकी पैंटी उतारते हुए मैंने कहा.

भाभी- क्या कर रहे हो? वहाँ मैं खुद कर लूंगी. तुम जाओ अब!
मैं- 2 इंच से ज्यादा लम्बे बाल हैं. मतलब 3-4 महीने से तो नहीं किया. तब आप ही बताओ, किसी का मूड बन भी जाए तो इसे देख कर खराब हो जायेगा।

मैंने उनकी चूत पर क्रीम लगाना शुरू किया और फिर उसकी सफाई कर दी।

अब मैंने उन्हें उठा बेड कमरे में ले आया।
मैं- देखो, कैसे चमक रही है।
भाभी कुछ नहीं बोली।

मैं- तो अब तैयार हो फाइनल टेस्ट के लिए?
वे कुछ नहीं बोली।

मैंने उन्हें किस करना शुरु किया ऊपर से नीचे आने लगा।
उनके चूचे चूसे, उनके एकदम दूध से सफेद बेदाग चूचों पर भूरे निप्पल काफी मनमोहक लग रहे थे।

वे हल्की हल्की सिसकारियां भरने लगी।

अब मैंने इनके पेट और नाभि को चाटा, उनके पेड़ू को चूमा.

उसके बाद जैसे ही उनकी चूत पर जीभ रकही मैंने … वे सिहर गई।

भाभी- क्या कर रहे हो? वहाँ भी कोई चूमने की जगह है … हटो वहाँ से!
मैं- क्या भाई ने आपकी चूत कभी नहीं चूमी।
भाभी- एक बार उन्होंने कोशिश की थी लेकिन मैंने मना कर दिया।

मैं- लेकिन मुझे करने दो … अगर आपको अच्छा ना लगे तो मुझे कहना!

अब मैं उनकी चूत को चूमने लगा.
उनकी चूत एकदम गोरी थी, उनके होंठ मोटे मोटे … मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के छेद पर टिका दी और अन्दर करने की कोशिश करने लगा।

वे मेरा सर हटाने लगी.
मैंने उनका प्रयास विफल कर दिया.

कुछ देर बाद उन्हें मजा आने लगा तो उन्होंने अपनी पूरी जांघें फैला ली।
मैं उनकी चूत पूरे मन से चूसने लगा.
वे आह आह श्स्स्स … करने लगी.

कुछ देर बाद भाभी झड़ गई।
मैंने उनका सारा पानी चाट लिया।

तब मैंने पूछा- कैसा लगा?
भाभी शर्मा गई।

अब मैंने उन्हें किस करते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए।

मैं आगे से हमेशा अपने पति के कपड़े खुद उतारें और पहनायें।
भाभी- ठीक है।

उन्हें किस करते हुए मैंने उनके हाथ में अपना लन्ड पकड़ा दिया.
मैं अपने बाल हमेशा शेव रखता हूं।

वे मेरा लन्ड पकड़ उसे गौर से देखती रही।

मैं- क्या हुआ? कभी किसी का पकड़ा नहीं है ना? और देखो मैं लड़का होकर शेव रखता हूं और आप लड़की होकर जंगल

भाभी शर्माती रही।

मैं उनकी चूत सहलाते हुए उन्हें किस करने लगा।
अब वे गर्म हो गई।

मैं उनके ऊपर लेट कर उनकी चूत पर लन्ड घिसने लगा।

कुछ देर बाद मैंने उनकी आंखों में देखते हुए पूछा- डाल दूं?
भाभी कुछ नहीं बोली, बस शर्मा गई।

मैं- बोलो ना!
भाभी ने अपना सर हां में हिलाया।

मैंने अपना सुपारा उनकी चूत में धंसा दिया, फिर आधा लन्ड, फिर पूरा लन्ड डाल दिया।

वे अपना हाथ मेरे और अपने पेट के बीच रख धक्के लगाने से रोकने लगी।
मैंने उनका हाथ पकड़ ऊपर कर दिया और उनके ऊपर लेट उनकी हल्के हल्के चुदाई करने लगा।

वे बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं कर रही थीं।
भाभी अपनी आवाज को और अपनी सिसकारियों को अपने अन्दर दबा रही थीं।

तब मैं उनको जोर जोर से चोदने लगा।

भाभी- इतना जोर से क्यों कर रहे हो? दर्द हो रहा है।
मैं- तो पहले मजा आ रहा था।
भाभी- हां।
मैं- तो आवाज निकालो ना!

