18upchoti !

Enjoy daily new desi sex stories at 18upchoti erotic literature forum. Also by creating an account here you will get exclusive access to features such as posting, discussion, & more. Feel free to sign up today!

Register For Free!
  • Activate dark mode by clicking at the top bar. Get more features + early access to new stories, create an account.

Hindi - हिन्दी सलहज की अन्तर्वासना और जीजा का लंड (All Parts)

  • Thread Author

Part 1​

गर्ल लाइक बिग डिक साइज़ … लड़कियां बड़ा लंड पसंद करती हैं. डिक साइज़ मैटर … इसी कारण से जब अचानक मेरे साले की बीवी ने मेरा बड़ा लंड देख लिया तो वह मुझसे चुदने के लिए आतुर हो गयी.

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम आयुष बिंदल है और मैं रायपुर का निवासी हूँ.
मेरे घर में हम 5 लोग हैं. मैं, मेरी पत्नी, दो बच्चे और मेरी माताजी.

मैं लगभग दस साल से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ.
मैंने कई बार अपनी सेक्स कहानी लिखनी चाही पर किसी ना किसी कारणवश नहीं लिख पाया.

अन्तर्वासना पर आज यह मेरी पहली कहानी है.
किसी भी तरह की कोई त्रुटि दिखे तो प्लीज क्षमा करें.

यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी सहलज मानसी के बीच की है.
इसमें नाम और जगह के नाम परिवर्तित किए गए हैं.

मेरी शादी को आठ वर्ष हो चुके हैं और मेरे साले और सहलज के विवाह को लगभग सात वर्ष हो चुके हैं.

यह कहानी आज से दो वर्ष पुरानी है.
मेरे साले व सहलज एक सरकारी बैंक में अच्छी पोस्ट पर काम करते हैं और दोनों का बैंक तो एक ही है, पर ब्रांच अलग अलग हैं.

सरकारी बैंक में नियम है कि अगर आपको प्रमोशन (तरक्की) चाहिए तो हर तीन चार साल में अपना तबादला करवाना होगा.
इससे पहले वे दोनों जयपुर (राजस्थान) में थे और उनका तबादला मेरे शहर से लगभग सौ किलोमीटेर दूर एक छोटे शहर में हो गया.

तबादला आदेश आने के बाद इन्हें तुरंत 3-4 दिन के अन्दर वहां जाकर एक बार जॉइन करना था, फिर कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपना सामान वहां शिफ्ट करवाना था.

चूंकि उस नए शहर में एयरपोर्ट नहीं था, तो उन दोनों ने तय किया कि पहले वे हमारे शहर आएंगे, फिर यहां से अगले दिन टैक्सी या ट्रेन से उस शहर जाने का रखेंगे.

नियत तिथि को वे दोनों और साथ में उनकी 4 वर्षीया बेटी आठ बजे दोपहर में एयरपोर्ट पहुंच गए.
मैं उन्हें रिसीव करके अपने घर ले आया.

यहां में बताना चाहूँगा कि इससे पहले मेरे मन में सहलज को ले कोई कामभावना नहीं थी और ना ही उनके मन में … यहां तक कि हम लोग सिर्फ़ जन्मदिन, त्योहार जैसे अवसरों पर ही बात करते थे और आज से पहले शायद 3 या 4 बार ही मिले थे.
हमारी बातें भी आम जीजा सहलज की तरह होती थीं.

हालांकि सलहज का रंग मेरी बीवी से काफ़ी साफ था और बदन भी भरा हुआ था.
मेरी बीवी का वजन लगभग 50 किलो था और मानसी का 65 के करीब.

घर आने पर सबने उन तीनों का अच्छे से स्वागत किया और थोड़ी देर बाद वह नित्याक्रिया के लिए चले गए.

मेरे घर में 3 कमरे हैं. एक मेरा, एक माताजी का और एक गेस्टरूम है.
लेकिन उस गेस्ट रूम में एसी नहीं है.

चूंकि उनकी फ्लाइट सुबह आई थी, तो मैं बिना नहाए उनको रिसीव करके लाया था.

जब तक वे नहा कर रेडी होते, मैं नाश्ता लेने चला गया.
मुझे आने में आधा घंटा लग गया.

तब तक वे तीनों तैयार हो गए थे.
फिर मैं भी नहाने अपने कमरे में चला गया.

दोस्तो, यहीं से असली कहानी शुरू होती है.
उस वक़्त जून का महीना चल रहा था इसलिए गर्मी भी अपने चरम पर थी.
आपको तो पता ही होगा कि बाथरूम में नहाने से उमस सी हो जाती है.

वे सब नहा चुके थे और शायद नाश्ता खाने की तैयारी चल रही थी तो मैं आदतन बिना कुण्डी लगाए शॉवर से नहा रहा था और साबुन लगा कर अपने आंड और लंड को साफ कर रहा था.