भाभी अब आवाज निकालने लगी।

मैं उन्हें अब गोद में उठाकर उनकी चुदाई करने लगा।

भाभी- क्या कर रहे हो? गिरा दोगे क्या?
मैं- आप चुपचाप मजे लो।

अब मैंने उनको डोगी स्टाईल में चोदा.
फिर अपने अपर बिठा कर!

जब भाभी झड़ने को हुई तो मैंने उन्हें लिटा दिया और जोर जोर से उनकी चुदाई करने लगा.
मैंने उनकी जांघो को अपने कमर के चारों ओर लपेट लिया।

वे काफी तेज झड़ गई.
मैंने उन्हें अपनी आवाज ना दबाने को बोला.

वे काफी तेज़ सांसें लेती हुई झड़ गई।
वे पूरी तरह हाम्फ रही थीं।

मैंने फिर पूछा- कैसा लगा भाभी?
बड़ी भाभी चुदाई की बात पर पुनः शरमा गई।

कुछ देर बाद मैंने उन्हें फिर से गर्म किया, उनके चूतड़ सहलाए, दबाए.

जब वे गर्म हो गई तो मैंने फिर उन्हें चोदना शुरू किया.

20 मिनट की चुदाई में वे दो बार झड़ी.
फिर मैं भी उनके अन्दर झड़ गया।

भाभी काफी थक गई थी।

मैं- और टेस्ट करना है? मैं अब भी 4 राउंड तो कर ही सकता हूं. और मैंने कोई दवाई नहीं ली है।
भाभी- नहीं … अब और नहीं! मुझे दर्द हो रहा है।

मैं- दर्द तो मुझे भी हो रहा है. देखो मेरा लन्ड छील गया है।
भाभी मेरा लन्ड देख हंस पड़ी।

मैं- तो क्या मैं अपने आप को पास समझूं?
भाभी हंसती हुई- हूं।

मैं भाभी को गले लगा उन्हें चूमने चाटने लगा।

मैंने उन्हें पेन किलर दी और कपड़े पहन बाहर आ गया।

रूचि कमरे में सो रही थी.
मैंने उसे बताया कि भाभी मान गई हैं। लेकिन मुझे उनकी चुदाई करनी पड़ी।
रूचि मुझे किस करने लगी, उसकी आंखों में आंसू आ गए.

वह खुशी से बोली- कोई बात नहीं, हमारी शादी के लिए कुछ भी करना पड़े, करो।
मैं- लगता है कि भाभी भाई से खुश नहीं हैं।
रुचि- क्यों?
मैं- यह तो भाई ही बताएगा. रुको. उसको फोन करता हूं।

भाई- हेलो, भाई बोलो?
मैं- प्रणाम भईया, अभी फ्री हो? कुछ जरूरी बात करनी है।
हां- फ्री हूँ, बोलो।

मैं- भाभी बोल रही थी कि वे तुम्हारे साथ खुश नहीं हैं, तुम भाभी की जमकर चुदाई नहीं करते क्या?
भाई- क्या बोल रहे हो, ये सब हुआ क्या है?

मैं- बोलो करते हो या नहीं?
भाई- हां, मैं नहीं करता. क्योंकि वह काफी शर्माती है, संस्कारी भी है, मैं कभी टच करता हूं तो काफी दिन वह मना भी कर देती है कि आज नहीं कल! फिर कल नहीं परसों! तो मेरा मन नहीं करता इतनी खूबसूरत सुशील बीवी के साथ जबरदस्ती करूं।

मैं- मैं समझ गया. वे सोचती हैं कि तुम काफी सीधे हो तो उसे दोबारा हाथ नहीं लगाते. और तुम सोचते हो कि वह सीधी है तो उसको दोबारा ना फोर्स करूं।

भाई- लेकिन ये सब तुम क्यों पूछ रहे हो? क्या उसने कुछ कहा?
मैं हंसते हुए- मैंने अभी अभी भाभी की चुदाई कर दी है, तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं?

भाई हंसते हुए- अरे कोई बात नहीं. मेरा भाई है तू! मेरी हर चीज पर हक है तेरा! पर यह कैसे हुआ? वह राजी कैसे हुई?
मैं- अरे इतनी आसानी से नहीं मानी. काफी मनाना पड़ा उन्हें!