तभी मेरी सहलज वहां अपने पुराने कपड़े लेने आई और उसने मेरे लंड को पहली बार देखा.
वह लंड देख कर ठिठक गई.

मैं बाकियों की तरह यह नहीं कहना चाहता कि मेरा लंड दस इंच का है, ना ही मैंने कभी उसे नापा है.
पर जितना भी था, उसके पति से काफ़ी बड़ा था और थोड़ा मोटा भी.

हालांकि मेरा लंड अभी अर्ध जागृत अवस्था में था, पर साले की खड़े लंड से काफ़ी बड़ा ही था.

बीस सेकेंड के बाद मुझे अहसास हुआ कि कोई मुझे देख रहा है.
तो मैंने लंड धोना बंद करके बाहर देखा.

बाहर मानसी खड़ी थी और उसकी आंखें भी मुझसे मिलीं.
तो जरा सी झेंप कर वह बाहर चली गई.
मैं समझ गया कि इसने इतना बड़ा लंड पहले नहीं दखा होगा.
और मैं जानता हूँ कि गर्ल लाइक बिग डिक साइज़!

फिर मैं भी जल्दी से नहा कर कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सबने नाश्ता नहीं किया था.
साले ने कहा कि सब साथ में करेंगे, इसलिए वे सब रुक गए थे.

फिर हम सबने नाश्ता किया.
लेकिन मैंने गौर किया कि मानसी काफ़ी सामान्य थी और ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
वह जैसे बाकी टाइम बात करती थी, वैसे ही कर रही थी.

इस बात पर मैंने भी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और बात आई गई हो गई.
फ़िर मेरी बीवी बच्चे मानसी और उसकी बेटी सब मेरे कमरे में बैठ कर बातें करने लगे.

इधर मैं और मेरा साला दीपेश मार्केट चले गए.
उसे कुछ खरीददारी करनी थी.

चूंकि उस दिन संडे था तो मेरी भी छुट्टी थी और ऑफिस जाने की कोई टेंशन नहीं थी.
मार्केट में दो तीन घंटे के बाद हम लंच पार्सल लेकर घर आ गए.

मेरी माताजी अपने कमरे में सो गई थीं और वे दोनों ननद भाभी गप्पें मार रही थीं.
बच्चे खेल रहे थे.
फिर सबने खाना खाया और बाकी का पूरा दिन आराम से सामान्य तरीके से बीता.

माताजी को ज़्यादा ठंडक पसंद नहीं इसलिए वे ए सी को 28 पर करके सोती हैं.
जबकि हम सबको 20-22 तक करके सोने की आदत है, तो बाकी मेरे कमरे में गद्दा बिछा कर सो गए.

अगले दिन सुबह उठने के पहले जब मर्दों का लंड अपने तनाव पर होता है.
तब मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड पर जोर से चपत लगाई है.

मैंने आस पास देखा, पर कोई ना था.

उठने के बाद गौर किया कि मानसी मुझसे बात तो सामान्य कर रही थी पर स्माइल ज़्यादा दे रही थी.

क्योंकि उनको अभी अपने शहर जाना था इसलिए ज़्यादा बात नहीं हो पाई और वे लोग दो घंटे बाद ट्रेन से चले गए और बात खत्म हो गई.

फिर वे लोग अपना सामान शिफ्ट करवा कर घर किराए पर लेकर पंद्रह दिन में वहां शिफ्ट हो गए.

उधर शिफ्ट हो जाने के दो दिन बाद अचानक से दोपहर एक बजे मेरे नंबर पर मानसी का मैसेज आया.

उसने कहा कि फ्री होकर कॉल करना.

मैं थोड़ा चौंका, पर मुझे भी काम था और उसका भी लंच दो बजे होगा … यह सोच कर मैंने उसे सवा दो बजे कॉल किया.

कुछ देर इधर उधर की सामान्य बात करने के बाद मानसी ने कुछ यूं बताया कि दीदी यानि मेरी बीवी मुझसे परेशान है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने कहा कि आप उन्हें रात को बहुत तंग करते हो, इस वजह से!

दरअसल मेरी बीवी को सेक्स में कोई खास रूचि नहीं है.
रात को भी जब मैं उसे छेड़ कर उसका मूड बनाता हूँ तब वह कुछ करती है.
उस पर भी वह दस पंद्रह मिनट के बाद जैसे ही उसका हो जाता है तो वह मुझे भी जल्दी झड़ने का बोल कर ज़्यादा कुछ करने का अवसर नहीं देती क्योंकि उसे नीचे जलन होने लगती है.

फिर और चाहे जो भी हो, आप किसी के साथ जबरदस्ती सेक्स नहीं कर सकते … और मुझे तो ऐसा सेक्स चाहिए था जो दोनों की सहमति से, दोनों की पहल से, दोनों के तृप्त होने तक थोड़ा जोरदार चुदाई दमदार तरीके से हो.

खैर … जब मानसी ने मुझे यह बताया तब मैंने कहा- हां रश्मि (मेरी बीवी) मुझे पूरा सहयोग नहीं करती है, काफ़ी जल्दी उसका हो जाता है!

तब मानसी ने मुझे छेड़ते हुए पूछा- अच्छा तो कितने देर तक टिकने वाली चाहिए आपको?
मैंने भी बिंदास बोल दिया- जब तक दोनों तृप्त होकर थक ना जाएं, तब तक तो होना ही चाहिए!
यह सुन कर मानसी ने भारी मन से कहा- सही बोल रहे हो तुम!

आज यह पहली बार था, जब उसने मुझे तुम कहा और यह भी बोला कि दीपेश का भी यही हाल है, बहुत जल्द ही अपना करके शांत हो जाता है!

तब हम दोनों को ये समझ आया कि सेक्स में रूचि ना होना शायद मेरी बीवी और साले के खून में है.

फिर मानसी ने कहा- अगर कोई लंबा टिकने वाली मिल गई तो क्या संभाल पाओगे उसे!
मैंने भी कह दिया- जब तक दोनों तृप्त ना हों, तब तक सेक्स का मज़ा कहां है!

यह सुनकर वह मुस्कुरा दी और उसने कहा कि भगवान ने चाहा तो जल्द ही दोनों को उनके हिसाब से तृप्त करने वाला मिल जाएगा!

फिर उसे कुछ अर्जेंट काम आ गया और उसने बाइ बोल कर फोन रख दिया.

उसके बाद मेरे मन में उथल-पुथल मच गई कि यह ऐसे क्यों बात कर रही थी … इसके दिल में क्या है?

फिर दिन गुजरा और रात को खा पी कर हम सब सोने चले गए.
क्योंकि बीवी के साथ एक रात चुदाई कर लो, तो दस बारह दिन की छुट्टी हो जाती थी और अभी छह दिन पहले ही सेक्स हुआ था, तो कुछ होना तो था नहीं, पर मानसी की बात सोच सोच कर लंड महाराज अपने उफान पर थे.

ऐसे ही रात के साढ़े ग्यारह हो गए थे कि तभी मानसी का मैसेज आया- सो गए क्या?
मैंने खुश होकर तुरंत रिप्लाइ किया- नहीं, तुम्हारे मैसेज का इंतजार कर रहा था!

उसने तुनक कर कहा- अगर ऐसा होता तो खुद ही पहले मैसेज या कॉल करते!
मैंने कहा- अगर पहले कॉल करता तो कहीं तुम ग़लत ना समझ बैठतीं?

मानसी बोली- घबराओ मत, तुम्हारा अब मुझे कुछ बोलना या करना ग़लत नहीं लगेगा!
यह सुनकर मुझे पक्का यकीन हो गया कि हम दोनों ही मिल कर एक दूसरे की प्यास को अच्छे से बुझा सकते हैं.

उसके बाद मैंने उसे वाय्स कॉल करने को कहा, तो मानसी ने रूम से निकल कर तुरंत कॉल कर दिया.
तब तक मैं भी कमरे से बाहर निकल चुका था और छत की तरफ जा रहा था.

तब मैंने मानसी से पूछा- अचानक तुम मेरे साथ इतना खुल कैसे गई हो?
इस पर उसने कहा- उस दिन तुम्हारा लंड देखने के बाद मुझे अपनी प्यास पूरी होती नजर आई. पर क्योंकि हम दोनों रिश्ते में हैं और ये प्यास बुझाना हर किसी के बस की बात नहीं है. मैं पूरी तरह संतुष्ट होना चाहती थी इसलिए मैंने सोचा कि तुम मेरा यह काम कर सकते हो शायद. इसलिए जब तुम दोनों बाजार चले गए, उसके बाद मैंने तुम्हारी बीवी से सेक्स लाइफ को लेकर सारे सवाल पूछ लिए थे. यहां तक कि तुम्हारा लंड कितना बड़ा है और तुम कितनी देर तक चुदाई कर सकते हो, यह भी जान लिया था.

अब क्योंकि औरतें चूत हाथ में लेकर नहीं घूमतीं कि जहां लंड मिले, वहीं चुदवा लो, इसी वजह से मेरी सलहज ने मुझसे चुदने का मन बना लिया था.
फिर रश्मि ने उसे पूरा बताया कि कैसे मैं उसे निचोड़ देता हूँ और फिर भी मेरा नहीं होता.
ये सब सुनकर सलहज ने अपना विचार पक्का कर लिया था.