भाई- तूने मेरी बीवी को चोदा, तेरी शादी होने दे, मैं तेरी बीवी को चोदूंगा।
रूचि हंसती हुई- मैं नहीं दूंगी जीजू, भूल जाओ।

भाई- अरे रूचि है क्या? वह हमारी बातें कैसे सुन रही है, और वह ऐसा क्यूं बोल रही है?
मैं- क्योंकि, यहीं मेरी बीवी होने वाली है।
मैंने उसे पूरी बात बता दी।

भाई- ओहो, यह बात है. तो रूचि जी, अब तो हमारा दो तरफ का रिश्ता हुआ. अब तो मैं दोनों तरफ से लूंगा।
रूचि हंसती हुई- ज्यादा सपने नहीं देखो जीजू, मैं हाथ नहीं आने वाली!
भाई- अच्छा जी देखता हूं।

मैं- सुनो, ये सब बातें ना भाभी को पता नहीं चलनी चाहियें. मैं ना कुछ प्लान करता हूं तुम दोनों के लिए! वैसे कब आ रहे हो?
भाई- 8-10 दिन में आ जाऊंगा।
मैं- ठीक है. भाभी को बिना बताए आना!
भाई- ठीक!

मैंने फोन बन्द कर दिया।

पाठको, अभी तक की बड़ी भाभी चुदाई कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में बताएं.
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Part 4​

भाभी फक Xxx स्टोरी में मैंने अपने भाई को उनकी ही पत्नी से सेक्स का अलग मजा दिलवाया. भाभी ने मेरे कहने पर भाई से खुल कर चुदाई करवाई. तो भाई ने मुझे क्या दिया?

कहानी के तीसरे भाग
भाभी को चोद कर क्षमता साबित की
में आपने पढ़ा कि मैंने भाभी की चूत चुदाई करके उन्हें पूरा मजा दिया तो वे अपनी बहन की शादी मेरे साथ करवाने को राजी हो गयी.
मैंने फों करके यह बात अपने भाई को बता दी.

अब आगे भाभी फक Xxx स्टोरी:

रूचि- क्या जीजा जी सच में मेरी चुदाई करेंगे?
मैं हंसते हुए- शायद!
रूचि मेरे सीने पे सर रख मुझे मुक्का मारते हुए- मुझे नहीं चुदाना … मुझे तो सिर्फ तुमसे ही चुदना है।
मैं- ठीक है।

रात को भाभी ने खाना बनाया.
मैंने दोनों बहनों की आपस में बात कराने की कोशिश की।
लेकिन दोनों ने बात नहीं की।

मैं अपने कमरे में सोने जाने लगा तो भाभी ने मुझे इशारे से मना करने लगी।
रूचि चली गई।

मैं किचन में भाभी के पास गया- क्या हुआ? मैं रोज सोफे पे सोऊं? मेरी पीठ दर्द करने लगी है।
भाभी- तो क्या उसके साथ सोने का मन है? तुम दोनों कुछ करने लगे तो?
मैं- क्या बोल रही हो, हमारा रिश्ता वैसा नहीं है।

भाभी- मुझे मत सिखाओ, मैं सब समझती हूं।
मैं- आपको जो समझना है समझो, पर यह बताओ कि मैं कहा सोऊं?
भाभी- मेरे साथ सो जाओ।

मैं भाभी के साथ सो गया।

भाभी- अंशु, आज जो तुमने मेरे साथ किया, उसके बारे में किसी को बताना मत!
मैं- आपको मजा नहीं आया क्या?
भाभी शरमा कर- हां मजा तो आया।

मैं- फिर मजा लेना है।
भाभी फिर शरमा जाती हैं।

मैं- अगर मजा लेना है तो मुझे रिझाओ, वही सब करो जो मैंने आपको बताया था।
भाभी शर्माते हुए- नहीं, मैं नहीं करूंगी मुझे शर्म आती है।

मैंने उनकी तरफ अपनी पीठ घुमा ली- ठीक है, फिर शर्म करती रहो और तड़पती रहो और सारा इल्जाम दूसरों पर थोप दो। मैं तो 1 साल बाद रूचि से शादी कर लूंगा और खूब मजे करेंगे हम दोनों!

भाभी कुछ देर चुप रही, फिर मेरे ऊपर अपना हाथ रख दिया।

मैं कुछ नहीं बोला.