सलहज से सारा मामला समझ लेने के बाद मैंने मुस्कुरा कर कहा- तुमने तो मेरे बारे में पता कर लिया, पर अपने बदन के बारे में तो बताया ही नहीं!
मानसी बोली- अब बताना क्यों, सीधा देख कर जो करना हो कर लेना!

तब मैंने कहा- तुम वहां हो और मैं यहां … तो ये होगा कैसे?
वह बोली- जब दिल मिल गए तो बाकी सब भी मिल जाएगा.

यह कह कर वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
इस बीच उसने कहा- एक घंटा होने को है, दोनों के पार्ट्नर जाग ना गए हों.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को फोन पर ही बाइ वाली किस की और सोने चले गए.
अगले दिन जब मैं सोकर उठा तो देखा मानसी ने सिर्फ़ तौलिया पहने हुए अपनी फोटो भेजी थी, जिसमें उसके गोरे गोरे मम्मे कुछ इस तरह से दिख रहे थे कि सिर्फ़ निप्पल छुपे हुए थे बाकी ऊपर का सारा स्तन दिख रहा था.

एक तो सुबह का टाइम, ऊपर से ऐसी फोटो देख कर लंड महाराज फनफना उठे.
तब मैंने भी बाथरूम में जाकर अपने लंड की फोटो मानसी की तुरंत भेज दी.

फोटो देख कर मानसी का तुरंत रिप्लाइ आया- बाप रे, ये तो दीपेश के दुगने से भी बड़ा है!
अपने लंड की तारीफ सुन कर मेरा सीना चौड़ा हो गया.

फिर इसी तरह हमारी बात होने लगी क्योंकि दिन में उसे भी काम रहता और घर जाकर वह बात नहीं कर सकती थी.
इस वजह से हम रात को ग्यारह बजे के आस-पास से एक डेढ़ घंटे के लिए बात करते और अब ज़्यादातर फोन सेक्स ही करते.

हम दोनों ही एक दूसरे को अपने अपने न्यूड फोटो भेजते, पर अभी तक मानसी ने अपने मम्मे और चूत की फोटो साफ साफ नहीं भेजी थी.

वह हमेशा कहती कि जब मिलोगे तब जी भरके देख लेना.

इसी तरह हमें बात करते और फोटो भेजते आठ दिन हो गए थे.

एक दिन उसने बताया कि बैंक की तरफ से कोई मीटिंग है, जो दो दिन की है और मेरे शहर रायपुर से पचास किलोमीटर की दूरी पर किसी जगह पर है.
उसने यह भी कहा कि उस मीटिंग में वह अकेली आएगी यानि दीपेश नहीं आएगा.

यह सुन कर हम दोनों के तन बदन में आग लग गई और मिलने के लिए तड़पने लगे.
मानसी से मैंने मीटिंग की तारीख और समय पूछ कर एक अच्छे से होटल में कमरा बुक कर लिया.

मीटिंग आठ दिन बाद शुक्रवार और शनिवार को दोपहर दो से रात आठ नौ बजे तक होने वाली थी.
मानसी ने कहा कि वह सुबह सात बजे वाली ट्रेन से आएगी और उसे पहुंचने में एक डेढ़ घंटा लगेगा.

मैंने भी घर में ऑफिस का बहाना बना कर सोमवार सुबह तक आने का बोल दिया.

नियत तिथि को मैंने जल्दी से नहा धोकर झांटों को हटा कर लंड को मस्त चिकना बना लिया.

यही काम उस वक़्त मानसी भी अपनी मुनिया के साथ कर रही थी.

फिर मैं नाश्ता करके जल्दी अपनी कार से उस स्थान के लिए निकल पड़ा और मानसी भी ट्रेन में चल पड़ी थी.
अब बस हम दोनों की चुदाई की रेलगाड़ी चलने की देर थी.

दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको अपनी सलहज के साथ अपनी चुदाई की कहानी को विस्तार से लिखूँगा.
आपको मेरी यह गर्ल लाइक बिग डिक साइज़ कहानी कैसी लग रही है, प्लीज जरूर बताएं.
rishi09196@gmail.com
 

Member
Choti Editor
Joined
Jul 9, 2024
Messages
146

Part 2​

हॉट भाभी फक कहानी में मेरी बीवी की भाभी ने मेरा बड़ा लंड देखकर मुझे सेक्स के लिए पटाया और होटल में चुदाई का मजा लेने का प्रोग्राम बना लिया.

फ्रेंड्स, मैं आयुष एक बार पुनः अपनी सलहज मानसी की चुदाई की कहानी के अगले भाग के साथ हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
सलहज हुई मेरे लंड की दीवानी
में आपने अब तक पढ़ लिया था कि मेरी सलहज और मेरे बीच चुदाई की बिसात बिछ चुकी थी और अब बस चुदाई होना शेष थी.

अब आगे हॉट भाभी फक कहानी:

हम दोनों अपने मिलन को लेकर काफ़ी उत्सुक थे क्योंकि मैं कार से आ रहा था और सिर्फ़ पचास किलीमीटर की ड्राइव करनी थी तो मैं जल्दी पहुंच गया.
पहले से होटल में जाकर अपने बुक किए हुए रूम को अच्छे से चैक किया कि वहां पहुंचने के बाद रूम की सर्विस को लेकर हमें कोई परेशानी हो और उसमें फालतू का वक़्त जाया न हो.

होटल में सब सैट करने के बाद मैं वापस स्टेशन आ गया.

लगभग सवा आठ बजे मानसी की ट्रेन आई.
मैंने उसे प्लॅटफॉर्म से रिसीव किया.

आज पहली बार मानसी को अपनी गर्लफ़्रेंड के तौर पर देख कर एक अलग से आनन्द की अनुभूति हो रही थी.

उसने हल्के पीले रंग का सूट पहना हुआ था, दुपट्टा एक साइड कंधे पर था एक हाथ में मोबाइल और दूसरे हाथ में सूटकेस था जिसमें उसके अगले दिन के कपड़े और जरूरी सामान था.

जब वह मेरे पास आई तो मैं इसी उधेड़बुन में था कि उससे कैसे मिलूँगा.
पर मानसी बिना कोई संकोच या किसी की परवाह किए सीधा मेरे गले लग गई और थोड़ा जोर लगाकर मुझे अपने आलिंगन में बाँध लिया.

मैंने भी तुरंत उसे अपने आगोश में लिया और बिल्कुल छोटी सी किस उसके नर्म गोरे गाल पर कर दी.

वह किस इतनी छोटी थी कि कब हुई, किसी को पता भी नहीं चला.
क्योंकि यह कोई महानगर तो है नहीं कि आप जो चाहे पब्लिक्ली करो.

मैं भी नहीं चाहता था कि कोई देखे और बात बने.
इसलिए हम दोनों वहां से निकल कर सीधा कार में आ गए.

कार में आकर हमने एक जोरदार हग किया, जिससे मानसी के दूध मेरे सीने से काफ़ी जोर से दबे हुए थे.
दो मिनट बाद हम वहां से होटल के लिए निकले.

रास्ते में मानसी काफ़ी खुश होकर खिलखिला कर बात कर रही थी.

इसी बीच मैंने उसकी पसंद पूछ कर रास्ते में मेडिकल स्टोर से दस पीस वाला एक पैकेट डार्क चॉक्लेट कंडोम का ले लिया.

फिर हमने बाहर ही हल्का सा नाश्ता किया ताकि मिलन के वक़्त होटल वाला नाश्ते या खाने को लेकर तंग ना करे.

मैं सुबह ही होटेल में चैक-इन कर चुका था इसलिए कार को पार्क करके हम लोग सीधा कमरे में चले गए.

कमरे में पहुंच कर मानसी ने अपना सामान सलीके से अलमारी में रखा और आकर मेरे सीने से लग गई.

मैंने भी उसको अपने आगोश में भर लिया.
उसके 34 साइज के दूध मेरे सीने में दबे जा रहे थे.

कुछ मिनट तक हमने सिर्फ़ एक दूसरे को महसूस किया.

फिर धीरे से उसने अपना मुँह ऊपर किया और हमारे होंठ आपस में मिलते चले गए. हम दोनों बिल्कुल आराम से किस कर रहे थे इसलिए कि हम दोनों में से किसी को जल्दबाज़ी नहीं थी.

हम दोनों हर लम्हे का पूरा मज़ा लेना चाहते थे.

दोस्तो, उसके नर्म गुलाबी होंठों को चूम कर ऐसा लग रहा था, जैसे मक्खन और शहद का मिश्रण हो.
इस दौरान हम दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को परस्पर सहला रहे थे.

हम दोनों एकदम चिपक कर किस कर रहे थे, इस वजह से मानसी के दूध को मसलना मेरे लिए संभव नहीं था.
मैंने उसके नितंबों को मसलना चालू कर दिया.

मानसी के नितंब ऐसे थे जैसे पानी भरे हुए दो गुब्बारे हों, एकदम नर्म.
दस मिनट बाद जब हम दोनों अलग हुए तो उसने कुछ पल इंतजार करने को कहा और अपने पति को सही सलामत पहुंचने की खबर दी.

फिर उसने अपने मैनेजर से बात करके आज के उसके काम का पूरा ब्यौरा लिया ताकि बाद में कोई तंग ना करे.