अब भाभी मेरी पीठ पर उंगलियां फिराने लगी, मेरी पीठ से चिपक मेरी कमर पर एक टांग रख दी.
फिर वे मेरे सीने पर नाखून गड़ाते हुए मेरे पीठ पर शर्ट के ऊपर से चूमने लगी।

अब वे मेरे चेहरे के सामने आ लेट गई और मेरे चेहरे पर उंगलियां फिराने लगी।

भाभी मुझे किस करने लगी, उन्होंने मेरा शर्ट खोल दिया और मेरे सीने को चूमने लगी.

फिर भाभी ने अपना ब्लाउज खोला, मेरा हाथ अपनी कमर पर रख और मेरा चेहरा अपनी चूचियों पर लगा दिया.

मैं उनके सीने को चूमने लगा और उनकी गांड दबाने लगा।

अब उन्होंने मेरा शर्ट उतार दिया. फिर पैंट भी उतार दी और मेरे ऊपर चढ़ मुझे किस करने लगी.
मैंने उनकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उनकी ब्रा खोल दी।

उन्होंने अपनी साड़ी पेटीकोट उतारी और सिर्फ पैन्टी में आ गई.
मैंने उनकी पैन्टी के ऊपर से चूत को सहला दिया और हाथ हटा दिया।

उन्होंने पैंटी उतार दी फिर मेरा चड्डी उतार मेरे लन्ड को हाथ में पकड़ लिया।

भाभी- अब तो डाल दो, मैंने अच्छा रिझाया ना?
मैं- पहले मेरा लन्ड चूसो।
भाभी- क्या? ये भी करना होता है? मैं नहीं करूंगी।
मैं- फिर सो जाओ।
भाभी- ठीक है।

भाभी ने मेरे सुपारे पर जीभ फिराई.
मैं उत्तेजना से सिहर गया।

मैंने पूछा- आह … कैसा लगा टेस्ट?
भाभी- पता नहीं … क्या तुम्हें मजा आया?
मैं- हां।

भाभी मेरा लन्ड धीरे धीरे चूसने लगी।
कुछ देर बाद अब उन्हें अच्छा लगने लगा।

मैंने उन्हें ऊपर खींचा और उन्हें किस करने लगा और उनको अपने लन्ड पर बैठने बोला.

वे धीरे धीरे मेरे लन्ड पर बैठ गई.
उन्हें हल्का दर्द हो रहा था फिर भी वे बर्दाश्त कर मेरे लन्ड पर उपर नीचे होने लगी।
मैं उन्हें नीचे से चोदता … वे मुझे ऊपर से!

कुछ देर में वे थक गई तो उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
मैंने उनकी जबरदस्त चुदाई शुरु की.

20 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए।

कुछ देर बाद वे अपने कपड़े पहनने लगी.
मैंने उन्हें मना कर दिया और हम नंगे ही एक दूसरे के गले लग सो गए।

सुबह उठा तो भाभी नाश्ता बना रही थी.
मेरे ऊपर उन्होंने चादर डाल दी थी।

मैं नहाकर रूचि का हाथ पकड़ भाभी के पास किचेन में ले आया और उसे सॉरी बोलने का इशारा किया।
वह अपनी बहन को पीछे से पकड़ रोने लगी।

भाभी कुछ नहीं बोली.
मैं बाहर आ गया.
फिर दोनों बहनें आपस में गले लग खूब रोई और एक दूसरी को माफ कर दिया।

अगले दिन भाभी को पीरियड आ गए तो मैंने सोचा चलो ठीक है।

इतने दिन मैं भाभी के पास ही सोता और रात को उठ कर रूचि के पास जाकर उससे प्यार करता।

कुछ दिन बाद भईया आने वाले थे तो मैंने उन दोनों को मार्केट भेज दिया और भाभी के कमरे में 4 सीसीटीवी कैमरे लगा दिए।

आज भाई आने वाला था।
लेकिन भाभी को मैंने बोल रखा था कि भाई 2 दिन बाद आएगा।

मैं- भाभी आज अच्छे से तैयार हो जाओ, आज आखरी बार अच्छे से मेरे साथ मजे कर लो. परसों भाई आ जायेगा तो तुम जानो और वो!
भाभी- ठीक है।

वे नहाने बाथरूम में चली गयी।

रूचि मेरे कमरे में थी.

अब भाई भी आ गया तो मैं उसे चुपके से अपने कमरे में ले गया और उसे नहाने कहा।

लेकिन भाई आते ही बोले- क्यों साली साहिबा रेडी हो ना?
रूचि शरमा जाती है।
मैं- धीरे बोलो।

भाई बाथरूम में नहाने चला गया।

बाहर आकर मैंने उसे अपने कपड़े पहनने को दिए और उसे अपना परफ्यूम लगाने को दिया।

अब भाभी के कमरे में जाकर देखा तो वे साड़ी पहन रही थीं।

भाभी- दरवाजा बंद कर दो और आकर मुझे प्यार करो।

मैंने दरवाजा सिर्फ़ सटा दिया।

मैं उन्हें पीछे से पकड़ चूमते हुए उनके गर्दन पर किस करने लगा, उनके कान को चूमा, उनकी पीठ को चूमा, उनकी कमर को चूमा, उनकी गांड को साड़ी के ऊपर से ही खूब दबाया, चूमा।

अब उन्हें आगे घुमा कर मैं उनकी नाभि चूमने लगा।

फिर मैंने खड़े होकर भाभी की आंखों पर दुपट्टा बांध दिया।
भाभी- ये क्या कर रहे हो?

मैंने उनके होंठों पर उंगलियां रख दी- आज कुछ मत कहो, सिर्फ मजे लो।

तब मैंने उन्हें चूमना शुरु किया, हर जगह चूमा चाटा, उनके पूरे कपड़े उतार दिए, उन्हें बेड किनारे बैठा दिया और उनकी चूत पर मुंह लगा दिया।

अब मैंने जल्दी से भाई को मैसेज भेजा- चुपके से अन्दर आ जाओ।

वह धीरे से अन्दर आ गया.
मैं उसकी बीवी की चूत चाट रहा था।
यह देख वह मुस्कराने लगा।

मैंने उसे अपने पास बिठाया और चुपके से अपना मुंह चूत से हटा उसका मुंह लगा दिया.

वह धीरे धीरे चूत चाटने लगा.

कुछ देर में मैं चुपके से वहाँ से निकल अपने कमरे में आ गया और अपना लैपटॉप खोल उनकी चुदाई देखने लगा।

रुचि- हटाओ ना … मुझे शर्म आती है।
मैं- अरे देखो ना, तुम्हारी दीदी की चूत कितनी सुंदर है।

वह शर्मा कर मेरे सीने से लग गयी।
हम उनको लाइव देख रहे थे।

भाभी- अंशु, अब डाल दो ना!

अब भाई ने अपने कपड़े उतारे और अपना खड़ा लन्ड चूत पर टिका दिया।

भाई की झांट के बाल बढ़े हुऐ थे जबकि मेरे हमेशा शेव रहते थे।

मैं- रूचि, देख अब पकड़ा जाएगा।

अब जैसे ही भाई ने लन्ड डाला, भाभी की आह निकल गयी.
पूरा लन्ड जाने पर भाभी को उनकी चूत पर भाई की झांट महसूस हुई।

भाभी चौंक गयी और जल्दी से अपनी आंखों से दुपट्टा हटा दिया।

भाई को देख भाभी ने अपने आप को बेडशीट से पूरा ढक लिया और रोने लगी।

मैं जल्दी से उनके कमरे में गया.
भाई चुपचाप बैठे थे।

मैंने उन्हें बाहर भेजा, वे तौलिया लपेटकर हॉल में चले गये।

मैं भाभी को उठाते हुए- क्या हुआ भाभी? कैसा लगा सरप्राईज?
भाभी रोती हुई- ये क्या किया तुमने? मैं अब कैसे उनसे अपनी नजरे मिला पाऊंगी। तुमने सब बर्बाद कर दिया।

मैं- अरे भाभी, भाई कुछ नहीं बोलेगा. आप टेंशन मत लो. अभी मैं आपको उसके सामने भी चोदूंगा तो वह कुछ नहीं बोलेगा बल्कि वह खुश ही होगा। मैंने जब उसे बताया कि मैंने पहली बार आपके साथ सेक्स किया तो वह काफी खुश हुआ और बोला कि काश मैं भी वहाँ होता।

मैंने भाभी का चेहरा पकड़ा और उनके आंसू पी गया।
मैं उनके होंठ चूसने लगा- अब उठो … नहीं तो मैं ही चोदने लगूंगा।
मैंने उनको उठाया।