इसके बाद वह अपना सूटकेस लेकर बाथरूम में चली गई और दस मिनट के बाद एक पतली झीनी सी काले रंग की नाइटी पहन कर बाहर आई.
यह काले रंग की नाइटी उसके गोरे बदन के साथ कयामत ढा रही थी.

उसने यह नाइटी आज के इस खास मौके के लिए तीन दिन पहले ही खरीदी थी.

उस झीनी सी नाइटी के अन्दर उसने ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
उसकी ब्रा पैंटी उसके तराशे हुए जिस्म को मस्त नुमाया कर रही थीं.

फिर वह बड़ी अदा के साथ मेरे पास आई.
मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था.

उसने मुझे धकेल कर लिटा दिया और धीरे से मुझ पर चढ़ कर किस करने लगी.

हम दोनों के होंठ आपस में उलझे हुए थे और पहले किस के मुकाबले अभी हमारा किस और जोर से हो रहा था.

चुंबन के साथ साथ हम एक दूसरे को थोड़ा थोड़ा काट भी रहे थे जिससे मीठा मीठा दर्द एक अलग ही मस्ती दे रहा था.

उसके हाथ मेरे सिर में उलझे थे और मैं अपने हाथों से उसके चूतड़ और उसकी पीठ को सहला रहा था.
मानसी कभी मेरे गले को काटती तो कभी मेरे कान की लौ को चबाती … तो कभी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती.

सच कहूँ तो उस वक़्त हम दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे.

कुछ देर बाद वह मेरे ऊपर से हटी और उसने मेरी टी-शर्ट और बनियान को निकाल कर फेंक दिया.

साथ ही टीवी का रिमोट उठा कर उसे चालू करके एक म्यूजिक चैनल लगा कर उसकी आवाज को काफी तेज करते हुए बढ़ा दिया ताकि हमारी आवाजें बाहर ना जा सकें.
फिर उसने मेरे सीने पर किस करना शुरू किया और मेरे निप्पल को हल्का सा चबाते हुए लाल कर दिया.

इतना सब होने के बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और उसके पूरे चेहरे पर अपने चुंबनों की बौछार करने लगा.

उसकी आंखें, गाल, सुराही जैसी गर्दन, कान, नाक सबको चूम चूम कर मैंने अपने प्यार से उसे सराबोर कर दिया.

उसके बाद मैंने उसकी काली नाइटी को उसकी मांसल जांघों से ऊपर करना शुरू किया और धीरे धीरे उसका पूरा गोरा बदन मेरी आंखों के सामने आने लगा.

पहले उसकी काली पैंटी जो उसकी योनि के अन्दर घुसी हुई थी और साथ ही कामरस से भीगी हुई थी.
फिर उसका चिकना पेट … और फिर मक्खन से गुंदाज दो गोले!

सिर को उठा कर उसने अपने नाइटी को उतारने में पूरा सहयोग दिया.

मैंने उसके गले पर हल्का सा काट कर लव बाइट का निशान दे दिया.

फिर उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स को कंधे से उतार कर साइड में कर दिया और धीरे से उसकी ब्रा को नीचे सरका कर उसके चिकने पेट तक कर दिया.

अब मेरे सामने उसकी तनी हुई चोटियां थीं जिन्हें मसलने के लिए मैं पिछले कितने दिनों से व्याकुल था.

उसके चूचों का रंग बिल्कुल गोरा और लगभग पांच रुपये के सिक्के जितना चौड़ा एयरोला था और उस पर मटर के दाने जितना बड़ा कड़क भूरा निप्पल अपने घमंड में अकड़ा हुआ था.
अगले एक मिनट तक तो मैं सिर्फ़ उसके दोनों मम्मों को देखता ही रहा.

वह शर्मा गई और उसने हौले से कहा- चूस लो न!
मैं मुस्कुरा दिया और मैंने अपने दोनों हाथों में एक एक स्तन को पकड़ कर धीरे धीरे मसलना शुरू कर दिया.

मानसी की मादक सिसकारियां भी निकलनी शुरू हो गईं.
फिर मैंने मानसी के एक स्तन को अपने मुँह में भर लिया और उसके निप्पल को अपनी जीभ से चाटने लगा.

मानसी तो पागल सी हो गई.
वह मेरे सिर के बालों को खींचने लगी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी.

मैंने मन ही मन कहा कि खींच ले मेरी बुलबुल मेरे सारे बाल, तेरे जैसे स्तनों को पाने के लिए अगर मुझे गंजा भी होना पड़े, तो कोई गम नहीं!

मैं कभी एक स्तन को मसलता और दूसरे को मुँह में भरता, तो कभी दूसरे को मसलता और पहले को मुँह में भर लेता.

फिर नीचे आकर मैंने उसके पेट को चाटना शुरू किया.
लेकिन उसकी ब्रा बीच में आ रही थी तो मैंने मानसी को पलट कर पेट के बल लिटा दिया और उसके शरीर के बचे हुए दोनों कपड़ों के टुकड़े से एक को हटा कर दूर फेंक दिया.

दूसरा टुकड़ा यानि पैंटी आगे से चूत में और पीछे से उसकी गांड की दरार में घुसी जा रही थी.

मैं उसकी पीठ को चूमते हुए अपने दोनों हाथ उसके गुंदाज गोलों में घुसा कर मसलने लगा.
उसने भी अपने कंधे को ऊपर उठा कर सहयोग किया.

पीठ को चूम कर उसे जब मैंने सीधा लिटाया तो उसने मुझे खड़े होने को कहा ताकि वह मेरी जीन्स उतार सके.

मानसी ने मेरी जीन्स को धीरे धीरे बड़ी अदा के साथ खोला और उतार कर नीचे फेंक दिया.
चड्डी में मेरा लंड फुँफकार रहा था और पूरा तंबू बना हुआ था.

मानसी ने देखा और मुस्कुराकर उसे चड्डी के ऊपर से मसल दिया और मेरे लंड का अंदाज़ा लगाने लगी.
उसकी आंखों में अजीब सी चमक थी जो साफ साफ कह रही थी कि ये लंड उसे पूरी तरह से संतुष्ट कर देगा.

वह मेरी चड्डी को नीचे करना चाह रही थी.
पर मैंने उसे रोक दिया और उसके होंठों को चूम कर सीधा नीचे लिटा दिया.
फिर उसके पेट को चूम कर मैं उसकी नाभि में अपनी जीभ चलाने लगा.

वह फिर से मस्ती के समंदर में गोते लगाने लगी.

अब मैंने नीचे होकर उसकी पैंटी को सूँघा जो कामरस से सराबोर हो चुकी थी.

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि को सूंघ कर चाटा … तो वह कसमसा उठी और उसने खुद ही अपनी पैंटी को उतार कर अलग कर दिया.

अब मेरे सामने दुनिया की सबसे सुंदर चूत थी … बिल्कुल गुलाबी रंग की चूत … जिस पर बाल तो क्या, रोयें का भी नामो निशान नहीं था.

मैंने तुरंत थोड़ा सा सहला कर उस गुलाबी चूत को अपने मुँह में भर लिया और अपनी जीभ अन्दर तक डाल कर चाटने लगा.

मानसी की सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी.
वह अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी.

मैंने भी एक हाथ से उसकी चूत के अन्दर धीरे धीरे उंगली करना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसके स्तन मसलने लगा.

क्योंकि चूत चटवाने का यह उसका पहला अनुभव था इसलिए दस मिनट के अन्दर ही जोर से चिल्लाती हुई वह झड़ गई और उसने अपनी चूत से नमकीन पानी छोड़ दिया.

फिर तुरंत मुझे ऊपर खींच कर मेरे होंठों को किस करने लगी जिससे कि उसके कामरस का स्वाद भी उसे मिलने लगा.

पांच मिनट के बाद उसने मुझे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर सवार हो गई.
वह तुरंत ही मेरे लंड को सहलाने लगी.

फिर उसने मेरी आंखों में देखा और लंड पर जीभ फिरा कर आधा लंड मुँह में भर लिया … और बड़ी ही नाज़ुक अदा के साथ चूसने लगी.

मैं वासना के समंदर में गोते लगाने लगा.

मेरा लंड पूरा उसके मुँह के अन्दर जा नहीं पा रहा था.
पर जितना भी मानसी से बन रहा था … वह उतना अपने मुँह में भरने का प्रयास कर रही थी.

दस मिनट के बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और खुद ही कंडोम निकाल कर लंड पर पहनाने लगी.

लंड पर कंडोम चढ़ जाने के बाद मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया कुछ इस तरह से लगाया जिससे उसकी चूत उभर कर मेरे सामने आ गई.

फिर मैंने अपने लंड से उसकी चूत को पांच छह बार रगड़ा और धीरे से अन्दर डालने लगा … क्योंकि उसके पति का लंड काफ़ी छोटा था इसलिए मानसी की चूत काफ़ी टाइट थी.

तीन चार कोशिश के बाद लंड धीरे धीरे उसकी गुलाबी चूत के अन्दर जाने लगा.

उधर लंड ने अन्दर जाना शुरू किया और इधर मानसी ने अपनी आंखें जोर से बंद करके अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ा दिए.
मैंने अभी अपना आधा लंड ही मानसी की चूत के अन्दर डाला था.