भाभी- मेरी हिम्मत नहीं हो रही उनसे नजर मिलाने की!
मैं- अरे आप बेकार टेंशन ले रही हैं। आप ऐसा करो बाथरूम में जाओ, मैं उसे यहां भेजता हूं. फिर जब वह यहां आ जाएं तो आप सीधा बाहर निकल उसका लन्ड चूसने लगना। यह आपकी सबसे बड़ी चुनौती है।

भाभी को किस करके मैं बाहर आया और भाई को अन्दर जाने को कहा।

अपने बेडरूम में जाकर मैं लैपटॉप पर देखने लगा।
कुछ देर भाई बैठा रहा.
भाभी बाहर नहीं आई।

जब कुछ देर बाद भाभी बाहर आई तो सीधा उनके गले लग गई और रोने लगी.
भाई ने उन्हें चुप कराया और चूमने लगा, उनकी आंखों को चूम उनके आंसू पी गया.

फिर मैंने भाभी को फोन किया.
वे समझ गई।

अब वे घुटनों पर बैठ भाई के लन्ड को चूमने लगी।
कुछ देर बाद वे अच्छे से चूसने लगी.

भाई की आंखें बंद होने लगीं.
उन्होंने भाभी को उठाया और उनको बिठाकर उनकी चूत चाटने लगे.
भाभी उनके बालों में हाथ फिरा रही थीं।

अब उन्होंने चुदाई शुरु की.
भाभी फक Xxx स्टोरी, यानि चुदाई 30 मिनट तक चली।

इसके बाद वे दोनों एक दूसरे की बांहों में सो गए।

इधर हम दोनों भी शुरू हो गए थे.
पहले हमने किस किया.

फिर मैंने उसकी चूत चाटी और उसने मेरे लन्ड को सहला सहला कर झड़ा दिया।

रात को हम सब खाने के टेबल पर बैठे थे.
सब खुश थे।

भाई- तूने मेरी बीवी चोद ली. अब अपनी बीवी को कब चुदवा रहे हो मुझसे?
भाभी- कौन है उसकी बीवी? कुछ पता है यहां क्या खेल चल रहा है?
भाई- कोई भी हो … मैं तो चोदूंगा।

भाभी- ये दोनों कबूतर एक दूसरे को दाना खिला रहे हैं।
भाई हंसते हुए- ओहो, रूचि जी आप हैं. फिर तो दो रिश्ते हुए हमारे … अब तो दोनों तरफ से लूंगा।
रुचि चिढ़ाते हुए- एक ही बात कितनी बार बोलोगे जीजू! मैं तो नहीं दूंगी।
भाई- देखते हैं साली साहिबा, आपकी कमर तो मैं ही ढीली करुंगा।

सभी हंसने लगते हैं और सोने चले जाते हैं।

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए.
वे दोनों सेक्स करते रहे और हम दोनों यूं ही एक दूसरे के शरीर को होंठ और हाथ से मजा देते रहे।

कुछ दिन बाद भाई ने अकेले में मुझे बताया- मैं तुम्हारी भाभी को थ्रीसम सर्प्राइज देना चाहता हूं. तुम दिन में कमरे में आ जाना. जब मैं फोन करुंगा।

अब दोपहर में उसने मिस कॉल दिया.
मैं उसके कमरे में गया.
उसने भाभी को नंगी करके अपने ऊपर लेटा रखा था उनकी चूत में लन्ड डाला हुआ था।
उनकी गांड दरवाजे की तरफ थी।

मैं उनके पास जा लेटा, उनकी पीठ पर किस करने लगा।

भाभी- तुम यहां क्या कर रहे हो?
भाई- मैंने उसे बुलाया है तुम्हारे लिए सरप्राइज़ है।

वे मुझे किस करने लगी और भाई के लन्ड पर कूदने लगी.
मैंने उनकी चूचियां पकड़ ली और चूसने लगा।

भाई- तुम्हारे लिए हमारी तरफ से इसकी गांड गिफ्ट है. चलो शुरू हो जाओ।

भाभी- हां मैं भी सोच रही थी तुम्हें कुछ देने की! तुमने हमारी नीरस जिन्दगी में रस भर दिया।
मैं- ये गिफ्ट तो ठीक है. लेकिन मुझे एक दो चाचू बोलने वाले बच्चे चाहियें।

भाभी- ठीक है तुम्हारी शादी के बाद तुम्हें ये गिफ्ट भी मिल जाएगा।

मैं उनकी गांड सहलाने लगा, उनको चाटने चूसने लगा.