मैं अब अपने आधे लंड को ही धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
उसी के साथ ही मानसी के नाख़ूनों का दबाव भी मेरी पीठ पर बढ़ता जा रहा था.

बीस पच्चीस धक्कों के बाद जब मानसी कुछ सामान्य हुई तो मैंने उसे एक जोरदार किस किया और झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.

उसकी घुटी घुटी सी चीख हम दोनों के किस में दब कर रह गई लेकिन उसने नाख़ून इतनी जोर से मेरी पीठ पर गड़ा दिए मानो लगा कि खून निकल आया हो.

दो मिनट तक मैंने अपना लंड मानसी की चूत में बिना हिलाए डुलाए डाले रखा और उसे धीरे धीरे किस करने लगा.

वह कुछ सामान्य होती दिखी तो मैं हल्के हल्के से अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
पंद्रह बीस धक्के के बाद मैं सीधा होकर अपने घुटने के बल बैठा और दोनों हाथों से मानसी के स्तनों को मसलते हुए उसकी चूत को चोदने लगा.

हर धक्के के साथ मानसी के मुँह से कामोत्तेजना भरी आवाज आहह आहह निकलने लगी.
वह इस पल का भरपूर मजा ले रही थी.
अब वह मेरा पूरा सहयोग कर रही थी और चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी.

दस मिनट के बाद वह जोर जोर से आहें भरती हुई एकदम से अकड़ गई और फिर से झड़ गई.
उसकी चूचियां मेरे सीने से काफ़ी जोर से दबी हुई थीं.

मैं कुछ देर रुका रहा और चूंकि मैं अभी झड़ा नहीं था तो मैंने फिर से रेलगाड़ी चलाना शुरू कर दी.

अब चूत में काफी ज्यादा चिकनाई हो गई थी तो लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
बीस पच्चीस धक्कों के बाद वह मस्ती में आ गई और मुझे अपनी गांड उठा कर जबाव देने लगी.

मैंने भी पूरा लंड सुपारे तक बाहर निकाल कर अन्दर बच्चे दानी तक ठांसना चालू कर दिया था.
तो वह अकबकाने लगी थी और उससे रहा नहीं गया तो वह जोर जोर से सांस लेती हुई फिर से झड़ गई.

उसकी नर्म चूत कामरस से भीग कर सराबोर हो गई थी.

उसने मुझे रोक कर कंडोम को हटा दिया और कहा- अब इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे!

दोस्तो, अब जब मैंने बिना कंडोम के मानसी की चुदाई शुरू की तो कसी हुई चूत की वजह से हम दोनों को एक अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही थी.
हर धक्के के साथ हम दोनों के मुँह से ‘आअहह आहह’ की आवाज आ रही थी.

मैं उसके ऊपर से हटा और बिस्तर से नीचे उतर कर खड़ा हो गया.
मैंने मानसी को लेटी हुई अवस्था में ही अपनी तरफ किनारे पर खींचा एवं उसकी दोनों टांगों को अपने दोनों कंधों पर रखकर धक्कम पेल चुदाई शुरू कर दी.

अब की बार मैं अपना लंड बहुत जोर जोर से अन्दर बाहर कर रहा था और एक हाथ से उसके रसभरे स्तन को भी दबा रहा था.

पंद्रह मिनट के बाद जब मेरा लावा फूटने को हुआ तो मानसी ने समझ लिया.
उसने मुस्कुराकर कहा- बिंदास अन्दर ही डाल दो.

मैं लग गया और पंद्रह बीस करारे झटके देने के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
मेरा लावा मानसी की चूत में लबालब भर गया.

हॉट भाभी फक के बाद मैं मानसी के ऊपर ही लेट गया.
हम दोनों को चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे.

कुछ देर बाद जब हम सामान्य हुए तो बाथरूम में जाकर अच्छे से एक दूसरे को साफ किया और नंगे ही बेड पर लेट गए.

चूंकि मानसी को मीटिंग में जाना था इसलिए दूसरे राउंड का वक़्त नहीं था.
पर अभी वह कल रात तक मेरे साथ थी तो अभी तो बहुत कुछ होना बाकी था.

इसलिए कुछ देर बाद हम तैयार होकर उसकी मीटिंग वाली जगह पर चले गए.

दोस्तो, यह थी मेरी और मानसी की पहली चुदाई की कहानी!
उम्मीद है आपको कहानी पसंद आई होगी.

आगे दो दिनों में क्या क्या हुआ, मैं वह सब कुछ विस्तार से अगली कहानी में लिखूँगा.

हॉट भाभी फक कहानी पर अपने विचार मुझे मेल और कमेंट्स में अवश्य बताइयेगा.
rishi09196@gmail.com
 

Love reading at 18upchoti? You can also share your stories here.
[ Create a story thread. ]
Top