एक उंगली मैंने भाभी की गांड में डाली तो भाभी छटपटा गई।
मैं उसी उंगली को आगे पीछे करने लगा।

कुछ देर में उन्हें अच्छा लगने लगा तो मैंने तेल लेकर उनकी गांड और अपने लन्ड को पूरा गीला कर दिया.
अब मैंने सुपारा भाभी की गांड में घुसा दिया.

वे सिहर उठी- आह आह!

मैंने धीरे धीरे कर आधा लन्ड अन्दर कर दिया.
वे चिल्ला उठी, उनकी आंखों से आंसू आ गये।
भाई उन्हें चुप कराने लगा।

मैं अब आधे लन्ड को ही अंदर बाहर करने लगा.
कुछ देर में वे नोर्मल हो गई तो मैंने पूरा लन्ड घुसा दिया.

वे चिल्ला उठी, रोने लगी.

अब मैंने कुछ देर उनके पीठ को चूमा चाटा.
और जब वे शान्त हुईं तो मैं धीरे धीरे चोदने लगा.

फिर भाई ने उनकी चूत में लन्ड घुसा दिया.
भाभी हम दोनों के बीच पिस रहे थीं।

25 मिनट बाद भाई उनकी चूत में और मैं उनकी गांड में झड़ गया।

रात को उनको दर्द से बुखार आ गया।

मैंने भाभी के पूरे शरीर पर मालिश कर दी और दवा दी.
तो वे ठीक हो गईं।

अगले साल मेरी और रुचि की शादी हो गई गांव वाले घर पर!

वहाँ मैंने सुहागरात पर उसका घूंघट उठाया, उसे किस किया.
वह सिसकारी भरने लगी।

फिर उसके संतरे जैसे चूचे चूसे, उसके पेट को चूसा, उसकी चूत चाटी.

उसके बाद धीरे से मैंने उसकी चूत में लन्ड डाल दिया.
वह चीख पड़ी।

कुछ धक्कों में मैंने अपना पूरा लन्ड उसकी चूत में उतार दिया.

उसकी चूत से खून निकलने लगा.
वह रोने लगी.
मैंने उसे चुप कराया और धीरे धीरे चोदने लगा.

वह सिसकारियां भरने लगी.
30 मिनट की चुदाई में वह 2 बार झड़ी.

फिर मैं भी उसके अन्दर झड़ गया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा।

कुछ दिन बाद हम चारों शहर के मकान में आ गए।

आते ही भाई- क्यों साली साहिबा, अब तो शादी हो गई. अब तो दोगी ना?
रुचि हंसती हुई- नहीं दूंगी जीजू! क्यों मुंह से लार टपका रहे हो. मैंने कसम खा रखी है कि मैं अपने पति के सिवा किसी से नहीं करूंगी।

भाई- ओहो, साली साहिबा आपने तो खड़े लन्ड पर धोखा दे दिया।
हम सभी हंसने लगे।

रुचि मेरे तरफ देखते हुए- उदास ना हो जीजा, मैं तुमसे अपनी बुर चटवाऊंगी। मेरे बुरचट्टा जीजा, मेरी बुर चाटोगे ना?
भाई- इतने में तो मैं तर जाऊंगा।

तभी रुचि वहीं सोफे पर अपनी टांगें फैला कर बैठ गयी- आओ मेरे बुरचट्टा जीजा … अपने भाई की बीवी की बुर चाटो।

भाई नीचे बैठ गया और उसकी पैन्टी पर मुंह लगा दिया.
उसकी पैन्टी को अपने दांतों से पकड़ कर भीने निकाल दिया और उसकी चूत चाटने लगा।

मैं भी भाभी को रुचि के बगल में बिठा उनकी चूत चाटने लगा।

कुछ देर बाद दोनों झड़ गई।

अब मैं रुचि की और भाई भाभी की चुदाई करने लगे।

अभी तक तो ऐसे ही हम सभी हंसी खुशी रह रहे हैं।

भाभी फक Xxx स्टोरी पूरी पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
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धन्यवाद।
lovesingh171099@gmail.com
 

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